Saturday, October 17, 2009

4. आकारादि शब्द

594 आ (= और) (गो॰ 2:13.32)
595 आ (=और) (चुभसे॰ 1:1.22, 2.14, 3.5, 12, 13 इ॰; कब॰ 1:17)
596 आँउ-जाँउ (सुमितरी के लिखल-पढ़ल गारत कर रहलथिन हे बेटा । ओकर फारम भरे के नाम पर आँउ-जाँउ बकऽ हथिन । अनेकन तरह के बखेड़ा खड़ा कर रहलथिन हे ।) (अल॰20:65.21)
597 आँख (~ मड़राना; ~ खोल देना) (नसध॰ 2:8.2; 27:120.12)
598 आँख उठाके ताकबो न करना (कब॰ 50:7)
599 आँख फटल के फटल रह जाना (बअछो॰ 14:62.4)
600 आँख मलकना (मसक॰ 63:6)
601 आँख मिचौली खेलना (नसध॰ 48:208.18)
602 आँख में आँख (कब॰ 45:1)
603 आँख में कान (मसक॰ 57:2; रम॰ 13:103.25)
604 आँख में कान लगना (सब लोग के आंख में कान लग गेल कि कखनी सुगिया सूरुज चा के संदेस सुनावत) (नसध॰ 48:208.16)
605 आँख में गड़ना (मसक॰ 18:3)
606 आँख-कान (~ मून के चलना) (नसध॰ 9:37.23)
607 आँच (साँच के ~ का ?) (नसध॰ 14:61.4)
608 आँटा-चाउर (नसध॰ 21:84.11)
609 आँटी (अलगंठवा येगो नेवारी के आँटी के जौरी बाँट के कुत्ता के गोड़ में बाँध के खिचते-खिचते गाँव के बाहर पैन पर ले जा के रखलक, आउर घर से कुदाल ले जा के भर कमर जमीन खोद के ओकरे में कुत्ता के गाड़ देलक ।) (अल॰2:5.22)
610 आँटी (धनमा के काट के परुइया लगैबई । बाल-बच्चे मिल-जुल के आँटी अँटिऐबई ॥) (अमा॰30:11:1.12)
611 आँठी (आम के ~) (अमा॰163:13:1.25, 27, 2.1, 2)
612 आँय (= आयँ) (आँय माय ! आजकल तूँ आउ बाबूजी एतना परेशान काहे रहऽ हें ?) (अमा॰23:17:2.7)
613 आँय (सुमितरी के माय के रोग के बात सुनके चेहाइत अलगंठवा के माय पूछलक - आँय, उनखा कउन बीमारी होलइ हे । देखे में तऽ तनदुरूस्त हलथुन ?) (अल॰6:17.6, 22)
614 आंधर (= अन्धा) (अमा॰165:22:1.33)
615 आईं-बाईं चकहाईं (देवे में ~ करऽ हलइन) (नसध॰ 6:23.26)
616 आई-माई (चुभसे॰ 4:16.5)
617 आउ (अआवि॰ 1:10; बअछो॰ आमुख:4.18, 19; 1:12.23; मसक॰ 11:19; नसध॰ 3:11.20)
618 आउर (फिन उ लोगन से खिस्सा-कहानी आउर गीत सुने आउर सिखे में विदुर अलगंठवा ।) (अल॰1:2.14)
619 आउर, आऊर (बअछो॰ आमुख:6.5, 20)
620 आएं-बाएं (फूब॰ 4:14.13)
621 आखिर (फूब॰ 2:8.27)
622 आखिर (जमीदार के दमाद आउ खेत में बनियार के साथे चउकी देवे ? हे तो आखिर कोइरीये नऽ ?) (नसध॰ 37:158.10; 48:208.16)
623 आखिरकार (अमा॰11:13:2.2)
624 आग (~ बबूला होना) (नसध॰ 14:63.10)
625 आगर (आगरो) (नसध॰ 6:25.20)
626 आगरही (=आग्रही) (नसध॰ 38:162.20)
627 आगरो (सचमुच में कुत्ता आगरो जानऽ हथ न ? सूँघ के चोर तो पकड़िये ले हथ, होवे ओली घटना के भी कान फड़का के आउ दुम हिला के अगाह कर दे हथ) (अमा॰11:7:1.16)
628 आगु (= आगे) (नसध॰ 19:77.6, 7)
629 आगु, आगू (गो॰ 2:15.19, 21, 28; 3:18.30)
