Sunday, October 18, 2009

18. चकारादि शब्द

3255 चंचल (नसध॰ 26:116.30)
3256 चंठ (सुनरी के भाई पनेसर बड़ी ~ निकल गेल । खाली खेलइत रहऽ हल ।) (अमा॰163:12:2.8)
3257 चंडलहा (गो॰ 10:43.28)
3258 चंडाल (नसध॰ 30:130.24)
3259 चंदा (नसध॰ 40:173.32)
3260 चंपिया (चुभसे॰ 4:15.20)
3261 चइत (अआवि॰ 81:1)
3262 चइत (= चैत) (नसध॰ 26:116.5)
3263 चइता (फागुन में फगुआ गावल जाहे आउ चइत में चइता आउ घाँटो । ई ऋतु लोकगीत के रूप में जानल जाहे ।) (अमा॰163:6:2.10)
3264 चइतार, चइतावर (रम॰ 18:134.2, 14)
3265 चउँका (चुभसे॰ 4:15.16; गो॰ 1:8.6)
3266 चउका-बरतन (कपड़ा-लत्ता, ~ करइत साँझ हो जाए) (अमा॰163:12:2.3)
3267 चउकियाना (अमा॰168:8:2.16)
3268 चउकी (~पर पसारल पइसा देख के ओकर मन ललच गेल; खेत में ~ देना) (नसध॰ 31:135.21; 37:156.28)
3269 चउकी (चार चास करके ~ देना) (अमा॰169:1:1.4)
3270 चउगर (जमुना राम आलूदम तनी तीता लहलक हल ऽ रजेसर नमक कम होवे के बात कहलक, तऽ मुनेसर मांझी नून टनगर कहलक हल । मुदा अलगंठवा पालथी मार के गुमसुम होके बड़ी चउगर से खा रहल हल आउर सबके बात के भी सवाद ले रहल हल ।) (अल॰43:141.17; 44:153.12)
3271 चउगिरदा (अमा॰166:7:1.17)
3272 चउठ (~ के चान पीअराय लगल हल) (नसध॰ 16:71.16)
3273 चउठारी (मसक॰ 116:4)
3274 चउथ (अआवि॰ 80:28)
3275 चउदह (नसध॰ 36:155.18)
3276 चउदहमा (अमा॰173:16:1.6)
3277 चउपाई (नसध॰ 6:26.11)
3278 चउबाहा (हवा चउबाहा बहे गछिया-बिरिछिया रामा, हरि-हरि डाँढ़े-पाते झुकऽ है हहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.33)
3279 चउरा (हिन्दू के हरेक घर में एगो तुलसी के ~ होवऽ हे, जेकरा तुलसी चउरा कहल जाहे) (अमा॰12:6:1.2)
3280 चउराहा (भीड़ भरल ~) (नसध॰ 32:139.13)
3281 चउरी (अलगंठवा के बात सुन के सुखदेव घर दने चल गेल हल आउ ई चारो गोटा भी चउरी पर पर-पैखाना करे ला दखिन रूखे गलवात करइत चल गेलन हल ।) (अल॰29:90.23)
3282 चउल (~ करना) (हमरा खूब इयाद हे कि जब हम उनका हीं जा हली, त हमरा से ऊ खूब ~ करऽ हलन) (अमा॰173:19:1.25)
3283 चउली करना (रम॰ 7:61.5)
3284 चउहट (भर भादो मेहरारुन के ~ गावइत-गावइत घेंघा में काँटा उखड़ गेल) (नसध॰ 9:36.22)
3285 चउहट (भादो में चउहट आउ सावन में कजरी गावल जाहे) (अमा॰163:6:2.8)
3286 चउहट-कजरी (नसध॰ 25:108.20)
3287 चकइठगर (रम॰ 5:45.8)
3288 चकचक (डागडर साहेब अप्पन माय के फरमौलन कि हम ऐसन-ओयसन लड़की से बिआह न करम । तूँ ऐसन लड़की खोजऽ जेकर ~ दूध नियर रंग, आम के फाँक नियर लमहर आँख, टूसा नियर नाक, सुग्गा के ठोर नियर लाल-लाल ओठ, बिजली नियर दाँत आउ करिया और लम्मा-लम्मा घुट्ठी छुअइत बाल होय; इतिहास एकर हे ~) (अमा॰27:15:1.11; 174:1:1.11)
3289 चकचकाना (नसध॰ 25:105.30)
3290 चकचन्दा (अआवि॰ 84:4)
3291 चकचन्दा (पुरनकन चीज जइसे चकचन्दा-गीत पहिले भादो में गावल जा हल, बाकि अब ई अलोप होल जा रहल हे) (अमा॰163:6:2.17)
3292 चकचेहाना (रम॰ 1:17.1; 10:80.7)
3293 चकचोन्हरा (~ मुखड़ा) (अमा॰7:12:2.17)
3294 चकड़ (=  चक्कर) (ई सब चकड़बा छोड़बऽ कि नऽ खदेरन चा । हमनी के पुलिस तो नऽ-नऽ बोलावे परत?) (नसध॰ 11:50.17)
3295 चकर-चाल, चक्कर-चाल (महतो दोसरा ला दिन रात जान देइत हथ आउ तोरा उनको में चकर-चाले बुझा हउ) (नसध॰ 28:125.16; 34:147.23-24; 42:184.12; 43:191.2)
3296 चकराना (माथा ~) (आन्दोलन के उग्र रूप देख के अँग्रेज शासक के माथा चकरा गेल) (अमा॰26:6:2.26)
3297 चकल्लस (फूब॰ 2:8.33)
3298 चकाचक (मगही कहानी के लोक ~ आउ मजबूत हे) (अमा॰2:15:2.14)
3299 चकोलवा (चरकठवा ~ खेत) (साधु सिंह, जे पी-पा के अप्पन सभे जमीन-जायदाद बेच-बाच के उड़ा देलकन हे उनकरे रोड पर के चरकठवा चकोलवा खेत पूरा दाम दे के कलेसरा खरीद लेलक हे) (अमा॰6:15:2.2)
3300 चक्कर (नसध॰ 30:131.4)
3301 चक्का (नसध॰ 27:122.19; 29:126.1; 41:179.18)
3302 चख-चख (गो॰ 4:21.7)
3303 चखना (तरबन्ना में एक हथौड़ा ताड़ी लेके रामखेलामन जी विना चखना के पी रहलन हे ।; रमेसर ताड़ी पिए ला लोहिआल हका चखना लेके ।) (अल॰8:23.10; 35:113.12)
3304 चचा (मसक॰ 67:1, 9)
3305 चचा (= चाचा) (बढ़ावन चचा लगभग चालीस बरस के हो गेलथिन हल, तइयो उनकर कदकाठी में जवानिए के जोश खरोश भरल हलइन) (अमा॰30:14:1.1)
3306 चचा (= चाचा) (माय-भाय आउर चचा सब अलगंठवा से अजीज । रोज-रोज बदमासी, रोज-रोज सिकाइत, रोज-रोज जूता के मार ।) (अल॰1:2.6)
3307 चचा, चच्चा (चुभसे॰ 1:4.13)
3308 चचाजी (फूब॰ 4:16.10)
3309 चच्चा (= चाचा) (उ जेवार में कोय के अइसन घर न हल जेकरा हीं अलगंठवा के घर के लोटा-थरिया-कठौती-बटलोही बंधिक न होत । माय-चच्चा आउर बाबू जी के मर जाय के वाद अलगंठवा के परिवार में घनघोर अंधेरा छा गेल हल ।) (अल॰12.35.23)
3310 चट (चट सनि सेठ जी के नाम धर देले) (अमा॰21:12:1.24)
3311 चटई (= चटाई) (अलगंठवा अप्पन घर के दखिनवारी भीतर में जमीन पर तार के चटई विछा के सुतल हल । एही बीच सुमितरी सले-सले अलगंठवा के भीतर में घुस गेल हल ।) (अल॰29:88.20, 21)
3312 चटकन (गो॰ 1:8.4)
3313 चटकना, चटक जाना (नसध॰ 29:126.21)
