Sunday, October 18, 2009

20. जकारादि शब्द

3933 जँतगर (आम तो एक्के गो हे जे बगल के घर से बैना आयल हल, हलाकि अमवाँ अच्छे बड़गो आउ जँतगर हल) (अमा॰163:13:1.11)
3934 जँतना (एहनी कपार पऽ घइला आउ काँख तर डोरी जँतले घरे चल गेलन) (नसध॰ 24:98.4)
3935 जँतसार (~ के गीत) (नसध॰ 20:80.15, 81.25)
3936 जंगल में मंगल करना (नसध॰ 3:11.20)
3937 जंगल-झार (नसध॰ 24:100.4, 10)
3938 जंगलीपन (नसध॰ 20:81.16)
3939 जंगिआयल (~ रीत-नीत) (नसध॰ 38:163.18)
3940 जंगीआना (जंगीआयल बकसा) (नसध॰ 3:9.13)
3941 जंजाल (जीव के ~) (नसध॰ 30:131.2)
3942 जंजीर (नसध॰ 49:211.9)
3943 जंतर (नसध॰ 14:61.23, 24, 26)
3944 जइसन (अमा॰4:4:1.7; अआवि॰ 9:14, 18; मसक॰ 13:2; 16:25; नसध॰ 5:21.31)
3945 जइसहिं (= जइसहीं) (अमा॰20:17:1.15)
3946 जइसहीं (जइसहीं …  तइसहीं ) (जइसहीं उनकर बेटी जवान हो चलल तइसहीं उनकर बेटा के टीबी पकड़ लेलक) (अमा॰16:14:2.9; 23:17:1.19)
3947 जइसे (ओइसहिं ... जइसे) (मंथरा के अभिनय करेवाली मंगतू चाची ओइसहिं कहीं छिप गेलन हल जइसे शिकारी जानवर के सिकार करे ला झाड़ी में छिप जाहे) (अमा॰20:16:1.5, 17:1.8)
3948 जइसे ... वइसे (अआवि॰ 20:15-16)
3949 जइसे-तइसे (अमा॰25:21:2.6)
3950 जउन (बअछो॰ 4:23.11; नसध॰ 4:14.3; 5:18.8)
3951 जउन (जउन ... तउन; जउन-जउन) (अमा॰2:4:1.7, 17:2.3)
3952 जउनार (आलूदम आउर भात के भोजन होतइ । ऊपर से छाली भरल येक कोहा दही के जउनार होतइ ।) (अल॰43:138.8)
3953 जउर-साथ (उहाँ सुमितरी अकेले परीच्छा देवे जइतइ । जउर-साथ तोहूँ जइतु हल ।) (अल॰22:69.17; 32:103.14; 42:133.9)
3954 जउरी (रम॰ 1:18.8)
3955 जउरी-पगहा (नानी आउ भइया के अवाज सुन के सुमितरी आउर अलगंठवा जे जउरी-पगहा जइसन आपस में सटल हल, एक दूसर से हड़बड़ाइत अलग होइत धीरे-धीरे दूनो दू दने सोझिया गेल हल ।) (अल॰13.41.13; 16:51.17; 36:114.4)
3956 जउरे-साथे (दू घंटा रात छइते ही इसलामपुर रेलगाड़ी पकड़े ला लोग जउरे-साथे निकल गेलन हल ।) (अल॰6:14.18; 31:101.28; 42:133.2)
3957 जकड़ल (बाबूजी के हम्मर शादी के चिन्ता हे जबकि भइया टीबी से जकड़ल हथ) (अमा॰23:17:2.13)
3958 जकत (= के समान) (मसक॰ 89:16, 17, 23)
3959 जकत (अपमान के घूँट ओकर करेजा में बिख ~ घुल गेल हल; करिअट्ठी ! ऊ सब तो गोर हई, दीया ~ बरइत । तोरा छुआए से करिया हो जयतई ।; एक तो करिअट्ठी, ओकरा पर सकल-सूरत भी वनमानुष ~; तोरो धृतराष्ट्र ~ कुकरम के फल भोगे पड़तउ) (अमा॰167:9:2.19, 10:1.1, 7; 173:11:1.29)
3960 जखनिएँ .... तखनिएँ (गो॰ 5:26.4-5)
3961 जखनी (अमा॰5:12:2.2; 18:9:2.19, 10:2.7; 168:3:1.22; अआवि॰ 38:11; गो॰ 4:22.10, 23.16; 5:23.28, 25.23, 26.4; नसध॰ 7:29.10)
3962 जखनी (= जब, जिस क्षण) (जखनी रमाइन रेघा के पढ़ऽ हइ तखनी सुनताहर के हम्मर घर में भीड़ हो जा हइ ।) (अल॰10.32.3)
3963 जखनी ... तखनी (माय खाय ला बेर-बेर टोके, तब अमित कहे - "तूँ खा ले । हमरा जखनी भूख लगत तखनी खा लेम । ..") (अमा॰11:11:2.25; 13:10:1.4; 172:13:1.28)
3964 जखने (अमा॰166:10:1.19)
3965 जखनें (मसक॰ 71:1)
3966 जखनै (फूब॰ 4:16.11)
3967 जग (= यज्ञ) (नसध॰ 10:44.15)
3968 जगउनी (अमा॰3:5:2.27; 172:4:1.30)
3969 जगउनी (गाँव के उतरवारी टोला में तऽ आउर न कान देल जा हल । मोहन सिंघ, जालिम सिंघ के परिवार थरिया बजा-बजा के जगउनी गीत गावऽ हलन ।) (अल॰32:103.26)
3970 जगना (जगल) (नसध॰ 30:131.19)
3971 जगरना (रात भर के ~) (अमा॰173:16:1.5)
3972 जगरना (रात भर के थकौनी आउर जगरना से पलंग पर पड़ते ही उ नीन में बेहोस होके मात गेल हल ।) (अल॰42:137.8)
3973 जगरनाथपुरी (नसध॰ 10:44.12-13, 14)
3974 जगहा (ऊ जगहा पर) (नसध॰ 25:107.29)
3975 जगहिया (मसक॰ 77:2)
3976 जगुन (मकस॰ 8.10; मसक॰ 21:5, 13)
3977 जगुन (= जगह पर) (ओही ~ बइठल हम्मर बुतरुआ के कोई न खिलावऽ हे; अब तक उनकर तीनो मेहरारू तीन ~ रहऽ हलन) (अमा॰7:7:1.1; 16:18:1.18)
3978 जगुन (दोसर ~ जाना) (नसध॰ 3:9.18, 12.14; 37:159.20; 43:191.27)
3979 जग्ग (= यज्ञ) (तेआगी बाबा जग्ग इयानी अखंड किरतन करा के बड़ावर पहाड़ पर चल जा हथन ।) (अल॰43:138.2)
3980 जजमनका (~ पूजाना) (तू तऽ बंडा हऽ, हमरा तऽ आठ गो बाल-बचा भी हे । उ लोगन हब खेते-खेत भीखे मांगत न । पढ़ल-गुनल भी न हे कि जजमनका पूजावत ।) (अल॰8:24.16)
3981 जजमनका (हलन तो अपने नौजवान आउ करऽ हलन अपने बाबूजी जइसन गाँव-घर में जजमनका के काम, मगर दिन माँगऽ हलन त सवे सेर आउ रात माँगऽ हलन त सवे सेर ।) (अमा॰23:7:1.4, 9)
3982 जजमनिका (मसक॰ 17:1; नसध॰ 13:56.4, 59.2)
3983 जजमान (अमा॰11:11:1.27, 2.6; 163:15:1.16; 165:6:2.23, 7:1.8; मसक॰ 17:4, 6; 18:18)
3984 जजमान (ए जजमान, हमरा हीं गांजा एकदमे ओरिया गेलो हे । सुनलियो हे कि तोहरा हीं भगलपुरिया गांजा हो । लावऽ न, येक चिलिम हो जाय ।) (अल॰8:24.27; 29:90.1; 43:142.15)
3985 जजात (मसक॰ 114:11)
3986 जजात (गाँव के जजात आउर घर के अनाज चोरा के अप्पन पाठी के खिलावे में दिन-रात लउलिन रहऽ हल अलगंठवा ।; हलूमान जी के नाम पर जे खेती-वारी हे ओकरा पर तनाजा पर तनाजा हे । जे पाबऽ हे, ओही खेत के जजात लूट-खसोट के अप्पन घर ले जाहे ।) (अल॰1:2.19; 43:140.14)
3987 जट्ठा (= जटा) (साधु बाबा अप्पन लमहर-लमहर झुलइत जट्ठा पर हाथ फेरइत कहलन हल - हरे न रे, इ सब बाबा दिगमरी भोलानाथ, सिधनाथ के किरपा तोरा पर हउ रे बेटा ।) (अल॰16:49.4)
3988 जड़गर (चिट्ठी सुने के वाद कंघाय बोल पड़ल हल कि तोहनी दूनों के पीरितिया अब जमान आउर जड़गर हो रहलो हे ।) (अल॰10.32.13)
