Sunday, October 18, 2009

37. रकारादि शब्द

9378 रंग (~ लाना) (नसध॰ 14:63.1)
9379 रंगदार (मकस॰ 62:12)
9380 रंगदार (~ के धमकी) (अमा॰19:13:2.7)
9381 रंगदारी (अमा॰172:11:1.26; मकस॰ 62:6)
9382 रंगदारी (दुखिया के बेटा हम्मर दुआरी पर आके लगलक दादागिरी करे । अपनहीं कहथिन दरोगा जी ! विधवा बूढ़ी माय मजूरी करे आउ ओकर जवान बेटा रंगदारी करे, ई ठीक बात हे ?) (अमा॰20:8:1.23; 27:6:2.2, 3)
9383 रंगन, रगन (गया पींडदान के बारे में लोग हर साल अप्पन कुल पित्तर सब के सरग जाय ला दान करऽ हथ । रूपिया से लगाइत खटिया बिछावन जूता-छाता, छड़ी आउर न जानुँ कउन-कउन रगन के चीज दान करऽ हथ । मरला के बाद कउन जानऽ हे कि सरग इया नरक गेलन । ई सब लफन्दरइ न तऽ का हे भइया ।; येकर वाद आजाद झोला से करांति के कई रंगन के परचा सब के देइत कहलन हल) (अल॰35:112.16; 38:121.15)
9384 रंगरंजन (अमा॰16:6:1.16, 17)
9385 रंगरेज (= अंगरेज) (नसध॰ 20:81.24)
9386 रंगरेज (= अंगरेज) (मसनद लगा के, मुँह में पान डाल के, जखनी कचहरी लगावऽ हलन तब ~ भी बहरीय खड़ी रहऽ हल । मजाल का कि कोई बिना हुकुम के भीतरे घुस जाय ।) (नसध॰ 7:29.10)
9387 रंगरेजी (= अंग्रेजी) (लावऽ, खतिआन दऽ ! जनसेवक जी से पढ़वा लाऊँ । ओहु तो कैथी हिन्दी जानवे करऽ हथी । हिन्दी के अलावे ऊ रंगरेजीओ फुर्र-फुर्र पढ़ दे हथी ।) (अमा॰30:14:2.24)
9388 रंगल (~ सियार) (नसध॰ 24:97.22)
9389 रंगलेपन (अमा॰16:6:1.16, 17)
9390 रंडी (नसध॰ 42:185.28, 29, 186.4, 187.3)
9391 रंथी (= अरथी) (अलगंठवा रोवइत-कनइत चाचा जी के साथ बस पर चढ़ के फतुहा इमलिया घाट पर पहुँच गेल हल । बड़ भाय के साथ-साथ गाँव के दस-बारह लोग रंथी के साथ अइलन हल । अपन माय के कफन में लपटल देख के अलगंठवा बुमिया के छाती में मुका मार के गरज-गरज के रोबे लगल हल ।) (अल॰11.33.27, 34.6)
9392 रइअत (नसध॰ 5:22.16; 39:173.26; 40:174.14)
9393 रईस (फूटल ~) (नसध॰ 5:19.11)
9394 रउँदाना (लोग कीट-पतंग नियन रउँदाइत जाइत हथ) (नसध॰ 48:208.14)
9395 रउदा (रम॰ 6:57.8; 14:109.5; 16:127.15,17)
9396 रउदा (कहियो तो रउदा करे निज बादरकट्टु रामा, हरि-हरि कहियो निरन्तर झड़िया लगावे रे हरी ।) (अमा॰24:11:1.17; 165:7:1.9; 169:18:1.19)
9397 रउदा (गोइठवा घरवा तऽ एकदमे सेउदल हइ । जेकरा से गोइठवन गुमसाइल हइ । जब तक खुल के रउदा न उगतइ तब तक सिहरावन लगते रहतइ । रउदवा उगे पर ही घरवो बरइतइ ।) (अल॰44:152.22, 23)
