Sunday, October 18, 2009

15. खकारादि शब्द

2194 खँघारना (गो॰ 1:10.24)
2195 खँचिया (खँचिये भर धान के गरमी से, ऐसन मिजाज बगद जाहो) (अमा॰174:13:2.3)
2196 खँड़ (पिछतिया के खँड़वा) (अमा॰11:20:1.3)
2197 खँस्सी-पठरू (अमा॰173:12:1.2)
2198 खंघारना (अमा॰7:6:2.22; नसध॰ 41:181.30)
2199 खंजड़ी (नसध॰ 26:117.8)
2200 खंड (= खाँड़) (सुखदेव खंड दने जा ही रहल हल कि अलगंठवा भट्ठा तर से लपकल-धपकल, हाँफे-फाफे दूरा दने आ रहल हल ।) (अल॰26:77.17)
2201 खंडित (नसध॰ 35:150.23)
2202 खंढ (नसध॰ 11:49.19)
2203 खंती, खनती (नसध॰ 9:42.23; 41:179.23)
2204 खंती-कुदारी (नसध॰ 27:122.10)
2205 खंदा (= खन्धा) (अलगंठवा के बात सुन के सुखदेव घर दने चल गेल हल आउ ई चारो गोटा भी चउरी पर पर-पैखाना करे ला दखिन रूखे गलवात करइत चल गेलन हल । ओने नकफेनी के झाड़ी में तीतीर आउर आम के पेड़ पर कोयल बोले लगल हल । गाँव के धुर-जानवर भी खंदा में घर देने लौट रहल हल । सूरज भी डूबे ला झलमला रहल हल ।) (अल॰29:90.26; 44:152.5)
2206 खंधा (रम॰ 10:75.1; 18:133.1, 5, 134.12)
2207 खइका (मसक॰ 85:17)
2208 खइनी (रग्घू महतो के दलान पर ~, बीड़ी, तम्बाकू, सिगरेट आदि बिलकुल्ले नईं रहे) (अमा॰10:5:1:2; 168:8:2.8; 173:10:2.16)
2209 खखड़ी (एगो बूढ़ अदमी बोल रहलन हल कि पूरवा नछतर हइ । कहनी में भी हे - 'पूरवा रोपे पुर किसान, आधा खखड़ी आधा धान ।') (अल॰32:104.1)
2210 खखन (= खक्खन, तत्क्षण) (~ में ऊ हाथ के बचल, बिआह के बेरा के रुपौठी नारद के दे देलक) (नसध॰ 19:76.28)
2211 खखन (= छछन; तीव्र इच्छा या अभिलाषा; चाह, लालसा; इच्छा पूरी करने की उत्सुकता; चिन्ता)  (बहुत खुशामद करे पर एगो लड़का वाला आवे ला तैयार होलन । ऊ अयलन त पाँच छव आदमी से । लड़की के माय-बाप खखन में उनका खुश करे ला कोई कसर न छोड़लन ।) (अमा॰27:16:2.2)
2212 खखन्द, खक्खन (फूब॰ 2:8.25)
2213 खखरना (मसक॰ 155:7)
2214 खखरना (सगर तऽ सिंड़ल हइ । अब खखर के जाड़ा पड़तइ ।) (अल॰44:152.24)
2215 खखरी (हुनखर मन मितला हे - सरकारी अन्हरे नियन टोले चलऽ हे पढ़ाय में सुधार के उपाय । कोठरी में खखरी धान सुखा के का होयत ?) (अमा॰29:10:1.10)
2216 खखाना (भूख से खखायल पेट में ऊ लोग के ई न बुझायल कि पियास बुझावेला हम जे पिया जाइत ही से अमरित हे कि जहर) (अमा॰3:14:1.25)
2217 खखार (नरेटा के ~ नियन नरेटा में अटकल ही, न एन्ने जाइत ही न ओन्ने) (अमा॰12:10:1.7)
2218 खखुआना (मसक॰ 115:13; नसध॰ 3:12.13; 5:19.29)
2219 खखुआना (ऊ रुपइया का देत, उल्टे बुदबुदायत, भुनभुनायत आउ खखुआ के बोलत) (अमा॰173:21:1.31)
2220 खखुआयल (इहे बेविचार फैलावऽ हे । गाँव ओलन ~ रहऽ हथ हसोत-हसोत के ले जा हथ ।) (नसध॰ 25:107.32)
2221 खखोरना (मसक॰ 115:14; नसध॰ 3:12.23)
2222 खखोरना (गँउआ-गुदाल हो रहल हल कि नक्सलाइट लोग हेडमास्टर के पकड़ के गोला-लाट्ठी देले हइ । चलितर ठाकुर ओकर माथा अस्तूरा से खखोर के मुँह में चूना कालिख लगा रहलइ हे ।) (अल॰23:71.23)
2223 खखोरना (मकइया के दरवा ला पेटवा खखोरऽ हे) (अमा॰7:7:1.17)
2224 खचखचाना (खचखचाइत अदमी भरल हलन) (नसध॰ 26:117.4; 40:177.15)
2225 खचड़ा (पीपरा तर ओला ~ हो) (नसध॰ 19:77.21)
2226 खजर-खजर (रातोरात हिन्दी-अंग्रेजी आउ संस्कृत के हनुवाद करल, कुछ दोसर भाषा के तोड़ल-जोड़ल चीज पाठ्य-क्रम में खजर-खजर लोके लगतवऽ ।) (अमा॰18:13:2.26)
2227 खजाना (नसध॰ 13:58.11)
2228 खजिल (= खज्जिल) (नाना चार-पाँच दिन से बहराइल हथिन, आउ एने नानी खटिया धइले हइ । ओकरा कमर में ठंढ मार देलकइ हे । उठे बैठे में अजुरदा हइ । हम तऽ खजिल-खजिल हो रहली हे ।) (अल॰44:152.27)