3989 जड़ियाना (जड़ियाल) (मसक॰ 115:18)
3990 जड़ी (= जड़) (मसक॰ 115:13)
3991 जड़ी (खाय-कमाय के ~; रोशन महतो के बेमारी ~ पकड़ लेलक हल) (नसध॰ 26:114.29; 27:121.1; 39:173.9)
3992 जतकट (= जाति से कटा हुआ) (अमा॰11:9:1.7)
3993 जतकट्टी (गो॰ 7:34.1)
3994 जतन (अआवि॰ 31:7; गो॰ 10:44.23, 45.24; 11:47.3, 33)
3995 जतन (बड़ी ~ से) (अमा॰1:1:1.9; 25:4:1.17)
3996 जतरा (नसध॰ 8:31.19)
3997 जतरा (~ के समय;  ~ खराब होना ; ~ खराब कर देना) (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही; आज बुझाइत हे कि जतरे खराब हे; मलकीनी कस के खिसिअयलन आउ कहलन - "भोरहीं अयले हें ? जो भाग ! हम्मर आज के जतरा खराब कर देले ।") (अमा॰1:9:1.29; 4:10:1.9; 163:10:1.6)
3998 जतरा (~ बनना) (चेलहवा मछली देख के सुमितरी के माय पूछलक हल - आज्झ कने जतरा बनलो कि मछली ले अइलऽ ।) (अल॰5:13.30)
3999 जतरा (= यात्रा;  शुभ शकुन; शुभ मुहूर्त्त) (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही; जइसहीं पंडितजी के नीन्द आयल वैसहीं जंगल के राह से तीस गो चोर आ गेलन । जतरा बनल देख के ऊ सब पंडित के मोटरी खोल के देखलन ।) (अमा॰1:9:1.29; 23:7:2.2)
4000 जतले (मच्छी मारइत चलऽ हे, पेट ~ किकुरल रहऽ हे) (नसध॰ 24:101.11)
4001 जतियाँव (बअछो॰ 2:16.24)
4002 जत्ते ... ओत्ते (मसक॰ 98:7)
4003 जथारथ (= यथार्थ) (चुभसे॰ 1:4.19; मकस॰ 5.20)
4004 जथारथ (= यथार्थ) ('अदीप' के कहानी में जथारथ घटल घटना के छछात बोध होवऽ हे) (अमा॰17:5:2.27, 7:1:2)
4005 जदि (अमा॰171:8:2.24; मसक॰ 19:21)
4006 जदि (= यदि) (नसध॰ 28:122.25; 36:153.11; 42:187.7)
4007 जदि (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही) (अमा॰1:9:1.29; 23:7:2.2)
4008 जनइ, जनई (हम तऽ अब ओने जनइये छोड़ देलियो; नानी भिरु भी जनई छूट गेल) (नसध॰ 21:85.6; 23:92.17)
4009 जन-जन्नी (मसक॰ 133:7)
4010 जनता के मारल पइसा हबेख न लगना (कब॰ 51:13)
4011 जनम (नसध॰ 23:95.16, 17)
4012 जनमउती (अमा॰12:5:1.27)
4013 जन-मजूर (बअछो॰ 8:37.22, 38.2; मकस॰ 46:6; मसक॰ 98:26)
4014 जनमना (जनमल) (नसध॰ 5:18.19; 40:179.4, 5)
4015 जनमासा (हम रामावतार बाबू से सलाह करके आनन-फानन चार सौ रुपइया जनमासा में जाके वर के बाप के अगाड़ी में पटक देली ।) (अमा॰28:5:1.10)
4016 जनवार (= जानवर) (नसध॰ 12:53.3)
4017 जनसेवा (नसध॰ 37:160.24)
4018 जना (सब जना गाड़ी आवे के डेर पहिलहीं टिसन पर पहुँच गेलन) (नसध॰ 26:116.16; 46:203.24)
4019 जनाना (= जानकारी देना) (अमा॰169:18:2.9; नसध॰ 5:16.21, 20.31)
4020 जनाना (= दिखाई देना) (नसध॰ 26:115.27)
4021 जनाना (= दिखाई देना) (दुन्नो के हड्डी जनाय लगल) (कब॰ 25:5)
4022 जनाना (= देखाय देना) (दिनो के तरेगन जनाय लगल; सूरज के भविस में खाली अँधेरा जनाइत हल) (अमा॰8:5:1.23; 15:6:1.16; 173:16:1.10)
4023 जनानी (मकस॰ 26:6; मसक॰ 77:5; नसध॰ 3:11.20; 36:153.2)
4024 जनावर (अमा॰13:5:2.12; 167:3:1.4)
4025 जनावर (अदमी ~ सब पर आफत आवल हे) (नसध॰ 34:147.30; 38:162.29)
4026 जनी, जन्नी (रम॰ 11:84.11; 12:91.5, 20)
4027 जने (जने ... तने) (जने चलथ तने दूनो साथे चलथ । खाली खाही-सुते भर अलगे रहथ ।) (नसध॰ 14:60.19)
4028 जने जने .... ओने ओने (अल॰31:99.20)
4029 जने-जने (कुत्ता-कुत्ती आपस में मौज-मस्ती करे ला जान-परान दे रहल हल । जने-जने कुत्ती जाय, उधर-उधर सब कुत्ता पिछुअइले चलऽ हल ।) (अल॰42:132.10)
4030 जने-तने (नसध॰ 9:43.19)
4031 जन्नी (अमा॰166:11:2.3; मसक॰ 133:7)
4032 जन्ने (गो॰ 1:5.4)
4033 जन्ने (जन्ने ... तन्ने) (अमा॰14:16:2.3)
4034 जन्ने ... ओन्ने (कब॰ 21:5)
4035 जन्ने-तन्ने (मसक॰ 34:1)
4036 जपान (= जापान) (इहाँ पहाड़ पर सांति अस्तूप, जपानी मंदिल जपान सरकार के सहजोग से बनल हे ।) (अल॰31:101.2)
4037 जपानी (= जापानी) (इहाँ पहाड़ पर सांति अस्तूप, जपानी मंदिल जपान सरकार के सहजोग से बनल हे ।) (अल॰31:101.1)
4038 जब ले (= जब तक) (बअछो॰ 1:11.16; 8:39.9; 12:57.15)
4039 जब ले .... तब ले (बअछो॰ 8:39.9; 12:57.15; 15:66.1)
4040 जबरदस्ती (अमा॰4:16:1.25)
4041 जबाना (= जमाना) (~ लद जाना) (नसध॰ 5:19.4; 25:107.9)
4042 जबुन (मसक॰ 152:12)
4043 जबुन (आज तू दिन-रात महतो के गरिआवइत रहऽ, निमनो काम के ~ बतावइत रहऽ आउ हमनी चुपचाप तोर बात में हूँकारी भरल करियो) (नसध॰ 37:157.12)
4044 जबुन (फुलमतिया के समान देह के रंग पिअरकी गोराइवाला न हल, बाकि ऊ देखे में कउनो जबुन न हल) (मकस॰ 21:12)
4045 जम (जन मे दीया) (अआवि॰ 80:29)
4046 जम के खाना-पीना (अमा॰171:3:1.23)
4047 जमकड़ा (ओकर ~ अभी भी नानी हीं लगऽ हे) (नसध॰ 13:56.17)
4048 जमकना (जमकल) (मसक॰ 98:5)
4049 जमकना (सनकल हो हवा इहाँ, जमकल आउ कनकन हो पानी ।) (अल॰44:155.10)
4050 जमकल (~ पानी के पोखरा) (अमा॰16:15:1.0)
4051 जमदुतिया (गो॰ 2:14.12)
4052 जमनकी (= जवनकी, जुअनकी) (दुअरे पर बइठ बुढ़िया मटकी मार रहल हे । कोनमा में जमनकी भुंजा मसका रहल हे ।।) (अमा॰17:19:2.21, 23)
4053 जमना (जमल) (नसध॰ 26:117.5)
4054 जमलगोटा (ऊ ~ खाके एगो नाद में पैखाना करे लगल) (अमा॰169:14:2.17)
4055 जमाइत (आज वसन्तपुर तरन्ना में अगहनी ताड़ी पीए ला रामखेलामन महतो के जमाइत जुटलन हल । रामखेलामन महतो बड़गो पिआंक हथ । अप्पन मरुसी अट्ठारह विघा खेत ताड़ी-दारु-गांजा-भांग में ताप गेलन हे ।) (अल॰8:23.7, 11)
