4403 झँउसना, झेंउसना (रम॰ 16:128.20) 4404 झँकना (झँकइत गाँव टनटना के उठ गेल हल) (नसध॰ 9:43.11) 4405 झँखना (कब॰ 5:2) 4406 झँखना (एक साँझ खा ही त दोसर साँझ ला झँखऽ ही) (अमा॰23:16:2.24) 4407 झँखना (तू अब बइठ के दोकनियाँ पऽ झँखइत काहे ला रहऽ हें ? साथे-साथ दोसर काम कर ।) (नसध॰ 21:84.8; 42:184.23) 4408 झँपाना (सादा के चद्दर से अब गोड़ न झँपाइत हे, हाथ के कमाई से अब छप्पर न छवाइत हे ।) (अमा॰14:12:1.7) 4409 झँव (एक दू जगह लइका खोजे गेलन भी तो दहेज के फरमाइशे सुन के उनका झँव लग गेल) (अमा॰23:17:1.26) 4410 झंगरी (बूँट के ~) (तनी छील के खइती हल झंगरी) (अमा॰22:7:1.16) 4411 झंगरी (हमनी तीनो आ रहलियो हल । मुदा नइकी वगीचवा में तेतर तिवारी मिल गेलक । कने से तऽ एक पांजा गदरल बूँट के झंगरी ले के होरहा बना रहलथुन हे । ओही लोग तोहरा बुलावे ला हमरा कहलथुन हे।) (अल॰29:89.23) 4412 झंझट (~ मोल लेना) (नसध॰ 25:106.19) 4413 झंझट (हम्मर देस में तो खाली झंझटे झंझट हे) (अमा॰12:17:2.23) 4414 झंझुआना (तब ऊ झंझुआ के बोलतन - 'अजी अपने एकलौती बेटिया के पढ़ावऽ ! ओकरे नौकरी लगावऽ ! ओकर भतार खोजे में पता चलतो कि बेटी के पढ़यला पर दमाद कइसन खोजे पड़े हे । ...'; मलकीनी झंझुआ के कहलन - "ई हरवाहा का रखले हथ कि हम्मर जान के जंजाल होयल हे । ..") (अमा॰24:15:1.15; 163:10:1.20) 4415 झंडाबरदार (मगही के ~) (अमा॰4:5:1.25) 4416 झउआना (अआवि॰ 83:3) 4417 झकझक (~ लउकना) (अमा॰173:1:2.18) 4418 झकझकाना (चौदस के चान पछिम ओर अकास पर टहटह टहटहा रहल हल । जेकरा से बाग बगीचा झकझका रहल हल ।) (अल॰6:14.20) 4419 झकरा (गो॰ 6:30.9) 4420 झकाझक (~ झलकना) (ओकरा में चारो बगल से छरदेवाली दे करके दूमहला मकान बना लेलक हे, जे दूरे से ~ झलके हे) (अमा॰6:15:2.4) 4421 झखुरल (~ बाल) (मसक॰ 134:2) 4422 झखुरा (नसध॰ 1:5.24) 4423 झगड़ाहु (फूब॰ 3:9.17) 4424 झझंक (गो॰ 8:37.22) 4425 झझक (गो॰ 2:13.15) 4426 झझर (गो॰ 1:8.10) 4427 झट दे (= झट से) (नसध॰ 3:9.7; 5:17.21) 4428 झटदब्बर (मसक॰ 71:7) 4429 झट-सन (अलगंठवा झट अप्पन दहिना गोड़ से बायाँ तरफ कदम करइत झट-सन दहिना हाथ लफा के ओकर तनल लाठी छिनइत बायाँ हाथ से कसल मुक्का ओकर नाक पर जड़इत दहिना गोड़ से ओकर अड़कोसा में कस के मारलक हल ।) (अल॰27:82.23; 42:132.17) 4430 झड़प (नसध॰ 9:43.20) 4431 झनकाना (पउँया-पार्टी रंग के चपल पहिन के, कान में कनौसी आउर नाक में नकवेसर पहिन के झनकावऽ हलइ । दिन-रात अलगंठवा के साथ कोनिया घर में कोहवर रचावऽ हलइ । कोय-कोय कह हल कि "घोड़वा-घोड़िया राजी तऽ का करे गाँव के काजी ।") (अल॰32:103.22) 4432 झपकना (झपकल) (नसध॰ 23:92.10) 4433 झपटल (~ चलल जाइत हलन) (नसध॰ 10:44.25) 4434 झपसी (दस