Saturday, May 8, 2010

310. मुख्य पृष्ठ

अद्यतन संशोधन: 13-06-2010 22:48 ; कुल शब्द-संख्या = 11,380
द्वितीय संशोधन:  08-05-2010 14:17 ; कुल शब्द-संख्या =   9,899
प्रथम संशोधन:    21-02-2010 16:05 ; कुल शब्द-संख्या =   8,619

मगही कोश अभी निर्माणाधीन हइ ।

जे शब्द के खोजे के हइ ओक्कर, सूची के अन्तर्गत देल पहिला अक्षर के कड़ी (लिंक) के क्लिक कइल जाय ।

सन्दर्भ ग्रन्थ, पत्रिका वगैरह से उद्धरण लगि प्रयुक्त संकेत हीयाँ उपलब्ध हकइ ।

कोश में प्रविष्ट शब्द के आद्यक्षर















[नोट: भिन्न-भिन्न पुस्तक आउ पत्रिका में से चुन्नल मगही शब्द के एक जगह संग्रह करके वर्णक्रमानुसार प्रस्तुतीकरण कम्प्यूटर प्रोग्राम से कइल गेले ह । मगही शब्द के संग्रह करे बखत प्रोग्राम में अभी कुछ खास सुविधा के कमी के चलते कुछ शब्द दोबारा आ गेले ह, जेकरा से ई ऑनलाइन मगही कोश में शब्द के ठीक-ठीक संख्या अभी नयँ देल जा सकऽ हइ । लेकिन आशा हइ कि कुछ शब्द के दोहरयला से शब्दावली के संख्या में 10% से जादे वृद्धि नयँ होले होत । भविस में प्रोग्राम में सुधार से ठीक-ठीक शब्द-संख्या मालूम होतइ । ]

3.00 अकारादि शब्द

3.00 अकारादि सभी शब्द
3.01 अँ - अं आद्यक्षर वाले शब्द
3.02 अइ-अउ आद्यक्षर वाले शब्द
3.03 अक-अघ आद्यक्षर वाले शब्द
3.04 अच-अझ आद्यक्षर वाले शब्द
3.05 अट-अण आद्यक्षर वाले शब्द
3.06 अत-अन आद्यक्षर वाले शब्द
3.07 अप-अम आद्यक्षर वाले शब्द
3.08 अय-अव आद्यक्षर वाले शब्द
3.09 अश-अह आद्यक्षर वाले शब्द

3.09 अश-अह आद्यक्षर वाले शब्द

543 अष्टावक्र (सबसे मुश्किल तो ई हे कि अगर लड़की पढ़ल हे त अफसरे हे आउ न पढ़ल हे त जाहिले हे । ओकरो पर से घर के काम-काज में निपुन हे कि न, मुँह समेट के रहेवाली हे कि न, बाप के गाँठ पूरा हे कि न । कहे के मतलब हे कि लड़की तो चाही सर्वगुणसम्पन्न । बाकि लड़का ? लड़का के पूछऽ मत । अष्टावक्र सूरत सकल वाला के भी स्वप्न सुन्दरी चाही ।) (अमा॰27:17:2.2)
544 असंका (= आशंका) (नसध॰ 10:46.5)
545 असंका (= आशंका) (असंका ओकर माय के मन में बनल रहऽ हल ।) (अल॰12.36.5)
546 असकुस (फूब॰ मुखबंध:2.5)
547 असथान (= स्थान) (धरती के ऊपर जे असमान  हे ओकरा में दिन में सूरज आउ रात में चान के जउन असथान हे, ओकरा से ढेर जादे ऊँचा असथान मगही साहित्य के असमान  में डॉ॰ राम प्रसाद सिंह के हे) (अमा॰25:7:1.2, 3)
548 असनान (= स्नान) (कतकी पुनिया नेहाय ला अलगंठवा के माय आउ टोला-टाटी के कइ गो अउरत-मरद फतुहा गंगा-असनान करे ला आपस में गौर-गट्ठा करे लगल हल ।) (अल॰6:14.11, 26)
549 असमर्थ (नसध॰ 32:139.6)
550 असमसान (= श्मशान) (औरत के ~ घाट पर जाय के सवाल पर भी कम बवाल न भेल) (अमा॰10:9:1.15)
551 असमान (= आसमान) (धरती के ऊपर जे ~ हे ओकरा में दिन में सूरज आउ रात में चान के जउन असथान हे, ओकरा से ढेर जादे ऊँचा असथान मगही साहित्य के ~ में डॉ॰ राम प्रसाद सिंह के हे) (अमा॰25:7:1.1, 3; 28:18:1.7)
552 असमान (= आसमान, आकाश) (असमान-जमीन के फरक) (मकस॰ 13:3; 20:13)
553 असमान में गुम होना (गो॰ 8:39.16)
554 असमान में ढाही मारना (रम॰ 13:104.6)
555 असरा (अमा॰3:11:1.22; बअछो॰ 5:26.24)
556 असरा (~ में रहना, ~ देखना) (नसध॰ 1:6.14; 5:21.19; 35:152.9; 39:165.3)
557 असराफ (चुभसे॰ 1:2.4; रम॰ 14:112.13)
558 असली (नसध॰ 5:21.21; 33:144.9)
559 असलोक (= श्लोक) (अमा॰167:17:2.8)
560 असहाय (नसध॰ 38:162.26)
561 असाढ़ (अआवि॰ 81:3; नसध॰ 6:23.10; 26:116.7)
562 असाढ़ (= आषाढ़) (अमा॰30:13:1.6)
563 असान (= आसान) (नसध॰ 12:52.11)
564 असान (हमरा सुमितरी के पढ़वे के अउकात हइ बड़ीजनी, पढ़ाना असान बात हे का ? आज हम गछ लिअइ आउ कल हमरा से खरचा-वरचा न जुटतइ तऽ हम का करवइ ।) (अल॰10.31.23)
565 असार (= आसार) (रजधानी से गाँव तक परिवरतन के हवा बहे लगल हे । अब नो छो बड़ी सकेरे होवे के असार दिखाइ पड़ रहल हे ।) (अल॰44:145.23)
566 असिरवादी (अमा॰174:7:1.18)
567 असी (= अस्सी) (नसध॰ 30:133.2)
568 असीरवाद (नसध॰ 5:17.23)
569 असीरवाद (अगे बेटी, चिट्ठिया में हमरो ओर से अलगंठवा के असीरवाद आउर ओकर माय के अकवार गहन भी लिख देहु ।) (अल॰9:29.14)
570 असीर्वाद (नसध॰ 11:48.16, 20; 24:97.29)
571 असुलना (कब॰ 19:8)
572 असूल करना (बअछो॰ 12:57.10; मसक॰ 16:16)
573 अस्तर (केकरो तन पर बस्तर नञ, घरवालियो के फट्टल साड़ी पर ~ नञ, मुदा ताड़ के छिलकोइयो से बत्तर जिनगी) (अमा॰173:16:1.15)
574 अस्त-व्यस्त (नसध॰ 36:153.17)
575 अस्तित्व (अपन ~ के ज्ञान होना) (नसध॰ 32:140.4; 35:150.22)
576 अस्थिर (= स्थिर) (नसध॰ 9:40.29; 22:91.28)
577 अस्पताल (नसध॰ 27:118.15, 119.13)
578 अहंकार (नसध॰ 35:150.16)
579 अहथिर (नसध॰ 32:139.10)
580 अहमियत (अमा॰174:6:1.15)
581 अहर ... पहर (ऊ अहर देखइत, पहर देखइत ओइसहीं खड़ा रहल बाकि ओकर मन के देवता न अयलन) (नसध॰ 44:194.30-31)
582 अहर-पहर (अरे हाँ भाय, तोहनी के अहर-पहर देखके आ रहलियो हे । हम वालमत विगहा के घाट पर पहर भर से बाट जोह रहलियो हल । ... चलऽ, अइते जा ।; इनखा जलदी चल जाय के चाही, काहे कि उ बेचारी अकेले घर में डिंड़िआ रहले होत । ... सुमितरी अहर-पहर देखके भले न बरेठा लगा देलकई होत ।) (अल॰31:97.7; 42:131.29)
583 अहर-पोखरा (नसध॰ 40:174.13)
584 अहरा (मसक॰ 68:6; नसध॰ 9:43.3; 35:149.3; 37:158.2)
585 अहरा (अप्पन अउरत के बात सुनके बटेसर कहलक हल कि पुरवारी अहरा में मछली मरा रहल हल ।) (अल॰5:14.1; 35:112.20)
586 अहरा (विनोबा जी सैकड़न गाँव में हजारो कुइयाँ बिना कमीसन लेले खनवा देलन, सैकड़ो बोरिंग धँसवा देलन आउ काम के बदले अनाज स्कीम के तहत कहुँ रोड पास करवा देलन तो कहुँ अहरा पर भर पोरिस मटियो देवा देलन; अहरे पोखरिये करहे नदिये तलइये नाले, हरि-हरि जलवा मछलिया बगुला सोहाहै रे हरी ।) (अमा॰19:12:1.2; 169:18:2.1)
587 अहरी (बअछो॰ 1:10.26, 11.11; 11:51.14, 52.7; 13:59.13)
588 अहरी (अहरी पोखरी भरल नहाए भईंस  पसर के पानी में) (अमा॰22:17:2.12)
589 अहिंसक (नसध॰ 40:178.11)
590 अहिल-दहिल (कभी-कभी असाढ़ के वादर गरज-बरज के बरस जा हल । जेकरा से खेत में पानी अहिल-दहिल हो रहल हल । मुदा खेत में फरनी न हो रहल हल, चास न लग रहल हल, दोखाड़ल न जा रहल हल ।) (अल॰15.43.21; 19:61.15)
591 अहिवात (जुग-जुग अहिवात रहऽ) (नसध॰ 5:22.2)
592 अहूठ (मसक॰ 135:4)
593 अहे (अलगंठवा के माय के नजर जब सुमितरी के माय पर पड़ल तऽ अलगंठवा के माय तनी हँसइत बोललक हल - "अहे सुमितरी के माय, कपड़ा गार-गुर के इधर भी अइहऽ । तोहर नइहर के कई लोग भी गंगा नेहाय अइलथुन हे ।") (अल॰6:16.16)