2229 खटकना (आदमी के अभाव तब खटकऽ हे, जब ऊ न रहऽ हे) (अमा॰30:6:2.1)
2230 खटकिन (= झगड़ालू औरत) (सास अइसन खटकिन कि अप्पन मरद के सेवा तो नहियें करे, सेवा करेओली पुतोहियो के गंदा-गंदा गारी देवे) (अमा॰171:8:1.7)
2231 खटखटाना (केवाड़ी ~) (नसध॰ 32:140.12)
2232 खटना (दू अदमी बरोबर खटइत हलन) (नसध॰ 27:122.13)
2233 खटना (साँढ़ जन्ने पावे ओन्ने खाय, अंतड़ी सटल बैल दिन भर खटऽ ही) (अमा॰5:10:2.17)
2234 खटनी (बारह-चउदह घंटा खटनी के थकान) (मसक॰ 58:22)
2235 खटमिट्टी (~ खटाई) (अमा॰173:22:1.23)
2236 खटमीठ (~ गोली, ~ सवाद) (नसध॰ 3:13.18; 31:136.25)
2237 खटर-पटर (मसक॰ 103:10)
2238 खटवास-पटवास (~ ले लेना) (नसध॰ 44:194.14)
2239 खटाई (आम के ~) (अमा॰1:17:2.2; 173:1:1.6)
2240 खटास (मसक॰ 95:20)
2241 खटासिन (गो॰ 3:17.27)
2242 खटिक (अआवि॰ 32:16)
2243 खटिया (अमा॰12:11:1.14)
2244 खटिया, खटिआ (नसध॰ 2:7.3; 28:124.33; 42:186.8)
2245 खटोला (नसध॰ 5:16.10)
2246 खट्-खट् (नसध॰ 25:107.22)
2247 खट्टरस (खान-पान में भात आउ सांभर के उपयोग होवऽ हे आउ सब ढंग के भोजन में इमली आउ ~ के प्रचलन हे) (अमा॰163:8:1.30)
2248 खड़कन्त (अलगंठवा फिन तीनों के समझावइत कहलक हल -"मुदा ई बात के भनक हवा के भी लगे के न चाही । काहे कि उ बड़ी खड़कन्त रहऽ हो ।") (अल॰21:69.2)
2249 खड़हु (पाँचो हड़बड़ा के पीपर पाती देने धड़फड़ायल भागे लगल तऽ रमेसर एगो खड़हु में गिर गेल जेकरा से देह में कादो-किचड़ लपसा गेल हल ।) (अल॰42:131.11)
2250 खड़ी (माय-बेटी मिल के ~ में पतरा माटी सानलन आउ देवार के दरार में ठूस-ठूस के भर देलन) (नसध॰ 18:75.23)
2251 खढ़िया (नसध॰ 11:49.25)
2252 खढ़ी (रात के भगजोगनी हाथ में दीया लेके खढ़ी में चल गेल । ऊहाँ जाके चार गो धतूरा के फर तोड़लक आउ खा गेल ।; तीन सौ रुपइया ले आव, तब ~ वला जमीन छोड़बउ; हम्मर घरवा के पीछे वला खढ़िया पर तीस गो रुपइया लावऽ । बेटा पेड़ पर से गिर गेल हे ।) (अमा॰23:18:1.18; 163:11:1.34)
2253 खतना (= खनना, खोदना) (उ जमाना में विनोबा जी गाँव-गाँव घूम के परवचन दे हलन कि पैखाना गाँव के बाहर फिरे तऽ सावा वित्ता जमीन खत के ओकरे में पैखाना करके मिट्टी से झांक देवे के चाही । जेकरा से गन्दगी भी न होयत आउर पैखाना खाद के काम आवत ।) (अल॰2:5.9)
2254 खतम (नसध॰ 8:31.27)
2255 खतम (काम-धाम खतम होला के बाद) (अमा॰17:9:2.6)
2256 खतरा (अमा॰4:4:1.12)
2257 खतरा (~ से खाली न होना) (नसध॰ 28:122.31)
2258 खतिआन (नकसा-खतिआन) (नसध॰ 13:59.12)
2259 खतिआन (लावऽ, खतिआन दऽ ! जनसेवक जी से पढ़वा लाऊँ । ओहु तो कैथी हिन्दी जानवे करऽ हथी । हिन्दी के अलावे ऊ रंगरेजीओ फुर्र-फुर्र पढ़ दे हथी ।) (अमा॰30:14:2.22, 15:1.1)
2260 खतीयान (= खतिआन) (तोहनी दुन्नो इसकूल में कभी न बइठे गेलऽ । कभी हम पकड़ के भेजवो कइली तो कभी घाघा में, कभी मकई आउ झलासी के झालड़ में लुका जा हलऽ ! आज हम केकरा से कहूँ आउ केकरा से रोऊँ कि तनी हम्मर खतीयन पढ़ दऽ ? ई जर-जमीन के कगज दोसरा से न देखावे के चाही ।) (अमा॰30:14:2.14)
2261 खदना (गो॰ 1:7.20)
2262 खदबदी (नसध॰ 5:20.27)
2263 खदीबदी (बिन ~ के नाँचना) (नसध॰ 17:73.28)
2264 खदेरना (नसध॰ 24:100.10)
2265 खन, खनी (= क्षण) (चुभसे॰ 2:7.18)
2266 खनई (नसध॰ 21:84.14)
2267 खनदान (अमा॰11:16:1:36, 17:2.31; 165:9:2.1; 173:7:1.17; कब॰ 1:1; मसक॰ 31:5, 7; नसध॰ 5:21.16; 30:134.1; 37:158.16; 39:173.27)
2268 खनदानी (मसक॰ 112:16)
2269 खनदानी (~ खेत) (नसध॰ 5:18.22; 37:158.15)