3314 चटकल (= जूट का कारखाना) (पूरे आठ बरिस कलकत्ता गली-गली में टउआय के बाद चटकल में बोरा के सिलाय में नौकरी के जुगाड़ बैठल हल) (अल॰1:1.11)
3315 चटकलिया (कलकतिया बाबू, चटकलिया बाबू, आउर अब ओस्ताद जी के नाम से जिला-जेवार में जस-इज्जत-मान-मरिआदा में कोय कमी न ।) (अल॰1:1.15)
3316 चटखारा (ऊ सिनेमा देख के जब आवे हे त ~ ले-ले के, एक-एक दृश्य के बात, हाव-भाव से देखावे हे) (अमा॰12:16:2.3)
3317 चटचट (थपड़ी से ~ मच्छड़ मारना) (नसध॰ 5:16.9)
3318 चटचटाइन (नसध॰ 3:9.2)
3319 चटचटाना (नसध॰ 3:9.4)
3320 चटपट (नसध॰ 7:30.26)
3321 चटपटाना (जीभ चटपटावइत) (नसध॰ 31:136.22)
3322 चटपटी (~पाचक, ~ जबान) (नसध॰ 31:135.10, 136.27)
3323 चटपटीदार (एक पुड़िया ~ फकी) (नसध॰ 36:152.23)
3324 चटर-चटर (मिसिर जी खड़ाऊँ पऽ ~ करइत ठकुरवारी में चल अयलन) (नसध॰ 12:55.30)
3325 चटाकसन (रम॰ 19:141.6)
3326 चटाक् (नसध॰ 33:143.19)
3327 चटोहरी (के कहतो चोरनी, चटोहरी पुकरतो केउ, बस लीहें बतिया सम्हार गे बहुरिया ।) (अमा॰14:11:1.6)
3328 चट्-चट् (नसध॰ 29:126.24)
3329 चट्टी (अआवि॰ 18:3)
3330 चढ़ल (नसध॰ 26:116.17)
3331 चढ़ाना (एकरा पर दया करल आउ करिया कम्बल पर रंग चढ़ावल दुन्नो बराबर हे) (अमा॰28:9:1.22)
3332 चढ़ाना (लड्डू चढ़वे परल; पानी ~) (नसध॰ 6:27.18; 34:146.24, 148.8)
3333 चढ़ुआ (गो॰ 1:11.13)
3334 चढ़ौना (हलूमान मंदिल में संझौती भी न परऽ हे । येगो कुम्हार पंडित पूजा-पाठ करऽ हलन तऽ कुम्हार जाति होवे के कारन ओकरा छिछा-लेदर करके येगो पांड़े गरदनिया देके निकाल देलक । अब पूजा-पाघुर के हलूमान जी के चढ़ौना अलगंठे अप्पन घर में सइंतऽ हे ।) (अल॰43:140.19)
3335 चताना (गाँव में सूरज पासवान के बड़ी खुसी हो रहल हल काहे कि इस्कूल के नींव चताय से लेकर इस्कूल तइयार होबे तक दिन-रात विन मजदूरी के भूखे-पियासे खटलक हल ।) (अल॰24:73.25; 30:94.19)
3336 चतुर-बउरही (हमर जमीदारी हल तो अइसन लोग के मोगली डंटा देके भूम्हरी में सुता के चुतर पर पैना से सोटवा दे हली । कुल ~ भुला जा हल ।) (नसध॰ 34:145.26)
3337 चदर (= चद्दर, चादर) (ऊ सोचनी में ~ तान के खटिया पऽ पर रहल) (नसध॰ 14:65.4; 33:145.3)
3338 चद्दर (नसध॰ 10:44.30)
3339 चद्दर (करिया बदरिया के ओढ़ले चदरिया; चद्दर ओढ़ले खटिया पर चिताने पड़ल हलन; ऊ चुपचाप चद्दर तान के बिहान कर देलक) (अमा॰2:9:2.3; 19:13:1.1, 2; 28:18:1.30)
3340 चनका (गो॰ 1:9.19)
3341 चनछनाना (बढ़ल धान में निहुर के धान सोहे से काँप लग-लग जा रहल हल | से देह चनछनाय लगल हल बाकि रमेसर सरद-गरम सहले हल ।) (नसध॰ 39:170.32)
3342 चनन (= चन्दन) (सोहराय गांजा के विआ चुनइत कहलक -"मंगनी के चनन रगड़बऽ लाला, त लाबऽ न, भर निनार । ओही बात हे इनखर । अइसन हदिआयल जइसन दम मारऽ हका कि एक दम में सब गांजा भसम हो जा हे ।") (अल॰8:25.7; 43:141.6)
3343 चनन, चन्नन (रम॰ 19:138.8)
3344 चनबुदरी (= चनगुदरी, चमगादड़) (नसध॰ 26:118.13)
3345 चनमा (गो॰ 5:24.6)
3346 चनरमा (कब॰ 1:7)
3347 चन्दा-उन्दा (फूब॰ 6:22.25)
3348 चन्दा-बिहरी (रम॰ 13:98.19)
3349 चन्दा-बिहरी (हमनि गाँव-जेवार से चन्दा बिहरी करके महीनवारी देवइ ।) (अल॰37:118.19; 44:156.29)
3350 चन्नन-टीका (फूब॰ 5:19.23)
3351 चपसना (चपस के) (फूब॰ 2:8.17)
3352 चपाना (खरीयत हल कि खदेरन के ~ ओकरा में नऽ चपायल हल न तो ...) (नसध॰ 29:126.11)
3353 चपोरना (सुमितरी के नानी के टोला-टाटी के अउरत-मरद इ परचार करे में लगल हल कि जब से छउड़ी मलटरी पास कइलकइ तब से ओकर पैर जमीन पर न रहऽ हलइ, धइल न थमा हलइ । रोज-रोज धमधमिया साबुन से नेहा हलइ । काजर-विजर आउर टिकूली साट के गुरोगन के तेल माथा में पोर के, चपोर के, जूरा बाँध के छीट के साड़ी पहिन के चमकाबऽ हलइ, झमकाबऽ हलइ ।) (अल॰32:103.20)
3354 चप्पा-चप्पा (अमा॰16:5:1.8)
3355 चभकाना (सब के बैल नाद पर सान्ही चभका रहलन हल) (नसध॰ 37:159.11)
3356 चभर-चभर (बैल बान्हलक तो ओहनी नाद में सउँसे थोथून डुबा के ~ सान्ही खाय लगलन) (नसध॰ 37:159.13)
3357 चभ-सन (ठहरे नहर में बेंग-बगुला देखाइ पड़ रहल हल । कभी-कभी मछली चभ-सन करऽ हल । जेकरा से पानी में हिलकोरा होवे लगऽ हल ।) (अल॰25:75.9)
3358 चभोरना, चभोर लेना (दुन्नू गंगा जी में जाके ललकी मट्टी लगा-लगा के खूब देह चमकैलका आउ करुआ तेल अप्पन-अप्पन देह में चभोर लेलका; रोटी में घीउ चभोर के) (अमा॰16:13:1.1; 17:8:1.13)
3359 चमइन (अमा॰12:8:2.27; 13:5:2.3; गो॰ 3:19.3; नसध॰ 3:10.1; 34:147.24)
3360 चमकना (नसध॰ 35:149.22)
3361 चमकल चलना (गो॰ 1:2.24)
3362 चमकल बुलना (गो॰ 1:2.2-3)
3363 चमकाना (सुमितरी के नानी के टोला-टाटी के अउरत-मरद इ परचार करे में लगल हल कि जब से छउड़ी मलटरी पास कइलकइ तब से ओकर पैर जमीन पर न रहऽ हलइ, धइल न थमा हलइ । रोज-रोज धमधमिया साबुन से नेहा हलइ । काजर-विजर आउर टिकूली साट के गुरोगन के तेल माथा में पोर के, चपोर के, जूरा बाँध के छीट के साड़ी पहिन के चमकाबऽ हलइ, झमकाबऽ हलइ ।) (अल॰32:103.21)
3364 चमकी (कब॰ 55:13)
3365 चमकी, चिमकी (मसक॰ 106:27)
