Sunday, October 18, 2009

34. भकारादि शब्द

8374 भँजाना (नोट आदि) (गो॰ 6:29.13)
8375 भँड़ुअइ (फूब॰ 7:25.11)
8376 भँड़ुआ (अमा॰1:13:1.18)
8377 भँभोरना (कब॰ 26:4)
8378 भंग (तपस्या ~ करना) (नसध॰ 37:160.27)
8379 भंगी (ई आन्दोलन में न सिरीफ छात्र आउ बुद्धजीविए हलन, बलुक मजूर, किसान, कुली आउ भंगी सब कूद गेलन) (अमा॰26:6:1.8)
8380 भंजाना (मसक॰ 100:2)
8381 भंजाना (कोय कह रहलन हल "जउन सरकार गद्दी पर बइठल हे ऊ सबसे पहिले शिक्षा के भंजावे में लग जाहे, कोय अइसे तो कोय ओइसे ।") (अमा॰29:12:1.6)
8382 भंजौठी (~ भाँजना) (नसध॰ 21:87.2)
8383 भंटा (नसध॰ 26:114.21)
8384 भंडार कोना (अब डेरा कूच करे के चाही । काहे कि वेर भी लुकलुका रहलो हे आउर भंडार कोना में घटा भी छा गेलो हे ।) (अल॰43:144.22)
8385 भंड़ुआ (फूब॰ 4:16.13)
8386 भइया (अमा॰14:8:1.6)
8387 भइया-भउजी (अमा॰171:1:1.8)
8388 भइस (= भैंस) (जेकर लाठी ओकर ~) (नसध॰ 4:14.9, 12; 27:122.1)
8389 भइसासुर (नसध॰ 4:14.10)
8390 भईंस (~ गारना) (भईंस हम गारऽ हली, बाकि दूध हम नऽ खा हली; अहरी पोखरी भरल नहाए भईंस  पसर के पानी में) (अमा॰22:7:1.6; 17:2.12)
8391 भईंसा (ई सब देवतन के अलग-अलग तरह के भोजन हे । माँ काली ला भईंसा, देवी जी ला पठिया, सरस्वती ला फल-फूल आउ मिष्टान्न, गोरइया आउ डाक ला खस्सी-भेंड़ा, सूअर, मुर्गा, कबूतर, टिपउर ला खस्सी-भेंड़ा आउ डाक गोरइया के तो खूनो पीए से जब तरास न जाय त अलगे से तपावन (दारू) देल जाहे, तब जाके उनकर पियास बुझऽ हे ।) (अमा॰22:13:1.12)
8392 भउकी (~ देना) (हो सकऽ हो कि चनेसर महतो के केतरिया में इया पइनिया में बदमास लोग कर छिपइले होतो आउर भउकी देके हमनी के घात करे ला बुलावइत हो ।) (अल॰33:105.29; 41:129.9)
8393 भउजाई (अमा॰27:6:1.12; नसध॰ 9:43.9)
8394 भउजी (अमा॰14:8:1.5)
8395 भउजी (सुमितरी के माय के नजर जब अलगंठवा के माय पर पड़ल हल तऽ हँसइत आउ पुलकइत पाऊँ लगी भउजी कहलक हल ।) (अल॰6:16.20)
8396 भक (~ होना) (ललिता जी अप्पन गला के धागा हाथ में बाँध के सभे चूड़ी फोड़ देलन । सभे महिला ~ होके उनका देखते रह गेलन ।) (अमा॰172:5:2.32)
8397 भकचोंधर (होतई भकचोंधर आउ का ? ~ भर तिलक भी लेतन आउ इन्नर के परी दुल्हन भी ?) (अमा॰167:9:1.5)
8398 भकचोन्हर (~ कहीं के !) (अमा॰165:8:1.32)
8399 भकभक (~ उज्जर) (अमा॰167:12:2.4, 17)
8400 भक-भक गोर (मसक॰ 63:4)
8401 भकभकाना (भगजोगनी भी भक-भका रहल हल ।; फनु मियाँ चार सेल के टउँच पेड़ पर भकभका देलक, तऽ देखलक कि दू गो गोहमन साँप फन फैला के फाँय-फाँय कर रहल हे ।) (अल॰42:130.8, 131.8)
8402 भकलोल, बकलोल (मसक॰ 164:15)
8403 भकसन (रम॰ 14:108.12)
8404 भक-सन (अस्टेशन मास्टर सरदा जैन हाथ में ललटेन लेके दो चार गो पसिंजर के उतरते देखके टिकट जब मांगे लगल तऽ अलगंठवा टिकट देइत सरदा जैन के तरहथी में भकसन चुट्टी काट देलक हल ।) (अल॰41:126.16)
8405 भकोसना (दुइये घड़ी दिन उठते तीन बेर भकोसऽ हे । आउ खाय आउ खाय तिले-तिले घोसऽ हे ।। सब मिल कटोरे-कटोरे बाले बच्चे घटोरऽ हे ।) (अमा॰7:7:1.9)
8406 भक् दे (धुआँइत आग ~ लहर उठल) (नसध॰ 19:77.14; 44:195.27)
8407 भक्खा (मसक॰ 98:20)
8408 भक्तिन (नसध॰ 5:17.8)
8409 भक्-भक् (गली-गुची ~ इंजोर हो गेल) (नसध॰ 35:149.30)
8410 भक्सन (= भक सन) (करीब दू कोस रस्ता तय करे के बाद सुरज महराज पूरब में भक्सन लाल दिखलाई पड़लन हल ।) (अल॰3:6.2)
8411 भगजोगनी (तूँ भगजोगनी बन के का करबऽ । पुनियाँ के चान नियन चमचमा के जिअ ॥) (अमा॰29:15:2.7)
8412 भगजोगनी (भगजोगनी भी भक-भका रहल हल ।) (अल॰42:130.7)
8413 भगत (नसध॰ 14:60.12)
8414 भगत-गुनी (नसध॰ 13:56.25)