2270 खनिहार (खनिहारो लोग एतना खलथिन कि केकरो से पानी तक न पीयल गेलइन) (अमा॰27:13:1.14)
2271 खनी (गो॰ 1:4.6)
2272 खनी (= के क्षण) (भात-दाल खाय खनी दाल में दू-तीन चम्मच घीउ उड़ेल दे हलन) (अमा॰17:8:1.13)
2273 खनी (रात ~) (नसध॰ 8:36.10)
2274 खनी (रात ~, सांझ ~) (मसक॰ 100:5; 140:5)
2275 खन्डा (गो॰ 4:23.17)
2276 खन्धा (मसक॰ 162:22)
2277 खन्धा (अगहनी धान टाल-बधार में लथरल-पथरल हल । कारीवांक, रमुनिया आउर सहजीरवा धान के गंध से सउंसे खन्धा धमधमा रहल हल ।) (अल॰7:20.26; 9:28.3; 19:62.16; 25:75.6; 33:106.12, 107.12)
2278 खपड़पोस (हर, पालो, चउकी, नारन-जोती, भूसा आदि लागी अलगे ~ बनल हल; ~ मकान) (अमा॰168:8:1.31; 173:13:1.14)
2279 खपड़ा (अआवि॰ 58:13; बअछो॰ 12:55.28)
2280 खपत हो जाना (फूब॰ 8:28.10)
2281 खबर (~ जना देना) (नसध॰ 34:147.9)
2282 खमखमाना (बअछो॰ 1:9.11)
2283 खमखमाना (मुसकाइत कोठरी में घुसलन तऽ सउँसे गाँव के खमखमाइत उहाँ देखलन) (नसध॰ 15:66.13, 67.7; 26:118.4; 27:122.10; 36:153.14; 43:190.14)
2284 खमखमाहट (बअछो॰ 7:36.14-15)
2285 खमौनी (खल्ली के मुँह में ~ जब जाहे, छुछुन्दर के सिर में चमेली तेल लगऽ हे) (अमा॰2:8:1.5)
2286 खम्भा (बिजली के ~ गड़ना) (नसध॰ 36:154.23; 49:212.19)
2287 खम्हा (कब॰ 38:2)
2288 खर (खर चुने के विधि में दुलहा के सास दुआरी से मड़वा तक गेहूँ के डाँठ छींट दे हे जेकरा दुलहा के चुने पड़ऽ हे) (अमा॰1:12:2.1)
2289 खरंटन (धंधा में ~) (मसक॰ 157:6)
2290 खरई (तुहूँ खींच के लावऽ ~ तर के खरई) (अमा॰1:14:2.18)
2291 खरकन (गो॰ 1:3.14)
2292 खरकना (मसक॰ 98:13, 27)
2293 खरकना, खरक जाना (सगुन के एगो आउ चिन्हानी हे । गोइंठा पर अगर आग खरक गेल त समझऽ अवइया के आगमन के सूचना) (अमा॰8:6:1.30)
2294 खर-खन्दान, खर-खंदान, खर-खनदान (अमा॰172:15:1.12, 2.3)
2295 खरच (अमा॰12:5:1.18)
2296 खरचना (= खर्च करना) (हदिआल दरोगी जी हुनखे से पूछलन - 'पइसा खरचम तो हिएँ जमल रह जाम ?') (अमा॰29:12:1.27)
2297 खरचना (खरचे परना) (नसध॰ 1:1.11)
2298 खरच-बरच (चुभसे॰ 1:1.11)
2299 खरचा (अमा॰12:10:2.15)
2300 खरचा-बरचा (मसक॰ 18:13; 19:26; नसध॰ 13:59.4)
2301 खरचा-बरचा, खरचा-वरचा (बेटी के जादा पढ़ा लिखा के का करवइ बेटा, खरचा-बरचा कहाँ से जुटतइ ।; आज हम गछ लिअइ आउ कल हमरा से खरचा-वरचा न जुटतइ तऽ हम का करवइ ।) (अल॰6:18.1; 10.31.24; 37:118.25)
2302 खरजीतिया (अआवि॰ 69:5; 80:29)
2303 खर-पुआर, खेर-पुआर (अआवि॰ 33:7)
2304 खरहन (आज दू कौर चढ़ा के खा लेलन आउ ओसारे में खरहने खटिया पर लोघड़ गेलन) (नसध॰ 36:156.11)
2305 खरहन, खरहना, खरहन्ना (खरहना - रम॰ 4:43.6)
2306 खरहना (न गे मइया, नेवारी के विनल खटिया पर खरहने में नानी घर येक दिन सो गेलिअइल हल । ओकरे से बाम उखड़ गेल हे । नेहा के गड़ी के तेल लगा लेम, तऽ ठीक हो जायत ।) (अल॰5:12.21)
2307 खरही (ले खरही हरि टटर बिनैबो, देतन तोर मइया दोकान) (अमा॰1:12:2.5)
2308 खरियत (= खैरियत) (नसकट खटिया बतकट जोय, ताकर खरियत कभी न होय) (अमा॰25:17:2:25)
2309 खरिहान (अमा॰11:7:1.23; 173:13:2.32; 174:12:1.23; बअछो॰ 4:20.20; 10:50.25, 26; गो॰ 6:32.5)
2310 खरिहान (खेत-खरिहान) (अआवि॰ 80:5)
2311 खरिहानी (बअछो॰ 11:53.10; 12:54.15, 18, 19, 20, 22; 16:70.2; नसध॰ 8:35.26)
2312 खरिहानी (हो जतवऽ परुआ मरखंडा कहावल) (अमा॰3:16:1.29)
2313 खरी-खोटी (~ सुनाना) (अमा॰25:21:2.6-7)
2314 खरी-भूसा (एक पाह आउ लगा दे । फिनो तो घरे चलके ~ खो आउ रात भर पघुरो ।) (नसध॰ 37:158.3-4)