3366 चमगुदरी (= चनगुदरी, चमगादड़) (हिरनी, खिक्खिर, चमगुदरी के आज हे जमघट लगल उहाँ ।) (अमा॰25:23:1.25)
3367 चमचमाना (अमा॰2:15:2.15; 28:19:2.15)
3368 चमटोली, चमरटोली (नसध॰ 4:14.5; 34:147.1)
3369 चमनिया मुसकान (मसक॰ 92:14)
3370 चमरखानी (~ जूता) (साँझ पहर घर आवे पर गँउआ-गुदाल होवे पर अप्पन बड़ भाई के हाथ से चमरखानी जूता से मार खा के थेथर हो गेल हल अलगंठवा ।) (अल॰1:2.5; 10:32.17; 43:141.21)
3371 चमरटोली (बअछो॰ 1:10.2, 14)
3372 चमरढोल (अमा॰171:5:1.17)
3373 चमार (बअछो॰ 2:14.1; नसध॰ 7:30.8)
3374 चमार (जात-परजात, भुइयाँ-चमार के भेद-भाव भुला के ई सेवा में लगल रहऽ हथ; हरिजन माने भुइयाँ-चमार, डोम-दुसाध होवऽ हे, समझले ? माने कि नीच जात ।) (अमा॰19:13:2.27; 25:8:2.4; 165:7:2.2)
3375 चमार (सुनऽ ही कातो छउँड़ा पढ़े में बड़ तेज हइ, फिन ओकरा इतनो गियान न हइ कि परसादी निरैठा लावल जा हे । ठीके कहल गेल हे कि नेम न धरम, पहिले चमरवे पाखा ।) (अल॰4:12.6)
3376 चमेठगर (= झमेठगर) (अलगंठवा, दिलदार राम, रमेसर आउर रजेसर चारो गोटा कुछ गौर-गट्ठा करे लेल गाँव से दखिन चौरी खंधा में एगो चमेठगर सिरीस के पेड़ तर बैठकी लगइले हल ।) (अल॰25:75.6)
3377 चमोरना (अनगढ़ रीत चमोरल पैन, पोसल पोआ छानल छैन) (अमा॰6:19:2.20)
3378 चम्हलाना (रम॰ 2:22.16; 6:54.2; 11:85.1)
3379 चम्हलाना (चम्हला के बोलना) (मसक॰ 59:17)
3380 चरकठवा (~ चकोलवा खेत) (साधु सिंह, जे पी-पा के अप्पन सभे जमीन-जायदाद बेच-बाच के उड़ा देलकन हे उनकरे रोड पर के चरकठवा चकोलवा खेत पूरा दाम दे के कलेसरा खरीद लेलक हे) (अमा॰6:15:2.1)
3381 चरखानी (~ गमछी) (बटेसर चरखानी गमछी से देह के पसीना पोछ के कमर में खोंसल खैनी-चूना निकाल के खैनी टूंग ही रहल हल कि लोटा में पानी लेके सुमितरी के माय जुम गेल हल ।) (अल॰7:21.10; 38:120.7; 43:138.21)
3382 चरगन (सुन के जीव ~ भेल रहऽ हे; अगिला गड़ीवान के मुँह में ~ परल हल) (नसध॰ 21:85.22; 23:93.6; 26:115.29; 29:128.4; 30:130.20; 34:148.29)
3383 चरचा (अमा॰4:4:1.14)
3384 चरचित (~ कहानी) (अमा॰13:11:2.18)
3385 चर-चुर (~ के अवाज) (आउ ठीके में चीख से डिब्बा गूँज उठल । गाड़ी के तेज रफ्तार में ब्लाउज आउ साड़ी के फटइत चर-चुर के अवाज के साथे चीख सुने के फुर्सत केकरा हल ?) (अमा॰25:14:1:24)
3386 चर-चोथ लेना (मसक॰ 113:10)
3387 चरजउरिया (~ खटिया) (नेवारी के विनल चरजउरिया खटिया आउर ओकरा पर विछल रंग-विरंग के गेन्दरा के सियल सुजनी पर जाके अलगंठवा जरी करिआयला पड़वे कइलक हल कि अजाद के साथे रमेसर बुल-सन देखाय देलन हल ।) (अल॰41:128.10)
3388 चरजौरिया (दे॰ चरजउरिया) (मुसहर टोली में सम्मन मांझी एगो झमेठगर लसोढ़ा के पेड़ तर नेवारी के चरजौरिया खटिया पर मटमैला गेन्दड़ा विछा के अलगंठवे के बाट जोह रहल हल ।) (अल॰44:145.4)
3389 चरतल्ला (~ पीटना) (कब॰ 29:16)
3390 चरना-चुरना (गाँव के धूर-जानवर भी खंधा से चर-चुर के घर दने लउट रहल हल ।) (अल॰33:107.11)
3391 चरना-चोथना (गोरू-डांगर गरमी में ओहिजे चर-चोथ के सुस्ता हलन) (नसध॰ 13:57.25)
3392 चरना-चोथना (छिनार के हजार बहाना, राते रात भर अलगंठवा के साथ धमकुचड़ी कइलक हे, ननमा-ननिया न हइ, खूटा-पगहा तोड़ के साढ़िन बन के चर-चोथ रहल हे ।) (अल॰42:137.17)
3393 चरन्नी (= चवन्नी) (कोनिया घर में काठ के पेटी में रखल येकन्नी-दूअन्नी-चरन्नी-अठन्नी चोरा के जैतीपुर में घनसाम हलुआई के दूकान में गाँव के तेतर तिवारी, कंधाई साव, तुलसी भाई के मिठाई खिलावे में दतादानी अलगंठवा ।) (अल॰1:2.8)
3394 चर-फर (तेज-तर्रार हलथिन । बोले-चाले में चर-फर ।) (मकस॰ 23:19)
3395 चरमराना (नसध॰ 49:212.21)
3396 चरर-मरर (नसध॰ 8:33.5)
3397 चरवाही (अमा॰171:11:1.12)
3398 चर्चा (~ के विषय बनना) (नसध॰ 37:160.19)
3399 चल घोड़िया धाने धान (कब॰ 51:14)
3400 चल बसना (नसध॰ 34:148.25)
3401 चल-चलंती (देख बेट ! हम्मर ~ के बेरा हे । हमरा बाद घर चलावे के सब भार तोरे ऊपर हो ।) (अमा॰1:8:1.1)
3402 चलनसार (अमा॰163:5:2.9)
3403 चलनी (ओझा के पास दउड़ते-दउड़ते ओकर पैर चलनी नियन हो गेल हल; चलनी दुसलक बढ़नी के) (अमा॰3:12:1.1; 4:5:2.12; 6:18:1.1)
3404 चलल (झपटल ~ जाइत हलन) (नसध॰ 10:44.25)
3405 चलाँक (अमा॰165:9:1.30)
3406 चलाँक (= चालाक) (नसध॰ 18:75.27)
3407 चलाँकी (= चालाकी) (नसध॰ 42:185.11)
3408 चलान (नसध॰ 46:203.8)
3409 चलित्तर (मसक॰ 144:6)
3410 चलित्तर (तिरिया ~) (नसध॰ 17:72.11)
3411 चसकना (मन ~) (कब॰ 30:2)
3412 चसकना (माकल निनिया बहकल चैन, उमकल बिन्दिया चसकल सैन) (अमा॰6:19:1.26)
3413 चसका (बड़का के कौन पूछे, पइसा बटोरे के चसका अदना मामूली परिवार के भी लग गेल हे ।) (अमा॰29:14:1.7)
3414 चसमली, चसमल्ली (रम॰ 10:77.5)
3415 चसियाना (= चास करना) (अब ओकरा तोड़े के पड़तो, कोड़े के पड़तो । चसिया-चसिया के, मेहिया-मेहिया के चौकियावे के पड़तो ।) (अल॰44:155.17)
3416 चस्का (अआवि॰ 3:22; कब॰ 27:4)
3417 चहकल (गो॰ 1:4.4)
3418 चहक्का (सजनी के शृंगार फसल के सुग्घड़ फूल कियारी में । डगर किनारा हरिअर शोभे चँवर चहक्का सारी में ।) (अमा॰22:17:2.4)