630 आगू (फूब॰ 8:27.4; कब॰ 1:25; मसक॰ 33:14; 39:7; 72:13)
631 आगू (= आगे) (सुमितरी घी में बनल परौठा आलू के भुंजिआ आउर आम के अँचार सबके आगू में परोस देलक हल ।) (अल॰31:98.25)
632 आगू (घर के ~ एगो बड़का गबड़ा हल; देवी स्थान के ~ एगो चबूतरा बनावल जाएत) (अमा॰13:9:2.3; 173:6:1.19)
633 आगू-आगू (गो॰ 6:29.4)
634 आगू-पिछू (फूब॰ 4:16.19)
635 आगू-पीछू (~ लगल होना; ~ होल बुलना) (अमा॰16:15:1.28; 173:13:1.20)
636 आग्रह (~ करना) (नसध॰ 35:151.6)
637 आचारज (= आचार्य) (अमा॰30:7:2.22)
638 आज के परिवेश में अपने के लिखल एकांकी 'दरोगा डण्डा सिंह' खूब पसन्द करल जाइत हे । बाकि 'रोवित',  'आवित' शब्द जे छपल हे से ठीक न बुझाय । ऊ 'रोवइत', 'आवइत' होवे के चाहऽ हल ।) (अमा॰24:19:2.6)
639 आजिज (लऽ ! धरऽ अप्पन लइका के ! हम तो ~ हो गेली एकरा से ।) (अमा॰10:11:2.18, 19; 166:14:2.12)
640 आजीज (सब बुतरुन कपड़ा पेन्हयते-पेन्हयते आजीज-आजीज हो गेलन, तब कहीं जाके सफल होलन) (अमा॰173:18:1.29)
641 आजो (बअछो॰ 15:66.17)
642 आजो (= आज भी) (बअछो॰ 4:23.1, 7)
643 आज्झ (= आज) (चेलहवा मछली देख के सुमितरी के माय पूछलक हल - आज्झ कने जतरा बनलो कि मछली ले अइलऽ ।) (अल॰5:13.29; 6:16:10)
644 आज्झ, आझ (गो॰ 1:10.32, 11.6; 3:16.3)
645 आझ (फूब॰ 4:13.25, 14.32; कब॰ 1:30)
646 आझ (= आज) (आझो, आझे) (अमा॰166:7:1.31, 2.3; 174:5:2.16)
647 आझकल (अमा॰164:6:2.23; मसक॰ 97:1)
648 आझकल, आझ काल (फूब॰ 3:9.10; 4:14.6)
649 आझ-कल्ह (आझ-कल्ह तो सब लोग पइसा आउ पैरवी पर बतिअएबे करऽ हे । पइसा फेंकऽ, तमासा देखऽ ।) (अमा॰29:12:1.23)
650 आझो (नसध॰ 5:22.24)
651 आटा (~भुँजना, ~पिसाना) (नसध॰ 29:129.32; 32:138.6)
652 आठ (नसध॰ 31:135.1)
653 आड़ (केवाड़ी के ~ में खड़ा होके सुने लगल) (नसध॰ 7:30.4)
654 आढ़त (चार ~ पानी) (नसध॰ 6:23.14)
655 आत्मबल (नसध॰ 36:153.20)
656 आत्मा (नसध॰ 36:153.22)
657 आदत (नसध॰ 6:24.13)
658 आदर (नसध॰ 38:161.18)
659 आदर्श (~ कायम करना) (नसध॰ 35:151.3)
660 आदर्सवादी (नसध॰ 28:124.24)
661 आदि (लैला-मजनू , सोहनी-मेहीवाल, सीरीं-फरहाद, हीर-राँझा ~ के आदर्श प्रेम) (नसध॰ 35:151.4)
662 आध (~ पाव) (नसध॰ 3:9.4)
663 आधा (नसध॰ 37:157.26; 39:163.32)
664 आधारित (नसध॰ 35:150.32)
665 आन (फहरऽ हई धजवा हम्मर बड़ी शान से, तनल हई छतिया हम्मर एकर आन से।; अइसे तो समाज में ई धारणा हे कि ठाकुर लोग अप्पन आन, बान आउ शान के चलते जउन काम भी करतन, ओकरा खराब न कहल जायत) (अमा॰26:1:2.2; 173:7:2.21)
666 आन बघारना (गो॰ 7:33.26)
667 आन-जान (= आना-जाना) (मसक॰ 93:29)
668 आनना (= आना) (अगवन तो कहलऽ कि देवास में चलइत ही आउ इहाँ आन के पुलिस बोलावे लगलऽ ?; लेले आन के) (नसध॰ 11:50.19; 27:118.29)