3.08 अय-अव आद्यक्षर वाले शब्द

464 अयँ (~, सूरुज चा अभी जीते हथ ?) (नसध॰ 49:211.11)
465 अयँ, आयँ, आईं (बअछो॰ 9:43.1; 11:52.8)
466 अरइ (गो॰ 1:8.18)
467 अरउ (गो॰ 1:8.18)
468 अरउआ (कब॰ 30:16)
469 अरउआ (सुमितरी के माय हाथ में अरउआ लेके बैल आउर भैंसा के हाँक के घर ले आवल हल ।) (अल॰7:21.25)
470 अरग (मसक॰ 87:4, 5; 90:25, 26)
471 अरग (= अर्घ्य) (हम्मर बउआ के दुख हर लेबऽ तो हम एतवार करबुअ आउ तोरा दोहरे सूप से अरग देबुअ) (अमा॰165:10:1.9)
472 अरज (= अर्ज) (तुलातुल समतुल हे, ता पर मेष प्रचण्ड । खड़ा सिंहनी अरज करत हे, कुम्भ छोड़ दे कंत ॥) (अमा॰25:18:1.29)
473 अरजना (अरजल सम्पत्ति) (बअछो॰ 9:44.3)
474 अरतन-बरतन (नसध॰ 44:196.6-7)
475 अरतन-बरतन (मोहन सिंघ आउर जालिम सिंघ के घर के चौखट-केवाड़ी घर के अरतन-बरतन, अनाज से लगाइत खूँटा पर बँधल गाय-बैल आउर भैंस-भैंसा कुरती-जपती होके इसलामपुर थाना चल गेल हल ।) (अल॰28:85.14, 86.7)
476 अरता (ताड़ीपर सैकड़न बीघा में अकवन के पेड़ हे ओकर रुइ बइसाख में उड़िया जा हे ओकरा बटोर के अरता बनावल जा सकऽ हे) (नसध॰ 39:173.7; 41:183.14, 27)
477 अरती (= आरती) (नसध॰ 10:46.8)
478 अरथ (= अर्थ) (बाद में एकर लघु रूप 'पालि' रह गेल आउ एकर अरथ हो गेल बुद्ध वचन) (अमा॰23:9:2.1)
479 अरदा-परदा (रम॰ 4:40.1)
480 अर-बर (~ बकना) (अमा॰165:12:1.16; नसध॰ 9:40.1)
481 अर-बर, अल-बल (कब॰ 32:5)
482 अरबराना, अरबरा जाना (तनी ठंढा से अरबरा गेली हल) (नसध॰ 27:120.32)
483 अरमन्ना (~ के साधन) (अमा॰168:5:1.16)
484 अरमान (सुभाष के अरमान आउ भगत के इन्कलाब) (अमा॰14:14:1.9)
485 अरराना (गो॰ 1:6.25)
486 अरवा (नसध॰ 48:209.13)
487 अरवा (~ चाउर) (सुमितरी आउर हेमन्ती इस्कूल के उतरबारी कोठरी के गाय के गोवर आउर गोरकी मट्टी से लिप-पोत के अमरूद केला बैर-सकरकन्द-गजरा आउर अरवा चाउर के चुना से परसादी बनावे में जुटल हलन ।) (अल॰34:107.25)
488 अरहड़ (कोमल पत्ती साग टमाटर फरवा शोभे डाली के । अरहड़ आम झकाझक फूलल स्वर कोकिल मतवाली के ।) (अमा॰22:17:2.6)
489 अराम (चुभसे॰ 1:6.3; नसध॰ 5:17.12; 28:124.16; 35:149.12; 38:163.10; 48:209.7)
490 अराम (~ से सुतल रहना; सिंचाई विभाग के नोकरी में तो ~ आउ छुट्टिये-छुट्टी रहऽ हे) (अमा॰6:18:1.8; 173:19:1.14)
491 अरार (= अराड़) (अरार पर पीपल, बर आउर ताड़ के पेड़ एक साथ जोट्टा हो के बड़ी दूर में फैलल हल ।; सब लोग जलवार नदी में नेहा के, अरार पर आके कपड़ा बदल रहलन हल) (अल॰21:66.28; 43:141.1)
492 अरार (नदी के ~) (मसक॰ 45:23)
493 अरिआते (ओकरा ~ कसबा तक चललन) (नसध॰ 26:115.18; 39:166.31)
494 अरियातना, अरिआतना (अरियात/अरिआत देना) (नसध॰ 1:4.6; 33:145.7)
495 अरियाते (महतो जी ओहनी के ~ गाँव से तनी दूर ला गेलन) (नसध॰ 10:45.5)
496 अरैत-करैत (उनू-गुनू धातु गुनू, असत-कसत अरिया मन्तर, अरैत-करैत तोसित खंडा, उमू-घुमू धाह बटोरा) (अल॰18:56.27)
497 अर्द्धमागधी (डॉ॰ एच॰ बईस कहलन - 'प्राचीन बौद्ध साहित्य अर्द्धमागधी में लिखल गेल आउ अजुका पालि साहित्य ओकरे अनुवाद हे ।') (अमा॰23:10:1.2)
498 अलंग (रम॰ 9:70.6; रम॰ 18:134.1, 9)
499 अलकतरा (~ करिया बुझाइत हई गे । गोड़वा तो लगऽ हई अलकतरा में डूबल हई ।) (अमा॰167:9:1.3)
500 अलगंठे (हलूमान मंदिल में संझौती भी न परऽ हे । येगो कुम्हार पंडित पूजा-पाठ करऽ हलन तऽ कुम्हार जाति होवे के कारन ओकरा छिछा-लेदर करके येगो पांड़े गरदनिया देके निकाल देलक । अब पूजा-पाघुर के हलूमान जी के चढ़ौना अलगंठे अप्पन घर में सइंतऽ हे ।) (अल॰43:140.19)
501 अलगण्ठ, अलगंठ (= अलग, अकेला, एक ओर, एक छोर पर) (~ फेंक देना, अलगंठे खा जाना) (अमा॰16:12:2.13)
502 अलग-थलग (~ हो जाना) (अमा॰11:8:2.19)
503 अलगल (हमरा चिन्ता काहे ला जब दुलहा हम्मर अकिलगर हे । दुनिया चाहे जे भी कहे, जियरा हम्मर अलगल हे ।) (अमा॰21:10:1.31)
504 अलगही (नसध॰ 13:56.6)
505 अलगे (नसध॰ 6:23.19)
506 अलचार (= लाचार) (बेमार अदमी, बूढ़ा अदमी, ~ के देख के महात्मा बुद्धो डिप्रेशन में आ गेलन हल) (अमा॰169:10:2.18)