2315 खरीयत (नसध॰ 1:2.21; 36:153.12; नसध॰ 3:11.7; 40:176.12; 42:187.7)
2316 खरीहन (कुछ ~ रक्खम, कुछ बीहन रक्खम) (अमा॰174:12:1.13)
2317 खरोश (= शोर) (बढ़ावन चचा लगभग चालीस बरस के हो गेलथिन हल, तइयो उनकर कदकाठी में जवानिए के जोश खरोश भरल हलइन) (अमा॰30:14:1.2)
2318 खर्चा (बअछो॰ 9:42.7; नसध॰ 38:161.11)
2319 खर्चा-वर्चा (बअछो॰ 9:41.7; 15:65.8)
2320 खर्ची (= खरची; खर्च करने की वस्तु; भोजन बनाने की सामग्री; कच्चा सीधा, बुतात; जीवन यापन का सामान) (रहे ला घर न हे, खाय ला खर्ची न हे) (अमा॰28:8:1.25)
2321 खल-खल (गो॰ 1:2.31)
2322 खलबली (~ मच जाना) (अमा॰12:13:1.6)
2323 खलहल (गाड़ी जइसहीं आगरा टीसन पर रुकल तो एगो डिब्बा से सब जातरी उतर गेलन, खाली एगो बूढ़ी आउ जुवती बच गेल । खलहल पाके ओही डिब्बा में एगो जुवक घुस गेल आउ गाड़ी तुरते रफ्तार पकड़ लेलक ।) (अमा॰25:14:1:13)
2324 खलासी (ड्राइवर-खलासी) (अमा॰173:10:2.30)
2325 खलिये (= खाली ही) (नसध॰ 7:29.25)
2326 खलीफा (नामी-गिरामी ~) (अमा॰173:5:1.3)
2327 खल्ली (~ छुआना) (अआवि॰ 70:32)
2328 खल्ली (कन्त का के अन्देशा होल कि ऊ हम्मर भइंस के खल्ली कम देलक हे) (अमा॰16:13:1.19)
2329 खस (खस के पंखा) (अल॰29:88.26, 28)
2330 खसरा (दे॰ खेसरा) (पटवारी की बही जिसमें गाँव के हर खेत का नंबर, रकबा, काश्तकार का नाम इत्यादि लिखे रहते हैं) (जनसेवक हरिचनर बाबू ऊ घड़ी अप्पन बही खाता के खाता नं॰, प्लौट नं॰, आउ ~ नं॰ के घुमावदार हिसाब में अझुरायल हलन) (अमा॰30:15:1.18)
2331 खस्ता (~ हाल) (नसध॰ 12:53.27)
2332 खस्सी (ई सब देवतन के अलग-अलग तरह के भोजन हे । माँ काली ला भईंसा, देवी जी ला पठिया, सरस्वती ला फल-फूल आउ मिष्टान्न, गोरइया आउ डाक ला खस्सी-भेंड़ा, सूअर, मुर्गा, कबूतर, टिपउर ला खस्सी-भेंड़ा आउ डाक गोरइया के तो खूनो पीए से जब तरास न जाय त अलगे से तपावन (दारू) देल जाहे, तब जाके उनकर पियास बुझऽ हे ।) (अमा॰22:13:1.13, 14)
2333 खस्सी-पठरू (न तऽ ताल-तलइया सब खइले हो, खस्सी-पठरू मुरगा-मुरगी, सब के सब ओरिअइले हो ।) (अल॰44:155.20)
2334 खस्सी-पठरू, खँसी-पठरू (रम॰ 15:120.6)
2335 खाँटी (अमा॰2:15:1.6)
2336 खाँटी (मगही के खाँटी मुहावरा आउ कहाउत) (अमा॰172:12:2.4)
2337 खाँड़, खांड़ (अलगंठवा के घर के सटले पछिम खांड़ हल । ओकरे सटले एगो तलाबनुमा गबड़ा हल । जेकरा में पानी वारहो मास रहऽ हल । अलगंठवा के खांड़ में झमेठगर बाँस, तार, सहजन-पपीता, केला, अनार के अलावे तीन गो अमरुद के गाछ भी हल । अलगंठवा अप्पन खाँड़ के एगो टील्हा पर बइठ के देखइत हल कि रूखी डमकल-डमकल आउर कचगर-कचगर अमरूद के कइसे कुतर-कुतर के, फुदक-फुदक के खा रहल हे ।; बइठहु न चचा, छोटका बाबू खँड़िया में भट्ठा तर मुँह धो रहलथुन हे, बुलावऽ हियो ।) (अल॰13.38.16, 17, 19; 18:54.9; 26:77.15; 36:114.6)
2338 खाँड़-कोला (रात सांय-सांय कर रहल हल । खाँड़-कोला बाग-बगीचा में झिंगुर सोर कर रहल हल ।) (अल॰36:113.22; 43:139.16)
2339 खाँढ़, खाँड़ (रम॰ 10:79.4; 12:91.11)
2340 खाँय-खाँय (~ खोंखना) (अमा॰7:12:1.1)
2341 खाड़ (= खड़ा) (अमा॰2:12:1.22, 14:1.20; नसध॰ 3:10.19)
2342 खाड़ (= खाँड़) (इधर अलगंठवा आउर आजाद खाड़ में जाके फड़ही के भुंजा घी गोलकी से सनल खाइत आगे के जोजना बनावे लगल हल ।) (अल॰41:129.25)
2343 खाड़ा (गो॰ 1:3.14, 4.7, 19)
2344 खाड़ा (जमुना के गुमसुम ~ देख के सुक्खू बोलल) (नसध॰ 39:166.5)
2345 खाड़ा-खाड़ा (नसध॰ 3:12.23)
2346 खात (गो॰ 9:40.1)
2347 खातिर-भाव (अआवि॰ 49:27)
2348 खानना (खानल गड़हा) (नसध॰ 31:136.12)