4056 जमात (नसध॰ 5:20.31)
4057 जमान (चुभसे॰ 1:3.15; 3:8.12; गो॰ 3:17.7; रम॰ 3:36.23)
4058 जमान (चिट्ठी सुने के वाद कंघाय बोल पड़ल हल कि तोहनी दूनों के पीरितिया अब जमान आउर जड़गर हो रहलो हे ।; जमान होइत सुमितरी के अब भान होवे लगल हल कि जमानी केता लोहराइन आउर फोकराइन होबऽ हे ।; कुछ अउरत मरद मुँह बिचका-बिचका के ठुल भी कर रहल हल कि सुनऽ ही कि जमान जमान अउरत-मरद भी पढ़तइ । बूढ़ा तोता कहीं पोस मानलक हे ।) (अल॰10.32.12; 18:54.11; 37:117.9)
4059 जमान-जोग (रम॰ 3:36.23; 19:138.6)
4060 जमान-जोग (इसलामपुर से सटले बूढ़ा नगर पड़ऽ हल जहाँ एगो इनार पर जमान-जोग अउरत वरतन गोइठा के बानी से रगड़-रगड़ के मैंज रहल हल ।) (अल॰3:6.7; 44:146.14, 152.7)
4061 जमानत (नसध॰ 47:205.29)
4062 जमानी (गो॰ 3:19.9; रम॰ 13:95.1)
4063 जमानी (= जवानी) (जमान होइत सुमितरी के अब भान होवे लगल हल कि जमानी केता लोहराइन आउर फोकराइन होबऽ हे ।) (अल॰18:54.11)
4064 जमानी (= जवानी) (ठुल करते हँसते कहलन जुगेसर जी -"लऽ, जमानी में तो देहाते में सुखा देलको तोरा सरकार, अब बुढ़ारी में भेज रहलो हे शहर जमनिया ।") (अमा॰29:11:2.24, 27)
4065 जमावड़ा (29 अक्टूबर के हर साल अप्पन बाबूजी के इयाद में देव, औरंगाबाद में देश भर के नामी-गिरामी कवियन के जमावड़ा में भी कवि सम्मेलन के शुरुआत हम्मर मगही गीत से होवऽ हल) (अमा॰30:6:1.20)
4066 जमाहिर लाल (= जवाहर लाल) (पहिले तऽखाली जमाहिर लाल-इन्दिरा गांधी के दोस दे हली । बल्कि ओकरे समापत करे लेल जे॰पी॰ के अगुअइ में इ आन्दोलन हो हल ।) (अल॰44:154.13)
4067 जमीदार (नसध॰ 5:21.11; 37:157.23)
4068 जमीदारी (नसध॰ 6:23.20)
4069 जमीन (गोड़ के नीचे के ~ धँसना) (नसध॰ 13:59.16)
4070 जमून (बअछो॰ आमुख:5.28)
4071 जमौकड़ा (नसध॰ 22:91.16; 24:100.15)
4072 जम्हुआ जाँत देना (नसध॰ 1:3.21)
4073 जर-जमीन (तोहनी दुन्नो इसकूल में कभी न बइठे गेलऽ । कभी हम पकड़ के भेजवो कइली तो कभी घाघा में, कभी मकई आउ झलासी के झालड़ में लुका जा हलऽ ! आज हम केकरा से कहूँ आउ केकरा से रोऊँ कि तनी हम्मर खतीयन पढ़ दऽ ? ई जर-जमीन के कगज दोसरा से न देखावे के चाही ।) (अमा॰14:12:1.19; 30:14:2.14)
4074 जर-जमीन्दारी (मकस॰ 62:5)
4075 जर-जर (सुरुज महतो के ~ सरीर में न जानी कहाँ से एतना ताकत आ गेल हल) (नसध॰ 36:154.31)
4076 जर-जलपान (अमा॰173:6:1.28)
4077 जरना (गो॰ 5:27.10)
4078 जरना (= जलना) (कब॰ 2:11; मसक॰ 88:4; 90:20; नसध॰ 12:54.6; 37:157.3)
4079 जरना (= जलना) (नाना, तनी छहुरवा में सुस्ता ल, बड़ी गरमी लग रहल हे आउ गोड़ भी जर रहल हे ।) (अल॰3:7.19; 27:83.18)
4080 जरना (= जलना) (पेट जरला पर लोग का नऽ करे; माधव आलू मुँह में डाललक तब ओकर जीभ जर गेल) (अमा॰16:5:2.11; 27:12:2.10)
4081 जरना (= जारन, जलावन) (ओरी चूके गोठहुल भींगल, जरना हो गेल बोथा । काट-काट के सुखा के घर में, धरली हल जे मोथा ।।) (अमा॰163:10:2.7, 9, 10; 172:20:1.7)
4082 जरना (=जलावन) (मसक॰ 81:5)
4083 जरना (जर के छार होना) (अआवि॰ 49:31)
4084 जरनि, जरनी (~ बुझाना) (अमा॰169:18:1.2)
4085 जरनी (नगीना अपने हाथ से खेती करे लगल तो एकरा में तोरा ~ का हो ?) (नसध॰ 37:157.14)
4086 जरन्त (गो॰ 6:32.19)
4087 जरल (नसध॰ 5:19.8)
4088 जर-लहर जाना (मसक॰ 29:14)
4089 जरलाहा (गो॰ 5:24.32)
4090 जरसमन (रम॰ 13:102.23)
4091 जरा के छोड़ना (बअछो॰ 11:52.23)
4092 जरांठी (येगो अधवइस अउरत जरांठी से अप्पन तरजनी अंगुरी से दाँत रगड़ रहल हल ।) (अल॰3:6.13)
4093 जरांठी, जराठी (जराठी - रम॰ 2:22.1)
4094 जराइन (रम॰ 4:42.14)
4095 जराना (बअछो॰ 10:47.29; 14:60.17)
4096 जराना (= जलाना) (नसध॰ 12:54.6; 34:148.6)
4097 जराना (= जलाना)  (पूस के कनकन्नी आउ माघ के झिनझिन्नी खतम होवे पर बसंत रितु सोहामन लगऽ हे । न हिरदा हिलावे वला जाड़ा न देह जरावे वला गरमी ।) (अमा॰8:5:1.4; 17:9:2.2)
4098 जराना (= जलाना) (इमलिया घाट से कटहिया घाट लउक रहल हल । जहाँ माय के साथ कतकी अस्नान करके कुरचऽ हल । आउ आज्झ ओही माय के एही फतुहा में जरा रहल हल । जीमन-मउअत के कुछ कहल न जा सकऽ हे ।) (अल॰11.34.26, 35.6)
4099 जरामन (रम॰ 14:109.4)
4100 जरावल (नसध॰ 34:148.13)
4101 जरिको (अआवि॰ 105:29)
4102 जरिक्को (अमा॰167:17:2.6; मसक॰ 47:2; 82:6; 84:23)
4103 जरिये (के ~) (नसध॰ 37:159.31)
4104 जरिसे (फूब॰ 1:4.8)
4105 जरी (गो॰ 5:25.32; रम॰ 7:58.17)
4106 जरी (= जरा, थोड़ा) (ए दिलदार राम, जरी एने अइते जइहऽ ।) (अल॰33:105.22; 41:128.11)
4107 जरी (= जरा, थोड़ा) (जरी तेजी से आगे बढ़लन रमेसर बाबू ओकर मुँह देखे ला) (अमा॰18:10:1.25)
4108 जरी-जरी (फूब॰ 4:13.1)
4109 जरी-जिद्दी (~ से पड़ना) (हमरा पर नतिया-राड़िन जरी-जिद्दी से पड़ल हे) (अमा॰165:10:1.21, 2.5, 11:1.29)
4110 जरुर, जरूर (नसध॰ 5:18.9; 38:162.15)
4111 जरुरत (नसध॰ 36:153.28)
4112 जरूरी (नसध॰ 38:163.17)
4113 जलकुम्भी (फूलल कर्मी कुमुद कमल जलकुम्भी शोभे पानी में) (अमा॰22:17:2.21)
4114 जलम (चुभसे॰ 1:2.3; गो॰ 1:9.15; 5:25.24; मसक॰ 14:1; 20:22)
4115 जलम (~ देना) (अल॰40:124.14)
4116 जलम (~ लेना; ~ आउ मउअत; ~ दिन) (आज दुनिया के जनसंख्या अबाध गति से बढ़इत जाइत हे । एकर परिणाम ई होइत हे कि केतना किसिम के समाजिक कुरीति जलम लेवइत हे आउ नैतिक मूल्य में हरास होइत हे ।) (अमा॰29:5:1.3; 173:16:2.29; 174:8:1.17)
4117 जलम लेना (बअछो॰ 9:44.3-4)
4118 जलमउती, जलमौती (जलमौती - रम॰ 3:30.26)
