264 अतंकवादी (= आतंकवादी) (सादी के बाद मरद अप्पन जनाना पर हर घड़ी सक-सुबहा आउर सन्देह के नजर से देखे के अलावे अउरत पर अतंकवादी के तरह तलवार उसाहले रहऽ हे; बंधूक तानले रहऽ हे ।) (अल॰44:157.24)
265 अतंत (फूब॰ 3:10.5)
266 अतमा (= आत्मा) (नसध॰ 30:133.23)
267 अतरा-पतरा (नसध॰ 6:24.5)
268 अता-पता (कब॰ 55:5)
269 अत्ता-पत्ता (मैट्रिकुलेशन तक हम जादे कुछ न पढ़ली, अप्पन जादे समय क्रिकेट, गुल्ली-डंडा, अत्ता-पत्ता, काडी आउ हू-तू-तू जइसन खेले खेल में बिता देली हल) (अमा॰8:11:1.26)
270 अथोर (कनखी मारित बिचरइ निरदंद हिए हिड़िस अथोर) (अमा॰15:1:1.10)
271 अदउरी (~ पारना) (नसध॰ 48:209.14)
272 अददी (गो॰ 1:9.17, 10.20)
273 अदना (अआवि॰ 60:22; कब॰ 53:18)
274 अदना (बड़का के कौन पूछे, पइसा बटोरे के चसका ~ मामूली परिवार के भी लग गेल हे ।; ~ माहटर) (अमा॰ 29:14:1.7; 174:7:1.12)
275 अद-बद (गो॰ 2:12.26)
276 अदमी (अमा॰1:5:1.3; 13:12:2.24; 173:15:1.10; बअछो॰ 5:26.2, 27.4; चुभसे॰ 3:12.30; गो॰ 2:12.19; मसक॰ 11:11)
277 अदमी (= आदमी) (मकस॰ 54:24)
278 अदमी (= आदमी; दे॰ अमदी) (अलगंठवा अप्पन माय के साथ भीड़ में माय के हाथ पकड़ के अदमी से भरल भीड़ में गंगा दने जाय लगल हल ।) (अल॰6:15.27)
279 अदमी (अपना जानते तऽ ~ खूबे करऽ हे बाकि ओतना होय तब नऽ ?) (नसध॰ 5:18.25; 6:23.25)
280 अदरा (= आर्द्रा नक्षत्र) (अमा॰174:12:1.16; नसध॰ 6:23.10)
281 अदरा (= आर्द्रा नक्षत्र) (लोग अदरा-कथा बाँच रहलन हे, हम तो मिरगा-कथा लिख रहल ही; रोहन अदरा के बदरा मनभावन समय सुहावन के । पिया पलंग आउ रिमझिम वर्षा बात ने बिसरे सावन के ।) (अमा॰14:1:1.11; 22:17:2.15)
282 अदलना-बदलना (अदलते-बदलते) (फूब॰ 2:8.34)
283 अदली बदली (अब कोनो मास्टर एक्के जगह साँप नियन कुंडली मार के बइठल नयँ रहत । सबके ~ होत । बहुते मौज-मस्ती काट लेलन मास्टर लोग ।) (अमा॰29:10:2.27)
284 अदहन (जब घर में चाउर-दाल आ जाय तऽ अलगंठवा के भोजाय गोइठा-अमारी से चूल्हा फूंक-फूंक के सुलगावऽ हलन । बड़ी देर में मेहुदल गोइठा सुलगऽ हल तऽ कहीं जाके अदहन सुनसुना हल ।) (अल॰12.36.30; 16:47.1, 11; 43:139.11)
285 अदावत (मसक॰ 171:16)
286 अदाह (आगु में बढ़का ~ जुटल हल) (नसध॰ 19:77.8; 27:118.29, 120.16)
287 अदी-बदी (जय संकर, दुसमन के तंग कर । जे हमरा देख के जरे, उ गांड़ फट के मरे । जेकरा हमरा से अदी-बदी, उ चल जाय फलगु नदी ॥) (अल॰8:26.7)
288 अद्दी-बद्दी (मुँह संभाल के बोलऽ, अद्दी-बद्दी बकऽ मत, न तो एँड़ी-मुक्का-केहुनी से सरिया देवो ।) (अल॰38:122.26)
289 अध-अध (= आधा-आधा) (~ घंटा पर) (नसध॰ 34:148.21)
290 अधखुलल (~ दरवाजा) (अमा॰15:7:1.6)
291 अधछोछा (गो॰ 1:6.19)