507 अलता (= अरउता) (अइहऽ त बंगाल के अलता ले अइहऽ पिया हमरा के; गोड़ के एँड़ी में लाल-लाल अलता के जगह बेआय के दाग गहरायल जा रहल हल) (अमा॰24:15:1.29; 166:8:2.27; 167:14:1.9)
508 अलपजीउ (गो॰ 2:14.8)
509 अलबता (नसध॰ 28:124.19)
510 अलबते (नसध॰ 24:100.13)
511 अलबत्त (= क्या खूब, वाह; बेशक; किन्तु, परन्तु) (चलवे में चरखा ई बुढ़िया अलबत्त हे) (अमा॰28:16:2.25)
512 अलबत्ता (अलबत्ता डंका बजावो हल रजाक मियाँ । डंका बजावे में ऊ अप्पन जोड़ अपने हल सउँसे इलाका में ।) (कुश्ती लड़ेवला के दू दल बन जा हल - एक दल कन्त का के आउ दोसर कनेसर का के । दुन्नू बिचमान बन जा हलन ।) (अमा॰16:11:1.26)
513 अल-बल (हम तो जानऽ हली कि 'अलका मागधी' में कम से कम चार-पाँच गो कहानी जरूर रहऽ होतई । मगर एकरा में खाली अल-बल छाप रहलऽ हे ।; मोबाइल पर एक-दूसरा से घंटो ~ बतिआइत रहऽ हे ।) (अमा॰16:7:2.19; 170:7:1.29)
514 अलमस्त (अआवि॰ 45:29; 107:8)
515 अलमुनिया (= अल्यूमिनियम) (हम ऊ झोला झाड़ली तब ओकरा में से पुरान अचकल-पचकल अलमुनिया के कटोरा आउ एगो फट्टल पुरान मइल कुचइल चद्दर मिलल) (अमा॰22:16:1.11)
516 अलमुनिया (अलगंठवा के घर में माय के जीता-जिन्नगी में पीतल के वरतन में ही भोजन बनऽ हल । मुदा अब अलमुनिया के तसला में भोजन बने लगल हल ।) (अल॰12.37.3; 44:147.15)
517 अलमुनियाँ (कब॰ 45:22; 56:1)
518 अलसाना (चलई बसंती जब अलसवले, धमधम गाँव-गली धमकवले) (अमा॰20:7:1.15)
519 अलसायल (नसध॰ 11:46.28)
520 अलागम (रम॰ 3:29.21, 34.2)
521 अलागम (लावऽ, गांजा हो तऽ मइजऽ हिओ, न तऽ तोहनी रहऽ, हम जा हियो । डेढ़ पहर दिन से कम न वित रहल हे, माथा पर तऽ सूरज आ रहलन हे । गाड़ मारी हम गांजा पीए के । तोहनी अइसन अलागम न न ही ।; ; अइसन वसन्ती रात के सवाद जीमन में पहली बार मिलल हे । अलागम होके हमनि जीअ ।) (अल॰8:24.25; 36:115.18)
522 अलानी (फरत करइला खीरा शोभे लदबद फूल अलानी में) (अमा॰22:17:2.19)
523 अलाव (नसध॰ 10:44.6; 27:118.19)
524 अलाव (जाड़ा में अलाव जोड़ के इया गरमी के दुपहरी में गाछ भिजुन बइठ के लोग-बाग एकता, मिल्लत आउ भाईचारा के परिचय दे हथ; घीसू आउ ओकर बेटा माधव बुतायल अलाव के पास बइठल हथ) (अमा॰13:12:2.26; 27:11:1.3)
525 अलावे (एकरा ~; के ~) (अमा॰12:18:2.26; 18:4:1.12)
526 अलाह (रम॰ 3:25.16)
527 अलाह (धूप-दीप जला के मंदिल से वाहर निकल के पहाड़ पर ही अलाह जोड़ के लिट्टी लगावे के उपाय करे लगलन हल ।) (अल॰16:50.1)
528 अलोप (= लुप्त) (पुरनकन चीज जइसे चकचन्दा-गीत पहिले भादो में गावल जा हल, बाकि अब ई अलोप होल जा रहल हे) (अमा॰163:6:2.18)
529 अलोप (= लुप्त, गायब) (अलगंठवा अप्पन झोला कंधा में लटका के सुमितरी के गाल पर एक चुमा लेइत गली में अलोप हो गेल हल ।) (अल॰42:137.6)
530 अलोपित (चुभसे॰ 3:12.28; गो॰ 10:44.9)
531 अल्ल-बल्ल (गो॰ 1:5.24)
532 अल्हा (= आल्हा) (एकर अलावे दलान में तीन गो चौंकी, ताखा पर रमाइन-महाभारत, अल्हा-उदल, विहुला-विरजेभान के किताब लाल रंग के कपड़ा के बस्ता में बंधल रखल रहऽ हल ।) (अल॰12.37.15)
533 अल्हा-उदल (अल्हे-उदल नियन पहलवान) (नसध॰ 26:113.23)
534 अल्हा-रुदल (= आल्हा-उदल) (दिलदार राम कान में अंगुरी डालइत 'अल्हा-रुदल' के एक कड़ी गावइत बरहमथान दने चले लगल हल) (अल॰33:106.2)
535 अल्हैत (अल्हैतियन) (नसध॰ 26:115.1; 33:141.13)
536 अवतेमातर (= अइते ही, अइतहीं) (नसध॰ 29:126.24)
537 अवरी, अबरी (नसध॰ 1:3.1, 4:11)
538 अवलदार (रम॰ 13:102.22)
539 अवलदार (=तैयार) (येक रोज गाँव के बीच गली में येगो कुत्ता मर गेल हल । ओकरा फेके ला कोय अवलदार न हल ।; अप्पन गाँव में भी लइकी सब के पढ़े खातिर इस्कूल खुल गेलइ हे । जेकरा में मास्टरनी भी पढ़ावऽ हइ । मुदा तोर बाप पढ़वे ला अवलदार होथुन त नऽ ।; किसान सब मजदूर सब के मांग माने ला अवलदार न हो रहलन हल ।; अलगंठवा आउर सुमितरी अमदी के बनवल सादी-विआह के कानून माने लेल अवलदार न हल ।) (अल॰2:5.20; 5:13.22; 15:43.28, 44.7; 16:46.10; 44:157.14)
540 अवाज (अमा॰3:11:1.18; 165:19:1.4; 171:10:1.8; 172:14:2.11; नसध॰ 7:29.17; 47:206.7, 207.9)
541 अवाद (= आबाद) (बटेसर अप्पन गाँव के गोवरधन गोप से हरसज करके खेत अवाद कर रहलन हल ।) (अल॰7:21.5)
542 अव्यवहारिक (नसध॰ 37:161.5)