4119 जलमजात (अमा॰172:9:1.22)
4120 जलमना (गो॰ 2:15.2)
4121 जलमना (कोय-कोय खेत में सरसो जलम के विता भर के हो गेल हल ।) (अल॰7:20.30)
4122 जलमल (दू दिन के जलमल छौंड़ा हमरा सिखावे चललक हे) (अमा॰19:16:2.5; 163:5:1.2)
4123 जलमाना (मसक॰ 49:15)
4124 जलमाना (पढ़यथिन कइसे ? बुतरू जलमावे से फुरसत रहे तब नऽ !; कुतिया नीयर आठ-आठ गो बाल-बच्चा हमरे ला जलमौले हे ?) (अमा॰24:14:2.20; 163:10:1.22)
4125 जलमौताहर (गो॰ 10:46.3)
4126 जलमौती (अमा॰24:17:1.3; 169:5:2.9)
4127 जलेबी (जब लइकन सब चल जाहे तब बसिया दीदी दोना में तेलही जलेबी लेके हमरा भिरे आवे हे आउ बड़ी दुलार से कहऽ हे - 'ले बउआ ! एही ला न रुसल हले ।') (अमा॰13:6:1.13, 16, 18; 22:17:1.8)
4128 जल्दी-सबा (= जल्दी से) (मसक॰ 76:20)
4129 जल्लाद (दे दऽ रुपइया त बेटी दमाद हे । ओकर अभाव में दुन्नो जल्लाद हे ।।) (अमा॰14:18:2.14)
4130 जवनका (जवनकन) (नसध॰ 38:161.30)
4131 जवनकी (नसध॰ 1:3.15; 24:97.20, 23; 41:179.25, 181.15; 47:204.23)
4132 जवाइन (नसध॰ 9:37.8)
4133 जवान (~ लइकन) (नसध॰ 36:155.5)
4134 जवान-जुहान (घर में ~ लइकी के रक्खले गुनाह मानल जाहे) (अमा॰165:16:2.18)
4135 जवाब (नसध॰ 28:123.1)
4136 जशन (= जश्न) (कोई-कोई समय अइसन घड़ी उत्पन्न हो जाहे कि अदमी के ई समझ में न आवे कि खुशी के जशन मनावल जाय कि उदासी के मातम) (अमा॰27:4:1.4, 11)
4137 जस (= यश) (नसध॰ 35:150.21)
4138 जस (= यश) (हम्मर कामना हे कि 'रजकण' जी के जस ई उपन्यास के जरिये मगही भासा आउ साहित्य के क्षेत्र में करमी के लत्तर जइसन फैले) (अमा॰1:15:2.17)
4139 जस-इज्जत-मान-मरिआदा (कलकतिया बाबू, चटकलिया बाबू, आउर अब ओस्ताद जी के नाम से जिला-जेवार में जस-इज्जत-मान-मरिआदा में कोय कमी न ।) (अल॰1:1.16)
4140 जसस्वी (मगही के ~ साहित्यकार) (अमा॰15:12:1.6)
4141 जहईं के तहईं (बअछो॰ 2:15.9)
4142 जहर (अमा॰12:11:1.15)
4143 जहरकनइली (~ के झाड़ी) (अमा॰167:10:1.25)
4144 जहर-डकरा (गो॰ 7:35.3)
4145 जहर-माहुर (लगऽ हे चुल्लू भर पानी में डूब के मर जाऊँ इया जहर-माहुर खाके जान देऊँ । अइसन अपमानित जिन्नगी से मउअत भला ।) (अल॰33:105.10)
4146 जहाज (नसध॰ 38:163.3)
4147 जहाना (= जहानाबाद) (गो॰ 4:21.5, 22.19)
4148 जहिना (अमा॰3:5:1.9;167:11:1.3; फूब॰ 1:3.21; गो॰ 9:41.25)
4149 जहिना (अरे बाप, जहिना से उ वसन्तपुर हाई इस्कूल में आवल हे, तहिना से उ गाँव-गाँव में लड़वा-लड़वा के पटिसन करवा रहल हे ।) (अल॰21:67.26)
4150 जहिना (जहिना ... तहिने) (नसध॰ 7:31.10)
4151 जहिना तहिना (पेड़ झमटार हल जहिना तहिना, अब तो ठूँठे खड़ा हे अगाड़ी) (अमा॰14:1:1.12)
4152 जहिया (अमा॰2:14:2.9; 3:13:2.26; बअछो॰ 5:27.20; 14:64.6; 15:66.20; चुभसे॰ 3:9.17; कब॰ 9:1; 55:3; 58:13; मसक॰ 14:14; 16:10; 50:17)
4153 जहिया (जहिया ... तहिये) (अमा॰11:11:2.21)
4154 जहिया ... तहिया (अमा॰171:7:1.19-20; गो॰ 10:43.28-29)
4155 जाँतना (सुरसती देवी पानी के छींटा देलन, नाक जाँतलन तब जाके फुलमतिया के होश आयल) (मकस॰ 23:25)
4156 जाँता (सास-पुतोह ~ पर गोहुम पीस रहलन हल) (नसध॰ 20:80.13; 49:211.12)
4157 जाँता-ढेंकी (~ के जरुरते खतम हो गेलो; ~ के गीत) (नसध॰ 21:84.10; 24:100.29)
4158 जाइज (अआवि॰ 66:17)
4159 जाइज (जब बरदास्त के हद हो गेल, तब कहलो हम्मर जाइज हे) (अमा॰15:20:1.2)
4160 जाई (= बेटी) (जेकर मइया पुआ पकावे, ओकरे जइया तरसे हे) (अमा॰7:7:1.5)
4161 जागरन (नसध॰ 47:207.9)
4162 जाजिम (बअछो॰ 10:46.6, 22)
4163 जाड़ा-गरमी (नसध॰ 27:119.8)
4164 जात (~ से काट देना; ~ देना) (नसध॰ 34:147.1; 37:158.25, 27)
4165 जात (= जाति) (अमा॰16:9:1.1)
4166 जात-धरम (~ के भेदभाव) (अमा॰26:10:2.3)
4167 जात-परजात (जात-परजात, भुइयाँ-चमार के भेद-भाव भुला के ई सेवा में लगल रहऽ हथ; जात-परजात जान गेलन हल कि मोहन पांडे रमुनी के रख लेलन हे) (अमा॰19:13:2.27; 25:8:2.15)
4168 जात-पात (अमा॰17:15:2.3; 18:1:1.2; नसध॰ 5:21.16)
4169 जात-बेआदर (= जात-बेरादरी) (~ से भी गेली आउ तुहूँ न मिललें) (अमा॰25:8:2.19)
4170 जात-बेरादरी (अमा॰4:18:2.19-20)
4171 जात-भाई (नसध॰ 13:56.5; 45:199.4)
4172 जात-भाय (अमा॰173:1:2.3)
4173 जात-भाय (हाँ बेटा, तोहरे कहे पर सुमितरी के पढ़ावे के बीड़ा उठइली हल । तोहरे मदद से ही इ पढ़-लिख भी रहल हे । मुदा हेडमास्टर मुदेखली कर रहलथिन हे । अप्पन जात-भाय के लइका-लइकी सब के कबे फारम भरा के पुंगा देलथिन आउर हमनी सबके साथ रेढ़ कर रहलथिन हे ।) (अल॰20:65.29)
4174 जातरा (= यात्रा) (अमा॰19:11:2.10)
4175 जातरी (नसध॰ 40:178.30)
4176 जातरी (= यात्री) (गाड़ी जइसहीं आगरा टीसन पर रुकल तो एगो डिब्बा से सब जातरी उतर गेलन, खाली एगो बूढ़ी आउ जुवती बच गेल । खलहल पाके ओही डिब्बा में एगो जुवक घुस गेल आउ गाड़ी तुरते रफ्तार पकड़ लेलक ।) (अमा॰25:14:1:12)
4177 जात-वेरादर (बअछो॰ 9:42.20)
4178 जादती (बअछो॰ 1:11.2)
4179 जादही, जादहीं (नसध॰ 3:12.15)
4180 जादू (नसध॰ 38:162.7)
4181 जादू-टोना (नसध॰ 12:51.14-15; 40:179.3)
4182 जादू-टोना (लोकवार्ता के कथावस्तु वर्तमान के न होके परम्परा से आयल रहऽ हे । अइसन अवधारण लोक-विश्वास, अंध-विश्वास, रीति-रेवाज, परदरसन, लोक-नाट्य, धरम-कथा, अवदान परम्परा, लोककथा, धरम, अनुष्ठान, प्रकृति सम्बन्धी धारणा, जादू-टोना, कहउतिया, परतूक आदि हो सकऽ हे ।) (अमा॰25:13:1:17)
4183 जादे (बअछो॰ 2:14.23; 2:16.2; नसध॰ 2:8.17; 3:12.10, 13.17; 5:16.8)