292 अधपेटे (रोज-रोज अलगंठवा के दूरा-दलान पर आवल-गेल पहिले के ही तरह ही खइते-पीते रहऽ हल । चाहे अलगंठवा के परिवार अपने छूछे-रूखे, अधपेटे खा के काहे न रह जाय ।) (अल॰12.37.11; 15:44.19)
293 अधफूटल (नसध॰ 3:10.19)
294 अधबूढ़ा (सोनिया के जवानी मुसकाइत हल आउ देह सोना नियर चमकइत हल । ओकरा देख के गाँव भर के छोकड़न के अलावे जवानी के बिदाई कर चुकल अधबूढ़वन के भी आह निकल जा हल ।) (अमा॰17:14:1.17)
295 अधमरू (फिन दे लाठी, फुलमतिया के पीठ फाड़ देलन । बेचारी अधमरू हो गेल ।) (मकस॰ 25:5)
296 अधरतिया (नसध॰ 5:23.1; 32:140.23)
297 अधवइस (येगो अधवइस मरद दिसा फिर के हाथ में लोटा आउर ओकरे में गोरकी मिट्टी, कान पर जनेऊ धरके हाथ आउर लोटा मट्टी से मटिआ रहल हल ।; येगो अधवइस अउरत जरांठी से अप्पन तरजनी अंगुरी से दाँत रगड़ रहल हल ।) (अल॰3:6.9, 13; 6:15.16)
298 अधवैस (नसध॰ 41:181.18)
299 अधवैस (कत्ते लड़की तिलक-दहेज के चलते अधवैस हो जाहे, कत्ते बूढ़-सूढ़ दोवाहा के साथे बिआहल जाहे) (अमा॰165:6:2.4)
300 अधसूखल (~ डंठा) (नसध॰ 29:129.3)
301 अधसेरी (अआवि॰ 33:10)
302 अधार (अआवि॰ 33:16; मसक॰ 49:19)
303 अधार (= आधार) (अइसन बिना ~ के बात से उरझे से का फैदा ?) (नसध॰ 10:46.11; 35:150.21)
304 अधिअच्छ (= अध्यक्ष) (अल॰37:118.13)
305 अधिकार (नसध॰ 33:143.22, 31; 38:161.24)
306 अधीर (नसध॰ 5:21.10)
307 अधेड़ (नसध॰ 24:97.13)
308 अधो (आधो) (अधो बात ओकरा समझ में न आयल) (नसध॰ 20:81.27)
309 अनंद (=आनंद) (नसध॰ 10:46.16; 37:158.12)
310 अनइ (गो॰ 1:7.14)
311 अनइस (= अनिष्ट, बुरा) (~ बुझाना) (नसध॰ 6:27.5, 6; 22:88.16)
312 अनकट्ठल (= अनकथल, अकथित) (अमा॰5:8:2.10)
313 अनकर (~ जलमल कहूँ अप्पन भेल हे कि हम्मर हो जायत ?; अनकर चुक्का, अनकर घी, पाँड़े के बाप के लगल की) (अमा॰10:11:2.21; 16:9:1.28; 19:12:1.16)
314 अनकर (रघुनाथ बोल पड़ल कि कहनी में का झूठ हे खेलामन भाय - अनकर चूका अनकर घी, पाँड़े के बाप के लगल की ।) (अल॰8:25.4)
315 अनकहल (दुनिया में ढेर ~ बात सचाई के रूप धारण कर लेहे) (नसध॰ 38:162.9-10; 39:163.30)
316 अनका (~ ला ऊँचा-ऊँचा महल बनइली, हमरा ला जंगल के मसान) (अमा॰15:19:1.7, 9, 11, 13)
317 अनखा (अनखा में कनखा) (अनखा में कनखा एगो तोरे तो लइका हवऽ) (मकस॰ 13:18)
318 अनगरे (कभी-कभी खूब ~ ताड़ के पेड़ से ताड़ी चोराके पी ले हल) (अमा॰6:15:1.4)
319 अनगिनती (= अनगिनत) (अमा॰5:4:1.14)
320 अनगुते, अनगुत्ते (दोसर दिन ~ पाकी जाके) (मसक॰ 99:29; 100:7)
321 अनचकाना (अनचकाके) (रम॰ 1:18.6)
322 अनचके (रम॰ 9:70.14; नसध॰ 1:3.23; 2:8.18; 3:13.11; 5:20.19; 34:147.10, 148.14)