8415 भगत-बनिया (रम॰ 13:101.1)
8416 भगत-बनिया (दू बरिस से उनखा दमा के रोग से परेसान हियो । दवा-विरो कराके थक गेलियो हे । भगत बनिया के पीछे भी कम खरच न कइलियो हे । मुदा कुछ न लहऽ हो ।) (अल॰6:17.10)
8417 भगमान (गो॰ 1:4.20, 9.6, 7; मसक॰ 152:8; 154:6; 167:1)
8418 भगमान (= भगवान) (अमा॰6:15:1.16; 169:9:1.28, 11:2.36)
8419 भगमान (= भगवान) (घर में सतनाराइन भगमान के कथा भी होयल हल । अइसे तऽ परतेक पुनिया के भगमान के कथा होवऽ हल ।; भगमान के देखे खातिर अप्पन आँख से चारो ओर हिआवे लगल कि कहीं से भगमान जी जरुरे देखाय देतन ।) (अल॰4:10.28, 11.10, 11)
8420 भगमान साले-साल पैदा देथ, कइसहुँ मरतय-धरतय दिन जयबे करत (गो॰ 3:17.24-25)
8421 भगलपुरिया (~ गांजा) (ए जजमान, हमरा हीं गांजा एकदमे ओरिया गेलो हे । सुनलियो हे कि तोहरा हीं भगलपुरिया गांजा हो । लावऽ न, येक चिलिम हो जाय ।) (अल॰8:24.27, 30)
8422 भगवान (~ बुद्ध के मूरति बन जाना) (नसध॰ 38:163.24)
8423 भगाना (एकरा हिआँ से जल्दी भगाव) (नसध॰ 29:127.8; 41:181.5)
8424 भगाना, भगा देना (नसध॰ 33:142.9)
8425 भटकना (भटकल) (अमा॰13:1:1.14)
8426 भटजुग, भठजुग, भठयुग (नसध॰ 8:34.22, 23; 16:69.9; 30:133.21)
8427 भट-भटी (रम॰ 14:111.8)
8428 भट्ठा (कब॰ 5:4)
8429 भट्ठा (सब पइसा फुँकाइत हे भट्ठा में) (अमा॰26:11:1.4)
8430 भट्ठी (कब॰ 5:11)
8431 भठजुग (मसक॰ 128:11)
8432 भठयुग (अमा॰13:5:1.14)
8433 भठिआरा (रम॰ 8:68.24)
8434 भठियारा (भइया गुस्सा में अलगंठवा के दू तमाचा जड़इत कहलक हल - "ले रे भठियारा, सब परसादी तोंही खा जो । बाप रे बाप, सब एकबाघट कर देलकइ, बेहूदा-हरमजादा ।") (अल॰4:11.28)
8435 भडँती (?) (नसध॰ 26:117.9)
8436 भड़काना (नसध॰ 37:156.25)
8437 भड़भड़ भड़भड़ (बअछो॰ 5:27.13)
8438 भड़भड़ाना (नसध॰ 3:13.9)
8439 भड़भड़िया (~ नानी आज बड़ा गम्भीर हल) (नसध॰ 15:67.8)
8440 भड़सार (चूल्हा ~ में जाना) (नसध॰ 23:96.12)
8441 भड़ास (अमा॰17:5:1.16)
8442 भड़ुवा (नसध॰ 42:186.16)
8443 भतखही (= भतखई) (गोतिया के देबई भात भतखहिया, गोतनी के हलुआ घँटाई ।) (अमा॰1:12:1.12)
8444 भतरछोड़नी (नसध॰ 1:2.10)
8445 भतवान (बअछो॰ 16:71.12, 72.5)
8446 भतार (कब॰ 1:18; मसक॰ 101:10; नसध॰ 1:2.1)
8447 भतार (मट्टी कोड़े गेलऽ छिनरो तूहूँ गंगा पार हे । गजनौटा में चोरयले अयलऽ सोलह गो भतार हे ।; तब ऊ झंझुआ के बोलतन - 'अजी अपने एकलौती बेटिया के पढ़ावऽ ! ओकरे नौकरी लगावऽ ! ओकर भतार खोजे में पता चलतो कि बेटी के पढ़यला पर दमाद कइसन खोजे पड़े हे । ...') (अमा॰1:12:1.30; 24:15:1.17)
8448 भतार (माउग-भतार) (मकस॰ 29:19)
8449 भतिया (पोसली भतिया भेल भतार) (अमा॰25:17:2:19)
8450 भदई (पानी के कोई रंगत न हे, धान-भदई तऽ गेबे कयल, रबीओ चल जायत) (नसध॰ 9:38.24)
8451 भदई-खरीफ (नसध॰ 9:41.18)
8452 भद्दे (= भद दे) (अकास से ~ जमीन पर गिरना) (नसध॰ 44:195.26)
8453 भद्-भद् (छप्पर पर भद्-भद् के अवाज होवे लगल हल । हहा के बरसा बरसे लगल हल ।) (अल॰42:133.30)
8454 भनक (~ परना, ~ मिलना) (नसध॰ 7:30.5; 14:63.10; 30:131.27)
8455 भभकना, भभक जाना (नानी सुन लेलक आउ भभक गेल; आग भभक गेल) (नसध॰ 1:2.17; 27:119.2; 27:120.6; 49:210.29)
8456 भभकाना (तोहनी से आग न लहरतो, लाव हम दू फूँक में भभका दे हियो) (नसध॰ 27:118.28)
8457 भभिस, भभीस (= भविष्य) (नसध॰ 14:60.1)
8458 भभु (भैसुर जोते हर, भभु के लगल घाम) (अल॰26:78.10)
8459 भभू (मसक॰ 99:5)
8460 भभूत (अमा॰11:14:1.14; नसध॰ 9:42.29)
8461 भमाह (जाड़ा के दिन में गुड़ के भेली सोंप-जीरा आउर न जानी कउन-कउन मसाला मिला के चचा जी कोलसार में भेली बना के घर के कंटर में रख दे हलन । आवल-गेल आउ टोला-टाटी के भी खिलाबऽ हलथिन । मुदा आज्झ कोठी-कोहा-कंटर खाली भमाह रह गेल ।) (अल॰12.36.27)