3.07 अप-अम आद्यक्षर वाले शब्द

387 अपजस (रम॰ 7:58.13)
388 अपजस (~ करना) (एही सब सोंचइत सब अउरत पीछे-पीछे सले-सले अपजस करे ला चले लगल हल । करहा में लट्ठा के पानी बह रहल हल खेत पटे ला । करहा भीर आके सभे छप्प-छप्प पानी छूए लगल हल ।) (अल॰18:54.13)
389 अपन (बअछो॰ 5:27.2, 26; 9:40.1; फूब॰ मुखबंध:1.17, 30; नसध॰ 1:2.6)
390 अपन, अप्पन (अआवि॰ 15:9, 20, 22, 23)
391 अपनइती (= अपनउती) (~, मेल-मिलाप आउ भाईचारा के संबंध) (अमा॰13:13:1.2)
392 अपनउती (ओकरा जाति, धरम आउ सम्प्रदाय से बढ़के ~ के भाव से भरल इयारी दोस्ती देखाय पड़ऽ हे) (अमा॰13:11:2.24)
393 अपनउवल (इधर बी॰एम॰पी॰ के एगो जमान अलगंठवा से अपनउवल नियन बतिआय लगल हल) (अल॰44:148.20)
394 अपनहीं (बअछो॰ 1:11.5, 19; 7:33.8; 15:66.3)
395 अपनहूँ (बअछो॰ 1:10.11; 5:26.3; 9:43.11; नसध॰ 6:25.2)
396 अपनाना (जब तक न अपनावल जायत) (नसध॰ 40:174.1)
397 अपनापन (~ में डर आउ लाज का ?) (नसध॰ 32:139.14)
398 अपने (बअछो॰ 1:12.13)
399 अपने-आप (अआवि॰ 15:29)
400 अपरमपार (= अपरम्पार) (राजगीर के महिमा अपरमपार, सुन मोरे भइया हो) (अमा॰27:20:1.3)
401 अपरेशन (= अपरेसन, ऑपरेशन) (अप्पन मरद के समझा बुझा के अपरेशन करा लिहऽ !) (अमा॰24:18:1.18)
402 अपरेसन (गो॰ 1:2.5; 2:12.4, 5; नसध॰ 25:105.24)
403 अपरेसन (= ऑपरेशन) (अगर समझा के केकरो अपरेसन करावे इया गरभ निरोध के बात बतावल जाहे त झट कह देहे कि ई तो भगवान के देन हे) (अमा॰24:14:2.22, 15:1.3)
404 अपसर (= अफसर) (नसध॰ 25:107.14)
405 अपसोस (= अफसोस) (नसध॰ 24:102.29, 103.5)
406 अपार (~ भीड़) (नसध॰ 36:154.32)
407 अप्पन (बअछो॰ 3:19.9; 8:38.15; गो॰ 5:26.17, 30; कब॰ 1:11)
408 अप्पन हाथ जगन्नाथ (मसक॰ 159:5; 162:18; 163:20)
409 अप्पन-अप्पन (गो॰ 7:33.26)
410 अफजाई (उनखो लोग उपहार देके उनखर हौसला ~ करऽ हथ) (अमा॰174:7:2.2)
411 अफड़-अफड़ के रोना (मसक॰ 100:9)
412 अफरात (अमा॰168:8:2.18, 10:2.2)
413 अफलात (इन्साफ ओहि आदमी के मिलऽ हे जेकरा पास ~ रुपइया हे) (अमा॰15:12:2.28)
414 अफवाह (नसध॰ 38:162.12, 13, 15)
415 अफसर-फसर (नसध॰ 25:107.15)
416 अफसोस (अमा॰12:9:2.10, 15)
417 अबकी (बअछो॰ 8:37.11; 9:41.21; 11:52.22, 23; 15:69.11)
418 अबकी (~ भर, ~ बार) (अमा॰11:13:1.25; 15:5:1.15; 173:19:2.31, 20:1.9)
419 अबकी बारी (बअछो॰ आमुख:7.22)
420 अबकी साल (बअछो॰ 7:34.13)
421 अब-तब (ऊ ~ में हे) (नसध॰ 24:98.20; 30:133.15; 39:164.20)
422 अबर (नसध॰ 1:4.10; 43:191.10)
423 अबर (= अबल, कमजोर) (मसक॰ 94:4, 28)
424 अबरा-निबरा (अबरा-निबरा  के मउगी हे भउजी, भइंस ओकरे जेकर हाथ लाठी । नगरी अन्हेर चउपट हे राजा, मोल एक्के हे हाथी कि पाठी ।) (अमा॰14:1:1.9)
425 अबरी (बअछो॰ 1:13.4; 9:41.9; 10:47.18; फूब॰ 2:8.13; 4:17.23; 7:25.21, 31; गो॰ 1:11.15; 4:23.7; 6:29.6; मसक॰ 67:11; 106:2; 142:16; रम॰ 14:113.6; नसध॰ 3:13.3; 4:14.22; 5:20.15, 17; 8:36.12; 22:88.20; 37:157.28)
426 अबरी (पहिले से तो एगो लइका हइए हल उनका । बाकि अबरियो दुन्नो बेकती भगवान के गोहरावित गेलन हे कि बेटी मत दिहऽ !') (अमा॰23:16:1.15; 166:14:2.22)
427 अबरी भर (फूब॰ मुखबंध:2.4)
428 अबले (= अब तक) (बअछो॰ 6:31.1)
429 अबहिए (सब परसादी तऽ बँटिए जा हे । इ गुने हम अप्पन हिस्सा अबहिए काहे न खा लूँ ।) (अल॰4:11.15; 16:46.29)
430 अबहियो (नसध॰ 1:1.26; 5:16.18, 19.11)
431 अबहियों (अमा॰20:18:2.3; 170:12:1.34; बअछो॰ 12:54.20; 14:60.18; गो॰ 1:2.21; मसक॰ 13:9; 43:5; 112:10)
432 अबहियों (= अभी भी) (चुभसे॰ 3:10.12)
433 अबही (नसध॰ 5:16.28)
434 अबही ले (बअछो॰ 1:12.10)
435 अबहुओ (बअछो॰ 15:67.11)
436 अबादी (= आबादी) (अमा॰16:15:1.20; 174:6:2.6)
437 अबादी (सब काम छोड़ के अबदिये बढ़ावऽ ह) (अमा॰9:5:1.26)
438 अब्बर (अब्बर पर जब्बर के कहाउत) (भोलानाथ तो अब्बर पर जब्बर के कहाउत लागू करथ) (मकस॰ 23:12)
439 अभाव (नसध॰ 35:150.19)
440 अभास (= आभास) (अमा॰169:9:2.10)
441 अभिन्नता (~ के अनुभव) (नसध॰ 32:139.21)
442 अमउरी (गो॰ 3:16.18, 19)
443 अमगूरा (~, अँचार आउ अमावट के घर में कोई कमी नञ रहत) (अमा॰163:14:1.2)
444 अमझोरा (बोखार से तलफइत बेटा के शरीर पर अंजलि अमझोरा के पानी रगड़ के कटोरी रखबे कैलक हल कि विंकटेश बोललक - 'बाबूजी कहिया अयतन माय .... ?') (अमा॰20:15:1.5)
445 अमदनी (= आमदनी) (नसध॰ 12:55.14; 30:132.5; 36:152.29)
446 अमदनी (छोट-मोट ~; उपरवार ~) (अमा॰16:17:1.24, 17:2.2; 171:7:1.22)
447 अमदी (गो॰ 1:1.27, 9.25; मसक॰ 138:15, 16)
448 अमदी (~ जब चाहे बसन्त के अप्पन मन में ला सकऽ हे; जब सब्भे ~ पढ़ जइतो, के देतो चुटकी तोहरा के) (अमा॰8:7:2.2; 14:6:1.12, 12:2.28)
449 अमदी (=अदमी, आदमी) (ई बात सुन के चचा-भाय आउर भोजाय आउर टोला के कई गो अमदी के ठकमुरकी लग गेल हल ।) (अल॰4:11.26, 12.7; 6:19.17)
450 अमदी, अदमी (अमदी - रम॰ 1:17.18; 2:23.22; 3:30.11, 31.7, 32.25; 5:46.24; 6:54.18)
451 अमनिया (लाल टुह टुह सुरज, लगे कुम्हार के आवा से पक के घइला निअर देखाई देलक, लगे जइसे कोय पनिहारिन माथा पर अमनिया घइला लेके पनघट पर सले-सले जा रहल हे ।) (अल॰3:6.4)
452 अमरलता (रम॰ 10:79.20)
453 अमरलत्तर (गो॰ 4:21.2)
454 अमराई (मिथिला के अमराई में भी विद्यापति के चले न वार ।) (अमा॰25:23:2.32)
455 अमला (फूब॰ 1:6.4)
456 अमानत (अमा॰3:13:2.10)
457 अमाना (भइंस अमायल) (अमा॰6:19:1.21)
458 अमावट (अमगूरा, अँचार आउ अमावट के घर में कोई कमी नञ रहत) (अमा॰163:14:1.2)
459 अमावस (नसध॰ 9:36.30)
460 अमिका (= अम्बिका) (बअछो॰ 9:41.1)
461 अमीरचंद (ई सब तुम्माफेरी नयँ करतई सरकार तऽ औफिस के बाबू लोग कइसे बनतन फकीरचंद से अमीरचंद ।) (अमा॰29:12:1.12)
462 अम्बार (धरती के शृंगार धान अम्बार लगल खरिहानी में) (अमा॰22:17:2.22)
463 अम्मो-ढेकार (~ कानना/ कनना) (मसक॰ 71:16)