3419 चहचहाना (नसध॰ 21:86.30)
3420 चहड़ना (= चढ़ना) (तोहरे रथ पर चहड़-चहड़ के पागलपन से भभक रहल हे) (अमा॰22:8:2.10)
3421 चहना (हमर एगो ~ हे कि ढेर दिना से अस्पताल के नेव देल हे ...) (नसध॰ 27:121.7)
3422 चहर (रम॰ 8:65.8)
3423 चहल-जुआन (एसो के लगनिया में जोड़े के हइ गेठिया, चहर-जुआन लेखा घर बइठल बेटिया, एसो होतइ न निवाह तऽ का कहतइ जमनमा ।) (अल॰19:63.15)
3424 चा (= चाचा) (बअछो॰ 8:37.11; मसक॰ 50:12)
3425 चा (= चाचा) (खदेरन ~) (नसध॰ 8:33.8)
3426 चाँटा (~ मारना) (नसध॰ 25:104.27)
3427 चाँन (गो॰ 1:7.28)
3428 चाँनी, चानी (गो॰ 1:5.22; 4:23.16)
3429 चाँपना (= दाबना, दबाना) (अमा॰25:24:1.4)
3430 चाँपाकल (अमा॰165:8:1.26)
3431 चांदिल (मसक॰ 112:2)
3432 चाउर (अमा॰18:12:2.1; 173:21:2.25; बअछो॰ 3:19.12; 5:25.3)
3433 चाउर (~ मेराना) (नसध॰ 6:23.25; 29:128.31)
3434 चाउर (अरबा चाउर) (अआवि॰ 82:11)
3435 चाउर (अरवा  ~) (समय आउर परिस्थिति के मुताबिक हम अपने सबसे एलान करऽ ही कि इक्किस बोझा के जगह पर सोलह बोझा, पन्द्रह कट्ठा के जगह बारह कट्ठा धनखेती आउर बिड़ार आउर पक्की तीन सेर चाउर आउर गेहूँ मजदूरी लेवे-देवे के चाही । अभी हमरा जानिस्ते समय के पुकार आउर माँग एही हे ।) (अल॰19:62.8; 34:107.25)
3436 चाउर-दाल (कब॰ 32:8; नसध॰ 30:134.6)
3437 चाची (नसध॰ 29:127.10)
3438 चाटना (नसध॰ 30:133.11)
3439 चातुरी (= चतुरई) (~ के चातुरी, बढ़ई के कारीगरी) (अमा॰12:7:2.28)
3440 चादर तान के सुतना (रम॰ 14:112.23)
3441 चान (गो॰ 4:20.16; कब॰ 2:6; 46:11; नसध॰ 2:7.3; 35:149.21; 44:195.9)
3442 चान (= चाँद) (चौदस के चान पछिम ओर अकास पर टहटह टहटहा रहल हल ।) (अल॰6:14.19, 18.24, 25)
3443 चान (चार ~ लगना) (हम्मर जिनगी में चार चान लग गेल मास्टर साहेब !) (अमा॰5:11:2.5; 15:5:1.9; 165:18:1.27)
3444 चाननी (= चान्दनी) (अमा॰11:1:1.9; नसध॰ 35:149.29, 151.7)
3445 चाननी (मकर ~) (ई लोग मकर चाननी में घर से निकल गेते गेलन हल । नदी पर आवे पर पता चलल हल कि अभी भोर होवे में देर हे । सुमितरी के नाना कहलक हल -"अरे, हमनी मकर चाननी के चक्कर में पड़ गेते गेलऽ ।") (अल॰31:96.26, 28; 42:135.13)
3446 चान-सुरुज (तोरा तऽ हम पहिले ही असीरवाद देइए देलियो हे कि चान-सुरुज नियन संसार में चमकते रहऽ ।) (अल॰10.30.30)
3447 चानी (कब॰ 17:10)
3448 चानी (~ के बिछिया; सोना-चानी) (अमा॰166:7:1.28; 173:13:1.14)
3449 चानी (= चाँदी) (नसध॰ 26:115.26)
3450 चानी (= चाँदी) (अँगना में छिटकइत चेलवा मछली चानी नियन चमचम चमक रहल हल ।) (अल॰5:14.3; 12:37.16)
3451 चापाकल (हम दउड़ के ओहिजा अगल बगल जेतना कल चाहे चापाकल हल सगरो देख अइली बाकि ऊ आदमी न मिलल) (अमा॰10:16:1.15-16; 22:16:1:1; 173:1:2.14, 17)
3452 चापी (एकाध मन गल्ला आउ एकाध ~ घीउ) (मसक॰ 98:22)
3453 चाबस (= शाबास) (वाह बेटा ! वाह ! चाबस ! चाबस !) (अमा॰16:11:2.24, 12:1.14)
3454 चाभना (हजारो बरिस से एके खिसवा बाँच के सतनाराइन भगवान के पूजा कराबऽ हई, आउर पाँड़े सब घर बइठले मलाई चाभते रहऽ हई ।) (अल॰35:112.23, 24)
3455 चाभुक (कब॰ 1:11)
3456 चाम (= चमड़ा) (नसध॰ 23:96.18)
3457 चार (नसध॰ 36:155.17)
3458 चारकहारी (अमा॰5:12:2.15-16)
3459 चार-पाँच (नसध॰ 29:126.24)
3460 चारहुन (= चारों) (नसध॰ 34:145.16)
3461 चारा (रिंग-रिंग के खेल में घाघ भिखना मछरी बझावे के लमहर ~ फेकलक) (नसध॰ 31:136.6)
3462 चारू, चारु (~ बगल) (नसध॰ 11:50.9; 19:77.2)
3463 चाल (रग्घू के एकरा में कुछ भीतर ~ बुझायल) (नसध॰ 28:124.27)
3464 चाल पाड़ना (= पुकारना, गुहराना) (सब काम तो उनखे सँभारे पड़ऽ हे । उनखनी के चाल पाड़ के जगाना ठीक नञ हे ।) (अमा॰13:7:2.26-27)
3465 चाल-चहट (अमा॰6:15:1.12)
3466 चाल-ढाल (चाले ढाल बदल गेल) (अमा॰12:17:1.19)
3467 चाल-ढाल (न चाल में चमक, न ढाल में ढकोसला) (गो॰ 2:12.22-23)
3468 चास (चार चास करके चउकी देना) (अमा॰1:8:1.13; 169:1:1.4)
3469 चास (बटेसर अप्पन खेत के एक चास लगा के सिरिस के पेड़ तर सुस्ता रहलन हल ।; चलऽ, तूँ बैलवा-भैंसवा हाँकले चलऽ । हम हर-पालो लेके आवइत हियो । अब कल एगो चास आउर करके गेहुँ बुन के चौकिया देवइ ।) (अल॰7:21.8, 24)
3470 चास लगाना (गो॰ 3:18.28)
3471 चाह (= चाय) (अमा॰170:5:1.17; गो॰ 1:3.33; 2:11.26; 5:25.6; कब॰ 63:13)
3472 चाह (= चाय) (जा तूँ अब घर जाके अन्न-जल से मिलऽ गन । अब हम ठीक हियो । हाँ, घर में चाह बनवा के भेज दऽ इ लोग के लेल ।) (अल॰26:80.22)
3473 चाह-पान (चाह-पान, कचउड़ी-फुलउड़ी के दोकान सज जा हल): (अमा॰16:11:1.20)
3474 चाह-पानी (झलकू के कुरसी पर बइठा के ~ मँगैलन) (अमा॰4:17:2.28)
3475 चाही (= चाहिए) (नसध॰ 3:9.17)
3476 चाही, चाहीं (बअछो॰ 15:65.23)
3477 चाहे (= या) (चुभसे॰ 3:8.33)
3478 चिंतन (अकलुष संदर्भ आउ गुन कर्म के ~) (नसध॰ 35:151.8)
3479 चिंता (फिकिर-चिंता) (नसध॰ 27:119.10)
3480 चिकन (= चिक्कन, चिकना) (सबके बकरी से चिकन मोटा-ताजा अलगंठवा के पाठी हल । परान से भी पिआरी ।) (अल॰1:2.18)