8462 भमोरना (सुमितरी भी करहा से पानी छूके गोड़ चले ला बढ़इवे कइलक हल कि एगो साँप पर कच-सन सुमितरी के पैर पड़ गेल हल । सुमितरी बाप रे बाप, मइगा गे मइया करइत गुदाल करे लगल हल कि हमरा साँप भमोर देलक रे बाप ।) (अल॰18:54.17)
8463 भयामन (गो॰ 5:24.1, 17)
8464 भर (= 1 तोला या 10 ग्राम) (आम तौर से उहाँ के महिला सोना के सिकड़ी अवश्य पहिनऽ हथ । कम से कम दू भर से पाँच भर तक के सिकड़ी पहनऽ हथ ।) (अमा॰163:8:1.26)
8465 भर (आज ~) (नसध॰ 3:12.21)
8466 भर जी (गरान से हमनी के दम घूट रहल हे । घर में बेटा-पुतोह आउर जनाना तक भर जी न बोलऽ हे ।) (अल॰33:106.26)
8467 भर थरिया (बअछो॰ 3:18.13)
8468 भर दुफरिया (गो॰ 4:20.11)
8469 भरता (नागा अलगंठवा के मुताबिक खिचड़ी आउ भरता बनवा के सब के सुध घी के साथ पापड़ भी परस के खिलइलक हल ।) (अल॰31:102.11)
8470 भरनठ (नसध॰ 6:25.4; 23:94.17, 18; 27:122.3)
8471 भरनठ (हमर धरम ~ हो गेल) (अमा॰165:7:2.7, 8:2.7)
8472 भरनष्ट (नसध॰ 42:187.23)
8473 भरना (खानल गड़हा में गिर गेल जेकरा में पानी भरल हल) (नसध॰ 31:136.13)
8474 भरभराना (चंचला भरभराइत अवाज में पूछलक; एक्को महल बने के उम्मीद न हे । बने के पहिलहीं सब के सब भरभरा के गिर पड़ऽ हे ।) (अमा॰12:9:1.19; 21:18:2.3)
8475 भरभराना (पछियारी आउर दखिनवारी घर के दीवार भी दरक गेल हल आउर उत्तरवारी घर तऽ सहन ही हो गेल हल । गाँव में कइ लोगन के घर भरभरा के सहन हो गेल हल ।) (अल॰44:152.14)
8476 भरभराना (भरभरा के खड़ा हो जाना; मिसिर, बरमा के छोड़ के भरभरा के सब हाथ उठ गेल) (नसध॰ 1:1.2; 9:42.5; 45:199.16)
8477 भरम (= भ्रम) (अमा॰4:4:1.9; 14:12:1.17; नसध॰ 11:49.5; 35:150.24; 38:163.13)
8478 भरम भटका (भरम भटका जे हल से मेटा जाहे) (अमा॰17:6:2.4)
8479 भरमाना (अमा॰13:1:1.8; नसध॰ 12:51.15)
8480 भरमार (नसध॰ 35:150.30)
8481 भरल (नसध॰ 29:126.4)
8482 भरल-पूरल (अमा॰13:9:2.15; 17:15:1.7; अआवि॰ 72:4; 106:5; नसध॰ 35:150.29)
8483 भरस्ट (= भ्रष्ट) (अमा॰17:5:1.25)
8484 भल ('अलका मागधी' के भल चाहे ओला नवो ग्रह एक्के साथ हथ, तो एकर अनभल काहे होयत) (अमा॰12:19:1.13)
8485 भला (नसध॰ 22:88.15; 38:162.12)
8486 भलाई (नसध॰ 34:145.27; 35:151.31)
8487 भला-बुरा (नसध॰ 38:163.23)
8488 भलुक (गो॰ 1:6.11)
8489 भवता (मसक॰ 5:14)
8490 भवह (~ नऽ हलऽ, छुआ गेलऽ कि नऽ ?) (नसध॰ 21:86.21)
8491 भविस (अमा॰3:4:1.16, 13:1.3; 173:4:1.20; कब॰ 1:23; मसक॰ 26:22)
8492 भविस (= भविष्य) (नसध॰ 37:160.29)
8493 भविसबानी (अमा॰169:5:2.2)
8494 भविस्स (= भविष्य) (ओकरा लगऽ हल कि अब अलगंठवा के पढ़ाय-लिखाय बंद हो जात, आउर एकर वाद न जानी अलगंठवा के भविस्स का होयत ।) (अल॰13.38.14)
8495 भसकना (भसकल देवाल) (अमा॰166:7:2.30)
8496 भसम (= भस्म) (सोहराय गांजा के विआ चुनइत कहलक -"मंगनी के चनन रगड़बऽ लाला, त लाबऽ न, भर निनार । ओही बात हे इनखर । अइसन हदिआयल जइसन दम मारऽ हका कि एक दम में सब गांजा भसम हो जा हे ।") (अल॰8:25.9)
8497 भसान (बअछो॰ 6:29.9, 18, 31.18)
8498 भहराना (फिन अबकी बेटा होवे के आशा के पुल लोग के दिल में बनल, बाकि बेटी होवे से भहरा गेल) (अमा॰173:20:1.26)
8499 भाँग (त एकर मतलब ई होयल कि अपने भाँग खाके इसकूल आवऽ ही ?; बेटी माँग के का करत  - खाक ! घर में भूँजी भाँग रहे तब न !) (अमा॰23:14:1.8, 16:1.25)
8500 भाँड़ के रखना (गो॰ 7:36.10)
8501 भाँय-भाँय (अब तक गरीब-गुरबा के बेटा-बेटी रहतो हल तऽ सउँसे गाँव में ~ हो जइतो हल) (नसध॰ 14:60.26; 16:69.1)
