Sunday, October 18, 2009

19. छकारादि शब्द

3718 छँउड़ी, छौंड़ी (गो॰ 7:33.23, 24)
3719 छँहिरा, छँहुरा (मसक॰ 115:8)
3720 छँहुँरी (~ के छतरी बिछावऽ हो रामा) (अमा॰22:10:1.22)
3721 छइंटी (बैला मुँह ताकइत हउ । जाके दू ~ भूँसा दे देहीं ।) (अमा॰173:21:2.19)
3722 छइते (नन्हकू येक घंटा रात छइते ही सुमितरी के लेके घर से बहरा गेल हल । काहे कि गरमी के दिन हल । ) (अल॰3:5.29; 6:14.18)
3723 छइते, अछते, अछइत, अछइते (रम॰ 13:99.24; 17:131.19; 19:141.22)
3724 छउँड़ा-छउँड़ी (अमा॰8:8:1.4)
3725 छउँड़ी (मसक॰ 101:8; 102:3)
3726 छउड़ा (अमा॰5:19:1.7)
3727 छउर (मसक॰ 95:18)
3728 छक-छक (गाड़ी ~ करइत पटना टीसन पहुँच गेल) (अमा॰16:14:1.18)
3729 छकरित (= चकित, बिहारशरीफ के मगही में 'छपित') (ऊ घड़ी सउँसे बिहार, बंगाल आउ उड़ीसा में एक्के गो कलकत्ता विश्वविद्यालय हलइ, से उहाँ के बंगाली सब इनका देख के ~ हलन) (अमा॰169:17:2.2)
3730 छगुनना (छगुनते) (मसक॰ 78:21)
3731 छछकाल (= अधिकता या पर्याप्त होने का भाव; हतकाल का उलटा) (पनिआ भेल छछकाल, धान के रोपा शोभे कादो में । खेतवा पिया अँगनवा गोरिया भींगे महिनवाँ भादो में ।) (अमा॰22:17:2.15)
3732 छछनना (मसक॰ 171:8)
3733 छछनना (छछन-छछन के मरना; भूखल-छछनइत आउ पित-पिताल हालत) (अमा॰2:8:2.21; 5:11:2.30; 22:13:2.13)
3734 छछनना (परान छछने लगल) (नसध॰ 5:22.7)
3735 छछनाहु (घनस्याम बिना घन जे घहरे घन पसरे घन ~ रहे हे) (अमा॰3:17:1.8)
3736 छछनित (गोड़ भी जूता-चप्पल ला ~) (मसक॰ 151:7)
3737 छछन्दर के बच्चा (फूब॰ 4:15.32)
3738 छछात ('अदीप' के कहानी में जथारथ घटल घटना के छछात बोध होवऽ हे) (अमा॰17:7:1.2)
3739 छटपटायल (नसध॰ 9:41.18)
3740 छटर-पटर (नसध॰ 6:26.27)
3741 छट्ठी-छिल्ला (अआवि॰ 80:7)
3742 छठ (अमा॰169:20:1.1; अआवि॰ 69:5)
3743 छठी (जिनगी में जेतना संस्कार होहे जेकरा में जनम, छठी, मुड़ना, जनेऊ, बियाह, मरन, सराध आउ परब-तेवहार, पूजा-पाठ सब समय के रीत-रेवाज के बारे में लिखल हो) (अमा॰1:8:2.24)
3744 छठी के दूध ऊपर करना (गो॰ 6:32.15)
3745 छत (नसध॰ 35:151.18)
3746 छत्तरछाया (गो॰ 5:26.4)
3747 छन (गो॰ 1:2.10)
3748 छन (= क्षण) (अमा॰13:16:2.17; चुभसे॰ 3:7.27)
3749 छनकना (मसक॰ 53:25)
3750 छनछनाना (नसध॰ 32:140.4)
3751 छनभंगुर (= क्षणभंगुर) (अगर कहूँ गिर जाय छूट के, बिखर जाय सब अंग टूट के । छनभंगुर एकर जीवन पर रहम करऽ कुछ तो विचार के ॥ मत छेड़ऽ सुकवार तार के ॥) (अमा॰23:11:1.16)
3752 छनमातर (गो॰ 10:45.22)
3753 छप (~ से उड़ जाना) (नसध॰ 1:5.12)
3754 छपछपाना (नसध॰ 6:27.21)