9398 रकटुआ (अमा॰4:7:1.30)
9399 रकम (मुआवजा के रूप में मोट रकम के फरमाइश करना) (अमा॰25:21:2.15)
9400 रक्खल (गो॰ 3:18.21, 20.5)
9401 रक्खल (सुरक्षित ~ जाना) (अमा॰1:5:1.26)
9402 रखनी (= रखैल) (नसध॰ 40:175.6, 18)
9403 रखनी ('चमार के घर हम घर-हेवाई होके रहीं ?' -'तब का हम तोर रखनी होके तोरा हीं चलीं ?') (अमा॰25:8:2.6)
9404 रखबारी (नसध॰ 32:140.3)
9405 रखल (नसध॰ 29:126.3)
9406 रग (रग-रग में) (अआवि॰ 80:2)
9407 रगड़ा (उँच-नीच, भेद-भाव, जात-पात के झगड़ा, तनिके में खून के होली, बिना बात रगड़ा ।) (अमा॰19:1:1.3)
9408 रगड़ा-झगड़ा (मसक॰ 23:22)
9409 रगत, रंगत (~ होना, ~ लगना) (नसध॰ 6:25.16, 22; 9:38.24)
9410 रगन-रगन के (नसध॰ 6:24.17; 26:116.20, 117.4; 27:119.26; 30:130.27; 32:139.7; 36:152.27)
9411 रगेदना (अआवि॰ 82:13)
9412 रगेदना (रगेद मारना) (फूब॰ 5:18.19)
9413 रचनात्मक (नसध॰ 35:150.31; 37:160.24)
9414 रछेया (सब दिना से हमनी के बाप-दादा के येहनी ~ कैलन हे; ~ बन्हन) (नसध॰ 12:55.15; 44:196.2, 3)
9415 रछेया, रछेआ (हमनी के मिलके सनातन धरम के ~ करे के चाहीं) (नसध॰ 23:94.33, 95.1; 26:114.14)
9416 रजधानी (= राजधानी) (अमा॰166:7:1.1; नसध॰ 28:123.2)
9417 रजधानी (= राजधानी) (रजधानी से गाँव तक परिवरतन के हवा बहे लगल हे । अब नो छो बड़ी सकेरे होवे के असार दिखाइ पड़ रहल हे ।) (अल॰44:145.22)
9418 रटना (= रहटना, रेहटना) (आज हम गलीय-गलीय रटऽ ही तो दू सेर चाउर मिलऽ हे) (नसध॰ 27:120.8; 33:141.24)
9419 रटना (= रहटना, रेहटना) (मजदूर धरती के जोत-कोड़ के दिन-रात रट-रट के, खून पसीना सुखा के आधा पेट खा के, का जाड़ा, का गरमी आउर का बरसात, हर मौसम में खट के फसल उपजावऽ हथ ।) (अल॰19:60.28)
9420 रटना (रटल बोली) (नसध॰ 7:29.3)
9421 रड (भाई पर लोहा के रड लेके टूट पड़लन । ... रड के चोट से कपार से खून के फव्वारा फूट पड़ल ।) (अमा॰5:17:1.13, 15)
9422 रड़ुआ (नसध॰ 4:14.23)
9423 रण्डी-बेसवा (मसक॰ 171:13)
9424 रतगरे (बार-बार गली दने रमेसर आउर रजेसर के हिआ रहल हल । काहे कि एक घंटा रतगरे उ दूनो के आवे ला कहलक हल ।) (अल॰21:66.15)
9425 रतजगा (~ करना) (नसध॰ 33:141.26)
9426 रतजग्गा (गो॰ 4:20.13; मसक॰ 165:28)
9427 रत-रत भर (~ जागना) (नसध॰ 5:16.8)
9428 रद (~ करना) (नसध॰ 8:31.19)