दिन के ~; चमके बिजुलिया मलके चम-चम चम-चम, हरि-हरि ठनका ठनके झपसी लगावे रे हरी ।) (अमा॰2:16:1.1, 12; 169:18:1.32) 4435 झपास (चाय पीके ऊ अप्पन 'मलाल' कविता के एक टुकड़ा सुनौलन - 'सुरता के पनसोखा बिना नागा के उगऽ हे, बाकि उपेल न कर, उल्टे झपास लगावऽ हे । ..') (अमा॰28:16:2.10) 4436 झपिलाना (नसध॰ 4:15.2) 4437 झबिया (मेहरारु के झबिया बेच दे) (नसध॰ 13:59.1) 4438 झमकना (अआवि॰ 80:20) 4439 झमकना (चुड़िया सबके बज्जई झन-झन, झुमका झमकई कान के; अकास में बादल संगरे लगल । एक दिन तो संझकी बेरिया झमक गेल।) (अमा॰18:11:1.12; 163:13:2.21) 4440 झमकाना (सुमितरी के नानी के टोला-टाटी के अउरत-मरद इ परचार करे में लगल हल कि जब से छउड़ी मलटरी पास कइलकइ तब से ओकर पैर जमीन पर न रहऽ हलइ, धइल न थमा हलइ । रोज-रोज धमधमिया साबुन से नेहा हलइ । काजर-विजर आउर टिकूली साट के गुरोगन के तेल माथा में पोर के, चपोर के, जूरा बाँध के छीट के साड़ी पहिन के चमकाबऽ हलइ, झमकाबऽ हलइ ।) (अल॰32:103.21) 4441 झमटार (= झमठगर) (पेड़ झमटार हल जहिना तहिना, अब तो ठूँठे खड़ा हे अगाड़ी) (अमा॰14:1:1.12) 4442 झमठगर (मसक॰ 115:8) 4443 झमठगर (~ पेड़) (अमा॰1:10:2.6; 169:12:1.26) 4444 झमठगर (बढ़का ~ पेड़) (नसध॰ 25:108.4) 4445 झमठगर, झमेठगर (झमेठगर - रम॰ 3:33.20; 9:70.2) 4446 झमाना (इ अनचके के मार से झमाइत आउर चिल्लाइत धम-सन जमीन पर गिर गेल हल ।) (अल॰27:82.26) 4447 झमाना (तुलसी झा जब एकरा पढ़ऽ हथ तब झमा के गिर जा हथ) (अमा॰6:8:2.13) 4448 झमेठगर (कुंइआ से ठउरे येगो झमेठगर बेल के पेड़ हल । ... नन्हकू ओही झमेठगर बेल के पेड़ पर सुमितरी के बइठा के मुंह धोवे लगल हल ।) (अल॰3:6.16, 18; 5:12.30) 4449 झरइया (फिन सुमितरी के झरइया करे लगलन । सुमितरी से तनी हट के अलगंठवा उदास-मनझान बइठ के एक टक से सुमितरी के तरफ देखइत हल । साँप झारे के मन्तर से देउथान गूँज रहल हल ।) (अल॰18:56.15) 4450 झरकी (~ बरना) (मसक॰ 60:12) 4451 झर-झर (अआवि॰ 59:6) 4452 झरताहर (सब लोग जमुना राम, गनौर पासमान, चमारी माली, कारू चौधरी आउर नाराइन भगत के खोजे लगला । काहे कि उ लोग झरताहर हथ । उ लोग साँप-विच्छा-कुत्ता आउर सियार के काटे पर मन्तर से झारऽ हथ ।; झारते-झारते झरताहर सब पसीने-पसीने हो गेलन हल । मुदा सुमितरी के ठीक होवे के आसा पर पानी फिर रहल हल ।) (अल॰18:54.27, 30, 55.7, 57.25; 26:77.23) 4453 झरना (= झड़ना) (ऊ हँसऽ हल त फूल झरऽ हल आउ रोवऽ हल त मोती) (अमा॰28:18:1.22) 4454 झरना (= झड़ना) (तेज झरल तेयाग से) (नसध॰ 43:189.6) 4455 झल बठका बोतल (नसध॰ 39:165.1) 4456 झलकना (ओकरा में चारो बगल से छरदेवाली दे करके दूमहला मकान बना लेलक हे, जे दूरे से झकाझक झलके हे) (अमा॰6:15:2.5) 