669 आनाकानी (मकस॰ 57:28)
670 आनाकानी (रुपइया देवे में ~ करना) (अमा॰2:15:2.2; 173:6:1.20)
671 आन्ध-बान्ध (गो॰ 1:6.26)
672 आन्हर (कब॰ 3:18; नसध॰ 4:15.32; 38:161.17; 45:200.11, 14)
673 आन्हर (= अन्धा) (दिमाग आउ आँख से आन्हर) (अमा॰24:12:2.25; 25:23:2.24)
674 आन्हर (अन्हरा के) (मसक॰ 10:26; 118:14; 175:23)
675 आन्हर (सांप-बिच्छा नजर-गुजर झारे के अलावे जिन्दा सांप पकड़े के मंतर इयानी गुन से आन्हर अलगंठवा के बाबू ।) (अल॰1:1.17)
676 आन्ही (अमा॰1:9:2.5; कब॰ 11:14)
677 आन्ही (भाव के ~) (नसध॰ 34:148.14)
678 आन्ही-पानी (अमा॰1:9:2.9)
679 आन्ही-बेयार (नसध॰ 15:68.14)
680 आपत्ति (खाली बिगड़ल हिज्जे के सुधार कर देवे के जरूरत हे । अइसहीं अंगरेज लोग केतना शहर के हिज्जे बिगाड़ले हलन, जिनका सुधारल गेल हे । आरा, मुंगेर, हजारीबाग के नाम के सुधार पहिले भी करल गेल हे, जेकरा में किनको आपत्ति न भेल । ... अइसे देखल जाय तब 'पाटलीपुत्र' नाम पर किनको आपत्ति न हे । ) (अमा॰22:4:1.18, 22, 30)
681 आपस (~ में बिआह कर लेना) (नसध॰ 37:159.23)
682 आपा-आपी (केकर भइंस जादे दूध करऽ हे ई खातिर ~ में दुन्नू भइंस के खूब खिलावऽ हलन) (अमा॰16:13:1.5)
683 आपाधापी (अमा॰14:14:2.9; 17:18:2.4; फूब॰ 5:19.9; मसक॰ 73:2; 92:5)
684 आपा-धापी (वसन्तपुर हाई इस्कूल के चारो ओर कुहराम मचल हल । लइका-लइकी आपा-धापी करइत भाग रहलन हल । गँउआ-गुदाल हो रहल हल कि नक्सलाइट लोग हेडमास्टर के पकड़ के गोला-लाट्ठी देले हइ ।) (अल॰23:71.21)
685 आफिस (अमा॰12:14:1.20; 18:10:1.1; नसध॰ 28:123.6; 36:153.1, 2)
686 आबुन-बाबुन (गो॰ 3:19.1)
687 आम (चइत के भोरहरिया महुआ टपके, आम के टिकोरा बइसाख) (नसध॰ 26:116.6)
688 आम के खोड़हर में से आना (मसक॰ 102:9)
689 आम-नेमु-कटहर (अलगंठवा के चचा जी आम-नेमु-कटहर के अचार बोजे के आउ रंग-विरंग चिड़िया इयानी मैना-तोता, हारिल-कबूतर आउ किसिम-किसिम के पंछी पाले के बड़ सौखिन हलन ।) (अल॰12.37.6)
690 आमरण (~ अनसन पर बइठना) (नसध॰ 36:154.13)
691 आमरन (~ अनसन) (नसध॰ 48:207.14)
692 आयँ (अमा॰9:10:2.1)
693 आर (आर तर छप-छप चले कुदार) (अमा॰169:1:1.5)
694 आरजु-मीनत (फूब॰ 4:16.11)
695 आरजू-मिन्नत (बअछो॰ 7:32.13)
696 आरजू-मिन्नत (बिआह के सुभ लगन टल रहल हल । ऊ घड़ी आरजू-मिन्नत आउ बहस करे के कउनो गुंजाइस न हल ।) (अमा॰28:5:1.7-8)
697 आरती (नसध॰ 6:28.6)
698 आरथिक (= आर्थिक) (~ हालत सुधारना) (अमा॰15:12:1.28; 17:5:1.18, 25)
699 आरी (अमा॰7:15:1.4; गो॰ 1:8.25; 3:16.17; कब॰ 4:15; 30:5; मसक॰ 113:22)
700 आरी (खेत के ~) (नसध॰ 3:11.10; 10:45.23; 37:158.4; 39:173.7; 40:175.28; 41:181.22; 42:185.23)