3755 छपछपाहट (नसध॰ 8:34.19)
3756 छपनय (= छपाई) (ओकरा समझ में नञ आ रहल हल कि हिन्दी आउ उर्दू के ~ में आखिर की अंतर हे ?) (अमा॰16:15:2.17)
3757 छपल (फूब॰ मुखबंध:1.25)
3758 छपाक (~ से दुन्नो भाई के गरदन भूमि पर गिर गेल) (अमा॰173:11:2.31)
3759 छपाक-सन (इतने में पानी में छपाक-सन के अवाज होल । जेकर अवाज सुन के रमेसर कहलक हल -"अरे बाप, भूतवा छपाक-सन कइलको, चलऽ हटऽ इहाँ से । इहाँ दिन-दहाड़े भूत कूदते रहऽ हइ ।") (अल॰21:67.1, 2)
3760 छपाय-बँधाय (किताब के जिल्द, पन्ना, छपाय-बँधाय सब्भे सुन्दर हे) (अमा॰23:10:2.18)
3761 छप् (~ से कटा जाना) (नसध॰ 32:138.24)
3762 छप्-छप् (नसध॰ 6:27.26; नसध॰ 26:113.16)
3763 छप्पड़-छानी (छप्पड़-छानी कोंहड़ा-भतुआ खूब अगरौलक, नेनुआ झींगी लटकल बोरा गीत गौलक) (अमा॰3:18:2.11)
3764 छप्पर (नसध॰ 16:70.25, 26)
3765 छप्पर-छानी (कोना-सान्ही में रह-रह के जे मुरझाएल हल, घर से निकस के जे छप्पर-छानी पर बइठ के छेरियाएल हल) (अमा॰21:9:1.9)
3766 छमा (= क्षमा) (अमा॰165:15:2.8)
3767 छरदीवारी (कब॰ 59:9)
3768 छरदेवारी (अआवि॰ 59:32)
3769 छरदेवाली (= चहारदिवारी) (नसध॰ 44:193.22-23)
3770 छरदेवाली (ओकरा में चारो बगल से छरदेवाली दे करके दूमहला मकान बना लेलक हे) (अमा॰6:15:2.3)
3771 छरनाती (फूब॰ 1:6.21)
3772 छरपट (मार छेकुनी के ~ छोड़ा देना) (नसध॰ 1:3.15)
3773 छरपना, छरपल चलना (नसध॰ 23:92.26, 96.22; 26:114.30; 41:180.12)
3774 छरपल (नसध॰ 41:181.15)
3775 छरबिन्हा (अमा॰170:6:2.11)
3776 छरविन्दा (= छरबिन्हा) (फिन सब मिलके दोख उतारे के मन्तर पढ़ के झारे लगलन -"बिच्छुक नन्दा, बिच्छुक नन्दा, हाय छरविन्दा हाय-हाय । बाप तोर गाड़ मरावउ, माय तोर हरनी, हाय-हाय करनी । सुखल काठ नोक पर धावा, दोख-विख नेह पर उतारूँ, सत् गुरु के बन्दे पाँव ।") (अल॰26:79.17)
3777 छरहर (गया जिला के बेलागंज के पगडंडी पर नियमित रूप से रोज सबेरे छव बजे एगो दुबर-पातर छरहर अदमी के अपने घूमइत देख सकऽ ही एगो साधारण कुर्ता-धोती में) (अमा॰25:9:1.2)
3778 छरियाना (अआवि॰ 82:28)
3779 छल्ली (धान के बोरा के ~) (मसक॰ 52:1, 7)
3780 छव (~ इंच) (नसध॰ 30:133.22)
3781 छव-पाँच (~ करना)  (गाँव के लोग उनका चन्दा देवे में ~ करे लगलन) (अमा॰173:5:2.16)
3782 छव-पाँच (रग्घू ई ~ में परल सोचइत कसबा के नौकरी पर चलल जाइत हल) (नसध॰ 32:138.15; 45:199.26)
3783 छवाना (अआवि॰ 82:18)
3784 छवाना (सादा के चद्दर से अब गोड़ न झँपाइत हे, हाथ के कमाई से अब छप्पर न छवाइत हे ।) (अमा॰14:12:1.8)
3785 छहरी (गो॰ 3:16.18)
3786 छहुँरा (अमा॰166:5:2.3; 171:17:1.32)