2349 खान-पियान (मसक॰ 32:7)
2350 खाना (~ बनाना) (नसध॰ 38:163.5)
2351 खाना-खइका (मसक॰ 85:17)
2352 खानापुरी (अआवि॰ 52:8)
2353 खानी (कब॰ 11:23)
2354 खानी, खनी (मसक॰ 113:27)
2355 खानी, खनी (घूरइत ~; दिन ~) (नसध॰ 3:11.17; 44:193.4)
2356 खा-पका जाना (नसध॰ 30:130.23)
2357 खाबिन्दी (फूब॰ 2:8.7; 6:21.19; 7:25.21)
2358 खामखाह (मसक॰ 59:27)
2359 खामख्वाह (अमा॰15:7:1.12)
2360 खाय (साँझ खानी जब ~ तइयार हो जाय तऽ ... आउ बाद में मरद के खिया के अपने माय-बेटी ~ (नसध॰ 10:44.3; 29:128.31, 129.24)
2361 खाय-पानी (मलकिनी भी हरसठे बेमारे रहऽ हथ । ~ बनावे के दिक्कत हे । उनकर कहनाम हे कि लइकी बेस रहत तो पइसा के महत्व न देम ।) (अमा॰172:15:2.1)
2362 खायल-पीयल (~ भी हराम हो जा हल, {बिहारशरीफ के मगही में} "खाय-पीये ल भी हराम हो जा हलइ" या "खाना-पीना भी हराम हो जा हलइ") (नसध॰ 5:19.3)
2363 खार खाना (फूब॰ 1:5.9)
2364 खाली (= केवल) (अमा॰1:7:2.7; 173:15:1.6; नसध॰ 3:11.14; 14:60.20; 30:132.10; 36:153.30; 39:174.6)
2365 खाहमखाह (फूब॰ 1:4.10-11)
2366 खाहिस (फूब॰ 1:3.27)
2367 खाही-सुते भर (जने चलथ तने दूनो साथे चलथ । खाली ~ अलगे रहथ ।) (नसध॰ 14:60.20)
2368 खिक्खिर (हिरनी, खिक्खिर, चमगुदरी के आज हे जमघट लगल उहाँ ।) (अमा॰25:23:1.25)
2369 खिचड़ी (जेहल के खिचड़ी खाना/ खिलाना) (नसध॰ 33:143.2; 39:165.23)
2370 खिचड़ी-परोस (~ दोकान) (मकस॰ 15:7)
2371 खिचना (= खींचना) (अलगंठवा येगो नेवारी के आँटी के जौरी बाँट के कुत्ता के गोड़ में बाँध के खिचते-खिचते गाँव के बाहर पैन पर ले जा के रखलक, आउर घर से कुदाल ले जा के भर कमर जमीन खोद के ओकरे में कुत्ता के गाड़ देलक ।) (अल॰2:5.23)
2372 खिच्चा (मसक॰ 113:28)
2373 खिच्चा (उमर अभी ~ हल) (अमा॰2:10:1.15)
2374 खियाना (नसध॰ 5:16.20)
2375 खियाना (= खिलाना) (अमा॰12:13:1.10)
2376 खियाना (= घिसना, घिस जाना) (खटइत-खटइत हम्मर देह खिया गेल) (अमा॰27:7:1.28)
2377 खिल-खिल (गो॰ 1:2.31)
2378 खिलना (अकास में ~) (सुगिया बरहोर के धर के लटक गेल आउ रग्घू ओकरा धर के एतना जोर से धसोरलक कि ऊ अकास में खिल गेल बाकि ओकर हाथ से बरहोर छूट गेल) (नसध॰ 40:176.11)
2379 खिलाफ (नसध॰ 47:204.29; 49:211.1)
2380 खिस, खीस (~ बरना) (नसध॰ 2:7.16; 34:145.29)
2381 खिसिआना (देलियो जवाब न, खिसिअइलऽ हे तूँ - रिसिअइलऽ हे तूँ, मुदा तोहरे से हरदम जुड़इलियो हे छाती । बड़ी दिन बाद लिखऽ हियो पाती ।) (अल॰44:155.5)
2382 खिसिया जाना (चुभसे॰ 2:7.17)
2383 खिसिया देना (नसध॰ 1:2.7)
2384 खिसियाना (खिसिया के बोललन) (नसध॰ 7:29.7)
2385 खिसियाना (पंडित जी खिसिआयल हल) (अमा॰9:10:1.26; 27:5:1.29)
2386 खिसियाह (अमा॰12:14:1.5)
2387 खिसोरना (अमा॰5:11:2.10)
2388 खिसोरा जाना (= खिसुड़ा जाना) (दाँत बिदोर देबे तऽ खैनी खायल करिया दाँत ओकर सुक्खल मुँह पऽ खिसोरा जाय) (नसध॰ 22:91.24)
2389 खिस्सा (अमा॰173:16:2.10; नसध॰ 1:5.1)
2390 खिस्सा-उस्सा (नसध॰ 24:100.16)
2391 खिस्सा-कहानी (फिन उ लोगन से खिस्सा-कहानी आउर गीत सुने आउर सिखे में विदुर अलगंठवा ।) (अल॰1:2.13)
2392 खिस्सा-गलबात (रम॰ 5:44.9)
2393 खिस्सा-गलबात (गाँव में साँझ के इया गरमी के दुपहरिया में अदमी एक ठइयाँ बइठ के आपसी सुख-दुख के खिस्सा-गलबात करऽ हे) (अमा॰13:12:2.25)
2394 खिस्सा-गलवात (रम॰ 19:140.12)
2395 खिस्सा-गलवात (टोला-टाटी के अउरत के साथ सुमितरी टट्टी करे ला गाँव से दछिन पइन पर पहुँच के दू-दू हाथ के दूरी पर बैठ के खिस्सा-गलवात करइत झाड़ा फिरे लगल हल ।) (अल॰18:53.27; 26:80.28)