3.06 अत-अन आद्यक्षर वाले शब्द

264 अतंकवादी (= आतंकवादी) (सादी के बाद मरद अप्पन जनाना पर हर घड़ी सक-सुबहा आउर सन्देह के नजर से देखे के अलावे अउरत पर अतंकवादी के तरह तलवार उसाहले रहऽ हे; बंधूक तानले रहऽ हे ।) (अल॰44:157.24)
265 अतंत (फूब॰ 3:10.5)
266 अतमा (= आत्मा) (नसध॰ 30:133.23)
267 अतरा-पतरा (नसध॰ 6:24.5)
268 अता-पता (कब॰ 55:5)
269 अत्ता-पत्ता (मैट्रिकुलेशन तक हम जादे कुछ न पढ़ली, अप्पन जादे समय क्रिकेट, गुल्ली-डंडा, अत्ता-पत्ता, काडी आउ हू-तू-तू जइसन खेले खेल में बिता देली हल) (अमा॰8:11:1.26)
270 अथोर (कनखी मारित बिचरइ निरदंद हिए हिड़िस अथोर) (अमा॰15:1:1.10)
271 अदउरी (~ पारना) (नसध॰ 48:209.14)
272 अददी (गो॰ 1:9.17, 10.20)
273 अदना (अआवि॰ 60:22; कब॰ 53:18)
274 अदना (बड़का के कौन पूछे, पइसा बटोरे के चसका ~ मामूली परिवार के भी लग गेल हे ।; ~ माहटर) (अमा॰ 29:14:1.7; 174:7:1.12)
275 अद-बद (गो॰ 2:12.26)
276 अदमी (अमा॰1:5:1.3; 13:12:2.24; 173:15:1.10; बअछो॰ 5:26.2, 27.4; चुभसे॰ 3:12.30; गो॰ 2:12.19; मसक॰ 11:11)
277 अदमी (= आदमी) (मकस॰ 54:24)
278 अदमी (= आदमी; दे॰ अमदी) (अलगंठवा अप्पन माय के साथ भीड़ में माय के हाथ पकड़ के अदमी से भरल भीड़ में गंगा दने जाय लगल हल ।) (अल॰6:15.27)
279 अदमी (अपना जानते तऽ ~ खूबे करऽ हे बाकि ओतना होय तब नऽ ?) (नसध॰ 5:18.25; 6:23.25)
280 अदरा (= आर्द्रा नक्षत्र) (अमा॰174:12:1.16; नसध॰ 6:23.10)
281 अदरा (= आर्द्रा नक्षत्र) (लोग अदरा-कथा बाँच रहलन हे, हम तो मिरगा-कथा लिख रहल ही; रोहन अदरा के बदरा मनभावन समय सुहावन के । पिया पलंग आउ रिमझिम वर्षा बात ने बिसरे सावन के ।) (अमा॰14:1:1.11; 22:17:2.15)
282 अदलना-बदलना (अदलते-बदलते) (फूब॰ 2:8.34)
283 अदली बदली (अब कोनो मास्टर एक्के जगह साँप नियन कुंडली मार के बइठल नयँ रहत । सबके ~ होत । बहुते मौज-मस्ती काट लेलन मास्टर लोग ।) (अमा॰29:10:2.27)
284 अदहन (जब घर में चाउर-दाल आ जाय तऽ अलगंठवा के भोजाय गोइठा-अमारी से चूल्हा फूंक-फूंक के सुलगावऽ हलन । बड़ी देर में मेहुदल गोइठा सुलगऽ हल तऽ कहीं जाके अदहन सुनसुना हल ।) (अल॰12.36.30; 16:47.1, 11; 43:139.11)
285 अदावत (मसक॰ 171:16)
286 अदाह (आगु में बढ़का ~ जुटल हल) (नसध॰ 19:77.8; 27:118.29, 120.16)
287 अदी-बदी (जय संकर, दुसमन के तंग कर । जे हमरा देख के जरे, उ गांड़ फट के मरे । जेकरा हमरा से अदी-बदी, उ चल जाय फलगु नदी ॥) (अल॰8:26.7)
288 अद्दी-बद्दी (मुँह संभाल के बोलऽ, अद्दी-बद्दी बकऽ मत, न तो एँड़ी-मुक्का-केहुनी से सरिया देवो ।) (अल॰38:122.26)
289 अध-अध (= आधा-आधा) (~ घंटा पर) (नसध॰ 34:148.21)
290 अधखुलल (~ दरवाजा) (अमा॰15:7:1.6)
291 अधछोछा (गो॰ 1:6.19)
292 अधपेटे (रोज-रोज अलगंठवा के दूरा-दलान पर आवल-गेल पहिले के ही तरह ही खइते-पीते रहऽ हल । चाहे अलगंठवा के परिवार अपने छूछे-रूखे, अधपेटे खा के काहे न रह जाय ।) (अल॰12.37.11; 15:44.19)
293 अधफूटल (नसध॰ 3:10.19)
294 अधबूढ़ा (सोनिया के जवानी मुसकाइत हल आउ देह सोना नियर चमकइत हल । ओकरा देख के गाँव भर के छोकड़न के अलावे जवानी के बिदाई कर चुकल अधबूढ़वन के भी आह निकल जा हल ।) (अमा॰17:14:1.17)
295 अधमरू (फिन दे लाठी, फुलमतिया के पीठ फाड़ देलन । बेचारी अधमरू हो गेल ।) (मकस॰ 25:5)
296 अधरतिया (नसध॰ 5:23.1; 32:140.23)
297 अधवइस (येगो अधवइस मरद दिसा फिर के हाथ में लोटा आउर ओकरे में गोरकी मिट्टी, कान पर जनेऊ धरके हाथ आउर लोटा मट्टी से मटिआ रहल हल ।; येगो अधवइस अउरत जरांठी से अप्पन तरजनी अंगुरी से दाँत रगड़ रहल हल ।) (अल॰3:6.9, 13; 6:15.16)