9429 रद-दस्त (कल्हे न बुधुआ बहू के ~ होल हलई । खैर कह कि बेला उहाँ तुरते पहुँच के पानी चढ़ौलक न तो ऊ मरिय जाइत हल ।) (नसध॰ 34:146.23)
9430 रद्दी (~ कागज) (नसध॰ 39:173.10)
9431 रपट (हमनी अबरी थाना में ~ कर देबो कि रघुआ चोर डकैत के गिरोह बनौले हे) (नसध॰ 34:146.13)
9432 रपेटना (उहईं रपेटलक आउ भिरु जा के बोलल) (नसध॰ 14:62.4)
9433 रब्बी (नसध॰ 9:41.18)
9434 रब्बी (चइत महिनवाँ रब्बी काटे गोरिया पिया इंजोरिया में) (अमा॰22:17:2.9)
9435 रभसना (रभसि रभसि पारे गारी हे) (अमा॰1:14:1.19)
9436 रमकरवा, रमकोरवा (बअछो॰ 12:55.29; 14:61.19)
9437 रमतरोई (~-बइगन) (नसध॰ 11:49.20)
9438 रमता जोगी (नसध॰ 12:52.18)
9439 रमाइन (गो॰ 4:21.21)
9440 रमाइन (रात के रमाइन भी पढ़ऽ हइ । जखनी रमाइन रेघा के पढ़ऽ हइ तखनी सुनताहर के हम्मर घर में भीड़ हो जा हइ ।) (अल॰10.32.3; 12:37.15)
9441 रमायन-उमायन (नसध॰ 8:36.3)
9442 रमुनिया (अगहनी धान टाल-बधार में लथरल-पथरल हल । कारीवांक, रमुनिया आउर सहजीरवा धान के गंध से सउंसे खन्धा धमधमा रहल हल ।) (अल॰7:20.25)
9443 ररइठा, रहइठा, रहेठा,रहरेठा, रहरैठा (ररइठा - रम॰ 3:33.24)
9444 ररैठा (अमा॰3:19:2.23)
9445 रविदास (जात सुधार जमात ~ संघ) (नसध॰ 46:201.30)
9446 रवेदार, रवादार (अआवि॰ 28:12; 49:1; 58:20)
9447 रसगर (मसक॰ 117:13)
9448 रसगर (~ गारी) (अमा॰1:13:1.30)
9449 रसगर (पकल बम्बइया आम सुमितरी के मुँह में सटावइत अलगंठवा कहलक हल -"लऽ, हवक के मारऽ चोभा ।  तोहरे जइसन गुदगर आउर रसगर आउर सवदगर हो ।") (अल॰29:89.5; 36:115.2; 44:153.8)
9450 रसना-बसना (तूँ हम्मर दिल में ही रसबऽ-बसबऽ ।) (अल॰42:135.21)
9451 रसम (बियाह के ~ चालू हो गेल; अठमँगरा के ~) (अमा॰13:6:1.26; 28:5:1.2)
9452 रसरी (प्रेम के रसरी टूट चलल हे, ओकरे जोड़ल चाहऽ ही) (अमा॰18:1:1.3)
9453 रसल-बसल (तइयो मगध के जनपद आउ लोक जीवन में मगही भासा रसल-बसल रहल) (अमा॰25:4:1.10)
9454 रसे-रसे (गो॰ 11:46.23; मकस॰ 47:5)
9455 रसे-रसे (= धीरे-धीरे) (अमा॰166:8:2.25, 9:1.22; 169:12:2.27; 173:13:2.7)
9456 रसोईगिरी (फूब॰ 1:3.5)
9457 रहगीर (= राहगीर) (अमा॰14:16:2.24; मकस॰ 29:4; मकस॰ 62:13; नसध॰ 13:57.25; 41:181.26; 42:185.10)
9458 रहड़ी (इतने में नारायन माली रहड़ी के खेत से बुल-सन निकलइत बोल पड़लन) (अल॰8:25.10; 44:153.6)
9459 रहतब (कहऊँ तोर मुँह से कुछ बकार निकल गेलवऽ तऽ फिन हमनी के टोला पर ~ होयत ?) (नसध॰ 26:114.4)