4457 झलझल (~ करना) (अल॰29:88.27) 4458 झलफले (मसक॰ 138:7) 4459 झलमलाना (नसध॰ 32:140.33) 4460 झलमलाना (गाँव के धुर-जानवर भी खंदा में घर देने लौट रहल हल । सूरज भी डूबे ला झलमला रहल हल ।) (अल॰29:90.27) 4461 झलही (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.22) 4462 झलासी (= सरपत) (तोहनी दुन्नो इसकूल में कभी न बइठे गेलऽ । कभी हम पकड़ के भेजवो कइली तो कभी घाघा में, कभी मकई आउ झलासी के झालड़ में लुका जा हलऽ !) (अमा॰30:14:2.12) 4463 झाँकल (= ढँका हुआ) (औंधल के सीधा कैलन, झाँकल के खोलि देलन) (अमा॰23:15:1.18) 4464 झाँझर (झाँझर कुआँ रतन फुलवारी, न बूझबें तो देबो दूगो गारी) (अमा॰25:18:1:13) 4465 झाँपना, झाँप देना (आँठी के घर के अँगना के एगो कोना में मट्टी तर झाँप देलक) (अमा॰18:10:2.17; 163:13:2.19) 4466 झाँसा-पट्टी (~ देना) (मसक॰ 173:5) 4467 झांकना (= ढँकना, झाँपना) (उ जमाना में विनोबा जी गाँव-गाँव घूम के परवचन दे हलन कि पैखाना गाँव के बाहर फिरे तऽ सावा वित्ता जमीन खत के ओकरे में पैखाना करके मिट्टी से झांक देवे के चाही । जेकरा से गन्दगी भी न होयत आउर पैखाना खाद के काम आवत ।) (अल॰2:5.10) 4468 झांकी (~ मारना) (नगीनवाँ तऽ तनी झांकियो नऽ मारे, बेटियो नऽ ताके कि बाप मरऽ हथ कि जीअ हथ) (नसध॰ 23:95.28; 28:124.8) 4469 झाईं-झपट (~ मारना) (मसक॰ 173:5) 4470 झाड़ना (नसध॰ 11:49.9) 4471 झाड़-फूक (नसध॰ 9:41.9) 4472 झाड़ा (~ फिरना) (टोला-टाटी के अउरत के साथ सुमितरी टट्टी करे ला गाँव से दछिन पइन पर पहुँच के दू-दू हाथ के दूरी पर बैठ के खिस्सा-गलवात करइत झाड़ा फिरे लगल हल ।) (अल॰18:53.27) 4473 झाड़ी (नसध॰ 26:118.12) 4474 झाड़ू (~ मारना) (रीति-रिवाज के झाड़ू मारऽ, ई तो एक देखावा हे ।) (अमा॰26:13:2.5) 4475 झाड़ू-बहाड़ू (फूब॰ मुखबंध:1.30-2.1) 4476 झात-झात करना (मसक॰ 58:1) 4477 झामा (आवऽ, अब झामा से तलवार पजाबऽ, दुसमन तोहर गाँव में, पहले ओकरा पार लगाबऽ । पाछ-पाछ के खूनगर देह पर नमक रगड़ के धिकल गज से ओकरा बेड़ा पार लगाबऽ ॥) (अल॰21:68.19) 4478 झार (खेत के आरी पर बरखा में ~ बड़े बड़े हो जा हे, ओकर बढ़नी बन सकऽ हे) (नसध॰ 39:173.8) 4479 झारना (गो॰ 9:43.1) 4480 झारना (एकाएक उज्जर फह-फह कुर्त्ता झारले विजय बाबू आ गेलन; लेक्चर ~) (अमा॰11:13:1.7; 21:16:1.20) 4481 झारना (गोड़ ~) (नसध॰ 26:118.9) 4482 झारना (नजर-गुजर ~) (सांप-बिच्छा नजर-गुजर झारे के अलावे जिन्दा सांप पकड़े के मंतर इयानी गुन से आन्हर अलगंठवा के बाबू ।; उ लोग साँप-विच्छा-कुत्ता आउर सियार के काटे पर मन्तर से झारऽ हथ ।