8502 भांड़ी (फूब॰ मुखबंध:1.15)
8503 भाई-बंधु (नसध॰ 37:157.22)
8504 भाओ (गो॰ 10:44.22; 11:47.11)
8505 भाखन (= भाषण) (नसध॰ 9:41.17)
8506 भाखल (जान ~ होना) (भूतहा मील में कोई आटा पिसावे न जाय, न तोरी तीसी कोई पेरावे, जेकर जान ~ होय ओही जाय) (नसध॰ 32:138.7)
8507 भाखा (= भाषा) (बाद में तो बौद्ध धरम आउ पटना-चम्पा (भागलपुर) के बेपारी लोग के सम्पर्क भाखा के रूप में मागधी लंका, बरमा, जावा-सुमात्रा से लेके चीन, जापान, यूनान, फूनान तक दूर-दूर तक फैल गेल) (अमा॰30:8:1.2; 10:2.5)
8508 भाग (= भाग्य) (गो॰ 3:19.24, 25; 5:25.23, 28)
8509 भाग (= भाग्य) (जेकरा ~ में जे रहऽ हे ओही हो हे) (नसध॰ 5:18.24; 6:24.15)
8510 भाग (= भाग्य) (शहर में काम करे जा आउ अप्पन भाग अजमावऽ; हाय रे ~ !) (अमा॰23:5:1.10; 166:9:1.31; 173:20:1.6)
8511 भाग के साँढ़ (रम॰ 13:104.24-25)
8512 भागना, भाग जाना (नसध॰ 28:125.25)
8513 भागसाली (= भाग्यशाली) (नसध॰ 25:107.6)
8514 भाग्ग (= भाग्य) (हम्मर मतिए मारल गेलो हल । भाग्ग में जे बद्दल रहऽ हे उ होके रहऽ हे भाय ।) (अल॰8:23.21)
8515 भात ('भात' प्रेम कुमार मणि के बड़ी चर्चित मगही कहानी हे । अकाल आउ उत्पीड़न के मारल हे सोमारी ! अकाल के मारल ऊ अप्पन मरद के कारज में भाई के भातो न देलक । ... एगो नऽ, तीन गो भात ।) (अमा॰17:6:1.15, 16)
8516 भात (हमर जत गेल आउ भातो न मिलल) (नसध॰ 23:95.27; 29:129.31)
8517 भादो (अआवि॰ 80:27)
8518 भादो (भरला ~ सुखला जेठ) (नसध॰ 6:24.30)
8519 भाय (= भाई) (अमा॰13:10:1.26; 16:11:1.10, 12; 170:5:1.29; 172:11:1.13; मसक॰ 97:1)
8520 भाय (= भाई) (अलगंठवा के बाबू इयानी कलकतिया बाबू, जे बारह बरिस के उमर में बूढ़ा बाप, चार बरिस के माय के टुअर भाय आउर अप्पन अउरत के नैहर में छोड़ के कलकत्ता चल गेलन हल ।; ई बात सुन के चचा-भाय आउर भोजाय आउर टोला के कई गो अमदी के ठकमुरकी लग गेल हल ।) (अल॰1:1.9; 4:11.26; 8:23.21)
8521 भाय-भोजाय (अमा॰13:9:2.13)
8522 भार (~ परना) (नसध॰ 27:120.30)
8523 भारथ (= भारत) (भारथ गाँव के देस हे ।) (अल॰44:154.19)
8524 भारी (~ गलती कर देना) (नसध॰ 38:163.26)
8525 भाव (अहंकार के ~) (नसध॰ 35:150.16)
8526 भाव-बट्टा (अआवि॰ 30:16, 23)
8527 भावी (~ संकेत) (नसध॰ 38:161.20)
8528 भासन (बअछो॰ 2:15.20; 9:40.8)
8529 भासन-वासन (बअछो॰ 2:15.21)
8530 भासा (अगर कोई भासा के आदर, सम्मान, ओकर उचित स्थान ओकरा बोलेवाला बेकती न देत, तब का दोसर भासा-भासी देतन ?; भारत के अन्य भासाभासी के मुकाबला में मगहियन लोग सबसे जादे अप्पन भासा के हीन समझऽ हथ आउ ओकरा उपेक्षा के नजर से देखऽ हथ ।) (अमा॰1:5:1.9, 11, 6:2.4, 10:1.15; 16:5:1.5)
8531 भासा (भाषा) (फूब॰ मुखबंध:2.27, 32)
8532 भासा-भासी (अगर कोई भासा के आदर, सम्मान, ओकर उचित स्थान ओकरा बोलेवाला बेकती न देत, तब का दोसर भासा-भासी देतन ?; भारत के अन्य भासाभासी के मुकाबला में मगहियन लोग सबसे जादे अप्पन भासा के हीन समझऽ हथ आउ ओकरा उपेक्षा के नजर से देखऽ हथ ।) (अमा॰1:5:1.11, 6:2.3, 10:1.17)
8533 भिंजना (भिंजल भूसा) (नसध॰ 6:27.22; 37:159.14)
8534 भिखमंगा, भीखमंगा (नसध॰ 6:24.11; 8:34.30)
8535 भिजुन (अमा॰13:12:2.27; 165:10:2.22; गो॰ 8:36.27; 11:47.16, 19; कब॰ 16:13; मसक॰ 160:13; नसध॰ 5:19.19; 37:159.14; 44:192.21)
8536 भिड़काना, भीड़काना (नाना-नानी के खिला-पिला के तेल-कुड़ कर के आउ टोला-टाटी निसबद हो जइतो तऽ अइवो । मुदा तूँ घर के अगिला डेउढ़ी पर ही अप्पन बिछौना लगइहऽ । केवाड़ी खाली भीड़का दीहऽ ।; बरेठा लगल दरवाजा धीरे-धीरे उसका के फिन भिड़का के बाहरी से सिटकीली चढ़ा के अप्पन घर से बाहर निकल के जमीन पर सले-सले गोड़ रोपइत अलगंठवा दने सोझिआ गेल हल ...।) (अल॰34:110.17; 36:113.25)