9460 रहता (कब॰ 58:24)
9461 रहता (~ नापना, ~ देखाना, ~ निकलना, ~ बताना, ~ पर आना) (नसध॰ 3:10.24; 5:16.20, 22.15; 8:32.30; 33:143.25, 144.20; 43:190.3)
9462 रहता (= रास्ता) (मसक॰ 114:26)
9463 रहता (= रास्ता) (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही) (अमा॰1:9:1.29)
9464 रहता (रहते में) (मकस॰ 8.15)
9465 रहनई (गो॰ 6:32.2)
9466 रहन-सहन (नसध॰ 25:106.28)
9467 रहना-सहना (उ लोगन के भी रहे-सहे के वेवस्था करे ला हल ।) (अल॰31:96.7)
9468 रहनिहार (अआवि॰ 59:22)
9469 रह-रह के (फूब॰ 6:21.2)
9470 रहल (देश भर में हो रहल उथल-पुथल से आँख मूँदल भी न जा सकऽ हे) (अमा॰23:4:1.3)
9471 रहल-सहल (दिन-रात के बोली-ठोली से उनकर मन चूर-चूर हो जाहे । एक तो माय-बाप के चिन्ता से उनकर मन पर बोझ रहे हे, दूसरे आस-पड़ोस के मुँह चमकावे से बेचारी अलग परेशान, तीसरे लड़का वाला के तौर-तरीका से तो रहल-सहल मनोबल भी टूट जाहे ।) (अमा॰27:16:1.20)
9472 रहस (= रहस्य) (नसध॰ 45:199.23)
9473 रहाई (साइत जुर्माना से ~ हो जाय) (नसध॰ 13:59.10; 47:205.24; 48:209.22)
9474 रहेवाला (अआवि॰ 88:12)
9475 राँड़ (नसध॰ 3:13.25)
9476 राँड़-मुड़ली (रम॰ 13:97.8)
9477 राँड़ी (अमा॰166:14:2.5)
9478 राई (नसध॰ 9:37.8; 28:124.11)
9479 राकस (= राक्षस) (तों राकस नै, तों राम हऽ, आय तोहरे युग हो) (अमा॰10:1:1.9)
9480 राख (नसध॰ 7:30.18)
9481 राख-भभूत (सुमितरी के माय बटेसर के आगे केला-मिरजइ आउर मकुनदाना खजुर के पत्ता के विनल बटुरी में देइत कहलक हल -"खाय से पहिले राख-भभूत लिलार में लगा लऽ ।") (अल॰7:22.2)
9482 राच्छस (अमा॰14:12:2.14)
9483 राछस (नसध॰ 12:52.6)
9484 राज (~ ईटा जोड़े लगल) (नसध॰ 27:122.11)
9485 राज (= रहस्य) (एकरा पीछे जरूर कोई राज हे) (नसध॰ 42:185.25)
9486 राज-काज (नसध॰ 30:130.29)
9487 राजनीत (नसध॰ 12:52.10)
9488 राजनीत (सब लोग पटना आउर देस के राजनीत के वारे में पूछे लगल हल । लोगन में जोस-खरोंस भरल हल ।) (अल॰44:151.11)
9489 राजा (कहाँ ... राजा भोज आउ भोजवा तेली) (नसध॰ 30:131.30)
9490 राजाइन (गो॰ 1:5.32)
9491 राजा-रंक (नसध॰ 35:150.28)
9492 राजी (अमा॰13:6:1.22)
9493 राड़ (गो॰ 5:26.13, 14; रम॰ 14:112.13)
9494 राड़ (आउर अब अइसन राड़ अमदी के बकसे ला चाह रहलन हे ।) (अल॰21:68.23)