2396 खी-खी (~ करके हँसना) (अमा॰15:10:1.9)
2397 खीस (अमा॰17:6:1.24; चुभसे॰ 1:4.12)
2398 खीस-पीत (कब॰ 45:14; 47:14)
2399 खुट-खाट (~ करना) (नसध॰ 29:126.6)
2400 खुटखुट, खुटखुटी, खुटपुट, खुटपुटी, खुटबुट, खुटबुटी, खुटफुटी (खुट-बुटी - रम॰ 4:42.17; खुटफुटी - रम॰ 14:111.5 )
2401 खुटखुटाना (अप्पन कुत्ता पर सवारी कैले भैरव बाबा भी सिवजी के बराती में खुटखुटावइत चलल जाइत हलन) (अमा॰11:8:1.28)
2402 खुटखुटाना (केवाड़ी ~) (नसध॰ 32:140.20)
2403 खुट-बुट (मन रात भर ~ करते रहना) (मसक॰ 59:11)
2404 खुदबुदाना (अभी अनमुनाहे हल बाकि नहर पर के पीपर तर के चिरईं खुदबुदाय लगलन हल) (नसध॰ 43:188.5)
2405 खुदबुद्दी-गरवैया (मसक॰ 115:9)
2406 खुदा-न-खास्ते (~ अइसन गलीवला कुत्ता के भेंट जदि पोसुई कुत्ता से भे गेल तो ऊ अप्पन गली में ओकरा लात न रखे देत; ऊ यदि रोवे के बहाना करथ, तो भइंसिया हमड़ले-घुमड़ते दउड़ल आवे आउ उनका निकट ~ अगर कोई पकड़ा जाय, त ओकरा चीर खाय) (अमा॰11:7:2.23; 171:11:1.17)
2407 खुदी (= कुद्दी) (माय पाँच ~ लगैलक - तीनो भाई, बहिन आउ अप्पन) (अमा॰173:11:2.3)
2408 खुद्दे (एकरा से साफ परगट हो जाहे कि खुद्दे पाणिनि भी पराकृत के अधिक पराचीन नऽ, त कम-से-कम संस्कृत के साथे-साथ ओकरो आद्य उत्पत्ति तो जरूरे सकारलका हे) (अमा॰30:9:1.16)
2409 खुफिया-तुफिया (गो॰ 2:14.7)
2410 खुमारी (अमा॰16:17:1.11)
2411 खुर-खार (ऊ दिन भर कुछ ~ करते रहथ आउ खदेरनी अपन घरही रह के बनावे खाय) (नसध॰ 32:138.21)
2412 खुरचालू (ऊ बड़ी ~ हो । तोरा साथे दोसरो बझा लौतो ।) (नसध॰ 40:175.13)
2413 खुरपा (नसध॰ 2:7.17)
2414 खुरपा (खुरपा-बकुआ) (नसध॰ 26:116.23)
2415 खुरपी (बअछो॰ 12:56.11)
2416 खुरपी (हँसुआ के बिआह में ~ के गीत) (अमा॰1:13:1.24; 165:17:1.17)
2417 खुरफाती (रम॰ 6:54.24)
2418 खुलल (~ मैदान में) (नसध॰ 26:117.8)
2419 खुलासा (बुझौनिया का बुझावइत हें खदेरन, खुलासा कह न) (नसध॰ 12:55.2; 28:123.3)
2420 खुल्लमखुल्ला (अधिकतर नेता जनता के सेवक न, सेठ हथ आउ हथ ~ सत्ता के सौदागर) (अमा॰28:6:2.7)
2421 खुल्ला (= खुला) (~ अकास) (अमा॰18:4:2.1)
2422 खुस (नसध॰ 28:124.26)
2423 खुसामद (नसध॰ 7:29.15)
2424 खुसी (नसध॰ 7:29.4)
2425 खुसुर-फुसुर (अमा॰167:9:1.2)
2426 खुसुर-फुसुर, खुसूर-पुसूर (नसध॰ 9:42.19; 16:71.22)
2427 खूँखार (नसध॰ 49:211.3, 6)
2428 खूँटा-पगहा (अमा॰11:20:1.21)
2429 खूँटी (नसध॰ 26:116.24)
2430 खूटा (नन्हकू के घरवाली सत्तू भरल लिट्टी आउर आम के अंचार गमछी के एगो खूटा में बाँध देलक हल ।) (अल॰3:6.6)
2431 खून (नसध॰ 28:122.26)
2432 खून (ई सब देवतन के अलग-अलग तरह के भोजन हे । माँ काली ला भईंसा, देवी जी ला पठिया, सरस्वती ला फल-फूल आउ मिष्टान्न, गोरइया आउ डाक ला खस्सी-भेंड़ा, सूअर, मुर्गा, कबूतर, टिपउर ला खस्सी-भेंड़ा आउ डाक गोरइया के तो खूनो पीए से जब तरास न जाय त अलगे से तपावन (दारू) देल जाहे, तब जाके उनकर पियास बुझऽ हे ।) (अमा॰22:13:1.15)
2433 खून-खराबी (मुखिया के चुनाव हिन्दू आउ मुसलमान में दंगा-फसाद के कारन हे बाकि इन्सानियत खून-खराबी रोके में कामयाब हो जाहे) (अमा॰17:6:1.31)
2434 खूब खोस (फूब॰ 1:3.14)
2435 खूबिआना (बाँट लऽ पहड़वा, झरना आउ नदिया, खूबिआयल दूभिया के मत बाँटऽ भइया ।) (अमा॰11:20:1.18)
2436 खूभिया (~ आउ पेड़ा) (नसध॰ 30:130.18)
2437 खूसट (~ बूढ़ा) (नसध॰ 1:4.4; 25:109.5)
2438 खेआल (= खेयाल, खयाल) (अमा॰25:22:1.17)
2439 खेत-खरिहान (बअछो॰ 4:20.20)
2440 खेत-पथार (गो॰ 1:6.26-27)
