1084 ऋचा (ऊ घर के संचलन के पूर्ण क्षमता प्राप्त करके ही बियाह कर सकऽ हल । जेकरा में प्रतिभा हल ऊ वैदिका ऋचा तक के निर्माण कर सकऽ हल, विद्वत् सभा में भाग ले सकऽ हल, ग्रन्थ के प्रणयन तक कर सकऽ हल) (अमा॰29:7:1.18) 1085 ऋषि (अमा॰163:7:1.1, 32, 2.21)
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