298 अधवैस (नसध॰ 41:181.18)
299 अधवैस (कत्ते लड़की तिलक-दहेज के चलते अधवैस हो जाहे, कत्ते बूढ़-सूढ़ दोवाहा के साथे बिआहल जाहे) (अमा॰165:6:2.4)
300 अधसूखल (~ डंठा) (नसध॰ 29:129.3)
301 अधसेरी (अआवि॰ 33:10)
302 अधार (अआवि॰ 33:16; मसक॰ 49:19)
303 अधार (= आधार) (अइसन बिना ~ के बात से उरझे से का फैदा ?) (नसध॰ 10:46.11; 35:150.21)
304 अधिअच्छ (= अध्यक्ष) (अल॰37:118.13)
305 अधिकार (नसध॰ 33:143.22, 31; 38:161.24)
306 अधीर (नसध॰ 5:21.10)
307 अधेड़ (नसध॰ 24:97.13)
308 अधो (आधो) (अधो बात ओकरा समझ में न आयल) (नसध॰ 20:81.27)
309 अनंद (=आनंद) (नसध॰ 10:46.16; 37:158.12)
310 अनइ (गो॰ 1:7.14)
311 अनइस (= अनिष्ट, बुरा) (~ बुझाना) (नसध॰ 6:27.5, 6; 22:88.16)
312 अनकट्ठल (= अनकथल, अकथित) (अमा॰5:8:2.10)
313 अनकर (~ जलमल कहूँ अप्पन भेल हे कि हम्मर हो जायत ?; अनकर चुक्का, अनकर घी, पाँड़े के बाप के लगल की) (अमा॰10:11:2.21; 16:9:1.28; 19:12:1.16)
314 अनकर (रघुनाथ बोल पड़ल कि कहनी में का झूठ हे खेलामन भाय - अनकर चूका अनकर घी, पाँड़े के बाप के लगल की ।) (अल॰8:25.4)
315 अनकहल (दुनिया में ढेर ~ बात सचाई के रूप धारण कर लेहे) (नसध॰ 38:162.9-10; 39:163.30)
316 अनका (~ ला ऊँचा-ऊँचा महल बनइली, हमरा ला जंगल के मसान) (अमा॰15:19:1.7, 9, 11, 13)
317 अनखा (अनखा में कनखा) (अनखा में कनखा एगो तोरे तो लइका हवऽ) (मकस॰ 13:18)
318 अनगरे (कभी-कभी खूब ~ ताड़ के पेड़ से ताड़ी चोराके पी ले हल) (अमा॰6:15:1.4)
319 अनगिनती (= अनगिनत) (अमा॰5:4:1.14)
320 अनगुते, अनगुत्ते (दोसर दिन ~ पाकी जाके) (मसक॰ 99:29; 100:7)
321 अनचकाना (अनचकाके) (रम॰ 1:18.6)
322 अनचके (रम॰ 9:70.14; नसध॰ 1:3.23; 2:8.18; 3:13.11; 5:20.19; 34:147.10, 148.14)
323 अनचके (अनचके में देखला पर अपने के पते न चलत कि ई कोई असाधारण बेकति हे) (अमा॰25:9:1.4, 14:1.16)
324 अनचके (इ अनचके के मार से झमाइत आउर चिल्लाइत धम-सन जमीन पर गिर गेल हल ।) (अल॰27:82.25; 29:88.23)
325 अनचक्के (~ में) (नसध॰ 39:166.16)
326 अनछपल (अमा॰170:6:2.12)
327 अनजान (नसध॰ 32:139.31)
328 अनजानल (जानल-अनजानल सभे) (अमा॰2:5:1.16)
329 अनझटके (गो॰ 7:35.25)
330 अनठेल (फूब॰ 4:14.7; मसक॰ 173:16)
331 अनता-मनता (रमेसर भइया के बियाह होला जब पाँच बरिस बीत गेल आउ एक्को लइकन-फइकन न भेल, तब सब लोग चिंता में डूबे लगलन । फिन दू साल तक खूब ~ मानल गेल । बाकि अफसोस...) (अमा॰173:19:1.3)
332 अन-दान (नसध॰ 6:24.8)
333 अन-धन (नसध॰ 1:4.15)
334 अन-धन-जन (हमनी के जमीदारी चल गेल तऽ ओकरे साथे रोब-दाब आउ ~ सब चल गेल) (नसध॰ 7:29.14)
335 अनन्द (कहनी में भी हे कि घर अनन्द तऽ बाहरो आनन्द ।) (अल॰16.47.16)
336 अनपढ़ (नसध॰ 8:32.23)
337 अन-पानी (= अन्न-पानी) (नसध॰ 23:93.7)
338 अनभनाना (चुभसे॰ 3:11.13)
339 अनभल ('अलका मागधी' के भल चाहे ओला नवो ग्रह एक्के साथ हथ, तो एकर अनभल काहे होयत) (अमा॰12:19:1.14)
340 अनमखाना (गो॰ 7:34.16)
341 अनमन (कब॰ 49:5)
342 अनमनाहे (नसध॰ 41:179.24)
343 अनमुनाहे (नसध॰ 34:145.15; 43:188.15)
344 अनरथ (= अनर्थ) (नसध॰ 12:55.5; 30:133.24; 37:160.7)
345 अनरीत (ऊ भूखले रह जायत बाकि ~ नऽ करत) (नसध॰ 27:119.25)
346 अनर्गल (जितावन आउ परिखन दुन्नो मिल के बढ़ावन चचा के अंटसंट आउ अनर्गल बात कह-कह के उनका भड़कावे के योजना बना लेलन) (अमा॰30:14:1.18)
347 अनसन (= अन्नशन) (नसध॰ 22:90.17; 28:122.21, 22)
348 अनहोनी (नसध॰ 29:127.29)
349 अनाथ (नसध॰ 35:150.20)
350 अनादर (नसध॰ 38:163.17)
351 अनाप-सनाप (~ बकना) (नसध॰ 8:34.24)