4184 जादे (अब तो घर रंग-बिरंगा बिजली के बउल से सजावल जाहे । जादे से जादे तुलसी चौरा पर एगो दीया बरत आउ एगो गणेश-लछमी जी भिरी ।) (अमा॰13:7:1.11)
4185 जादे से जादे (बअछो॰ 2:16.3)
4186 जादेतर (अमा॰1:11:1.20; 18:10:1.16)
4187 जान (~ हाथ पऽ लेना) (नसध॰ 22:89.15)
4188 जान कोंहड़ा के बनल होना (गो॰ 7:33.30)
4189 जान-परान (कुत्ता-कुत्ती आपस में मौज-मस्ती करे ला जान-परान दे रहल हल । जने-जने कुत्ती जाय, उधर-उधर सब कुत्ता पिछुअइले चलऽ हल ।) (अल॰42:132.10)
4190 जानल (जानल-अनजानल सभे; ई तो जानल बात हे कि हमरा हीं तेंतीस करोड़ देवी देवता के कल्पना करल गेल हे; अइसन अवसर पर डॉ॰ सिंह के उपन्यास, कहानी, लेख, महाकाव्य आदि के बारे में उनकर खुद के विचार जानल बहुत जरूरी समझल गेल) (अमा॰2:5:1.16; 22:13:1.1; 25:5:1.5)
4191 जानल-पहचानल (अमा॰167:8:1.15)
4192 जानल-मानल (~ हिन्दी कवयित्री कुमारी राधा; नालन्दा के ~ साहित्यकार श्री शिव प्रसाद लोहानी) (अमा॰19:8:1.2; 22:11:1.1)
4193 जानलेवा (नसध॰ 42:186.26)
4194 जानिस्ते (समय आउर परिस्थिति के मुताबिक हम अपने सबसे एलान करऽ ही कि इक्किस बोझा के जगह पर सोलह बोझा, पन्द्रह कट्ठा के जगह बारह कट्ठा धनखेती आउर बिड़ार आउर पक्की तीन सेर चाउर आउर गेहूँ मजदूरी लेवे-देवे के चाही । अभी हमरा जानिस्ते समय के पुकार आउर माँग एही हे ।) (अल॰19:62.9)
4195 जानी (= जन) (चुभसे॰ 4:15.6)
4196 जानी (तोहनी दुन्नो जानी बइठ जा) (अमा॰15:16:1.12)
4197 जाने देना (= जानने देना) (फूब॰ 5:18.25)
4198 जानो (= जान भी) (बअछो॰ 15:67.1)
4199 जार देना (बअछो॰ 11:51.22)
4200 जारइन (रम॰ 13:107.17)
4201 जारना (गो॰ 1:10.19)
4202 जारना, जार देना (= जलाना, जला देना) (अमा॰20:1:1.8; 24:13:1.7)
4203 जाल (नसध॰ 12:52.12)
4204 जासती (मसक॰ 32:18)
4205 जाहिल (सबसे मुश्किल तो ई हे कि अगर लड़की पढ़ल हे त अफसरे हे आउ न पढ़ल हे त जाहिले हे । ओकरो पर से घर के काम-काज में निपुन हे कि न, मुँह समेट के रहेवाली हे कि न, बाप के गाँठ पूरा हे कि न । कहे के मतलब हे कि लड़की तो चाही सर्वगुणसम्पन्न । बाकि लड़का ? लड़का के पूछऽ मत । अष्टावक्र सूरत सकल वाला के भी स्वप्न सुन्दरी चाही ।) (अमा॰27:17:1.28)
4206 जिंगूर जाना (रम॰ 18:135.17)
4207 जिकिर (= जिक्र) (जब भी हमनी के देस भारतवर्ष के जिकिर होवऽ हे, हरमेसा एकरा दुनिया भर में सुख आउ शान्ति के पक्षधर देस के रूप में गिनल जाहे) (अमा॰16:19:1.11; 17:8:1.29; 170:3:1.1)
4208 जिकिर (= जिक्र) (नन्हकू येक घंटा रात छइते ही सुमितरी के लेके घर से बहरा गेल हल । काहे कि गरमी के दिन हल । येकर अलावे फरिछ होवे पर फिन टोला-टाटी के लोग सुमितरी आउर अलगंठवा के बात के जिकिर आउर छेड़-छाड़ देत हल ।) (अल॰3:5.31)
4209 जिजीविषा ('बाढ़ आउ सुखाड़' में एक दने गरीबी के कारन लहलहाइत मिचाई के खेत कोड़इत-कोड़इत पानी के जिजीविषा लेले धानुक मर जाहे आउ ओन्ने धनी आउ सामन्त के बगीचा रोज पानी से बूड़ल रहऽ हे) (अमा॰17:6:2.11)
4210 जिजीविसा (= जिजीविषा) (अमा॰17:5:1.9)
4211 जित्ते (जित्ते जरे के पहिले सेनुर पोंछ दे ! धनचटुआ कुत्ता के मुकुट मत पहिन !) (अमा॰24:12:1.26)
4212 जिद (अमा॰12:10:2.4)
4213 जिद्द (~ रोपना) (नसध॰ 8:32.17)
4214 जिनकर (= जिनका) (गो॰ 1:7.5)
4215 जिनकर (= जिनखर) (अमा॰16:10:1.7)
4216 जिनका (= जिन्हें, जिनको) (कई लोग .... विचार करे लगऽ हथिन कि मगही में ~ चिट्ठी लिखम, ऊ का सोचतन) (अमा॰1:2:1.23; 2:5:1.4)
4217 जिनखर (जिनखर पिया पास उनखा ला बसंत) (अमा॰8:6:1.26)
4218 जिनखा (फूब॰ 7:24.4)
4219 जिनगी (अमा॰1:11:1.2; 166:5:1.7, 6:2.35; गो॰ 1:5.26, 27; 2:12.20; मकस॰ 5.10; मसक॰ 8:11; 20:3)
4220 जिनगी (~भर; ~ देना) (नसध॰ 5:17.9; 27:120.13)
4221 जिनगी-मउअत (हाँ भउजी, जिनगी-मउअत के कउन भरोसा हे । ओकर बाबू के भी रोगे-बलाय लगल रहऽ हइ ।) (अल॰6:17.4)
4222 जिन्दा (नसध॰ 9:42.12)
4223 जिन्दाबाद (नसध॰ 36:153.4)
4224 जिन्नगी (= जिनगी, जिन्दगी) (हम्मर जिन्नगी में हम्मर कोय बेटा दूसर के गुलामी न करत ।) (अल॰12.36.1, 10; 31:102.29)
4225 जिन्नगी-मउत (अल॰42:135.22)
4226 जिम्मे (अमा॰29:7:1.23)
4227 जिम्मेवारी (अमा॰11:13:1.5; 27:4:1.26, 2.14; 167:3:2.30)
4228 जिरिकना (= जरिकना, छोटगर, छोटा) (जिरिकना छती में दूध खोजऽ हे) (अमा॰22:12:1.28)
4229 जिरिकना (गाँव जेवार के गिरथाइन, बेटी-भतीजी मौसी दाई बहिन सब खाली घैला बगल में दबैले टुकुर टुकुर देख रहल हे, जिरिकनी, जिरिकना सब साड़ी खींच रहल हे) (अमा॰28:7:2.13)
4230 जिरिकनी (गाँव जेवार के गिरथाइन, बेटी-भतीजी मौसी दाई बहिन सब खाली घैला बगल में दबैले टुकुर टुकुर देख रहल हे, जिरिकनी, जिरिकना सब साड़ी खींच रहल हे) (अमा॰28:7:2.13)
4231 जिला (~ प्रसासन) (नसध॰ 28:122.29)
4232 जिला-जेवार (कलकतिया बाबू, चटकलिया बाबू, आउर अब ओस्ताद जी के नाम से जिला-जेवार में जस-इज्जत-मान-मरिआदा में कोय कमी न ।; इ जिला-जेवार में अलगंठवा अप्पन नाम कइले हका ।) (अल॰1:1.16; 10.30.27; 15:45.10, 17; 21:67.23; 30:92.9, 93.3)
4233 जिला-जेवार (जिला-जेवार से लेके प्रांत, देश आउ दुनिया तक; जिले जेवार के हलथिन राधेश्याम बाबू) (अमा॰6:4:1.18, 15:1.14))
4234 जिलाधीस (नसध॰ 28:122.29)
4235 जिलेवी (= जलेबी) (फिन अलगंठवा के माय एगो तसतरी में जिलेवी देइत कहलक हल) (अल॰10.30.23, 24)
4236 जी फरिआना (रम॰ 14:111.2)