3481 चिकना (घीउ) (गो॰ 3:18.20)
3482 चिकरना (बअछो॰ 12:55.22)
3483 चिक्कन (बअछो॰ 2:15.15, 17; गो॰ 1:1.19; 4:22.25; 6:28.26; मकस॰ 29:9)
3484 चिक्कन (~ राह) (अमा॰2:8:2.12; 13:10:1.16)
3485 चिक्कन बटलोही (फूब॰ 5:19.29)
3486 चिक्कन-चाकन (चिक्कन चाकन सजल सँवरल) (अमा॰24:13:2.5; 174:11:2.19)
3487 चिक्कन-चुप्पड़ (बअछो॰ 4:22.6)
3488 चिक्का (~ पार हो जाना) (अमा॰165:18:1.21)
3489 चिक्का (एक-दू जगुन लइकन के  कबड्डी आउ ~ भी जमल हल) (नसध॰ 30:132.27)
3490 चिखना (= चखना) (मछली के ~ में पीलन खूब ताड़ी) (अमा॰13:19:2.11)
3491 चिखना (चिखना के साथे घरे के बनल दारू ढारइत हलन । से ऊ अल्हैतचा भिर एक चुक्कड़ बढ़ा के कहलन) (नसध॰ 42:188.1)
3492 चिचिआना (नसध॰ 4:14.21; 42:185.16)
3493 चिचिआना (गोस्सा में चिचिआ के कहना) (अमा॰173:9:1.17)
3494 चिचियाना (बअछो॰ 2:14.5; 7:32.16; 11:52.22)
3495 चिजोर (थाना पहुँचे पर देखताहर के भीड़ लग गेल हल । जइसे हमनि तमासा के चिजोर हो गेली हल । दरोगा जमादार के बेटा-बेटी आउ अउरत भी हमनि के देखे ला चारो ओर से घेर लेलको हल ।) (अल॰41:128.22)
3496 चिटकी (गो॰ 3:18.2)
3497 चिट्ठी (नसध॰ 35:151.23)
3498 चिट्ठी-चपाती (कोई ~ भी मगही में लिखे के परम्परा नऽ हे) (अमा॰1:7:2.12-13)
3499 चिट्ठी-चपाती (जा इयार, तूँ गाँव जा हऽ, तऽ हमनी के एकदमे भूल जा हऽ । अरे कम से कम चिट्ठी-चपाती तऽ भी भेजे के चाही ।) (अल॰28:86.22)
3500 चिट्ठी-पतरी (अमा॰7:14:1.5)
3501 चिठिआँव (आज से बीस बरिस पहिले राम प्रसाद भाई से हमरा परिचय भेल । ई परिचय में साले-साल नया रंग आवइत गेल हे । चिठिआँव भी होते रहल हे ।) (अमा॰25:22:1.7)
3502 चिड़ँई-चुरगुन (राते रात भर अलगंठवा के तनिको आँख न लगल हल । कई वेर पेसाब करे ला उठल हल । अकास में तरगन आउर बसबेड़ी में चिड़ँई-चुरगुन के अवाज से अपने आपके भोरा रहल हल ।) (अल॰21:66.13)
3503 चिड़इयाँ, चिरइयाँ (अआवि॰ 59:13)
3504 चिड़ई-चिरगुन (अआवि॰ 60:17)
3505 चिड़काना (गो॰ 7:35.12)
3506 चिड़चिड़ा (नसध॰ 5:22.28)
3507 चिड़िया-चिरगुन (अआवि॰ 18:28)
3508 चिढ़ना (फटेहाली से चिढ़ल) (नसध॰ 7:29.2)
3509 चिढ़ाना (नसध॰ 24:97.16)
3510 चितरा (= चित्रा नक्षत्र) (अमा॰174:12:1.16)
3511 चितान (~ गिरना) (अमा॰15:19:1.18)
3512 चिताने (एने सुमितरी, अलगंठवा के दलान पर अइते-अइते बेहोस होके चिताने गिर गेल हल ।) (अल॰18:54.24; 26:77.22)
3513 चिताने (चद्दर ओढ़ले खटिया पर चिताने पड़ल हलन; ऊ का पीपरा के पेड़वा तर दुन्नो बेकती चिताने गिरल हथ) (अमा॰19:13:1.1; 23:16:2.9)
3514 चिताने पड़ना (मसक॰ 25:2)
3515 चित्त (चुभसे॰ 4:14.28)
3516 चित्त (~ तइयो उनके, पट तइयो उनके) (नसध॰ 6:26.10)
3517 चित्त (= चित, पीठ के बल) (अमा॰16:11:2.25)
3518 चित्त (= चीत) (गो॰ 5:24.7)
3519 चित्ते (अआवि॰ 82:9)
3520 चित्ते (~ लोघड़ जाना) (नसध॰ 27:120.24)
3521 चिथड़ा (जिनगी में लाज ढाँपे ला चिथड़ो नसीब न होलक) (अमा॰28:10:2.26)
3522 चिथनी-चिथनी (दुन्नू में उठा-पटक होवे लगल । मजमा जुट गेल । मल्ल-युद्ध करते-करते दुन्नू के कुर्ता-धोती चिथनी-चिथनी भे गेलन आउ दुन्नू भाय हो गेलन एकदम नंगा ।) (अमा॰16:13:1.25)
3523 चिनगी (= चिनगारी, तितकी) (मदना सतावे मोहे, चिनगी लगावे मोहे, जिनगी बेहाल भेलई, बदरा के रात में ।) (अमा॰27:8:1.27)
3524 चिनियाबेदाम (मसक॰ 92:4)
3525 चिनिया-बेदाम (अमा॰13:15:1.10; 173:14:2.2)
3526 चिन्ता-फिकिर (अमा॰22:15:2:2; 24:16:2.8; 171:7:1.2)
3527 चिन्दी (चिन्दी-चिन्दी छाँव) (अमा॰1:18:1.6)
3528 चिन्नी (गो॰ 3:19.7)
3529 चिन्हना (नसध॰ 4:15.29)
3530 चिन्हना (= पहचानना) (राघोबाबू के कहियो अप्पन गाम लउटे के मन करऽ हे । मगर ई हे सिरिफ एगो रूमानी विचार । के चिन्हत ? के उनखा ऊ गाम के निवासी के दरजा देत ?; ई थाना में अभी तूँ नया-नया अयलऽ हे, ओही से उनका न चिन्हऽ । न तो बेईमानपुर थाना में सेठ करोड़ीमल के कउन नऽ चिन्हत ।) (अमा॰13:10:1.3; 21:13:2.2, 3)
3531 चिन्हा (अमा॰164:5:1.31, 10:1.23; 166:9:2.28)
3532 चिन्हा (सुमितरी के वेहोस पड़ल देखइत कुछ लोग कह रहलन हल कि हो सकऽ हइ कि फरका आबइ । मुदा बायाँ गोड़ में खून के दाग आउर साँप के धार जइसन चिन्हा पड़ल हल । इतने में कारू चौधरी, जमुना राम के देखइत कहलक हल -"ए जमुना भाय, पहिले हथवा चला के देखऽ कि सचो के साँप काटकइ हे कि फरका अइलइ हे ।") (अल॰18:55.2)
3533 चिन्हा, चिह्ना (नसध॰ 8:35.24, 25; 39:165.10)
3534 चिन्हानी (सगुन के एगो आउ चिन्हानी हे । गोइंठा पर अगर आग खरक गेल त समझऽ अवइया के आगमन के सूचना) (अमा॰8:6:1.29)
3535 चिन्हास (उड़े जइसे जहजवा बिन पानी सजनियाँ ~ नयँ मिलल) (अमा॰11:6:1.13)
3536 चिपरी (मेहरारु ~ पर आग जोरे लगलई) (नसध॰ 20:80.17)
3537 चिबाना (नसध॰ 4:14.9)
3538 चिरइ (अमा॰5:4:2.5)
3539 चिरइ-चिरगुनी (पेड़ पर चिरइ-चिरगुनी बोल रहलो हे ।) (अल॰9:28.27)
3540 चिरइ-चुगुन (गाँव के चारों ओर हर तरह के पेड़-बगान हे । ई गुने वारहो मास हरिअर कचूर लउकइत रहऽ हे, हर तरह के चिरइ-चुगुन चह चहइते रहऽ हे ।) (अल॰8:23.1)