352 अनिष्ठ (= अनिष्ट) (नसध॰ 38:163.17)
353 अनिस्टर-मनिस्टर (अरे इयार, नेतागिरी के लत तऽ तोरा कौलेजे से लगल हलो । ठीक हो, चुनाव-उनाव लड़के अनिस्टर-मनिस्टर हो जा ।) (अल॰28:86.26)
354 अनुकरन (= अनुकरण) (अमा॰16:6:1.8)
355 अनुनिया (गाँव के लोग नेहा धो के एक ठंइया खाय लगलन हल । मुदा अलगंठवा के माय आज्झ अनुनिया कइले हल । ई गुने उ फलहार के नाम पर परहवा केला जे फतुहा में खूब बिकऽ हे, ओकरे से अप्पन मुंह जुठइलक ।) (अल॰6:16.10)
356 अनुभव (अभिन्नता के ~) (नसध॰ 32:139.21; 37:159.27)
357 अनुभो (गो॰ 2:12.30; 9:42.1)
358 अनुभो (= अनुभव) (नसध॰ 22:89.16)
359 अनेरी मजिस्टर (फूब॰ 1:5.12; 6:21.25)
360 अनेरे (= व्यर्थ में) (अब पाणिनि के भी धँसोड़ के पराकृत के संस्कृत से उत्पन्न बतावे ओला कठहुज्जति लोग से कउन अनेरे माथा फोड़उअल करे ?) (अमा॰30:9:1.21)
361 अनेसा (अप्पन अउरत पर नजर पड़ते ही बटेसर तमतमाइत बोल पड़ल हल - "तूँ गंगा नेहाय गेलऽ हल कि पहुनइ खाय, तोरा कल ही लौटे के हलउ, फिन रात कहाँ बितउलऽ ? हमनी अनेसा में रात भर न सो सकली ।") (अल॰7:21.14)
362 अनोर (गो॰ 5:23.31; रम॰ 4:42.4; 5:44.4; 10:75.1)
363 अनोर (हल्ला-गुदाल सुन के गाँव के कुत्ता भी भुक-भुक के अनोर करे लगल हल ।) (अल॰7:22.27; 41:127.14; 42:130.7)
364 अन्दे (रम॰ 4:40.5)
365 अन्दे (= इन्दे; आइन्दा) (अपने सबसे हमरा निहोरा हे कि आज्झ से अपने लोग उत्तर रूखे हाथ उठाके किरिआ-कसम खाके अन्दे से जात-पात के राजनीति करना छोड़ देथ ।) (अल॰30:94.8)
366 अन्देशा (कन्त का के अन्देशा होल कि ऊ हम्मर भइंस के खल्ली कम देलक हे) (अमा॰16:13:1.19)
367 अन्देसा (= अनेसा, अन्देशा) (सुखदेव के देख के अलगंठवा के मन में कई तरह के अन्देसा होवे लगल हल ।) (अल॰29:90.5)
368 अन्धार (अमा॰166:14:2.25; 174:9:1.1)
369 अन्ह (~ हो जाना) (जब बुधुआ ~ हो गेल तऽ पनघट पऽ फुसफुसाहट सुरुम भेल) (नसध॰ 24:97.7; 41:183.11; 45:201.25)
370 अन्हमे (तब तक रोहन के साथे जमुनी पहुँच गेल आउ तुरते बिजुली नियन ~ गेल) (नसध॰ 16:71.24)
371 अन्हरचटकी (गलत-सलत रेवाज आउ ~ के छोड़ देवे के चाही) (नसध॰ 11:48.21; 47:206.17)
372 अन्हरचटकी (पूछल चाहऽ ही - हमनी के दुनिया के ~ काहे लगल हे, जे पूरब के बजाय पच्छिम जा रहल हे ?) (अमा॰171:13:1.6)
373 अन्हर-टोपनी (तोहनी के ~ लगा के तऽ ओहनी कोल्हू में जोतले रहऽ हथुन ?) (नसध॰ 23:94.1)
374 अन्हरा (~ खातिर आँख ओतना महत्वपूर्ण नञ् हल, जेतना हमरा ले मिसिर जी के ई प्रस्ताव) (अमा॰166:8:1.17)
375 अन्हरिया (रम॰ 10:74.1; 12:94.20)
376 अन्हरिया (कुचकुच ~ रात) (मकस॰ 32:12)
377 अन्हरिया (कुच-कुच ~; ~ रात में) (अमा॰2:9:2.1; 15:19:1.20; 172:12:1.18; 174:13:1.2)
378 अन्हार (अमा॰8:9:1.4; 18:7:1.24, 9:2.25; गो॰ 10:45.11; मसक॰ 36:27; 174:11; रम॰ 12:94.20; नसध॰ 37:159.11; 40:176.9, 18; 42:185.12)
379 अन्हारहीं (बअछो॰ 11:52.18; नसध॰ 11:46.21)
380 अन्हारा (अमा॰11:14:1.29)
381 अन्हारा (रात के ~ में) (नसध॰ 2:8.9; 4:15.23; 30:134.18; 40:179.8; 43:190.30)
382 अन्हारे (नसध॰ 3:11.12; नसध॰ 12:55.10)
383 अन्हारे-पन्हारे (नसध॰ 3:11.9)
384 अन्हारे-पन्हारे (बिहान हो गेल हल । रोज दिन के ~ चाय पीये के आदत रहे के चलते हम सीधे बिछौना पर से उठ के मुँह धोइली आउ जाके भुलेटन के दोकान पर बइठ गेली ।) (अमा॰23:16:1.1)
385 अन्हेर (अबरा-निबरा  के मउगी हे भउजी, भइंस ओकरे जेकर हाथ लाठी । नगरी अन्हेर चउपट हे राजा, मोल एक्के हे हाथी कि पाठी ।) (अमा॰14:1:1.10)
386 अन्हेर (ओकर राज में देर हे बाकि ~ नऽ हे) (नसध॰ 10:43.27; 43:191.6)