9495 राड़ (कतिकउर घाम आउ ~ के बोली न सहाय; ~ न माने प्यार के बात) (अमा॰25:17:2:26; 164:20:1.8; 166:13:1.16)
9496 राड़-भूई (हम का ~ ही कि जेकरे-तेकरे साथे भाग जायब ?) (नसध॰ 14:63.27)
9497 राड़िन (हमरा पर नतिया-राड़िन जरी-जिद्दी से पड़ल हे) (अमा॰165:10:1.21, 2.12)
9498 राड़ी (नसध॰ 5:22.8)
9499 रात-बिरात (नसध॰ 26:114.29; 38:163.6)
9500 रात-बिरात (गते-गते एगो देहाती पिस्तौल खरीद लेलन जेकरा से ~ में ढेरे अमदनी होवे लगल) (अमा॰16:17:1.24)
9501 रात-विरात (हम तऽ कल्हे ही जा सकऽ ही । मुदा दू कट्ठा में धान के पतौरी लगा देली हे । ओकरा अटियाना जरुरी हे । न तऽ कोय रात-विरात के उठा के ले भागतइ । गोपाली महरा के चार कट्ठा के पतौरी उठा के ले भागलइ । आउ उत्तर भरु खंधवा में ले जा के मैंज लेलकइ ।; दिन जमाना खराब बित रहल हे । रात-विरात अब चले के समय न हे ।) (अल॰9:28.2; 16:46.26)
9502 राताराती (कब॰ 13:2)
9503 राता-राती (अमा॰170:7:1.21)
9504 राते (नसध॰ 5:16.17; 8:33.6)
9505 राते-दिने (कब॰ 1:4)
9506 राफ-साफ (केस ~ करना) (अमा॰173:6:2.8)
9507 राम भरोसे (~ सब काम छोड़ देना) (नसध॰ 48:208.6)
9508 राम मेरावल जोड़ी (गो॰ 5:23.27-28)
9509 रामजी (= एक) (अआवि॰ 31:19, 20)
9510 रामतोड़ई / रामतरोई के तेल (गो॰ 5:24.32; 7:35.4)
9511 रामन (गो॰ 3:19.30)
9512 रामन (= रावण) (अल॰43:142.18)
9513 राम-राज (गो॰ 7:36.7-8)
9514 राम-राम (~, तोरा ई सब बात कहे में घिन न बरवऽ) (नसध॰ 42:187.27)
9515 राम-सलाम (दिलदार राम, रमेसर, जालिम सिंघ आउर मोहन सिंघ भी आपस में राम-सलाम कर के एक दूसर से अलग होवे लगलन हल ।) (अल॰33:107.14)
9516 राम-सलाम (हमर तऽ रामो-सलाम छूट गेल) (नसध॰ 13:56.13)
9517 राय (नसध॰ 34:146.6; 37:160.1)
9518 राय-छितिर (सउँसे भरमजाल के एक्के झटका में ~ करके मिसिर जी हमरा यथार्थ के ढेलगर केवाल खेत में उठा के पटक देलन) (अमा॰166:8:1.3)
9519 राय-मसवारा (नसध॰ 30:134.12)
9520 राय-मसविरा (बअछो॰ 11:53.8)
9521 रार (बअछो॰ 4:20.22)
9522 रावा (गो॰ 7:35.22; रम॰ 7:58.23)
9523 रावा (~ के सरबत) (अमा॰173:15:1.24)
9524 रास (~ रचाना) (सच-सच बताव, तोर ई रास सुक्खू साथे कब से चलइत हउ ?) (नसध॰ 42:186.20, 21, 187.4, 18)
9525 रासन-काड (= राशन-कार्ड) (अल॰38:123.5)
9526 राहड़, रहड़ी (रम॰ 3:26.9, 33.24; 5:44.4; 9:70.1, 3; 9:70.2; 18:135.11)
9527 राहत (~ के साँस लेना) (नसध॰ 35:149.19)