4237 जीआना (भगवान कउन दिन देखे ला हमनी के जीअवले हथ) (नसध॰ 27:118.24)
4238 जीट-जाट (अआवि॰ 63:2)
4239 जीट-जाट (लइकी हथ ई पढ़ल-लिखल । जीट जाट से भरल-पुरल ॥) (अमा॰24:10:1.12)
4240 जीता-जिन्नगी (अलगंठवा के घर में माय के जीता-जिन्नगी में पीतल के वरतन में ही भोजन बनऽ हल । मुदा अब अलमुनिया के तसला में भोजन बने लगल हल ।) (अल॰12.37.2; 28:85.28; 31:96.1)
4241 जीतिया (अआवि॰ 80:23; रम॰ 11:84.9, 11)
4242 जीते-जिन्नगी (जदि बड़का भाय के नौकरी माय-बाप के जीते-जिन्नगी लग जइतइ हल तऽ आज्झ घर के इ हालत न होतइ हल ।) (अल॰12.36.10)
4243 जीभ (जीभिया खींच लिअउ ?) (नसध॰ 4:14.24)
4244 जीभ-चट्टन (अब तूँ लइका हऽ कि दिन भर अँचार लेके चाटइत रहबऽ ? ढेर ~ बनल ठीक न हे ।) (अमा॰9:12:1.3)
4245 जीभियाना (कुछ लोग कुंआ से हट के दतमन से दाँत रगड़ रहलन हल । तऽ कुछ लोग दतमन के बीच से फाड़ के जीभ के जीभिया रहलन हल ।) (अल॰3:6.13)
4246 जीमन (गो॰ 1:6.9; रम॰ 15:115.1; 18:136.19)
4247 जीमन (= जीवन) (अलगंठवा अब तक जीमन में दू बार खूब रोबल हल, कानल हल, अप्पन माय के मरे के बाद आउर दूसर भूरी पाठी मरे के बाद ।) (अल॰1:2.27; 6:19.20; 11:32.27)
4248 जीमन-मउअत (इमलिया घाट से कटहिया घाट लउक रहल हल । जहाँ माय के साथ कतकी अस्नान करके कुरचऽ हल । आउ आज्झ ओही माय के एही फतुहा में जरा रहल हल । जीमन-मउअत के कुछ कहल न जा सकऽ हे ।) (अल॰11.34.26)
4249 जीमन-मौत (अलगंठवा अमदी के जीमन-मौत के वारे में सोंच ही रहल हल कि होस्टल के चपरासी हबीब मियाँ गंगा घाट पर धेआन मगन अलगंठवा के भंग करइत कहलक हल) (अल॰11.33.5)
4250 जीरह-उरह (फूब॰ 5:20.22)
4251 जीलेबी (= जलेबी) (ओकर बाद नाना-नतनी इसलामपुर बजार में दुरगाथान जाके एगो हलुआइ के दुकान पर जाके सौगात में सिनरी के रूप में पाभर बतासा खरीदलक आउर सुमितरी ला गरम-गरम जीलेबी ।) (अल॰3:7.9)
4252 जुअनका (रम॰ 11:85.11)
4253 जुअनकी (टोला के बुढ़ियन, जुअनकिन आउ बुतरुअन के भीड़ लग गेल) (अमा॰17:8:2.8)
4254 जुआन (मसक॰ 22:10)
4255 जुआन (जुआन आउ सुत्थर बेटी; चाची जी भी पढ़ सकऽ हथिन आउ सब जुआन-जुआन बेटा-बेटी भी पढ़ सकऽ हथिन) (अमा॰15:12:2.12; 30:15:2.12)
4256 जुआना (गेहुम मटर बूँट जुआयल, सबके पितुहियन गदरायल) (अमा॰20:7:1.5)
4257 जुआनी (गो॰ 1:1.6; 3:19.4)
4258 जुकुत, जुकुर (गो॰ 1:1.26)
4259 जुकुर (ई किताब पत्रकारिता जगत से जुड़ल लोगन के पढ़े जुकुर हे, ई में कोय शक ने) (अमा॰1:9:1.18; 23:10:2.20; 166:4:1.6; 167:3:1.9)
4260 जुकुर (सेवा करे ~, सहाय ~) (नसध॰ 5:20.11; 43:191.15)
4261 जुक्ति (अआवि॰ 30:21; 57:17)
4262 जुग (= युग) (जुग-जुग अहिवात रहऽ) (नसध॰ 5:22.1)
4263 जुग-जमाना (~ के लहर केकरा न लगे) (मकस॰ 29:20)
4264 जुगा (= जुआ) (अमा॰7:17:1.1, 16; 13:6:2.30; नसध॰ 11:47.16, 20, 22, 24; 26:117.19)
4265 जुगाड़ (~ जुटना, ~ देखना, ~ बइठना) (नसध॰ 7:30.24, 31.8; 8:32.7)
4266 जुगुत (गो॰ 6:27.20)
4267 जुगुत (= जुकुर) (का करीं, लड़का के बिआह जुगुत एक्को मन लायक लड़कीये न मिलते हे) (अमा॰27:15:1.24)
4268 जुगेड़ी (अमा॰7:17:1.18, 2.16)
4269 जुग्गा (नसध॰ 12:51.15)
4270 जुटना (जुटल) (नसध॰ 4:15.22)
4271 जुटल (नसध॰ 9:43.3)
4272 जुटल-जुटावल (बअछो॰ 9:40.8)
4273 जुटान (बअछो॰ 8:37.1)
4274 जुटान-फुटान (बअछो॰ 2:17.6)
4275 जुटाना (रोजगार के साधन ~) (नसध॰ 37:157.4)
4276 जुठखुटार (= जुठकुठार) (हिदायत कर देल गेल हल कि परसादी के समान लेके पेसाव-पैखाना न करे के आउर न जुठखुटार होवे के चाही । बड़ी नियम-धरम से परसादी इयानी गड़ी-छोहाड़ा-किसमिस-केला-अमरुद-नारंगी परसादी लइहऽ ।) (अल॰4:11.2)
4277 जुठाना (गाँव के लोग नेहा धो के एक ठंइया खाय लगलन हल । मुदा अलगंठवा के माय आज्झ अनुनिया कइले हल । ई गुने उ फलहार के नाम पर परहवा केला जे फतुहा में खूब बिकऽ हे, ओकरे से अप्पन मुंह जुठइलक ।) (अल॰6:16.11)
4278 जुड़जुड़ी (रम॰ 3:25.15)
4279 जुड़वा (कहउतिया आउ परतूक में कम अंतर हे, दुन्नो लोकोक्ति साहित्य के जुड़वा बहिन हे) (अमा॰25:17:2:30)
4280 जुदागी (भाई-भाई में ~; बाप के मरला के बाद दुन्नो भाई में ~ हो गेल) (अमा॰6:9:2.1; 171:8:1.27)
4281 जुमना (मसक॰ 99:12)
4282 जुमना, जुम जाना (नसध॰ 27:122.11)
4283 जुमना, जुम जाना (इस्कूल पहुँचते ही सनिचरा गुरु जी के दे देलक हल आउ सब लड़कन के साथ गोबर-मिट्टी से इस्कूल निपे में लग गेल हल । काहे कि हर सनिचर के दिन इस्कूल निपा हल । इस्कूल निपा ही रहल हल कि साइकिल पर इस्कूल इंस्पेक्टर इस्कूल में जुम गेल हल ।; एही बीच सुमितरी आउर ओकर नाना नन्हकू ऊपर छत पर जुम गेते गेलन हल ।) (अल॰4:9.16; 6:16.4; 7:21.12; 22:69.14)
4284 जुर-पानी (मुखिया जी, सरकार से कुछ ~ लगावऽ न; ओकरा बिआह करे के कुछ ~ लगा देतई हल तऽ ..) (नसध॰ 9:38.25; 22:91.3)
4285 जुरा (= जूरा) (सुमितरी नेहा-धो के घर आयल हल तऽ ओकर माय गड़ी के तेल से मालिस कर देलक हल । आउर कंघी से माथा झार के जुरा बाँध देलक हल । कजरौटी से काजल भी लगा देलक हल ।) (अल॰5:13.11)
4286 जुर्त्ती झारना (गो॰ 5:25.29)
4287 जुलुम (फूब॰ 1:6.4)
4288 जुलुम, जुलूम (बअछो॰ 2:16.11; 8:37.20)
4289 जुलूस (अमा॰26:5:2.18, 19, 23, 6:1.1, 4)
4290 जुवक (= युवक) (गुमराह ~; गाड़ी जइसहीं आगरा टीसन पर रुकल तो एगो डिब्बा से सब जातरी उतर गेलन, खाली एगो बूढ़ी आउ जुवती बच गेल । खलहल पाके ओही डिब्बा में एगो ~ घुस गेल आउ गाड़ी तुरते रफ्तार पकड़ लेलक ।) (अमा॰15:13:1.15; 25:14:1.14)