3787 छहुरा (= छाया) (नाना, तनी छहुरवा में सुस्ता ल, बड़ी गरमी लग रहल हे आउ गोड़ भी जर रहल हे ।) (अल॰3:7.18; 29:88.19)
3788 छहुरी (~ खाना) (रहगीर बइठ के ~ खा हलन) (नसध॰ 13:57.25; 24:100.22; 37:156.27; 39:171.2, 6)
3789 छाँक (गो॰ 3:18.31)
3790 छाँटल (~ चाउर) (अमा॰166:5:1.21)
3791 छाँपी (कब॰ 30:2, 4)
3792 छाँहुर (बादर के ~) (अमा॰169:1:1.8)
3793 छाक (अलगंठवा एके छाक में लोटा के पानी सिड़ोक गेल हल ।) (अल॰42:134.16)
3794 छाछात (= साक्षात्) (नसध॰ 21:83.19)
3795 छाटल (~ छिनार) (नसध॰ 14:63.17)
3796 छाड़न (गो॰ 4:20.33)
3797 छाती (नसध॰ 28:125.1)
3798 छाती फाड़ के कमाना (गो॰ 3:17.3)
3799 छान-पगहा (रम॰ 13:107.22)
3800 छान-पगहा (दुन्नो भाई थाना में केस करे लागि लगलन ~ तुड़ावे) (अमा॰173:5:2.23)
3801 छान-बान्ह (आगे चलके जब मागधी व्याकरण के छान-बान्ह में पड़ गेल, तब लोक-भाषा के रूप में चलनसार बोली पालि कहाय लगल आउ ई मागधी से दिगर भाषा गिनाय लगल, बाकि मूल दुन्नो के एक्के हे) (अमा॰23:10:1.7)
3802 छानबीन (नसध॰ 47:205.27)
3803 छाना, छा जाना (मसान नियन सांति छा जाना) (नसध॰ 36:153.24)
3804 छानी (ओकर छानी पर कउआ उचर रहल हल; छप्पर टूटल छानी टूटल, गिरऽ हे धसान । एजी सुनऽ, बढ़िया एगो बनवऽ तूँ मकान ।।) (अमा॰8:6:1.9; 172:20:1.3)
3805 छानी (छनिया एक देखली सिउजी, ओहो तितलउका) (अमा॰1:14:1.32)
3806 छानी-छप्पड़ (अमा॰11:20:1.21)
3807 छार (अमा॰3:5:1.24)
3808 छारना-छूरना (एक दू दिन अलगंठवा इहें रहता, खाना भी इहें खइता । तलक ओने इनकर कोठरी छार-छूर देल जइतइ ।) (अल॰44:153.21)
3809 छाली (~ भरल दही) (अलगंठवा चार बजे भोर के ही पढ़े ला रोज उठ जा हल । फिन फरिच्छ होवे पर नेहा-धो के छाली भरल दही आउर रोटी खाके इस्कूल चल जा हल ।) (अल॰4:8.34)
3810 छाल्ही (= छाली, गर्म दूध के ठंढा होने पर ऊपर जमी मलाई की परत) (सीधा सादा लोग मरइत हे, चुगला छाल्ही काट रहल हे) (अमा॰19:15:2.10)
3811 छाव (पेट के ~ देखाना) (नसध॰ 12:55.10)
3812 छावल (फूस से ~ माटी के घर) (नसध॰ 41:179.21)
3813 छावा-छित्त (गो॰ 1:1.10)
3814 छाह (जहाँ पुरान पीपर के झमेठगर एगो विसाल पेड़ देउता आउर अमदी के छाह देहे, राहत देहे ।) (अल॰42:130.23)
3815 छिआ-छिआ के गाली (रम॰ 15:115.3)
3816 छिछनल (ई पाँड़े दुआरी-दुआरी छिछनल चलऽ हे आउर इहाँ जात-पात धरम-करम बखाने अइलन हे ।) (अल॰43:142.9)
3817 छिछा-लेदर (?) (हलूमान मंदिल में संझौती भी न परऽ हे । येगो कुम्हार पंडित पूजा-पाठ करऽ हलन तऽ कुम्हार जाति होवे के कारन ओकरा छिछा-लेदर करके येगो पांड़े गरदनिया देके निकाल देलक ।) (अल॰43:140.17)