3541 चिरईं (अमा॰25:23:2.10)
3542 चिरईं-कउवा (नसध॰ 26:116.14)
3543 चिरईं-चुरगुन (बाल-बुतरूअन थिरक रहल हे, नाच रहल हे मोर । चिरईं चुरगुन कुरच रहल हे, उतर रहल हे भोर ॥) (अल॰37:118.11)
3544 चिरई-चिरगुन (नसध॰ 6:27.28; 26:118.11)
3545 चिरई-चिरगुन (नगपाँचे नकचिया रहल हल । टाल-बधार में अमदी के जगह पर चिरई-चिरगुन, सियार-बिलार के चहल-पहल आउर सोर-गुल होबइत रहऽ हल ।) (अल॰15.44.9)
3546 चिरई-चिरगुनी (पेड़ पर के चिरई-चिरगुनी अप्पन-अप्पन अवाज में बोले लगल हल ।) (अल॰27:82.10)
3547 चिरना (नरेटा चिर-चिर के गाना) (नसध॰ 26:113.9)
3548 चिरांड़ी (तीनो जलवार नदी पर पहुँच के दिसा-मइदान करे ला बइठ गेलन हल । ठाहरे चिरांड़ी हल ।) (अल॰21:66.24)
3549 चिराइन (~ महक से घर भर गेल) (नसध॰ 19:77.18)
3550 चिरारी (गाँव के दखिन भर अहरा पर के ~ गोरु-डँगर के हड्डी से भर गेल) (नसध॰ 35:149.3)
3551 चिरुआ (= चुरूआ, चुरू; चुल्लू) (तब नाली के पानी ऊ चिरुआ से पी जाय) (अमा॰30:13:1.29)
3552 चिरू (गो॰ 10:44.7)
3553 चिरौरी करना (कब॰ 5:16)
3554 चिलकोरिया (~ भी मरल-पड़ल एकरे ~ लग के सुतल हे) (अमा॰173:16:1.20)
3555 चिलिम (तोरा जइसन देहचोर दोसर कोई हो सकऽ हे ? आधा घंटा काम करबें, तब एक घंटा चिलिम चढ़ैबें ।) (अमा॰27:9:1.3)
3556 चिल्लर (= चिल्लड़) (चिल्लर के डर से लंगोटी हमनि न फेकवो । बड़-बड़ भूत कदम तर नाचे, बेंगवा मांगे पूजा ।) (अल॰44:146.12)
3557 चिहाड़ना (अमा॰11:14:1.33)
3558 चिहुँकना, चिहुँक जाना (नसध॰ 6:27.14)
3559 चीज-बस्त (फूब॰ 1:4.15, 6.29)
3560 चीनिया बेदाम (नसध॰ 3:9.17)
3561 चीन्हना (चुभसे॰ 1:2.17; गो॰ 1:9.4)
3562 चीन्हना (पति परदेस से भेस बदल के आयल हे । मेहरारू अप्पन मरद के न चीन्हऽ हे ।) (अमा॰1:11:1.24; 15:12:1.15; 20:20:2.15)
3563 चीभना (अमा॰168:8:2.11)
3564 चीभना (एही बीच दिलदार राम आउर रमेसर केतारी चीभते कारू महतो के विगहा पर से उतर दने से आ रहलन हल ।) (अल॰33:105.20)
3565 चीरना-फारना (गो॰ 4:22.5)
3566 चील (नसध॰ 17:72.7)
3567 चील जब छप्पर पर बइठ गेल हे, तब एक खेर तो लेइये के उड़त (मसक॰ 158:13-14)
3568 चीलिम (नसध॰ 3:10.26)
3569 चील्ह (गो॰ 1:11.7)
3570 चुकना (हमनी के पवित्तर काम में चुके के नऽ चाहीं) (नसध॰ 14:61.7)
3571 चुकरना (रम॰ 13:107.19)
3572 चुका (= चुक्का) (अमा॰1:11:2.5)
3573 चुका, चूका (= चुक्का) (रघुनाथ बोल पड़ल कि कहनी में का झूठ हे खेलामन भाय - अनकर चूका अनकर घी, पाँड़े के बाप के लगल की ।; "हलऽ लऽ, पांड़े धमक गेलो, विना जेमले उ बाज न अइतो ।" जमुना राम केला के पत्तल विछावइत कहलक हल -"अनकर चुका, अनकर घी, पांड़े के बाप के लगल की  ।") (अल॰8:25.4; 43:141.5)
3574 चुकिया (गो॰ 7:36.4)
3575 चुकोमुके, चुकोमुको (रम॰ 15:117.14)
3576 चुकोमुको (~ बइठना) (एही बीच रजेसर नजदीक आवइत चुकोमुको बइठइत कहलक हल -"उ लोग के जाति इ इलाके के विधायक हइ ।.."; हमरा लगल कि हम्मर खंड़िया के तूतवा के पेड़वा भीर कोय चुकोमुको बइठल हे ।) (अल॰25:75.18; 36:114.7)
3577 चुक्कड़ (~ में पानी भरइत अप्पन मेहरारू के देख के पति ठिठोली करऽ हे) (अमा॰1:11:1.24; 17:14:1.27, 28)
3578 चुक्कड़ (चिखना के साथे घरे के बनल दारू ढारइत हलन । से ऊ अल्हैतचा भिर एक चुक्कड़ बढ़ा के कहलन) (नसध॰ 42:188.1, 4)
3579 चुक्का (मसक॰ 115:16)
3580 चुक्का (चुक्का-टहरी) (मकस॰ 29:10)
3581 चुगलई (नसध॰ 4:15.28)
3582 चुगला (= चुगलखोर) (सीधा सादा लोग मरइत हे, चुगला छाल्ही काट रहल हे) (अमा॰19:15:2.10)
3583 चुचकारना (अलगंठवा ओकर देह पर हाथ फेर के चुचकारऽ हल ।) (अल॰1:2.23)
3584 चुचुर-माचुर (~ धान काट के लोग ले लौलन आउ कूट-काट के काम चलावे लगलन) (नसध॰ 9:43.17)
3585 चुटकट (मसक॰ 97:8)
3586 चुटकटवा (अमा॰172:11:1.12)
3587 चुटका-चुटकी (मसक॰ 72:9)
3588 चुटकिआना (सुमितरी के गोल गाल सले से सहलावइत आउर चुटकिआवइत मुसकइत अलगंठवा कहलक हल; सुमितरी आउ हेमन्ती आपस में एही फुसफसा ही रहल हल कि नन्हकू खैनी में चुनौटी से चूना निकाल के हथेली पर चुटकिआवइत उत्तरवारी गली से बुल-सन दिखलाइ पड़ल ।) (अल॰22:70.12; 44:152.29)
3589 चुटकी (नसध॰ 9:42.26)
3590 चुटकी (~ देना; ~ भर सेनुर) (जब सब्भे अमदी पढ़ जइतो, के देतो चुटकी तोहरा के; हे भगवान ! कलुटनी के चुटकी भर सेनुर के लाज तो रखिहऽ ।) (अमा॰14:6:1.12; 20:17:2.4, 18:2.4)
3591 चुटरी (नसध॰ 3:9.7)
3592 चुटी (एकाधगो चुटरी निकल के पीछे से ओकर देहो पऽ चढ़ जाय आउ ~ नियन सुर सुराय लगे तऽ ..) (नसध॰ 21:83.7)
3593 चुट्टी (~ काटना) (इ कह के सुमितरी अलगंठवा के परसादी देइत ओकर तरहथी में हलका-सन चुट्टी काट देलक हल ।) (अल॰34:110.18)
3594 चुतर (= चूतड़) (हमर जमीदारी हल तो अइसन लोग के मोगली डंटा देके भूम्हरी में सुता के ~ पर पैना से सोटवा दे हली) (नसध॰ 34:145.25)
3595 चुनउटी (अमा॰10:5:1.4)
3596 चुनना-बीछना (चुन-बीछ के) (अमा॰173:10:1.18)
3597 चुनाव-उनाव (अरे इयार, नेतागिरी के लत तऽ तोरा कौलेजे से लगल हलो । ठीक हो, चुनाव-उनाव लड़के अनिस्टर-मनिस्टर हो जा ।) (अल॰28:86.26)