701 आरी (खेत में काम के समय बाबूजी अरियो पर बइठ के योगेन्द्र के हिम्मत देल करऽ हलन) (अमा॰166:16:1.10)
702 आरी (दिलदार राम, फनु मियाँ आउर अलगंठवा आरी-पगारी पर धीरे-धीरे सहम-सहम के चल रहल हल । फिन भी अलगंठवा आरी से पिछुल ही गेल हल । अंधार-धंधार में कुछ सूझ ही न रहल हल ।) (अल॰42:131.11)
703 आरी-पगारी (बअछो॰ 18:76.2; कब॰ 30:1; रम॰ 10:74.6)
704 आरी-पगारी (दिलदार राम के अल्हा के तान सुनके आरी-पगारी पर घसगढ़ा आउ घसगढ़नी जे घास गढ़ते हलन सबके धेयान दिलदार राम आउर रमेसर देने चल गेल हल ।) (अल॰33:106.10; 42:131.14)
705 आरीये-आरी (नसध॰ 6:27.32)
706 आरे ... बारे (अआवि॰ 59:15; 83:6)
707 आल अगहन फूलल गाल, गेल अगहन सटकल गाल (गो॰ 3:17.23-24)
708 आलथी-पालथी (~ मारना) (अलगंठवा आलथी-पालथी मार के बिछल बोड़ा पर हाथ-मुँह धोके खाय ला बैठ गेल हल ।) (अल॰42:132.28)
709 आलसी (नसध॰ 3:12.18)
710 आला (~ से दिल के धड़कन देखना) (नसध॰ 28:123.13)
711 आलू (नसध॰ 26:114.21; 36:155.21)
712 आलू (नालन्दा के धरती ला आलू के खेती के वर्णन जरूरी हे, काहे कि आलू हियाँ के जनजीवन से जुड़ल हे) (अमा॰22:11:2.25, 26, 27)
713 आलू-गोभी (नसध॰ 27:119.20)
714 आलूदम (ओकर नाक में मिठाई के मिठास आउ आलूदम के सुगन्ध जाय से जी भर गेल) (अमा॰28:17:1.6)
715 आलूदम (जल्दी-जल्दी ईंटा के दू अछिया चुल्हा बनइते जा । ओकरे पर आलूदम आउर चाउर चढ़ा दऽ ।) (अल॰43:138.6, 7)
716 आव (आव देखना न ताव) (सुगिया का जवाब देत हल, चुप्पी साधले रहल । चन्दर आव देखलक न ताव, तड़ातड़ दू थप्पड़ सुगिया के गाल पर जड़ देलक ।) (अमा॰29:14:1.20)
717 आव-भगत (अआवि॰ 63:9)
718 आवल (नसध॰ 10:44.8)
719 आवल (बरमा जी अपन विषय पऽ ~ चाहलन; ई अर्थ में बिहारशरीफ के मगही में "आवे ल" के प्रयोग) (नसध॰ 8:31.7)
720 आवल-गेल (जाड़ा के दिन में गुड़ के भेली सोंप-जीरा आउर न जानी कउन-कउन मसाला मिला के चचा जी कोलसार में भेली बना के घर के कंटर में रख दे हलन । आवल-गेल आउ टोला-टाटी के भी खिलाबऽ हलथिन । मुदा आज्झ कोठी-कोहा-कंटर खाली भमाह रह गेल ।) (अल॰12.36.26, 37.10, 12)
721 आवा (नसध॰ 6:26.31)
722 आवा (कुम्हार के ~) (अमा॰12:7:2.19)
723 आवा (लाल टुह टुह सुरज, लगे कुम्हार के आवा से पक के घइला निअर देखाई देलक, लगे जइसे कोय पनिहारिन माथा पर अमनिया घइला लेके पनघट पर सले-सले जा रहल हे ।) (अल॰3:6.3; 6:18.11)
724 आवे-जाय (~ में दिक्कत) (अमा॰4:16:2.14)
725 आसा (नसध॰ 9:37.13)
726 आसिन (अमा॰30:13:1.10; 167:14:2.11; अआवि॰ 68:20; बअछो॰ 3:18.21; मसक॰ 13:1; नसध॰ 9:36.19)
727 आसेर (= आधा सेर) (कउवा के पाँख ~ ले आव) (नसध॰ 19:76.15)
728 आहर (अमा॰168:8:2.21)

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