4291 जुवती (= युवती) (गाड़ी जइसहीं आगरा टीसन पर रुकल तो एगो डिब्बा से सब जातरी उतर गेलन, खाली एगो बूढ़ी आउ जुवती बच गेल । खलहल पाके ओही डिब्बा में एगो जुवक घुस गेल आउ गाड़ी तुरते रफ्तार पकड़ लेलक ।) (अमा॰25:14:1:13, 21)
4292 जुवान (नसध॰ 1:2.17, 4.2)
4293 जूठकठार (= जूठकुठार; दे॰ जुठखुटार) (भला सुनऽ तो, ओकरा भगमानों से डर-भय न लगऽ हई । बाप रे, भगमान के परसदिया जूठकठार कर देकइ, गजब के लइका हइ ई भाय ।) (अल॰4:12.9-10)
4294 जूठा-कूठा (= जुट्ठा-कुट्ठा) (जूठा-कूठा अधपेटा पर इ जमानी सहतो न, ऊपर से तूँ छैल-चिकनिया, भीतर से दिल काला हो ।) (अल॰38:123.2)
4295 जूठे हाथे (नसध॰ 3:11.29)
4296 जून (नानी के टोला पर आधा अदमी एके ~ खाके रह जा हथ) (नसध॰ 29:128.22; 41:184.2)
4297 जूरा (सुमितरी के नानी के टोला-टाटी के अउरत-मरद इ परचार करे में लगल हल कि जब से छउड़ी मलटरी पास कइलकइ तब से ओकर पैर जमीन पर न रहऽ हलइ, धइल न थमा हलइ । रोज-रोज धमधमिया साबुन से नेहा हलइ । काजर-विजर आउर टिकूली साट के गुरोगन के तेल माथा में पोर के, चपोर के, जूरा बाँध के छीट के साड़ी पहिन के चमकाबऽ हलइ, झमकाबऽ हलइ ।) (अल॰32:103.20)
4298 जे (अआवि॰ 12:19, 22; 90:9; 93:27; फूब॰ 1:4.19; 2:7.21)
4299 जे (= जो) (बअछो॰ आमुख:7.29; 2:15.13; गो॰ 1:2.27, 4.18; 2:15.14)
4300 जे (= जो) (देखऽ सुमितरी, जिन्नगी में आनन्द आउर खुसी के छन बहुत कम होबऽ हे । जिन्नगी में हठुआखन उलझन होबऽ हे । अमदी के उलझन के सुलझावे में ही जीमन कट जाहे । ई गुने जे छन मिले ओकरे इ छन्न मान के जिए के चाही ।) (अल॰36:114.23)
4301 जे (जेकरा भाग में ~ रहऽ हे ओही हो हे) (नसध॰ 5:18.25)
4302 जे ... उ (फूब॰ मुखबंध:2.26)
4303 जे ... ओकरा (फूब॰ मुखबंध:2.26-27)
4304 जे ... से (फूब॰ मुखबंध:2.3)
4305 जे ... से (= जो ... सो) (बअछो॰ 3:18.20; 9:43.12; 14:63.4, 64.13-14; 15:68.3; गो॰ 1:5.2)
4306 जे ला कइली तेलिया भतार, से रहले के रहले रह गेल (मसक॰ 96:21)
4307 जे से (= जेकरा से) (नारद के मिसिर जी मंतर पढ़ौलन हल ~  ऊ खदेरन के पीछलग्गा बन गेल हल) (नसध॰ 14:61.19)
4308 जेकर (अमा॰14:16:1.12; अआवि॰ 10:33; बअछो॰ आमुख:7.7)
4309 जेकर (~ लाठी ओकर भइस) (नसध॰ 5:18.30; 27:122.1)
4310 जेकरा (अमा॰1:15:1.16, 2.5, 20; अआवि॰ 11:1; बअछो॰ 1:12.20; 4:23.1)
4311 जेकरा (~ भाग में जे रहऽ हे ओही हो हे) (नसध॰ 5:18.24)
4312 जेकरा (= जिसको) (गो॰ 1:2.29, 4.29, 30)
4313 जेकरा चलते (अमा॰6:10:2.17)
4314 जेजा-जेजा ... ओजा-ओजा (अमा॰173:1:2.20)
4315 जेज्जा (जेज्जा ... ओज्जे) ('पाणिनीय शिक्षा' में जेज्जा 'संस्कृत' सब्द के पहिला बार परयोग भेल हे, ओज्जे 'प्राकृत' सब्द के भी परयोग भेल हे) (अमा॰30:9:1.11)
4316 जेठ (अआवि॰ 81:2)
4317 जेठ (भरला भादो सुखला ~) (नसध॰ 6:24.30; 34:145.12)
4318 जेठरैयत (अआवि॰ 31:5)
4319 जेठान (अआवि॰ 80:30; रम॰ 16:122.20, 23)
4320 जेठानी (अमा॰25:22:2.29)
4321 जेतना (अमा॰1:7:2.3; अआवि॰ 38:30; बअछो॰ आमुख:4.5; 3:18.16; नसध॰ 6:24.6)
4322 जेतना ... ओतना (अमा॰6:10:2.14-15; 15:7:1.19-20)
4323 जेतने (जेतने ... ओतने) (जेतने मुँह ओतने बात इनका बारे में होवे लगल) (अमा॰2:6:1.15)
4324 जेतने ... ओतने (= जितना ही ... उतना ही) (बअछो॰ 1:13.6)
4325 जेत्ता ... ओत्ते (मसक॰ 64:28)
4326 जेत्ते ... ओत्ते (जेत्ते मुँह ओत्ते बात) (मकस॰ 14:16)
4327 जेन्ने ... ओनहीं (अमा॰12:5:1.1)
4328 जेन्ने ... ओन्ने (अमा॰21:17:2.27; 171:7:1.7-8; अआवि॰ 35:4; कब॰ 29:6)
4329 जेन्ने, जन्ने (अआवि॰ 35:4)
4330 जेन्ने-जेन्ने ... ओन्ने-ओन्ने (अमा॰18:12:1.19)
4331 जेन्ने-तेन्ने (= जन्ने-तन्ने) (अमा॰165:12:1.12; 167:18:2.2)
4332 जेभी (अमा॰166:7:1.29, 8:1.34; गो॰ 6:30.16; मसक॰ 134:3)
4333 जेभी (रघुनाथ अप्पन जेभी से दू गो वीड़ी निकाल के फक-सन्न सलाइ जला के वीड़ी सुलगा के एगो वीड़ी रामखेलामन के ओर बढ़ावइत आउर एगो बीड़ी अप्पन मुंह में दवाबइत कहलक हल) (अल॰8:23.22)
4334 जेमना (= जमना, ज्योनार करना) (हलऽ लऽ, पांड़े धमक गेलो, विना जेमले उ बाज न अइतो ।; भला सुनऽ त, हम मुसहरवा के छुअलका कादो जेमम ।) (अल॰43:141.3, 10, 142.2)
4335 जेमाना (पुरोहित जेमयबइ) (अमा॰174:12:1.3)
4336 जेमाना (भोजन सब सध गेलई का ? जदि हइ तऽ पंडीजी के भी जेमा देहु ।) (अल॰43:141.27)
4337 जेलर (नसध॰ 49:212.11)
4338 जेवनार (नसध॰ 44:196.16, 197.6)
4339 जेवार (अमा॰2:6:1.1; 173:7:1.28; मसक॰ 16:1; नसध॰ 24:97.30)
4340 जेवार (उ जेवार में कोय के अइसन घर न हल जेकरा हीं अलगंठवा के घर के लोटा-थरिया-कठौती-बटलोही बंधिक न होत । माय-चच्चा आउर बाबू जी के मर जाय के वाद अलगंठवा के परिवार में घनघोर अंधेरा छा गेल हल ।) (अल॰12.35.21; 17:52.13)
4341 जेहल (अमा॰14:12:1:15; 26:5:1.6, 2.6; 164:9:2.27; बअछो॰ 2:15.26)
4342 जेहल (एकरा लेल हमनि के जेहल भी जाय पड़त तो भी डरे के न चाही ।) (अल॰40:126.6)
4343 जेहल (जेहल के खिचड़ी खाना/ खिलाना) (नसध॰ 33:143.2; 39:165.22; 49:209.24, 210.28, 211.9)
4344 जेहलखाना (गो॰ 4:23.15)
4345 जेहलखाना (डेग-डेग पर जेहल खाना, हाथ- हाथ में बेड़ी हे) (अमा॰26:12:2.22)
4346 जेहे में (फूब॰ मुखबंध:2.6)
4347 जै-छै (= जय-क्षय) (नसध॰ 45:199.5)
4348 जैसन (फूब॰ मुखबंध:1.1, 2; 1:5.15)
4349 जो (= जा) (जब तूँ हम्मर बाते न मानबे, तब घर से निकल जो !) (अमा॰13:16:2.10)
4350 जोआ जाना, जुआ जाना (मसक॰ 113:18-19)