2441 खेत-पथार (अलगंठवा के माय के मरे के बाद ओकर घर के लछमी उपहे लगल हल । खेत-पथार जे सब अलगंठवा के इहाँ उ एरिया के लोगन इजारा रखलक हल, सब के सब अप्पन खेत छोड़ा लेलन हल । कुछ खेत जे हल भी ओकरा दूसर लोग बटइया जोतऽ हल । जे मन में आवऽ हल, बाँट-कूट के दे जा हल, ओकरे में अलगंठवा के परिवार गुजर-वसर करऽ हल ।) (अल॰12.35.10)
2442 खेत-बधार (अमा॰9:14:1.14; 166:9:2.6; बअछो॰ 11:51.7; कब॰ 55:19, 26; 56:27; 57:5; रम॰ 15:115.14; नसध॰ 26:114.30)
2443 खेत-बारी (मसक॰ 90:5, 6; नसध॰ 39:169.25)
2444 खेतमजूरनी (अमा॰5:8:1.24)
2445 खेती बाड़ी (बहरी आमदनी रुक जाय से खेती बाड़ी में दिक्कत होवे लगल) (अमा॰5:15:2.24)
2446 खेती-गिरस्ती (बअछो॰ 2:15.17)
2447 खेती-पथारी (मसक॰ 74:6; 98:13)
2448 खेती-बारी (बअछो॰ 17:74.1; नसध॰ 1:4.28; 33:143.2; 37:161.8; 41:182.21)
2449 खेप (नसध॰ 43:191.28)
2450 खेयाल (अआवि॰ 16:4)
2451 खेयाल (= खयाल) (भासा के खेयाल से ई नाटक में पटनिया मगही के रूप नजर आवऽ हे) (अमा॰18:5:2.8, 12)
2452 खेर (मसक॰ 6:15)
2453 खेल (पढ़े फारसी बेचे तेल, देखो रे किस्मत के खेल) (नसध॰ 37:156.13)
2454 खेलउना (अमा॰19:11:1.3)
2455 खेल-तमासा (नसध॰ 30:130.27)
2456 खेलनिहार (बअछो॰ 6:30.14)
2457 खेलाना (नसध॰ 1:4.27)
2458 खेलौना (= खिलौना) (अलगंठवा भीड़ भरल मेला देख के बड़ खुस हो रहल हल । .. रंग-विरंग के खेलौना देख के माय से खरीदे ला कह रहल हल ।) (अल॰6:16.1)
2459 खेलौनिया (अआवि॰ 83:14, 17; नसध॰ 1:4.27)
2460 खेवा (दुन्नो माउग मरद एक्के ~ गली में मिल गेलन) (अमा॰11:14:1.17)
2461 खेसरा (= खसरा; पटवारी की बही जिसमें गाँव के हर खेत का नंबर, रकबा, काश्तकार का नाम इत्यादि लिखे रहते हैं) (जनसेवक हरिचनर बाबू ऊ घड़ी अप्पन बही खाता के खाता नं॰, प्लौट नं॰, आउ खेसरा नं॰ के घुमावदार हिसाब में अझुरायल हलन) (अमा॰30:15:1.18)
2462 खेसाड़ी (गो॰ 1:8.29; 3:18.12, 31, 19.6)
2463 खेसाड़ी (तनी एनहीं से बधार में ~ देखइत चली ) (नसध॰ 10:45.22)
2464 खेसाड़ी (मड़ुआ के रोटी, खेसाड़ी के दाल, टूट गेल रोटी, पसर गेल दाल ।) (अल॰44:147.20)
2465 खेसाड़ी, खेंसाड़ी (नेवारी के पुंज  दू-दू, तीन-तीन गो, सामने खलिहान के ऊपरे ऊँचाई पर पुआल के गाँज अलग । ~ आउ मसुरी के गाँज पहाड़ नियन ।) (अमा॰168:8:2.2; 172:20:1.21)
2466 खेसाढ़ी (= खेसाड़ी) (जब पतौरी ढोवा गेलहल तऽ बटेसर नेहा-धो के खेसाढ़ी के साग आउ आलू के भात-भरता खा के कंधा पर येगो सूती के मोटगर चादर लेके वसन्तपुर जाय ला घर से निकले लगल) (अल॰9:29.21)
2467 खेसारी (बअछो॰ 5:24.12; नसध॰ 7:29.29)
2468 खेसारी (= खेसाड़ी) (नसध॰ 33:141.25)
2469 खेसारी (= खेसाड़ी) (मड़ुआ के मोटगर-मोटगर रोटी आउ खेसारी के दाल) (अल॰44:147.15)
2470 खैनी (एकरा अलावे हमहूँ गाँव देहात में घरे-घर जाके, खैनी-बीड़ी खिया-पिया के कथा कहउली आउ लिखली हे, जे पूरा नाम पता के साथ 'मगध की लोक-कथाएँ : अनुशीलन एवं संचयन' में छपल हे) (अमा॰25:5:1.24)
2471 खैनी (खदेरन खैनी आउ चुनौटी हरमेसे अपन धोती में खोसले रहऽ हल) (नसध॰ 14:60.17)
2472 खैनी-तमाकू (अआवि॰ 50:33)
2473 खैनी-बीड़ी (एकरा अलावे हमहूँ गाँव देहात में घरे-घर जाके, खैनी-बीड़ी खिया-पिया के कथा कहउली आउ लिखली हे, जे पूरा नाम पता के साथ 'मगध की लोक-कथाएँ : अनुशीलन एवं संचयन' में छपल हे) (अमा॰25:5:1.24)
2474 खैर (~ कह कि गाँव में सूरुज महतो नियन अदमी हलथुन न तो इन साल सावन के हैजा में केतना घर साफ हो जयतो हल) (नसध॰ 28:125.8)
2475 खैर (खैर, ऊ लोग राजपरिवार के महान लोग होवऽ हलथिन) (अमा॰27:4:1.15)