8537 भितरहीं-भितरे (गो॰ 10:43.26)
8538 भितरौली (~ दाँव मारना) (अमा॰16:12:2.10)
8539 भिनकना (मन ~) (हमरा तोरा से मन भिनक गेल) (अमा॰165:23:1.5, 6)
8540 भिनभिनाना (विनोबा जी के पत्नी अप्पन पति के जरूर मानऽ हथ मगर भीतर से भिनभिनायल रहऽ हथ) (अमा॰19:14:1.6)
8541 भिनसरवे (अमा॰166:6:2.15)
8542 भिनसरे (अल॰41:127.22; मसक॰ 123:18)
8543 भिनसार (भिनसरवे से) (नसध॰ 3:10.18)
8544 भिनुसरवे (पाँच बजे ~ ओकर बाप ओकरा जगा दे हथ) (अमा॰13:7:2.17)
8545 भिमिर (लाल ~) (कतकी पुनिया के चांद पूरब ओर लाल टह-टह होके आग के इंगोरा नियन इया कुम्हार के आवा से पक के लाल भिमिर हो के बड़गो घइला नियन उग रहल हल ।) (अल॰6:18.11)
8546 भिर (बअछो॰ 9:41.14; 10:47.11; 16:72.11; कब॰ 6:19; मसक॰ 13:3; 14:3; 18:26; 19:3; 29:3; नसध॰ 5:16.22)
8547 भिर (= पास) (हमरा हीं से पच्छिमे दू किलोमीटर पर 'मेन' गाँव में बूढ़वा महादे हथ । उनका भिर हर साल फागुन तिरोस्ती के बिहानी होके एगो स्थानीय मेला लगऽ हे जेकर नाम हे कोचामहादे इया कोचामठ के मेला ।; हम तो मइया से जादे ओकरे भिर अगोरले रहऽ हली ।) (अमा॰22:13:2.20, 16:2.21)
8548 भिर, भीर (भीर - रम॰ 3:34.18)
8549 भिरना (= भिड़ना) (अमा॰16:12:1.29, 30)
8550 भिरी (अब तो घर रंग-बिरंगा बिजली के बउल से सजावल जाहे । जादे से जादे तुलसी चौरा पर एगो दीया बरत आउ एगो गणेश-लछमी जी भिरी ।) (अमा॰13:7:1.12)
8551 भिरी, भीरी (चुभसे॰ 1:2.14; 3:9.25, 11.3, 12.12; गो॰ 1:6.24; 2:11.29; 2:12:26, 27; 11:48.2)
8552 भिरु (= भिर, पास) (अमा॰20:18:1.14)
8553 भिरु, भिरू (नसध॰ 1:3.9; 3:9.1)
8554 भिरूआ (ओहनी के ~ गेला पर मिसिर जी पूछलन) (नसध॰ 43:190.22)
8555 भी (= भिर, भिरु) (ऊ ताव में मिसिर जी भी पहुँचल आउ उनका गरिआवइत सीधे चमटोली पहुँच गेल) (नसध॰ 14:63.30)
8556 भींजाना (नसध॰ 1:3.2; 3:9.21)
8557 भीख (~ माँगना) (नसध॰ 37:157.7)
8558 भीड़ (नसध॰ 36:153.15)
8559 भीड़-भाड़ (दशहरा के ~ आउ ओकरो पर आज दुर्गापूजा के आखरी दिन हल) (अमा॰24:16:1.5)
8560 भीतर (=  भित्तर; कोठरी) (अलगंठवा अप्पन घर के दखिनवारी भीतर में जमीन पर तार के चटई विछा के सुतल हल ।) (अल॰29:88.20)
8561 भीतरी (नसध॰ 29:128.19)
8562 भीतरे भीतर (फूब॰ 1:4.2)
8563 भीतरे-भीतरे पकना (बअछो॰ 14:62.22; 15:68.7)
8564 भीती (गेठरी से जूतन के खोल के ~ में गाड़ल कांटी में टांगे लगलन) (नसध॰ 10:43.24)
8565 भीर (= भीड़) (नसध॰ 6:28.1)
8566 भीर (=पास) (बटेसर भी अप्पन जनाना भीर से उठ के भीड़ दने लपकल-धपकल चल गेल हल ।; जब न तब घुरिया-घुरिया के ओकरे भीर जा हऽ । ओकरा अप्पन गाड़ धोवे के अकले न हइ आउ डगडरिए करऽ हे ।; करहा भीर आके सभे छप्प-छप्प पानी छूए लगल हल ।) (अल॰7:22.24; 14.42.26; 18:54.14)
8567 भीरी (फूब॰ मुखबंध:1.5; 1:4.16; 5:19.31)
8568 भीरी (रंगुआ सोचलक कि ~ गेला पर भंडा फूट जायत) (अमा॰13:6:1.7)
8569 भीरू (= भिर) (कब॰ 40:6)
8570 भीरे (= पास, नजदीक) (अमा॰21:11:2.23, 25; 27:11:1.23, 27)
8571 भुँजड़ी-भुँजड़ी (गो॰ 1:5.3)
8572 भुँजना (मछरी ~) (नसध॰ 29:129.32; 36:156.10)
8573 भुँजिया (~ आउ अँचार) (नसध॰ 32:140.33)
8574 भुंजना (भुंजल बूँट) (अमा॰173:21:2.25)
8575 भुंजा (कब॰ 25:23)
8576 भुंजा (= भूंजा) (इधर अलगंठवा आउर आजाद खाड़ में जाके फड़ही के भुंजा घी गोलकी से सनल खाइत आगे के जोजना बनावे लगल हल ।) (अल॰41:129.26; 42:134.29, 30)
8577 भुंजा (दुअरे पर बइठ बुढ़िया मटकी मार रहल हे । कोनमा में जमनकी भुंजा मसका रहल हे ।।) (अमा॰17:19:2.21)