9528 राही (नसध॰ 49:212.26, 28)
9529 रिकसा (नसध॰ 26:115.19)
9530 रिक्शा (बड़ी मोसकिल से अस्पताल से चलैत-चलैत हम घरे पहुँचली हल । न रस्ता में एक्को गो खाली रिक्शा मिलल न टेम्पू । गोड़ दुखा गेल से अलगे ।) (अमा॰24:16:1.2)
9531 रिजाइन (नौकरी से ~ कर देना) (नसध॰ 36:154.24)
9532 रिन (गो॰ 6:27.21)
9533 रिपोट (फूब॰ 2:7.13; कब॰ 17:5)
9534 रिरिआना (गो॰ 1:3.25)
9535 रिवाज (अआवि॰ 48:16)
9536 रिसतेमंद (फूब॰ 7:24.5)
9537 रिसिआना (देलियो जवाब न, खिसिअइलऽ हे तूँ - रिसिअइलऽ हे तूँ, मुदा तोहरे से हरदम जुड़इलियो हे छाती । बड़ी दिन बाद लिखऽ हियो पाती ।) (अल॰44:155.6)
9538 रिसी-फिसी (हमरा सब पता हे कि सब रिसी-फिसी अगमान-भगमान असल कोय न हे, सब कमसल हे ।) (अल॰43:143.11)
9539 रिस्ता (= रिश्ता) (नसध॰ 38:162.3)
9540 रीखी (= ऋषि) (रीखी-मुनी) (नसध॰ 37:160.26)
9541 रीत (इहे तो दुनिया के रीत हे) (नसध॰ 38:161.14)
9542 रीत-रसम (अमा॰1:9:1.2)
9543 रीत-विध (नसध॰ 15:68.7)
9544 रीति-रेवाज (लोकसाहित्य के विशाल समुन्दर लोकजीवन के लोकमानस में छिपल रहऽ हे जे ~ आउ धरम-क्रिया कलाप के समय करनी इया कथनी में परघट होइत रहऽ हे । ई विज्ञान के युग में भी परम्परा से आवइत ~ लोग के प्रभावित करइत रहऽ हे ।) (अमा॰25:12:2:5, 7, 13:1.14)
9545 रीन (गो॰ 6:30.32)
9546 रीनी (गो॰ 6:30.31)
9547 रुई (= रूई) (नसध॰ 32:138.28)
9548 रुकमिनी-थान (अलगंठवा के कोय वउसाह न चलल हल, उ लोगन के सामने । फिन बस से सब के सिलाव के खाजा खिलइते नालन्दा के खंडर आउर सटले रुकमिनी थान दिखला-दिखला के इ सबके इतिहास बतउलक हल ।) (अल॰31:102.3-4, 4)
9549 रुखी (= रुक्खी, गिलहरी) (मड़वा के दिन एगो ~ के बच्चा मार के सूप से तोप देवे के चाही । ई बात लिखल नऽ हे, बाकि खानदान में पहिलहीं से चलल आवइत हे ।) (अमा॰1:9:2.17, 10:2.5)
9550 रुढ़ (= रूढ़) (नसध॰ 38:163.18)
9551 रुनक-झुनक (नसध॰ 26:117.6)
9552 रुन-झुन (~ संगीत) (अमा॰14:13:2.21)
9553 रुनझुन-रुनझुन (~ बजना) (नसध॰ 26:115.21)
9554 रुपइया (हम रामावतार बाबू से सलाह करके आनन-फानन चार सौ रुपइया जनमासा में जाके वर के बाप के अगाड़ी में पटक देली । जिनगी में पहिला बार हमरा अनुभव भेल - 'बाप बड़ा न भइया, सबसे बड़ा रुपइया' ।) (अमा॰28:5:1.10, 12)
9555 रुपौठी (खखन में ऊ हाथ के बचल, बिआह के बेरा के ~ नारद के दे देलक) (नसध॰ 19:76.29; 39:164.18, 28)