2476 खोंइछा (चुभसे॰ 1:6.11; रम॰ 7:58.23)
2477 खोंइछा, खोईछा (विदाई के वेला में खोंइछा में अच्छत आउर दरब देल जाहे । मुदा तूँ लोग बहिन सब के खोईछा पर गोली बरसा रहलऽ हे । ई सब कहाँ के सभिता आउर संस्कृति हे भइया ।) (अल॰40:124.25, 26)
2478 खोंखड़ (हाई स्कूल में पढ़े ला सुरू कइली, त फाउण्टेन पेन खरीदली । ऊ प्लास्टिक के बनल हल जेकर सरीर ~ रहऽ हल । ~ भाग में सियाही भरल जा हल ।) (अमा॰167:17:1.22)
2479 खोंखना (मसक॰ 117:21)
2480 खोंखना (खोंखइत-खोंखइत बेदम होना) (नसध॰ 9:40.29)
2481 खोंखना (नवादा शहर से लेके देहात तक ले हम्मर डण्डा के डर से कोई खोंखबो न करऽ हलई) (अमा॰20:10:1.26)
2482 खोंखी (मसक॰ 167:11)
2483 खोंखी-सरदी (मसक॰ 167:11)
2484 खोंटना (खोंटल) (गो॰ 1:8.7)
2485 खोंथा (अआवि॰ 60:18)
2486 खोंथा (हम समझऽ ही कि एक सप्ताह के अन्दरे मधुमक्खी के खोंथा उड़ जइतो ।) (अल॰25:76.20, 23; 36:115.21)
2487 खोंय-खोंय (नसध॰ 9:39.30)
2488 खोइंछा (अमा॰16:14:1.22)
2489 खोइया (बेचारी के नस-नस तो केतारी के डाँढ़ जइसन पेरा गेलइ हल, खाली खोइये तो बचलइ हे) (अमा॰173:16:1.8)
2490 खोखी (नसध॰ 9:39.31)
2491 खोज खबर (~ लेना) (नसध॰ 3:11.24; 29:129.19)
2492 खोजना (चार बरस से घर-बर खोजइत-खोजइत मर गेलियो) (नसध॰ 7:30.1)
2493 खोजाई (नसध॰ 31:136.14)
2494 खोट्टा (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
2495 खोट्टाई (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
2496 खोट्टाली (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
2497 खोड़रा (मसक॰ 115:8)
2498 खोढ़रा (गो॰ 4:21.14)
2499 खोता (नसध॰ 11:48.31; 26:116.14)
2500 खोता, खोंता (= खोंथा, घोंसला) (अमा॰25:23:2.10, 3.4; 26:8:1.25)
2501 खोता, खोंथा (नसध॰ 6:25.17)
2502 खोदा (= ख़ुदा) (फूब॰ 2:8.2; 4:14.1, 16.8)
2503 खोदाई (= खुदाई) (अमा॰173:5:2.6)
2504 खोदा-दादी अकिल (फूब॰ 6:22.10)
2505 खोनसाना (ढोंढ़ा पूछलक - 'मुन्ना कइसन हई ? ठीक होलई ?' खोनसाइत ढोंढ़ा बहु कहलक - 'कहाँ जाके सट गेलऽ हल ? ..') (अमा॰11:14:1.19)
2506 खोन्हा (रम॰ 15:118.2)
2507 खोपियागिरी (नसध॰ 1:6.9)
2508 खोरठा (गो॰ 1:10.6)
2509 खोरठा (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.12, 30)
2510 खोरठांचल (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
2511 खोरना (रम॰ 7:60.23)
2512 खोरना (तनि एकता के दीआ जरावऽ, नञ् केकरो खोरल चाहऽ ही) (अमा॰18:1:1.15)
2513 खोरना (रंथी के साथ कबीर पंथी दुखहरन दास भी अइलन हल । दुखहरन दास हाथ में बांस के फट्टा से लास के खोर-खोर के जरा रहलन हल आउ येगो निरगुन गा रहलन हल) (अल॰11.34.8)
2514 खोरनी (जइसे खाय-पीये, पेन्हे-ओढ़े ला दे हियो, अउसने में रह । जादे मुँह लगइमें त ई खोरनी से दाग देबउ ।) (अमा॰17:8:2.1)
2515 खोरहना, खोरह जाना (एसो एके तुरी अदमी आउ गोरु-डांगर के बेमारी फैल गेल हे । ईसरी महतो के सब बैल खोरह गेलन हे ।) (नसध॰ 34:146.27)
2516 खोरहल (~ बैल) (नसध॰ 34:148.4)
2517 खोरहा (बैल-गाय के ~ आउ बकरी-मुरगी के टुनकी) (नसध॰ 34:148.26)
2518 खोराक (गो॰ 4:22.20; 6:29.28; नसध॰ 3:13.4)
2519 खोरिस-पोरिस (अआवि॰ 48:33)
2520 खोवे से मन भारी होवऽ हे आउर रोवे से मन हल्लुक (गो॰ 1:1.18-19)
2521 खोस (= खुश) (फूब॰ 2:7.31)
2522 खोसामद-उसामद (फूब॰ 1:6.2)
2523 खोसामद-बरामद (अआवि॰ 30:20)
2524 खोसामदी (फूब॰ 1:3.12, 4.10)
2525 खोसी (= खुशी) (फूब॰ 3:12.8)

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