; झारते-झारते झरताहर सब पसीने-पसीने हो गेलन हल । मुदा सुमितरी के ठीक होवे के आसा पर पानी फिर रहल हल ।) (अल॰1:1.17; 18:54.28, 57.25; 26:77.28) 4483 झारना (माथा ~) (सुमितरी नेहा-धो के घर आयल हल तऽ ओकर माय गड़ी के तेल से मालिस कर देलक हल । आउर कंघी से माथा झार के जुरा बाँध देलक हल । कजरौटी से काजल भी लगा देलक हल ।) (अल॰5:13.11) 4484 झार-फूँक (नसध॰ 12:51.13) 4485 झालड़ (तोहनी दुन्नो इसकूल में कभी न बइठे गेलऽ । कभी हम पकड़ के भेजवो कइली तो कभी घाघा में, कभी मकई आउ झलासी के झालड़ में लुका जा हलऽ !) (अमा॰30:14:2.12) 4486 झिंगनी (रम॰ 13:107.23) 4487 झिटकी (गो॰ 3:18.4; रम॰ 3:26.15) 4488 झिटकी (~ जइसन धूरी में छितराना) (अमा॰6:10:2.18) 4489 झिटकी (फिन सुमितरी झिटकी से सुपती के मैल छुड़ा-छुड़ा के नेहाय लगल हल ।; जमुना राम पुरब रूखे मुँह कर के हाथ में एगो झिटकी लेके जमीन पर डिंडार पार के ओकरे पर हाथ चला के मन्तर पढ़े लगल; जेल से छूटे के बाद जनता उ सब के फूल माला से लाद देलन हल । एगो हमनी ही कि गली के झिटकी तक न पूछऽ हे ।) (अल॰5:12.23; 18:55.6; 33:105.8) 4490 झिनझिन्नी (= झनझन्नी) (पूस के कनकन्नी आउ माघ के झिनझिन्नी खतम होवे पर वसंत रितु सोहामन लगऽ हे । न हिरदा हिलावे वला जाड़ा न देह जरावे वला गरमी ।) (अमा॰8:5:1.2) 4491 झिर-झिर (~ टपकना) (अमा॰169:17:2.26) 4492 झिहिर-झिहिर (~ पुरवइया) (मकस॰ 65:13-14) 4493 झींगी (नसध॰ 7:30.16) 4494 झींगुर (नसध॰ 35:149.23) 4495 झीट (गो॰ 7:35.20) 4496 झीटना (एन्ने-ओन्ने से पइसा झीट के लावऽ हलन, ओकरा फूँक-ताप जा हलन) (मकस॰ 22:21) 4497 झुकता (अआवि॰ 32:11) 4498 झुकना (= ऊँघना) (बारह बजे दउड़ल अआवथ, दू बजे भागतन, दिन भर झुकइत रहथ थोड़ा सा पढ़यतन) (अमा॰22:7:2.28, 8:1.13, 16, 20) 4499 झुकना (रोझन ऊ जमात के अपन करतब से एतना झुकौले हलन कि ..) (नसध॰ 6:27.10) 4500 झुकना, झुँकना (= ऊँघना) (नसध॰ 2:7.4; 4:15.10) 4501 झुकनी (~ बरना) (आँख में झुकनी बर रहल हल) (अल॰36:115.7) 4502 झुझुआना (नसध॰ 38:163.20) 4503 झुट्टा करना (गो॰ 7:34.6) 4504 झुट्ठा (गो॰ 1:1.7) 4505 झुट्ठो (गो॰ 9:40.5) 4506 झुट्ठो (= झूठ-मूठ के, व्यर्थ के) (तूँ तो ~ के नाराज हो गेलें) (अमा॰27:8:2.8; 172:20:1.22) 4507 झुठपुराइ (मसक॰ 149:24) 4508 झुनकी (बीचे-बीच सलमा-सितारा के झुनकी, आँचल में चंदा छिपाय दीहऽ, पिया हमरा के) (अमा॰24:15:1.25) 4509 झुन-झुन (नसध॰ 26:117.6) 4510 झुनझुनी (= झुनझुन्नी) (उ घर में रखल जड़ी-बुटी लोड़ी-पाटी पर पीस के पिलावे के काम भी करते रहल । आउर झार-फूंक भी चलते रहल । करीब दू-तीन घंटा में अलगंठवा के झुनझुनी बुझाय लगल । झुनझुनी आवे के बाद लोग के जी में जी आयल हल ।) (अल॰26:80.3, 81.19) 4511 झुनझुन्नी (बिख उतर जाहे मगर झुनझुन्नी देर तक सतावऽ हे) (अमा॰28:15:1.30) 4512 झुमका (भोजपुर के