323 अनचके (अनचके में देखला पर अपने के पते न चलत कि ई कोई असाधारण बेकति हे) (अमा॰25:9:1.4, 14:1.16)
324 अनचके (इ अनचके के मार से झमाइत आउर चिल्लाइत धम-सन जमीन पर गिर गेल हल ।) (अल॰27:82.25; 29:88.23)
325 अनचक्के (~ में) (नसध॰ 39:166.16)
326 अनछपल (अमा॰170:6:2.12)
327 अनजान (नसध॰ 32:139.31)
328 अनजानल (जानल-अनजानल सभे) (अमा॰2:5:1.16)
329 अनझटके (गो॰ 7:35.25)
330 अनठेल (फूब॰ 4:14.7; मसक॰ 173:16)
331 अनता-मनता (रमेसर भइया के बियाह होला जब पाँच बरिस बीत गेल आउ एक्को लइकन-फइकन न भेल, तब सब लोग चिंता में डूबे लगलन । फिन दू साल तक खूब ~ मानल गेल । बाकि अफसोस...) (अमा॰173:19:1.3)
332 अन-दान (नसध॰ 6:24.8)
333 अन-धन (नसध॰ 1:4.15)
334 अन-धन-जन (हमनी के जमीदारी चल गेल तऽ ओकरे साथे रोब-दाब आउ ~ सब चल गेल) (नसध॰ 7:29.14)
335 अनन्द (कहनी में भी हे कि घर अनन्द तऽ बाहरो आनन्द ।) (अल॰16.47.16)
336 अनपढ़ (नसध॰ 8:32.23)
337 अन-पानी (= अन्न-पानी) (नसध॰ 23:93.7)
338 अनभनाना (चुभसे॰ 3:11.13)
339 अनभल ('अलका मागधी' के भल चाहे ओला नवो ग्रह एक्के साथ हथ, तो एकर अनभल काहे होयत) (अमा॰12:19:1.14)
340 अनमखाना (गो॰ 7:34.16)
341 अनमन (कब॰ 49:5)
342 अनमनाहे (नसध॰ 41:179.24)
343 अनमुनाहे (नसध॰ 34:145.15; 43:188.15)
344 अनरथ (= अनर्थ) (नसध॰ 12:55.5; 30:133.24; 37:160.7)
345 अनरीत (ऊ भूखले रह जायत बाकि ~ नऽ करत) (नसध॰ 27:119.25)
346 अनर्गल (जितावन आउ परिखन दुन्नो मिल के बढ़ावन चचा के अंटसंट आउ अनर्गल बात कह-कह के उनका भड़कावे के योजना बना लेलन) (अमा॰30:14:1.18)
347 अनसन (= अन्नशन) (नसध॰ 22:90.17; 28:122.21, 22)
348 अनहोनी (नसध॰ 29:127.29)
349 अनाथ (नसध॰ 35:150.20)
350 अनादर (नसध॰ 38:163.17)
351 अनाप-सनाप (~ बकना) (नसध॰ 8:34.24)
352 अनिष्ठ (= अनिष्ट) (नसध॰ 38:163.17)
353 अनिस्टर-मनिस्टर (अरे इयार, नेतागिरी के लत तऽ तोरा कौलेजे से लगल हलो । ठीक हो, चुनाव-उनाव लड़के अनिस्टर-मनिस्टर हो जा ।) (अल॰28:86.26)
354 अनुकरन (= अनुकरण) (अमा॰16:6:1.8)
355 अनुनिया (गाँव के लोग नेहा धो के एक ठंइया खाय लगलन हल । मुदा अलगंठवा के माय आज्झ अनुनिया कइले हल । ई गुने उ फलहार के नाम पर परहवा केला जे फतुहा में खूब बिकऽ हे, ओकरे से अप्पन मुंह जुठइलक ।) (अल॰6:16.10)
356 अनुभव (अभिन्नता के ~) (नसध॰ 32:139.21; 37:159.27)
357 अनुभो (गो॰ 2:12.30; 9:42.1)
358 अनुभो (= अनुभव) (नसध॰ 22:89.16)
359 अनेरी मजिस्टर (फूब॰ 1:5.12; 6:21.25)
360 अनेरे (= व्यर्थ में) (अब पाणिनि के भी धँसोड़ के पराकृत के संस्कृत से उत्पन्न बतावे ओला कठहुज्जति लोग से कउन अनेरे माथा फोड़उअल करे ?) (अमा॰30:9:1.21)