3818 छिछिआना (छिछिआएल चलना) (अमा॰163:15:2.15)
3819 छिछियाना, छिछिअइते चलना (गांजा पिये ला एने ओने छिछिअइते चलऽ हका । मुदा आज्झ तक अप्पन ओर से कभी भी एको चिलिम गांजा पीलावे के रोजी न भेलइ ।) (अल॰8:25.5)
3820 छिटना (नसध॰ 5:16.10)
3821 छितराना (एने-ओने छितरायल हल) (नसध॰ 6:23.19; 7:28.27)
3822 छिनना (कम खेत ओलन से खेती कइसे छिनबही ?) (नसध॰ 33:144.11)
3823 छिनरपत (रम॰ 18:136.14)
3824 छिनरपत (सरधालू भगत लोग खूब ठगा हथ । चोरी-चमारी आउर छिनरपत भी कम न होबऽ हे ।) (अल॰31:95.26)
3825 छिनराही (अमा॰166:14:2.8)
3826 छिनरी (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.23)
3827 छिनरो (तोरा इहे लोकलो हल छिनरो ? अब तू बिअहला बिना बिगड़इत हऽ । अच्छा, करा दे हिवऽ ।) (नसध॰ 45:198.10)
3828 छिनार (नानी तऽ छाटल ~ हे) (नसध॰ 14:63.17, 19)
3829 छिनारी (अमा॰1:13:1.3)
3830 छिपना (छिपल बात उकटाना) (नसध॰ 5:19.30)
3831 छिपनी (गो॰ 1:8.5)
3832 छिपनी (बेला दूगो ~ में हलुआ रखके सुक्खू आउ खदेरन के सामने रख देलक) (नसध॰ 29:130.1)
3833 छिपल (नसध॰ 6:24.7)
3834 छिपले-छिपले (फूब॰ 4:16.15)
3835 छिपाना (छिपौले रहना) (नसध॰ 38:163.19)
3836 छिपाना, छिपावल जाना (जेकरा छिपावल जाय ऊ न छीपे आउ जेकरा लुकावल जाय ऊ परघट हो जाय) (नसध॰ 38:161.15)
3837 छिया-छिया (~ के गारी देना/ पारना) (उ लोग आपस में भुनुर-भुनुर बतिया रहल हल । बस फिन का हल, नाराइन भगत परझो मार-मार के गरियावे लगल, छिया-छिया के घिनौना गारी पारइत कहे लगल कि इ जगह डायन आवल हो ।) (अल॰18:57.31; 24:74.19)
3838 छिल छिल के (~ गारी देना) (नसध॰ 8:31.25)
3839 छिलकोइया (केकरो तन पर बस्तर नञ, घरवालियो के फट्टल साड़ी पर अस्तर नञ, मुदा ताड़ के छिलकोइयो से बत्तर जिनगी) (अमा॰173:16:1.15)
3840 छिलन-पझोर (रम॰ 4:39.15)
3841 छिलबिलाना (पेड़ पर बगुला के झुंड आन आन के बइठे लगलन । ओकर बीट से रग्घू के कपड़ा छिलबिला गेल ।) (नसध॰ 40:178.25)
3842 छीन-छोर (~ करना) (मकस॰ 62:13)
3843 छीपा (ऊ घड़ी ~ में साज-धाज के भात, तीना, पुरी-कचौड़ी नऽ लावें) (नसध॰ 23:93.22; 32:140.30)
3844 छीपा (छिपवा खंघारऽ ही) (अमा॰7:6:2.22)
3845 छीलन-पछोर (एक मन देलिअइ झल-झल धनवा, तइयो में ~) (अमा॰5:11:2.11)
3846 छीलाना (एगो स्थानीय मेला लगऽ हे जेकर नाम हे कोचामहादे इया कोचामठ के मेला .....औरत-मरद से तो मारे देह छीला हे ।) (अमा॰22:13:2.24)
3847 छुअन (गो॰ 6:28.14)
3848 छुच्छे (छुच्छे-सुक्खल रोटी) (अमा॰30:7:2.19, 9:1.31; 165:8:1.11)