3598 चुनियाना (सत्तू खाके इतमिनान से बइठ के खैनी चुनियाबइत सुमितरी के मलारइत बटेसर कहलक हल) (अल॰14.42.29)
3599 चुनेटल (~ मकान) (अमा॰163:15:1.25)
3600 चुनौटी (खदेरन खैनी आउ चुनौटी हरमेसे अपन धोती में खोसले रहऽ हल) (नसध॰ 14:60.17)
3601 चुन्नी (= चुनी; अनाज का चूर्ण या खुद्दी; किसी वस्तु का छोटा टुकड़ा) (जेतना भी कागज-पत्तर उनखा मिलल ऊ सभ के चुन्नी-चुन्नी उड़ा के अप्पन गोस्सा उतार लेलन) (अमा॰28:12:1.4)
3602 चुप (~ न रहल जाना) (नसध॰ 36:153.11)
3603 चुपकहीं (मसक॰ 76:7)
3604 चुपका कारन (गो॰ 2:12.2)
3605 चुपचाप (नसध॰ 36:153.10)
3606 चुपे-चुपे, चुपे (नसध॰ 3:10.9; 8:33.16)
3607 चुप्पेचाप (मसक॰ 24:13)
3608 चुप्पे-चुप्पे (कब॰ 1:13)
3609 चुभना (चुभइत व्यंग्य) (अमा॰25:20:2.2)
3610 चुभुर-चुभुर (~ करना) (कभी-कभी खूब अनगरे ताड़ के पेड़ से ताड़ी चोराके पी ले हल आउ नगरपालिका के नाली में ~ करते रहऽ हल) (अमा॰6:15:1.5)
3611 चुमक (= चुम्बक) (सुमितरी आनन्द विभोर होके अलगंठवा से चुमक जइसन सटइत कहलक हल - इ तरह के आनन्द तूँ हमरा सब दिन देते रहिहऽ ।) (अल॰36:114.18)
3612 चुमा-चाटी (अल॰42:132.19)
3613 चुमौना (जइसे-तइसे ~ के बाद बीच अंगना में दुल्हन के मुँह उघारल गेल । देख के लोग के ठकमुरकी लग गेल । ... साक्षात् काली माई । कुरूपता के मुरती ।) (अमा॰167:9:1.16)
3614 चुरचराना, चुरचरा जाना (अब तो धोती चुरचरा गेल हे । ई पेन्हे लायक नञ रहल ।) (अमा॰13:10:1.24)
3615 चुल्ला-चक्की (थारी-लोटा मइस के, बानी-उनी काढ़ के, पानी-कांजी भर के, चुल्ला-चक्की नीप के) (अमा॰7:6:2.8; 13:8:1.5, 9)
3616 चुल्हा (= चूल्हा) (ओही पइसा से तम्बाकू किन के गाँव के बूढ़वा-बूढ़ियन के बोरसी से इया चुल्हा के लहकल लकड़ी के इंगोरा इया टिकिआ धरा के चिलिम में तम्बाकू बोज के नरिअर पर चढ़ाके पीलावे में तेज अलगंठवा ।) (अल॰1:2.11)
3617 चुल्हा उपास रहना (मसक॰ 38:24)
3618 चुल्हा-चउका (हे भगवान, दिन-ब-दिन माला के ई का होयल जा रहल हे ? झाड़ू-बुहारू, चुल्हा-चउका, हम्मर माय के तेल-कूँड़ से फुरसते नञ् हे आउ हम ...?) (अमा॰166:8:2.31)
3619 चुल्हा-चक्की (अमा॰174:8:2.9)
3620 चुल्हा-चाकी (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.27)
3621 चुल्हानी (अमा॰173:21:2.25)
3622 चुल्हा-भंसार (कालेज के पढ़ाई-लिखाई ~ में जाय) (अमा॰9:16:1.9)
3623 चुल्हा-भड़सार (जो सब ~ में, हमरा का लेबें ?) (नसध॰ 9:41.22)
3624 चुसबैया (फूब॰ 3:10.10)
3625 चुहियो के दमाद प्यारा होवऽ हे (गो॰ 5:25.7-8)
3626 चूँटी (चूँटी-पिपरी; चूँटी ससरे के इया तिल रखे के भी जगह न रहे) (अमा॰19:13:1.8; 22:13:2.25)
3627 चूँटी ससरे के भी जगह नञ होना (मसक॰ 133:4-5)
3628 चूंटी ससरे के जगह न होना (कब॰ 18:2-3)
3629 चूआ (= चूआँ) (बालू के समुन्दर के चूआ के पानी कपटी अगस्त के ऊँट सोख गेल) (अमा॰28:7:2.2)
3630 चूटी (रम॰ 11:84.16)
3631 चूटी (सउँसे गाँव ~ नियन बाध में रेंगे लगल) (नसध॰ 6:28.11; 21:83.9)
3632 चूड़ा (अलगंठवा झोला में नयका धान के अरबा चूड़ा आउर नयका गुड़ कंधा में टांग के सबसे अगाड़िए जाय ला तइयार हो गेल हल ।) (अल॰6:14.22)
3633 चूड़ा (चूड़ा, भूँजा, गुड़, सरबत आदि के कहियो कमी न रहे) (अमा॰168:8:2.9; 174:12:1.2)
3634 चूड़ी (चूड़ी-टिकुली) (नसध॰ 26:116.23)
3635 चूतड़ (नसध॰ 11:49.9)
3636 चूना (कपार मुड़ा के चूना के टीका कर के गदहा पऽ चढ़ा के नऽ बिदा कर देलिअई तऽ हमर नाम नारद नऽ, बिलार, कुत्ता इया सियार) (नसध॰ 14:62.13)
3637 चूना (केकरो पर चू जाना) (नसध॰ 1:4.22, 5.3)
3638 चूमना-चाटना (चूम-चाट के) (गो॰ 4:20.30)
3639 चूरमुर (~ आउ मीठा दूनो एके साथे कइसे होते ?) (नसध॰ 40:175.21)
3640 चूराना, चूरा जाना (बाकि गिरला पऽ हड्डी-पसली चूराइयो जा हे) (नसध॰ 8:34.12)
3641 चूरी (= चूड़ी) (नसध॰ 2:7.25)
3642 चूल्हा-चाकी (तीनो गांजा पीके चूल्हा-चाकी में लग गेलन हल ।) (अल॰43:138.15)
3643 चूल्हा-चौंकी (नसध॰ 32:140.6)
3644 चूल्हानी, चुल्हानी (अआवि॰ 47:1)
3645 चूहल (~ करना) (नसध॰ 1:1.25)
3646 चेउकना (= चौंकना) (सुनके रोझन चेउकलन) (नसध॰ 14:64.7)
3647 चेतना (आजे से चेते के नऽ चाही?) (नसध॰ 9:37.22)
3648 चेताना (चेता के) (नसध॰ 26:116.18)
3649 चेथरी (फट्टल चेथरी में कइसहूँ अप्पन इज्जत ढाँकले ही । नइहर से जे लेके अइली हल सेही पेन्हइत ही ।) (अमा॰27:10:2.2)
3650 चेरा (गो॰ 5:25.17; रम॰ 19:141.10)
3651 चेलवा (= चेलहा) (अँगना में छिटकइत चेलवा मछली चानी नियन चमचम चमक रहल हल ।) (अल॰5:14.3)
3652 चेलहा (चेलहवा मछली देख के सुमितरी के माय पूछलक हल - आज्झ कने जतरा बनलो कि मछली ले अइलऽ ।) (अल॰5:13.29)
3653 चेला (नसध॰ 30:132.30)
3654 चेला-चाटी (अमा॰167:17:2.17; मसक॰ 72:7)
3655 चेला-चुटरी (उहें एगो बंगाली नट से मन्तर सिख के अगम-अपार बंगाल के सिध कलकत्ता से गाँव तक चेला-चुटरी के भरमार ।) (अल॰1:1.13)
3656 चेहरा (नसध॰ 26:117.15)
3657 चेहरा पर बारह बजना (गो॰ 6:28.22-23)