361 अनेसा (अप्पन अउरत पर नजर पड़ते ही बटेसर तमतमाइत बोल पड़ल हल - "तूँ गंगा नेहाय गेलऽ हल कि पहुनइ खाय, तोरा कल ही लौटे के हलउ, फिन रात कहाँ बितउलऽ ? हमनी अनेसा में रात भर न सो सकली ।") (अल॰7:21.14)
362 अनोर (गो॰ 5:23.31; रम॰ 4:42.4; 5:44.4; 10:75.1)
363 अनोर (हल्ला-गुदाल सुन के गाँव के कुत्ता भी भुक-भुक के अनोर करे लगल हल ।) (अल॰7:22.27; 41:127.14; 42:130.7)
364 अन्दे (रम॰ 4:40.5)
365 अन्दे (= इन्दे; आइन्दा) (अपने सबसे हमरा निहोरा हे कि आज्झ से अपने लोग उत्तर रूखे हाथ उठाके किरिआ-कसम खाके अन्दे से जात-पात के राजनीति करना छोड़ देथ ।) (अल॰30:94.8)
366 अन्देशा (कन्त का के अन्देशा होल कि ऊ हम्मर भइंस के खल्ली कम देलक हे) (अमा॰16:13:1.19)
367 अन्देसा (= अनेसा, अन्देशा) (सुखदेव के देख के अलगंठवा के मन में कई तरह के अन्देसा होवे लगल हल ।) (अल॰29:90.5)
368 अन्धार (अमा॰166:14:2.25; 174:9:1.1)
369 अन्ह (~ हो जाना) (जब बुधुआ ~ हो गेल तऽ पनघट पऽ फुसफुसाहट सुरुम भेल) (नसध॰ 24:97.7; 41:183.11; 45:201.25)
370 अन्हमे (तब तक रोहन के साथे जमुनी पहुँच गेल आउ तुरते बिजुली नियन ~ गेल) (नसध॰ 16:71.24)
371 अन्हरचटकी (गलत-सलत रेवाज आउ ~ के छोड़ देवे के चाही) (नसध॰ 11:48.21; 47:206.17)
372 अन्हरचटकी (पूछल चाहऽ ही - हमनी के दुनिया के ~ काहे लगल हे, जे पूरब के बजाय पच्छिम जा रहल हे ?) (अमा॰171:13:1.6)
373 अन्हर-टोपनी (तोहनी के ~ लगा के तऽ ओहनी कोल्हू में जोतले रहऽ हथुन ?) (नसध॰ 23:94.1)
374 अन्हरा (~ खातिर आँख ओतना महत्वपूर्ण नञ् हल, जेतना हमरा ले मिसिर जी के ई प्रस्ताव) (अमा॰166:8:1.17)
375 अन्हरिया (रम॰ 10:74.1; 12:94.20)
376 अन्हरिया (कुचकुच ~ रात) (मकस॰ 32:12)
377 अन्हरिया (कुच-कुच ~; ~ रात में) (अमा॰2:9:2.1; 15:19:1.20; 172:12:1.18; 174:13:1.2)
378 अन्हार (अमा॰8:9:1.4; 18:7:1.24, 9:2.25; गो॰ 10:45.11; मसक॰ 36:27; 174:11; रम॰ 12:94.20; नसध॰ 37:159.11; 40:176.9, 18; 42:185.12)
379 अन्हारहीं (बअछो॰ 11:52.18; नसध॰ 11:46.21)
380 अन्हारा (अमा॰11:14:1.29)
381 अन्हारा (रात के ~ में) (नसध॰ 2:8.9; 4:15.23; 30:134.18; 40:179.8; 43:190.30)
382 अन्हारे (नसध॰ 3:11.12; नसध॰ 12:55.10)
383 अन्हारे-पन्हारे (नसध॰ 3:11.9)
384 अन्हारे-पन्हारे (बिहान हो गेल हल । रोज दिन के ~ चाय पीये के आदत रहे के चलते हम सीधे बिछौना पर से उठ के मुँह धोइली आउ जाके भुलेटन के दोकान पर बइठ गेली ।) (अमा॰23:16:1.1)
385 अन्हेर (अबरा-निबरा के मउगी हे भउजी, भइंस ओकरे जेकर हाथ लाठी । नगरी अन्हेर चउपट हे राजा, मोल एक्के हे हाथी कि पाठी ।) (अमा॰14:1:1.10)
386 अन्हेर (ओकर राज में देर हे बाकि ~ नऽ हे) (नसध॰ 10:43.27; 43:191.6)