3849 छुछुआना (खाली मिसिर-बरमा एने-ओने छुछुआइत चलऽ हलन) (नसध॰ 9:43.12; 24:98.1; 37:157.6)
3850 छुछून्दर (ओकर हाल साँप नियन हो गेल हल जे ~ के मुँह में रखले हे आउ डरे नऽ निगलते हे नऽ उगिलते हे) (नसध॰ 25:109.8)
3851 छुटकारा (नसध॰ 38:162.16)
3852 छुटहा (रम॰ 10:81.10)
3853 छुट्टा (~ चरे ला छोड़ देना, ~ साँढ़) (अमा॰2:8:2.15; 16:11:2.19)
3854 छुट्टा मजूर (बअछो॰ 8:37.5; 10:50.12; 11:51.6)
3855 छुट्टिये-छुट्टी (सिंचाई विभाग के नोकरी में तो अराम आउ ~ रहऽ हे) (अमा॰173:19:1.15)
3856 छुट्टी (नसध॰ 8:31.19; 37:158.21; 38:163.6)
3857 छुतका (अमा॰7:15:2.2, 13, 15, 16:4)
3858 छुद्दुर (गो॰ 4:21.21)
3859 छुरछुरी (आज सोहराय के दिन हे । लड़कन सब सबेरगरहीं से छुरछुरी, पटाका छोड़ रहलन हे ।) (अमा॰13:7:1.2)
3860 छुलच्छन (गो॰ 1:2.6)
3861 छुहाड़ा (= छोहाड़ा) (फिन का हल, अलगंठवा डगर में आके, एगो पेड़ पर चढ़ के थोड़ा गड़ी, छुहाड़ा थोड़ा किसमिस आउर एकक गो केला-नारंगी, अमरुद लेके खाय लगल ।) (अल॰4:11.16)
3862 छूँछ (गो॰ 1:4.1)
3863 छूछ (~ पड़ना) (नसध॰ 32:139.29)
3864 छूछ (छूछ के पूछ करताहर भला के हे ?) (मकस॰ 39:17)
3865 छूछी (नानी एक दिन सोनरवा से छेदा के एगो नाक में छूछी पेन्हा देलक हे ।) (अल॰13.39.22, 23)
3866 छूछुन्दरई (कहावऽ हे मुखिया के बेटा, पढ़ऽ हे कौलेज में आउ करत ~ ?) (नसध॰ 14:62.9)
3867 छूछुर-बुधि (रम॰ 10:76.1)
3868 छूछे (छूछे गंवार गांव के रहे वाला अलगंठवा पटना आउर पटना कौलेज के चहल-पहल देख के चौंधिया गेल हल ।) (अल॰11.32.29)
3869 छूछे-रूखे (रोज-रोज अलगंठवा के दूरा-दलान पर आवल-गेल पहिले के ही तरह ही खइते-पीते रहऽ हल । चाहे अलगंठवा के परिवार अपने छूछे-रूखे, अधपेटे खा के काहे न रह जाय ।) (अल॰12.37.11)
3870 छूतिहर (~ जात) (नसध॰ 9:40.13)
3871 छूतिहरपन (नसध॰ 9:40.14)
3872 छेंका (मसक॰ 152:19)
3873 छेंका (गाय हम छेंका में देइत ही; कहऽ हलथिन - 'जानऽ हऽ, पानी पीयल जाहे छान के, लड़की देल जाहे जान के ।' एही से पापा छेंका करके भी साल-साल भर छोड़ दे हलथिन । अगर मालूम हो गेल कि लड़का सिगरेट, पान, तम्बाकू, शराब इया एकरा में से कोई भी एगो लत से ग्रसित हे, त शादी न करऽ हलथिन ।) (अमा॰13:6:1.12; 173:10:1.6)
3874 छेंका (तनि बुन्द छेंका रइनी अउरो भयावन रामा, हरि-हरि बेंगवा के केंका ठनके नगिनियाँ रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.3)
3875 छेंकाना (बाँस बल्ला से सड़क भी छेंकायल हल) (अमा॰24:16:1.7)
3876 छेकुनी (मसक॰ 136:4; नसध॰ 1:2.21; 41:181.26)
3877 छेकुनी-पैना (मसक॰ 136:4)
