Saturday, May 8, 2010

3.02 अइ-अउ आद्यक्षर वाले शब्द

57 अइँगी-भइँगी (गो॰ 10:45.15)
58 अइँठन (बअछो॰ आमुख:3.3; 15:68.29)
59 अइंठन (नसध॰ 12:53.8)
60 अइंठना (विश्वनाथ अइंठ के कहलक) (अमा॰27:6:2.1)
61 अइंठल (की अइंठल चलऽ ह अखने, एक दिन समय भी तोरो अइतो) (अमा॰23:20:1.1)
62 अइगुन (= अवगुण) (नसध॰ 19:78.23)
63 अइटा, अइँटा (गो॰ 4:21.8, 18)
64 अइठकी-बइठकी (एही बीच हाँफे-फाफे, लपकल-धपकल दउड़ल मोहनचक इस्टेसन तरफ से तीरकोनीए आवइत दुरगा मुखिया अलगंठवा सहित सभे के जोर-जोर से बोलइत कहलक हल - अरे बाप, अपने लोग अइठकी बइठकी खतम करके एने-ओने बहरा जा ।) (अल॰44:145.15)
65 अइमानी-बइमानी (रम॰ 10:77.16)
66 अइरवी-पइरवी (अलगंठवा के नाम किसान-मजदूर दूनों के कबूल हो जइतो । काहे कि उ दिन रात समाज के हर तवका के लोग के सेवा करइत रहऽ हे । देखऽ, हम्मर गाँव में ओकरे अइरवी-पइरवी आउर मेहनत से लोअर इस्कूल से हाई इस्कूल तक हो गेल हे ।) (अल॰15.44.29)
67 अइसन (अमा॰1:4:2.14, 7:2.1; अआवि॰ 2:22; बअछो॰ आमुख:3.1, 6.26; 1:11.23, ...; गो॰ 1:2.27, 28, 3.11, 20, 4.29; कब॰ 1:1; मसक॰ 16:1; 19:3; नसध॰ 6:24.22)
68 अइसन-अइसन (गो॰ 6:32.8)
69 अइसन-वइसन (अमा॰173:10:1.21)
70 अइसहीं (अमा॰21:12:1.20; 170:18:1.11; बअछो॰ 7:32.12; गो॰ 11:46.21; नसध॰ 1:2.8)
71 अइसे (~ काहे कहइत हऽ बाबू जी ? हमरा तो पटना से जादे मन इहईं लगऽ हे ।) (नसध॰ 37:158.11)
72 अईंटा (हमनिये नियन अपने भी अईंटा ढेला चलावऽ ही ?) (अमा॰22:14:1.15; 173:1:2.11)
73 अईंठना (रस्सी ओतने अईंठाय के चाही जेतना में ऊ टूटे नऽ । यदि टूट गेल तो अईंठे से का फैदा ?) (नसध॰ 37:160.3, 4)
74 अईठन (जोर जर गेल हे तइयो ~ बाकी हे) (नसध॰ 7:30.18)
75 अउँगारी (अल॰32:104.9)
76 अउकात (हमरा सुमितरी के पढ़वे के अउकात हइ बड़ीजनी, पढ़ाना असान बात हे का ? आज हम गछ लिअइ आउ कल हमरा से खरचा-वरचा न जुटतइ तऽ हम का करवइ ।) (अल॰10.31.23)
77 अउघड़ (~ दानी सोभाव के) (अमा॰13:8:2.4)
78 अउचक्के (दरोगी जी अउचक्के पानी में से निकासल मछली नियन तड़फड़ाय लगलन ।) (अमा॰29:12:2.28)
79 अउरत (नसध॰ 29:129.28, 30)
80 अउरत (अउरतियन सब अप्पन विचार से न डिगल) (अमा॰17:10:1.7)
81 अउरदा (जे साहित्त समाज के, जन-जीवन के आउ कहऽ कि माटी से मिलल रहऽ हे ओकर ~ ओतने लमहर होवऽ हे) (अमा॰13:11:1.4)
82 अउरो (बअछो॰ 1:11.5)
83 अउसन (जइसे खाय-पीये, पेन्हे-ओढ़े ला दे हियो, अउसने में रह । जादे मुँह लगइमें त ई खोरनी से दाग देबउ ।) (अमा॰17:8:2.1)

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