8578 भुंजा-फुटहा (मसक॰ 72:8)
8579 भुआ ('भुआ' डा॰ स्वर्णकिरण के कहानी हे । ई कहानी में मिसरी लाल के कयल-धयल बुढ़ारी में बेटा से जे उम्मेद हल ऊ भुआ बन के उड़ गेल ।) (अमा॰17:7:1.10, 12)
8580 भुइयाँ (अआवि॰ 82:17; गो॰ 1:8.6; 2:13.30; 6:30.20, 31.8; 7:34.20; नसध॰ 32:138.28)
8581 भुइयाँ (= भूमि, जमीन) (खटिया पर बइठहूँ न दे हल, भुइयाँ में बइठावऽ हल; हम्मर घर के औरत तो भुइयाँ में बैठे हे, हमरा अफसर नऽ, घर गृहस्थी लायक बहू चाही ।) (अमा॰22:7:1.22; 27:17:1.23)
8582 भुइयाँ (=एक जाति का नाम ) (जात-परजात, भुइयाँ-चमार के भेद-भाव भुला के ई सेवा में लगल रहऽ हथ; हरिजन माने भुइयाँ-चमार, डोम-दुसाध होवऽ हे, समझले ? माने कि नीच जात ।) (अमा॰19:13:2.27; 165:7:2.2)
8583 भुइयाँ देख के चलना (गो॰ 7:34.20)
8584 भुइयाँ-चमार (जात-परजात, भुइयाँ-चमार के भेद-भाव भुला के ई सेवा में लगल रहऽ हथ; हरिजन माने भुइयाँ-चमार, डोम-दुसाध होवऽ हे, समझले ? माने कि नीच जात ।) (अमा॰19:13:2.27; 165:7:2.2)
8585 भुक (धुआँइत आग तनी ~ से लहरल) (नसध॰ 27:118.20)
8586 भुक-भाक (बिजली के) (गो॰ 1:1.7)
8587 भुकभुकाना (नसध॰ 28:123.7)
8588 भुक्खड़ (ई सब नेतवन तो हमनियो से बड़का ~ हथ) (अमा॰163:14:2.19)
8589 भुक्खल (अआवि॰ 109:18)
8590 भुक्खल-पियासल (गो॰ 5:24.23-24)
8591 भुक्खे-पियासे (अमा॰167:9:2.12)
8592 भुखले-पियासले (गो॰ 1:8.30)
8593 भुच्च (~ देहात) (अमा॰167:8:2.1)
8594 भुजफटउना (पंडित जी जब आखिरी भिक्षा माँगे गेलन, तब एगो बुढ़िया विचारलक कि ई ~ रोज भीख माँगे आवऽ हे) (अमा॰23:7:1.12)
8595 भुजफट्टी (पानो सुनरी के तीन-चार सटक्का पीठ पर  देइत बोलल -'भुजफट्टी, आज के बाद जहाँ कुच्छो बोले कि देह के खाले खींच लेबउ') (अमा॰163:12:2.16)
8596 भुतही (गो॰ 1:6.31)
8597 भुनभुनाना (नसध॰ 3:10.14)
8598 भुनभुनाना (येक रोज अलगंठवा जइतीपुर बजार से दू घंटा रात विते पर अकेले लउट रहल हल कि गोरइया थान डगर पर झमेठगर इमली आम आउर तार के पेड़ तर भुनभुनाय के आउर धवर-धवर के अवाज सुनाई पड़ल ।) (अल॰27:82.9)
8599 भुनुर-भुनुर (रम॰ 5:45.14)
8600 भुनुर-भुनुर (उ लोग आपस में भुनुर-भुनुर बतिया रहल हल । बस फिन का हल, नाराइन भगत परझो मार-मार के गरियावे लगल, छिया-छिया के घिनौना गारी पारइत कहे लगल कि इ जगह डायन आवल हो ।) (अल॰18:57.30; 23:73.17; 44:152.3)
8601 भुभुक्का (लाल ~) (मसक॰ 135:21)
8602 भुरकुस (गो॰ 1:7.3)
8603 भुरकुसनी (मारके ~ कर देना) (नसध॰ 1:5.9; 45:199.19-20)
8604 भुरभुर (गो॰ 1:5.23)
8605 भुरुकवा (मसक॰ 71:4)
8606 भुला जाना (नसध॰ 5:21.26; 37:157.20)
8607 भुलायल (नसध॰ 27:120.12; 41:184.8, 9)
8608 भुसघार (मसक॰ 79:19)
8609 भुसड़ी (गो॰ 1:8.29)
8610 भुसड़ी (नहर पर बेर लुकलुकाय लगल हल । ~ एतना उड़-उड़ के लोग के देह पर गद-गद बइठ रहल हल कि उहाँ अब ठहरना मोसकिल हो रहल हल ।) (नसध॰ 30:134.13)
8611 भुसड़ी (पहिला पानी से ~ आउ दीआँ निकल के सगरो छत पर उड़इत हलन) (नसध॰ 35:149.24, 25)
8612 भुहाना, भुहा जाना (अबरी रग्घू के सब तरक भुहा गेल आउ जमुना के कुहरले नियन बोलल) (नसध॰ 37:157.28)
8613 भूँजना (सपना मत देख ! आगू में जे भूँजल आलू हउ से खो !; घर के भीतर ऊ प्रसव-पीड़ा से छटपटाइत हे आउ ई दुन्नो परमेसर महतो के खेत में से आलू चोरा के लयलन आउ भूँज के खाइत हथ ।) (अमा॰27:14:2.5; 28:7:1.6)
8614 भूँजा (अमा॰168:8:2.9)
8615 भूँजी (बेटी माँग के का करत  - खाक ! घर में भूँजी भाँग रहे तब न !) (अमा॰23:16:1.25)
8616 भूंजा (= भुंजा) (फिन दिलदार राम-रमेसर-रजेसर चौकी पर बइठ के भूंजा गुड़ खा के घर जाय ला अलगंठवा से अंगिया मांगे लगल) (अल॰26:80.17; 42:135.1)