4351 जोकरई (अमा॰165:3:1.6)
4352 जोग (गो॰ 1:9.18; 3:15.30; नसध॰ 6:23.10)
4353 जोग-जुआन (दे॰ जमान-जोग) (इसलामपुर दुरगाथान बजार में खचाखच अउरत-मरद जोग-जुआन के भीड़ उमड़ल हल ।) (अल॰44:154.1)
4354 जोगता (= योग्यता) (चुभसे॰ 1:4.11)
4355 जोगदान (= योगदान) (अमा॰16:6:1.27)
4356 जोगाड़ (मसक॰ 151:4)
4357 जोगाड़ (~ भिड़ाना, ~ भिड़ावे में लग जाना, ~ बइठाना) (दरोगी जी के औडर देख के सब मास्टर लोग अप्पन-अप्पन जोगाड़ भिड़ावे में लग गेलन हल ।; काहे नयँ तुहों हेड औफिस जाके कोय जोगाड़ बइठावऽ) (अमा॰4:15:1.6; 29:12:1.19, 23; 164:9:2.28; 168:12:1.10)
4358 जोगाना (जोगा के रखना) (कब॰ 45:9)
4359 जोगिन (नसध॰ 5:17.27)
4360 जोगी (नसध॰ 38:163.23)
4361 जोग्ग (= योग्य) (उ इस्कूल के हेडमास्टर भी जोग्ग-जोग्ग हलन ।) (अल॰22:69.28)
4362 जोजना (= योजना) (नसध॰ 39:172.31, 173.13, 21; 47:204.28)
4363 जोजना (अलगंठवा बहुत आगे-पीछे सोंच के बाद दिलदार राम, रजेसर आउर रमेसर के भी जउर-साथ लेके राजगीर जाय के मने मन जोजना वनावइत कहलक हल -"ठीक हे, तूँ लोग जाके तइयारी करऽ गन ।") (अल॰31:96.17; 41:129.26)
4364 जोट्टा (अरार पर पीपल, बर आउर ताड़ के पेड़ एक साथ जोट्टा हो के बड़ी दूर में फैलल हल ।) (अल॰21:66.28)
4365 जोड़ (= जोर) (सुमितरी सीऽऽऽसीऽऽऽ करइत कहलक हल - "एता जोड़ से नाक अंइठ देलऽ कि लहरे लगल । छोड़ऽ, अब हम जाही ।") (अल॰13.40.27)
4366 जोड़ती करना (केकरो ~) (मसक॰ 33:25)
4367 जोड़ना (जोड़-जाड़ के) ("केतना खरचा लग जात ?" फेनु सवाल उठयलन दरोगी जी । - "इहे कोय पच्चीस-तीस हजार ।" जोड़-जाड़ के फारे-फार समझयलन भुनेसर जी - "सबके देवे पड़ऽ हे दान-दछिना । चपरासी से लेके साहेब तक ।") (अमा॰29:12:1.33)
4368 जोड़ा-पारी (कब॰ 35:2)
4369 जोड़ापारी (कबड्डी-चिक्का-लाठी, डोलपत्ता, आउर कत्ती खेले में, पेड़-बगान चढ़े में, गाँव में नदी-नाहर से गबड़ा में मछली मारे में आउर अप्पन जोड़ापारी के संघतिअन में तेज तरार हल अलगंठवा ।) (अल॰1:1.25)
4370 जोड़ियाना (गो॰ 1:1.3, 4,5)
4371 जोड़ी (नाग-नागिन नियन ~, गार-नार जुवान ~, ~ बइठाना) (नसध॰ 5:21.14; 7:30.28, 31.2; 49:212.18)
4372 जोड़ी (राम मिलावल ~) (अरे, हमनि दूनो तऽ राम मिलावल जोड़ी, येक अंधा येक कोढ़ी हइए हऽ । हम ताड़ी के चलते अट्ठारह विघा फुक देली तऽ तूँ गांजा के चलते नौ विघा । गांजा के चिलिम पर गुल बना के सोंट गेलऽ ।) (अल॰8:24.12)
4373 जोत-जमीन (नसध॰ 49:210.22)
4374 जोत-जीरात (दुन्नो भाई में मेल-मिलाप बनल रहल । जोत-जीरात बढ़इत रहल । दस बिगहा से पच्चीस बिगहा जमीन गो गेल ।) (मकस॰ 57:6)
4375 जोतना (जे जोतऽ हइन से खा हइन) (नसध॰ 9:39.7)
4376 जोताई (बअछो॰ 17:74.1)
4377 जोतिस (= ज्योतिष) (अमा॰166:7:2.12)
4378 जोतिस (= ज्योतिषी) (मसक॰ 83:3, 4; 86:28)
4379 जोती (= ज्योति) (तरेगन से इंजोर के असरा कइसन ? सुरुज के जोती नियन जगमगा के जिअ ॥) (अमा॰29:15:2.10)
4380 जोय (नसकट खटिया बतकट जोय, ताकर खरियत कभी न होय) (अमा॰25:17:2:25)
4381 जोर (= जोड़) (~ जर गेल हे तइयो अईठन बाकी हे) (नसध॰ 7:30.18; 23:94.11)
4382 जोर (सुतरी के पुराना ~ बान्हल) (नसध॰ 3:9.2)
4383 जोर-जुलुम (जमींदार के ~) (अमा॰2:5:2.14)
4384 जोरन (अमा॰172:11:1.1)
4385 जोरु-जाँता (न इनका बाल-बच्चा के फिकिर, न जोरु-जाँता के चिन्ता) (मकस॰ 45:8)
4386 जोरू-उरू (फूब॰ 5:20.7)
4387 जोलहा (घर वके भतार पूछे कउन-कउन जात हे । चार गो तो जोलहा-धुनिया, चार गो चमार हे ।) (अमा॰1:12:1.32)
4388 जोस (= जोश) (~ में आना) (नसध॰ 36:153.8)
4389 जोस-खरोंस (सब लोग पटना आउर देस के राजनीत के वारे में पूछे लगल हल । लोगन में जोस-खरोंस भरल हल ।) (अल॰44:151.12)
4390 जोहना (= खोजना) (अआवि॰ 57:3)
4391 जोहियाना (बाहर से बदमास सब के जुटा के गोली-बन्दूक भी जोहिया रहलो हे ।) (अल॰25:75.15)
4392 जौ (झोला में एगो छोट साइज के गीता, एगो डायरी, कुछ लहसून के पोटा आउर लूंगी हल । कभी-कदाल भूख लगे पर दू जौ लहसून चिवा के भर हिंच्छा पानी पीके टंट हो जा हल ।) (अल॰44:149.29)
4393 जौन (अआवि॰ 30:9, 13; 36:14; 43:33; 44:31; 46:1; 77:31, 32; 82:20; 86:30; फूब॰ 1:6.24)
4394 जौर (अआवि॰ 4:15; 47:9; 82:17; फूब॰ मुखबंध:2.20; मसक॰ 99:22)
4395 जौर (सब लोग इस्कूल पऽ ~ होवे; कहल जाहे कि दुख सबके ~ कर दे हे) (नसध॰ 24:99.10; 35:149.6)
4396 जौर-साथ (= जउर-साथ) (भला सुनऽ त, हम मुसहरवा के छुअलका कादो जेमम । फनु मियाँ भी जौर-साथ में पकइलक होत ।) (अल॰43:142.2)
4397 जौरहीं (उनका ~ उनकर मेहरारू आउ लइकन सब भी रहऽ हथ) (अमा॰6:11:1.3)
4398 जौरी (~ बाँटना) (अलगंठवा येगो नेवारी के आँटी के जौरी बाँट के कुत्ता के गोड़ में बाँध के खिचते-खिचते गाँव के बाहर पैन पर ले जा के रखलक, आउर घर से कुदाल ले जा के भर कमर जमीन खोद के ओकरे में कुत्ता के गाड़ देलक ।) (अल॰2:5.22)
4399 जौरी (= जउरी, रज्जु) (बटेसर के बात सुन के माय-बेटी हाथ में नेवारी के जउरी लेके खेत दने सोझिया गेल हल ।) (अल॰9:29.20)
4400 जौरे (मकस॰ 58:24; मसक॰ 9:28; 50:17; 117:11, 27; 118:9)
4401 जौरे (= साथ में) (चुपचाप हमरा जौरे चलऽ; लइकन ~ मिलके) (अमा॰4:10:1.4; 18:8:1.16, 9:1.17; 166:20:1.13; 167:8:2.12)
4402 ज्वायन (~ करना) (टरेनी करके नर्स अभी पहिले-पहिल नानी टोला के स्वास्थ्य-केन्द्र पर ~ कैलक हल) (नसध॰ 28:124.21)

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