3.05 अट-अण आद्यक्षर वाले शब्द

240 अटकन-वटकन (एक प्रकार के खेल) (अआवि॰ 80:22; 82:23)
241 अटकना (नरेटा के खखार नियन नरेटा में अटकल ही, न एन्ने जाइत ही न ओन्ने) (अमा॰12:10:1.7)
242 अटपट (बअछो॰ 4:22.15)
243 अट-पट (फूब॰ 5:18.4)
244 अटपट (~ बकना) (नसध॰ 13:58.8)
245 अटपट (असल में सुरू में एगो अटपट, फेंटुआ, अनेकरूपा, विकृति बहुल भाखा देस में परचलित हल जेकर रूप बराबर बदलइत हल) (अमा॰30:8:2.11)
246 अटर-पटर (अमा॰165:10:1.26, 29)
247 अटान (गाड़ी में चढ़े के अटान न हल ।; अमदी के बैठे के अटान न रहऽ हल चिट्ठी लिखवे आउर पढ़वे ला ।) (अल॰7:21.16; 15:45.1)
248 अटियाना (दे॰ अँटियाना, अंटियाना) (हम तऽ कल्हे ही जा सकऽ ही । मुदा दू कट्ठा में धान के पतौरी लगा देली हे । ओकरा अटियाना जरुरी हे । न तऽ कोय रात-विरात के उठा के ले भागतइ । गोपाली महरा के चार कट्ठा के पतौरी उठा के ले भागलइ । आउ उत्तर भरु खंधवा में ले जा के मैंज लेलकइ ।) (अल॰9:28.1)
249 अट्टी-पट्टी (नसध॰ 32:138.30)
250 अठ (अठ-अठ आना के टिकस खरीद के) (नसध॰ 31:135.9)
251 अठन्नी (कोनिया घर में काठ के पेटी में रखल येकन्नी-दूअन्नी-चरन्नी-अठन्नी चोरा के जैतीपुर में घनसाम हलुआई के दूकान में गाँव के तेतर तिवारी, कंधाई साव, तुलसी भाई के मिठाई खिलावे में दतादानी अलगंठवा ।) (अल॰1:2.9)
252 अठन्नी-चवन्नी (पइसा अइसन टघराँव करके पसारल हल कि रिंग ~ से जादे दने ओला पइसा भिरु टघरबे न करे) (नसध॰ 31:135.23)
253 अठमँगरा (ऊ रात हम्मर बेटी के बिआह होवे वाला हल । पिरीतीभोज के बाद अठमँगरा के रसम चल रहल हल कि हजाम हमरा पास पहुँचल आउ कहलक - 'समधी साहेब कहऽ हथुन कि दहेज में चार सौ रुपइया बाकी रह गेल हे । ऊ बकिअउटा के भुगतान भेले पर वर के दुआरपूजा होयत ।') (अमा॰28:5:1.2)
254 अठमा (गो॰ 3:16.30)
255 अठमी (गो॰ 4:20.16; नसध॰ 2:7.3)
256 अठान (= अटान) (सुनऽ हिअइ कि इ बरिस उहाँ अमदी के ठहरे के अठान न हइ । मलमास मेला नेहाय ला बड़ भीड़ उमड़ल हइ ।) (अल॰31:96.2)
257 अठारह (ई उनके करतब न हवऽ कि अइसन कटकटी  में बाप-बेटा ~ रोपआ कमा के लौलऽ) (नसध॰ 36:155.20)
258 अड़ंगा (अमा॰4:15:1.19)
259 अड़कोसा (= अंडकोष) (अलगंठवा झट अप्पन दहिना गोड़ से बायाँ तरफ कदम करइत झट-सन दहिना हाथ लफा के ओकर तनल लाठी छिनइत बायाँ हाथ से कसल मुक्का ओकर नाक पर जड़इत दहिना गोड़ से ओकर अड़कोसा में कस के मारलक हल ।) (अल॰27:82.25)
260 अड़ोस-पड़ोस (अमा॰169:14:1.1)
261 अड़ोसी-पड़ोसी (अमा॰173:11:1.12)
262 अड्डा (~ जमाना) (नसध॰ 35:150.16)
263 अढ़तिया (अआवि॰ 30:1, 22)