3878 छेतरीय (= क्षेत्रीय) (~ भाषा) (अमा॰16:15:1.7)
3879 छेत्र (= क्षेत्र) (वैदिक रचना के बहुत सुरूआती समय में सप्तसिन्धु छेत्र में एक तरह के बोली बोलल जा हल, तब आबादी के दोसरका छोर पर मगध में ओकरा से कुछ-कुछ भिन्न बोली बोलल जा हल) (अमा॰30:8:2.8, 30)
3880 छेत्रीय (= क्षेत्रीय) (अमा॰30:9:2.25, 30)
3881 छेद (~ करना) (हम तो ओहनी के कमासुत दल में अइसन ~ करब कि ओहनी से कहिनो नऽ भरायत) (नसध॰ 12:55.26; 23:94.24)
3882 छेमा (= क्षमा) (नसध॰ 47:205.15)
3883 छेर-छेरी ("मुरगी के का हाल हउ ?" -"उका चार गो टन दे रह गेल । बकरियो के ~ लेले हे । ओहू बचत कि तो न ।") (नसध॰ 34:147.16)
3884 छेरना (सबके कह दे कि जेकर बकरी छेरइत हे उ अस्पताल पर से दवाई ले आवे) (नसध॰ 34:147.19)
3885 छेरियाना (कोना-सान्ही में रह-रह के जे मुरझाएल हल, घर से निकस के जे छप्पर-छानी पर बइठ के छेरियाएल हल; छेरिआएल मन के गुदगुदा देलक) (अमा॰21:9:1.10, 16)
3886 छेव (~ मारना) (अआवि॰ 82:1)
3887 छेवाठना (रम॰ 13:107.7; 19:140.10)
3888 छेवाठना (सूरज पासवान हेडमास्टर आउर जालिम सिंघ से ओजी लेवे ला दाव-घात लगइले हल । कई वेर उ चाहलक हल कि जालिम सिंघ के छेवाठ के ओकरा जलवार नदी में जला दे, मुदा कोय के समझावे बुझावे पर अप्पन गुस्सा पी जा हल ।) (अल॰24:74.6)
3889 छैल-छबिली (गाँव के एगो राँड़ ~ जमुनी हे) (नसध॰ 16:69.27)
3890 छो (= छह) (जालिम सिंघ, मोहन सिंघ आउर हेडमास्टरा बिहार सरीफ जेल से छो-छो महीना के सजा काट के बेल पर छूट के वसन्तपुर गांव आ गेते गेलन हल ।) (अल॰33:104.20)
3891 छोकड़ा (सोनिया के जवानी मुसकाइत हल आउ देह सोना नियर चमकइत हल । ओकरा देख के गाँव भर के छोकड़न के अलावे जवानी के बिदाई कर चुकल अधबूढ़वन के भी आह निकल जा हल ।) (अमा॰17:14:1.16; 18:15:1.7)
3892 छोकड़ी (कौलेजिया ~) (नसध॰ 1:3.27; 25:105.23)
3893 छोकड़ी (दू गो ~ घास गढ़ित हे; ऊ छोकड़िया कहलक) (अमा॰18:15:1.9, 12)
3894 छोकरी (नसध॰ 1:2.22)
3895 छोकरी (छोकरियो हाथ से निकल गेल आउ सिपाही जी के डण्डो पड़त) (अमा॰4:10:1.10)
3896 छोट (= छोटा) (गंगा-गजाधर सेवे के बाद दो भाई में अप्पन माय-बाप के सबसे छोट बेटा हल अलगंठवा ।) (अल॰1:1.19)
3897 छोट (के बड़ के ~) (नसध॰ 29:128.14)
3898 छोटका (अमा॰1:6:1.16; 171:7:1.3; अआवि॰ 98:12)
3899 छोटका ("अलगंठवा भी पढ़ऽ हो न भउजी ?" "हाँ, पढ़ऽ हो, इ बरिस मैट्रीक पास करतो ।" चेहायत सुमितरी के माय कहलक हल - "आँय, बबुआ मलट्री में पढ़ऽ हो ? बाह, इ लइका बड़ होनहार होतो भउजी । एही सबसे छोटका न हथुन ?" "हाँ, बड़का तऽ बाबू जी के साथ कलकत्ते में रहऽ हे ।") (अल॰6:17.23; 12:35.25)