8617 भूअर ( ~ देह) (नसध॰ 3:12.22)
8618 भूअर (छोटे-छोटे ~ आख ओली) (नसध॰ 16:69.5)
8619 भूइयाँ (नसध॰ 35:151.25)
8620 भूख-पिआस, भूख-पियास (नसध॰ 28:122.25; 32:140.1)
8621 भूखल (भूखल लहालोट मिजाज; भूखल-छछनइत आउ पित-पिताल हालत) (एही से तो ऊ आम रास्ता पर अप्पन आसन जमौले हथ कि हजार-पान सौ ढेला रोज मिल जात, त चलऽ अप्पन भूखल लहालोट मिजाज एकदम शांत हो जात; पहुँचल सन्त महात्मा सोना-चानी के मट्टी के ढेला जरूर समझऽ हथ, मगर औसत आदमी पइसा के भूखल रहऽ हे) (अमा॰22:13:2.10, 12; 28:6:2.24)
8622 भूखा (भूखे मरना) (नसध॰ 37:157.9)
8623 भूत (~ नियन रहना) (नसध॰ 5:22.5)
8624 भूत (बड़-बड़ भूत कदम तर नाँचे, बेंगवा माँगे पूजा) (रम॰ 15:119.12)
8625 भूतनी (नसध॰ 9:40.5; नसध॰ 11:48.31)
8626 भूत-परेत (नसध॰ 26:114.25)
8627 भूतभउना (रम॰ 12:89.23)
8628 भूत-मूंगा (कोय कहे कि रात-रात भर बगीचवा में डोलपत्ता खेलऽ हइ । ओकरा तनिको भूत-मूंगा से डर-भय न लगऽ हइ ।) (अल॰2:5.4)
8629 भूतहा (नसध॰ 3:12.16; 8:36.10; 32:138.3)
8630 भूतही (रस्ता में भूतही नदी पड़ल हल ।) (अल॰16.48.9)
8631 भूताहा (अरार पर पीपल, बर आउर ताड़ के पेड़ एक साथ जोट्टा हो के बड़ी दूर में फैलल हल । जेकरा लोग भूताहा पेड़ कहऽ हथ ।) (अल॰21:66.30)
8632 भू-भड़क (फूब॰ 2:8.28)
8633 भूमिहार (बअछो॰ 6:29.4)
8634 भूम्हरी (~ में सुताना) (हमर जमीदारी हल तो अइसन लोग के मोगली डंटा देके ~ में सुता के चुतर पर पैना से सोटवा दे हली) (नसध॰ 34:145.25)
8635 भूर (मकस॰ 10:20)
8636 भूर (=भूड़ ) (हमरा लगल कि टूटल पेटी के ~ से लोकइत सूप से तोपल रुखी के बच्चा किलकारी मारइत गली के झमठगर पेड़ के फुतुंगी पर चढ़ गेल जहाँ से फिनो ओकरा पकड़ के सूप से तोपना सहज नऽ हे; चद्दर में चौतरफा ~ हो गेलो; भूरे-भूर करेजा; हम सब के गरदन पर छुरी चलाके तोहर ~ न भरबउ) (अमा॰1:10:2.4; 5:8:1.22; 19:8:1.25; 173:11:2.18)
8637 भूर (ओकर कपड़ा फाट के भूरे-भूरे भेल हल आउ ~ से बरफ नियन हवा समा के ओकर हिरदा कँपा दे रहल हल; नानी कहऊँ बिगड़ गेल तऽ कमासुत दल में ~ हो जायत लमहर) (नसध॰ 7:28.25, 26; 10:44.27; 13:56.19; 18:75.25)
8638 भूरकुंड (रम॰ 13:101.9)
8639 भूरकुंडा (= भुरकुंडा) (तूँ घर में माय के सत्तू के भूरकुंडा बनावे ला कह दे । रोटी तऽ बनले हइए होतइ ।) (अल॰3:8.29)
8640 भूरा (गो॰ 3:19.7)
8641 भूसा (नसध॰ 6:26.12; 37:159.14)
8642 भेंकुराना (बने-बने गाछे-गाछे आमे कटहरवे तूँते, हरि-हरि फरे-फूले बरखा भेंकुरावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.9)
8643 भेंट न घाँट आउ हमहीं फुलनमा बहू (गो॰ 1:10.1)
8644 भेंट-घाँट (भेंट न घाँट) (गो॰ 1:10.1; 9:41.1)
8645 भेंड़ा (ई सब देवतन के अलग-अलग तरह के भोजन हे । माँ काली ला भईंसा, देवी जी ला पठिया, सरस्वती ला फल-फूल आउ मिष्टान्न, गोरइया आउ डाक ला खस्सी-भेंड़ा, सूअर, मुर्गा, कबूतर, टिपउर ला खस्सी-भेंड़ा आउ डाक गोरइया के तो खूनो पीए से जब तरास न जाय त अलगे से तपावन (दारू) देल जाहे, तब जाके उनकर पियास बुझऽ हे ।) (अमा॰22:13:1.14)
8646 भेजना (अभी भिखना के भेजलियो हे) (नसध॰ 29:127.13)
8647 भेजल (फूब॰ मुखबंध:1.25)
8648 भेड़ारी (नसध॰ 3:9.8)
8649 भेयंकर (= भयंकर) (नसध॰ 38:162.13, 14)
8650 भेली (जाड़ा के दिन में गुड़ के भेली सोंप-जीरा आउर न जानी कउन-कउन मसाला मिला के चचा जी कोलसार में भेली बना के घर के कंटर में रख दे हलन ।) (अल॰12.36.24, 25)
8651 भेली (भेलिया) (नसध॰ 3:10.18, 19, 21 )
8652 भेष (अमा॰26:11:2.7)
8653 भेस (= वेष) (नसध॰ 27:119.28)
8654 भैंसुर (अमा॰1:12:2.14, 15, 16, 17, 18; 166:14:2.7)