9556 रुसना (रुस जाना) (नसध॰ 2:7.8; 44:194.15, 18, 25)
9557 रुसना (रुसल; हम रुस के अलग बइठल ही) (अमा॰6:19:1.19; 22:17:1.7, 10)
9558 रुसबत (फूब॰ 1:5.22; 3:10.1)
9559 रुसबतखोरी (फूब॰ 3:10.15)
9560 रुह-चुह (~ बगिया) (अमा॰6:19:1.21; 20:7:1.3)
9561 रूआ (= रूई) (नसध॰ 7:28.26; 39:165.16)
9562 रूख (नसध॰ 7:30.17)
9563 रूखर (नसध॰ 3:13.14)
9564 रूखानी (बअछो॰ 12:55.18)
9565 रूखी (= गिलहरी) (अलगंठवा अप्पन खाँड़ के एगो टील्हा पर बइठ के देखइत हल कि रूखी डमकल-डमकल आउर कचगर-कचगर अमरूद के कइसे कुतर-कुतर के, फुदक-फुदक के खा रहल हे ।) (अल॰13.38.20, 39.8, 10, 11)
9566 रूखे (एही बीच दखिन रूखे से कंधा पर लाठी लेले एगो अलाप करइत ...दिलदार राम अलगंठवा के दलान पर जुम गेल हल ।) (अल॰35:113.7)
9567 रूमानी (राघोबाबू के कहियो अप्पन गाम लउटे के मन करऽ हे । मगर ई हे सिरिफ एगो रूमानी विचार ।) (अमा॰13:10:1.2)
9568 रूस जाना (चुभसे॰ 2:7.17)
9569 रूसना (किसान-मजदूर आउर दरती माय के आपस में अटूट रिस्ता हे । इ तीनों के बेगराय से समाज आउर देस के भलाइ न हो सकऽ हे । जदि धरती माय रूस जाय, किसान आउर मजदूर आपस में मन मोटाव कर ले तऽ दुनिया न चल सकऽ हे ।) (अल॰19:60.24)
9570 रूसना (रूसल नीन) (नसध॰ 32:140.8; 44:194.17)
9571 रूसना, रूस जाना (अमा॰2:10:2.4; 5:11:2.18)
9572 रूसनी (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.22)
9573 रूसवत (फूब॰ 1:6.4)
9574 रूसाना (हेडमास्टर के कोठरी से निकले के बाद हेमन्ती मुसकइत सले से सुमितरी से पूछलक हल -'राजगीर में उनखा रूसा तऽ न देलहु हल ?') (अल॰34:108.7)
9575 रूह-चुह (कब॰ 30:1)
9576 रें रें (बुतरू ढेर रहला पर कोय रें रें कर रहल हे, तो कोय टें टें । कोय खाय ला कन रहल हे, त कोय दूध पीये लागी ।) (अमा॰24:15:1.6)
9577 रेकड (~ के साथ पास करना) (अमा॰10:15:2.17; 164:9:2.15)
9578 रेकाड (गो॰ 1:10.12)
9579 रेघ (दूरा पर खड़ा होके घर से आवइत गीत के ~ सुने लगल) (नसध॰ 20:80.10)
9580 रेघ फोड़ना (मसक॰ 100:8)
9581 रेघा (बात तब के हे जब उनका दुन्नू के अभी मोंछ के रेघे आल हल) (अमा॰16:12:2.28)
9582 रेघा (सबसे पहले कारू चौधरी मन्तर उठबऽ हथ । फिन एके साथ राग में रेघा के झोर लगऽ हथ ।) (अल॰18:56.18)
9583 रेघाना (जखनी रमाइन रेघा के पढ़ऽ हइ तखनी सुनताहर के हम्मर घर में भीड़ हो जा हइ ।) (अल॰10.32.3)