3900 छोटकी (अमा॰7:6:2.11)
3901 छोटकी (~ बहिन; ~ कलकत्ता) (नसध॰ 11:47.1; 25:105.32; 34:146.20)
3902 छोटकी माय (हमरा तरफ चेचक के बहुत सिकाइत हइ, अपन टोला में कई लोगन के छोटकी माय देखाय देलथिन हे ।) (अल॰3:8.17)
3903 छोटगर (अमा॰14:14:2.8; मसक॰ 63:2; 137:1)
3904 छोट-छोट (अमा॰16:14:1.4; 173:11:1.23)
3905 छोटपन (अमा॰12:17:2.10)
3906 छोट-बड़ (कत्ते ~ बात पक्का घर से जुड़ल हे) (अमा॰13:9:2.9)
3907 छोट-मुट (नसध॰ 10:44.15)
3908 छोट-मोट (बअछो॰ 14:60.3; मसक॰ 21:18; 156:12; 168:3)
3909 छोट-मोट (हथ छोट-मोट मेहरारू बाकि खिदिरपुरी कतरनी हथ; ~ अमदनी; ~ गाँव) (अमा॰15:20:1.7; 168:8:1.28)
3910 छोटहन (ई कोई छोटहन बदलाव न हे; मगध में बोधगया एगो ~ बिदेसे हे, जहाँ घुमे घड़ी केतनन बिदेसी मुखड़ा पर नजर पड़ जाहे) (अमा॰23:4:1.10; 24:7:1.5; 164:6:1.12)
3911 छोड़ाना (नसध॰ 26:118.4)
3912 छो-पाँच करना (रम॰ 13:105.2)
3913 छो-पांच (~ करना) (सुमितरी के लिखल चिट्ठी सुरेन्द्र के दुआरा पाके आउर पढ़के अलगंठवा छो-पांच करे लगल हल । ओकरा लगे लगल हल कि सुमितरी के आउर ओकर परिवार के मोह-जाल में फंसे के भय हो रहल हल ।) (अल॰16.46.5)
3914 छो-फीटा (एक दिन थाना प्रभारी के सामने एगो स्थानीय नेता के छो-फीटा केतारी से सट्-सट् मार के कह रहलन हल) (अमा॰19:14:1.29)
3915 छोलकटवा (फूब॰ 4:17.9)
3916 छोलनी (नसध॰ 1:5.11)
3917 छोह (सुरुज महतो के दया ~ से भरल हिरदा पघिल गेल) (नसध॰ 36:154.27)
3918 छोहाड़ा (= छुहाड़ा) (हिदायत कर देल गेल हल कि परसादी के समान लेके पेसाव-पैखाना न करे के आउर न जुठखुटार होवे के चाही । बड़ी नियम-धरम से परसादी इयानी गड़ी-छोहाड़ा-किसमिस-केला-अमरुद-नारंगी परसादी लइहऽ ।) (अल॰4:11.3; 12:36.21)
3919 छोहाड़ा (गड़ी-छोहाड़ा) (अमा॰7:18:2.5)
3920 छौ (~ फीट) (अमा॰4:15:1.21)
3921 छौ पाँच करना, छो-पांच करना (फूब॰ मुखबंध:1.23; 5:18.11)
3922 छौंड़-छपाटी (गो॰ 7:35.8)
3923 छौंड़ा (गो॰ 1:4.10, 9.3)
3924 छौंड़ा (पुतोह के सवाद लेके मइया पछता रहल हे । मेहरी के संग छौंड़ा इतरा रहल हे ।।) (अमा॰17:19:2.17; 18:11:1.27; 30:13:1.26)
3925 छौंड़ी (फूब॰ 4:16.9)
3926 छौड़ा (नसध॰ 1:4.27)
3927 छौड़ी (नसध॰ 3:12.8)
3928 छौना (एके साथे दूगो ~ चढ़वा देबो) (नसध॰ 9:40.7; 39:165.14, 15)
3929 छौना (साँप-साँप गोहमन साँप जहाँ विआय बहत्तर छौना) (अल॰18:56.24)
3930 छौनी (गो॰ 4:21.7)
3931 छौ-पाँच (~ करना) (अमा॰173:16:1.18)
3932 छौ-पाँच में होना (मसक॰ 25:1)

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