झुलनी, बनारस के झुमका, तिरहुत के काजल मँगाय दीहऽ, पिया हमरा के) (अमा॰24:15:2.23) 4513 झुरझुरी (गो॰ 2:11.21) 4514 झुराना (केकर नेहिया झुरा रहल हे, केकर सिनेहिया फुला रहल हे) (अमा॰19:8:2.5) 4515 झुरिआना (झुरिआयल) (नसध॰ 3:9.20) 4516 झुलनी (अबकी झुलनियाँ गढ़ाय दीहऽ, पिया हमरा के) (अमा॰24:15:1.22) 4517 झुलफी (कब॰ 61:9) 4518 झुलुआ (अमा॰2:10:1.10) 4519 झुल्ला (कब॰ 46:13) 4520 झुल्ला (तू मेहरारुन के ~ सिये के काम कर) (नसध॰ 21:84.16, 23) 4521 झुल्ला-साड़ी (रोपनी लेतइ झुल्ला-साड़ी, आउ कमियाँ नचतै-गइतै) (अमा॰169:1:1.14) 4522 झूठ-सच (मतारी दू पइसा ला दिनभर झूठ-सच करइत रहऽ हई आउ बेटा बाघ हो गेलई हे) (नसध॰ 12:55.6) 4523 झूठा (= जूठा) (झूठा थरिया उठावइत सुमितरी कहलक हल ।) (अल॰9:28.8) 4524 झूमर (अआवि॰ 80:20) 4525 झोंकरना (तिसिया के फूलवा झोंकर गेल लहरवा से) (अमा॰1:17:2.3) 4526 झोंका (नसध॰ 6:26.13) 4527 झोंकाना, झोंका जाना (सब पइसा ओइसहिं झोंका गेल) (अमा॰3:12:1.6) 4528 झोंटा (फेदवा के झोंटवा जइसन; किरासन तेल से सास लोग लड़ाकिन बहु के झोंटा में आग लगावऽ हथ) (अमा॰1:13:1.26; 23:12:1.19) 4529 झोंटा-झोंटउअल (मसक॰ 38:21) 4530 झोंटा-झोंटउअल (टोला-टाटी में भी रोज देखइत रहऽ हे माउग-मरद के लड़ाय । झोंटा-झोंटउअल, मार-धार ।) (अल॰42:136.5) 4531 झोंड़ार (ताड़ के पेड़ के नीचे ~ में अबउ) (अमा॰7:17:2.25, 18:1.5) 4532 झोअर (रग्घू पेड़ के ऊपरे चढ़के ~ में बइठ गेल आउ मूलर-मूलर कसबा से आवे ओलन सब लोग के देखइत हल) (नसध॰ 40:178.19) 4533 झोकना (आँख में धूरी ~) (नसध॰ 28:125.23) 4534 झोकाना (चूल्हा ~) (नसध॰ 29:129.10) 4535 झोड़ार (बँसवरिया के झोड़ार में) (नसध॰ 3:9.21; 4:15.4) 4536 झोल फोलाने (~ में) (नसध॰ 30:131.15) 4537 झोलंगा (गो॰ 5:24.7) 4538 झोलटंग (आज ले हमहूँ भला का बने के सपना न देखली - बाकि बनली कउची ? नाम के नेताजी, चमचा आउ झोलटंग ।) (अमा॰21:17:1.20) 4539 झोलटंगवा (झोलटंगवन) (मसक॰ 95:12) 4540 झोल-फोल (गो॰ 10:45.8) 4541 झोलफोलान (= गोधूलि वेला) (मसक॰ 113:11) 4542 झोल-फोलान (बाप बने के नौबत भेल तो रहबर पढ़ाई छोड़ के ~ में रहगीर के छाता-घड़ी छीने के काम सुरुम कैलन) (अमा॰16:17:1.19) 4543 झोला जाना (नसध॰ 3:11.9) 4544 झोला-झक्कर (अमा॰22:16:1.7) 4545 झोला-झोली (~ होना) (अजाद मुसहरी से ही अप्पन गाँव हैदरचक चल गेल हल । अलगंठवा, सुमितरी आउर दिलदार राम झोला-झोली होइत वसन्तपुर पहुँच गेते गेलन हल ।) (अल॰44:157.2) 4546 झोला-बोरा (अमा॰18:10:1.6) 4547 झौंसना (मसक॰ 99:15) 4548 झौंहराना, झौराना (झौंहरायल) (अआवि॰ 59:9)
Sunday, October 18, 2009
21. झकारादि शब्द
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