3658 चेहरा-मोहरा (अलगंठवा के नजर जब सुमितरी पर पड़ल तऽ ओकर उदास चेहरा-मोहरा देख के तनी मुस्कइत पूछलक हल ।) (अल॰20:64.8)
3659 चेहरा-मोहरा (हुनखर धिया-पुता के चेहरवो-मोहरवो डब्बूए-छोलनिए जइसन बनल हल) (अमा॰173:16:1.16)
3660 चेहाना (सुमितरी के माय के रोग के बात सुनके चेहाइत अलगंठवा के माय पूछलक - आँय, उनखा कउन बीमारी होलइ हे । देखे में तऽ तनदुरूस्त हलथुन ?) (अल॰6:17.6)
3661 चेहाना, चेहा जाना (अमा॰14:18:1.4; नसध॰ 22:89.7)
3662 चैन (नसध॰ 6:24.30)
3663 चैनमारी के खम्भा (फूब॰ मुखबंध:1.14)
3664 चोकर (अमा॰166:5:1.24)
3665 चोखा (घर पहुँचे पर सुमितरी अप्पन बाबू जी के खिचड़ी चोखा आउर मट्ठा खाय ला परोसे जा ही रहल हल कि ओकर माय कहलक हल ..) (अल॰7:21.28)
3666 चोट (= दवा के लेप, मालिश अथवा प्रयोग; खुराक)  (कहियो डागडर-वैद से एक-दू चोट दवाई खइलियो आउ फिन ठीक) (अमा॰13:8:1.29)
3667 चोट-चाट (अमा॰173:18:1.32)
3668 चोटाना (हम सबके पूरा चौकस रहे के चाही । काहे कि साँप अभी मरल न हे । चोटावल गेल हे । चोटावल साँप अभी आउर बिखिया के बौड़ा जाहे ।) (अल॰25:77.4)
3669 चोटाहा (~ साँप कभी भी बदला ले सकऽ हे) (अमा॰170:7:2.24)
3670 चोन्हरी (केउ कहतो गोरी-कारी, केउ कहतो चोन्हरी, केउ कहतो भउजी ललकार गे बहुरिया ।) (अमा॰14:11:1.4)
3671 चोन्हा (?) (-".. ओहनी सउँसे गाँव के बेमारी मेम तो अपन माय-बाप नियन सेवा करऽ हथ ।" ""करऽ हथुन तो ठीके न हवऽ । हमनी के ~ का लगावऽ ह ? बाकि तनी हटिये के बइठऽ, कोढ़ी छूत के बेमारी हे, ओहू उजरका नऽ, गले ओला हवऽ ।") (नसध॰ 41:180.20)
3672 चोन्हा (मगही के विकास ला जादे चोन्हा चुआ रहलन हे, बाकि सच पूछऽ तो सब बनावटी हे । इनकर देखावा हे तो खाली मगही के पुरोधा कहावे ला ।) (अमा॰18:13:2.4)
3673 चोभा (पकल बम्बइया आम सुमितरी के मुँह में सटावइत अलगंठवा कहलक हल -"लऽ, हवक के मारऽ चोभा ।  तोहरे जइसन गुदगर आउर रसगर आउर सवदगर हो ।") (अल॰29:89.5, 6, 7)
3674 चोर (नसध॰ 27:119.24)
3675 चोर-चिलार (मकस॰ 63:12; 64:1; 65:15)
3676 चोर-चुहाड़ (मसक॰ 22:11)
3677 चोर-छिनार (चोरो-छिनारो के सोर से न सिकाइत होहे कि धान सोहे से ?) (नसध॰ 39:169.6)
3678 चोरनी (के कहतो चोरनी, चटोहरी पुकरतो केउ, बस लीहें बतिया सम्हार गे बहुरिया ।) (अमा॰14:11:1.6)
3679 चोरबजारी (नसध॰ 3:12.12)
3680 चोरबत्ती (नसध॰ 25:107.25)
3681 चोर-लूचंगा (इ हाई इस्कूल गूंडा चोर-लूचंगा के अड्डा बन गेल हे ।) (अल॰23:72.12)
3682 चोराना (= चुराना) (येकर अलावे अगिया बैताल हल अलगंठवा, लड़का-लड़की के साथ लुका-छिपी आउर विआह-विआह खेले में अप्पन माय के किया से सेनूर चोरा के कोय लड़की के माँग में घिस देवे में बदनाम अलगंठवा।) (अल॰1:2.4, 9)
3683 चोराना (चोरावल) (नसध॰ 3:11.14; 33:143.26)
3684 चोरी (नसध॰ 37:156.20)
3685 चोरी (~ करना) (अमा॰15:6:1.21)
3686 चोरी-चकारी (अमा॰16:5:2.11, 17:2.6)
3687 चोरी-चमारी (अमा॰174:11:1.9; नसध॰ 12:51.15; 30:132.7)
3688 चोरी-भिखमंगी (नसध॰ 27:120.14)
3689 चोला (~ बदलना) (नसध॰ 9:37.30)
3690 चोली (नसध॰ 26:117.10)
3691 चोली (मलमल के ~) (अमा॰5:10:1.12)
3692 चोली (साड़ी-चोली) (अआवि॰ 69:11)
3693 चौंका-पानी (सुमितरी चिट्ठी लिख के चौंका-पानीकर रहल हल तऽ ओकर माय कहलक हल) (अल॰9:29.8)
3694 चौंर, चौर (बअछो॰ 4:20.11; 5:25.7; 13:59.13)
3695 चौंरी (केतना घर में तो नानी के ~ बन्हाय लगल हे, पूजा होवे लगल हे) (नसध॰ 43:189.19)
3696 चौकस (हम सबके पूरा चौकस रहे के चाही । काहे कि साँप अभी मरल न हे । चोटावल गेल हे । चोटावल साँप अभी आउर बिखिया के बौड़ा जाहे ।) (अल॰25:77.3)
3697 चौकियाना (चलऽ, तूँ बैलवा-भैंसवा हाँकले चलऽ । हम हर-पालो लेके आवइत हियो । अब कल एगो चास आउर करके गेहुँ बुन के चौकिया देवइ ।; चसिया-चसिया के, मेहिया-मेहिया के चौकियावे के पड़तो ।) (अल॰7:21.24; 44:155.18)
3698 चौकीदार (चौकीदार आउर दफादार के अलगंठवा कहलक हल -"अपने लोग थाना जाके इतलाय कर द गन ।") (अल॰27:84.2, 3)
3699 चौखम्भा (नसध॰ 49:212.19, 20, 22)
3700 चौगान (नसध॰ 9:39.25; 23:93.16)
3701 चौगिर्दी (बअछो॰ 6:30.29)
3702 चौड़गर (मसक॰ 77:12)
3703 चौड़गर (बथान के बगले में हल लमहर-चौड़गर अखाड़ा) (अमा॰16:11:1.8)
3704 चौड़ाई (लम्बाई-चौड़ाई) (नसध॰ 26:117.2)
3705 चौथ (अआवि॰ 83:31)
3706 चौथाई (नसध॰ 26:117.2)
3707 चौदस (अआवि॰ 80:28)
3708 चौन-भौन (बाप रे, केता अछा से चिट्ठी लिखको हे । सुमितरी तोहर परेम में चौन-भौन हो रहलो हे ।) (अल॰10.32.22)
3709 चौपट (नसध॰ 30:133.14)
3710 चौपाल (अमा॰164:3:2.31; नसध॰ 5:16.13; नसध॰ 6:24.4)
3711 चौर (चुभसे॰ 3:9.23, 10.7)
3712 चौरंगी (~ बजार) (नसध॰ 25:104.7)
3713 चौरसिया (गो॰ 4:22.13; 5:27.7-8)
3714 चौरा (= चउरा) (अब तो घर रंग-बिरंगा बिजली के बउल से सजावल जाहे । जादे से जादे तुलसी चौरा पर एगो दीया बरत आउ एगो गणेश-लछमी जी भिरी ।) (अमा॰13:7:1.11)
3715 चौरासी (नसध॰ 30:133.2)
3716 चौलबाजी (गो॰ 8:38.30)
3717 चौला (गो॰ 7:35.10)

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