8655 भैलू (= value) (ऊ अब बुढ़ारी में सिपाही जी के कोई ~ न देवऽ हलन) (अमा॰171:7:2.15)
8656 भैसुर (भैसुर जोते हर, भभु के लगल घाम) (अल॰26:78.10)
8657 भोंकइया (गो॰ 6:30.24)
8658 भोंकना (सूई ~) (नसध॰ 29:126.24)
8659 भोंकरना (गो॰ 8:37.2)
8660 भोंकार (~ पाड़ के रोना, ~ पार के रोना/ कानना) (ऊ दू दिन ले ~ पार के रोवइत रहल; माय के मरला पर भुनेसर के पूरा परिवार ~ पाड़ के रोवे लगलन) (अमा॰21:17:2.21; 171:8:2.14, 9:1.3; 173:8:1.27)
8661 भोंकार पार के रोना (कब॰ 39:11)
8662 भोंड़ (गो॰ 1:9.14)
8663 भोकार (~ पार के रोना) (अलगंठवा चाचा जी में लपट के भोकार पार के रोवे लगल हल ।; झारते-झारते झरताहर सब पसीने-पसीने हो गेलन हल । मुदा सुमितरी के ठीक होवे के आसा पर पानी फिर रहल हल । सुमितरी के नानी आउर नाना भोकार पार-पार के रोबे लगलन हल ।) (अल॰11.33.23; 18:57.27; 26:78.23; 27:84.20)
8664 भोकार पार के रोना (मसक॰ 51:6)
8665 भोकुंदर (गो॰ 4:22.18)
8666 भोगिया (ओकरा अइसन सबक सिखाबे ला चाह रहली हे कि जिन्दा रह के जीमन भर अप्पन कूकरम के भोगिया भोगते रहे ।) (अल॰21:68.26)
8667 भोज (कहाँ ... राजा भोज आउ भोजवा तेली) (नसध॰ 30:131.30)
8668 भोजय (= भोजाय, भौजाई) (सुबह होते ही अलगंठवा पटना जाय ला कपड़ा-लत्ता सरिआवे लगल हल । अइसन करते देख के भोजय पूछलक हल -"कहीं बाहर जइबहु का ?") (अल॰28:86.13)
8669 भोजाय (= भौजाई) (ई बात सुन के चचा-भाय आउर भोजाय आउर टोला के कई गो अमदी के ठकमुरकी लग गेल हल ।) (अल॰4:11.26)
8670 भोट (बअछो॰ 9:41.10, 13, 14; 15:68.11; 17:74.11)
8671 भोट (= वोट) (~ लगाना; ~ देना) (अमा॰14:9:1.17; 166:18:2.11)
8672 भोमा (जीरवा नानी के कह देत आउ उहाँ से ~ नियन सउँसे गाँव में हलकारा मच जायत) (नसध॰ 14:61.27)
8673 भोरइया (दे॰ भोरउआ) (अल॰21:67.14)
8674 भोरउआ (जब पिछुआनी में फन्नू मियाँ के पलानी में मुरगा बांक दे हल आउर जयतीपुर मसजिद में भोरउआ नमाज पढ़े के अजान के अवाज सुनते ही अलगंठवा के चचा उठ के गाय-बैल के सानी देवे लगऽ हलन आउर अलगंठवा के जगा के लालटेन जला के पढ़े ला बैठा दे हलन ।) (अल॰2:4.24)
8675 भोरउआ (बड़की भोरउआ के उत्तर आउर पूरब रूखे गली में कुत्ता भूँके लगल हल ।) (अल॰21:66.16)
8676 भोरगरे (मसक॰ 119:26)
8677 भोरहरिआ (रम॰ 1:18.19)
8678 भोरहरिए (बाप रे, केता सकेरे चललू हल कि भोरहरिए जुम गेलहु ।) (अल॰16.46.25)
8679 भोरहरिया (माघ के ~ में) (नसध॰ 26:115.20)
8680 भोरहीं (अमा॰16:16:2.24; बअछो॰ 5:26.25)
8681 भोरहीं-भोरहीं (मसक॰ 168:15)
8682 भोराना (गो॰ 4:20.31)
8683 भोराना (= भ्रमित करना, झूठी तसल्ली देना) (राते रात भर अलगंठवा के तनिको आँख न लगल हल । कई वेर पेसाब करे ला उठल हल । अकास में तरगन आउर बसबेड़ी में चिड़ँई-चुरगुन के अवाज से अपने आपके भोरा रहल हल ।; अलगंठवा के बात सुन के उ सबके लगल हल कि इ हमनी के खाली भोरा रहल हे । भला निके-सुखे कइसे पार होयब ।; विस्वनाथ तिवारी पर ओकरा विस्वास हो गेल कि उ धोखा कभी न देत । रस्ता में अलगंठवा अप्पन सुभाव से रिझा लेलक हल, भोरा लेलक हल ।) (अल॰21:66.14; 31:97.1; 44:149.16)
8684 भोरे (बअछो॰ 5:26.23; फूब॰ 5:18.20; 8:26.2; मसक॰ 59:13)
8685 भोरे (मुखिया जी ~ की समझा रहलखुन हल ?) (अमा॰18:8:2.29; 173:1:1.10)
8686 भौंरी (अमा॰5:12:2.28)
8687 भौकी (दे॰ भउकी) (पुलिस भान पर जमान सब अलगंठवा से कविता केहानी के सुनइत आउर गलवात करइत जा रहलन हल । मुदा अलगंठवा के मन असान्त हल । ओकरा लग रहल हल कि भौकी देके कहीं कुछ रस्ता में कर देत ।) (अल॰44:149.14)
8688 भौजी (नसध॰ 27:120.32)

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