9584 रेघी (पपनी सभन पर अँसुअन के रेघी छलछलायल हल) (मकस॰ 13:6)
9585 रेड़ (नसध॰ 6:25.8)
9586 रेड़ (उ का डागडर हथिन बाबूजी ? कउन कउलेज में पढ़लथिन हे । टो-टा के तऽ एक वित्ता में अप्पन लाम लिखऽ हथिन । अप्पन गाँव के कई लोगन के मुरदघट्टी पुवचा देलथिन हे । जहाँ पेड़ न बगान, उहाँ रेड़ परधान ।) (अल॰14.42.21)
9587 रेडिओ (नसध॰ 38:161.11)
9588 रेढ़ (रम॰ 3:31.1)
9589 रेढ़ (~ करना) (हाँ बेटा, तोहरे कहे पर सुमितरी के पढ़ावे के बीड़ा उठइली हल । तोहरे मदद से ही इ पढ़-लिख भी रहल हे । मुदा हेडमास्टर मुदेखली कर रहलथिन हे । अप्पन जात-भाय के लइका-लइकी सब के कबे फारम भरा के पुंगा देलथिन आउर हमनी सबके साथ रेढ़ कर रहलथिन हे ।) (अल॰20:65.30)
9590 रेढ़ (~ बढ़ाना) (नसध॰ 13:57.16)
9591 रेयान (बअछो॰ 7:34.2; 8:37.18; 9:40.14; 10:47.17; 13:58.3; 14:61.11)
9592 रेल-पेल (~ के रोकना) (नसध॰ 36:153.15)
9593 रेलम-पेल (मसक॰ 168:10)
9594 रेवाज (बअछो॰ 6:30.20; नसध॰ 11:48.21; 20:81.16, 19)
9595 रेवाज (= रिवाज) (अमा॰18:7:1.5; 24:13:1.7; 173:8:2.9; 174:7:1.5)
9596 रेसम (नसध॰ 7:29.16)
9597 रेह (गो॰ 3:18.3)
9598 रेहट (नसध॰ 9:41.26)
9599 रेहन (अमा॰14:16:2.7; मसक॰ 6:2; 98:14; 100:26)
9600 रेहाए (फूब॰ 2:7.30)
9601 रोआँसी (फिर ~ होके कहऽ हल - 'अब काबू थक गेल बउआ । मेला का जायम ? ..') (अमा॰22:16:2.2)
9602 रोआई (अमा॰12:13:2.2; नसध॰ 5:22.12; 42:186.27)
9603 रोकड़िया (अआवि॰ 31:26)
9604 रोकड़िया-मुंशी (अआवि॰ 30:2)
9605 रोकसदी (अमा॰12:10:2.22)
9606 रोकसद्दी (गो॰ 3:19.16; 6:32.25)
9607 रोकावट (नसध॰ 8:35.22)
9608 रोख (~बिगड़ना, ~ बदलना, ठकुरबारी पुरुब ~ के हल) (नसध॰ 3:10.2; 6:26.19; 31:137.20; 39:172.2; 42:184.27)
9609 रोग-बेमारी (देह जे कमजोर होल तो सौ गो रोग-बेमारी के घर) (अमा॰13:8:1.25; 165:20:2.3)
9610 रोगियाही (misprinted as रोगीयाही; दे॰ बेमरियाही) (अमा॰12:13:2.15)
9611 रोगी (नसध॰ 38:163.6, 21)
9612 रोज (रोज-रोज) (नसध॰ 37:157.11)
9613 रोजगार (नसध॰ 34:146.7)
9614 रोजगार (~ के साधन जुटाना) (नसध॰ 37:157.4)
9615 रोजी (नसध॰ 3:11.3)
9616 रोजी-रोजगार (अमा॰16:5:2.7)
9617 रोजी-रोटी (अमा॰29:5:2.32)
9618 रोना-कलपना (रो-कलप के) (नसध॰ 5:20.25)
9619 रोना-कानना (गो॰ 5:24.15)
9620 रोना-धोना (रो-धो के) (नसध॰ 5:18.23)
9621 रोपना (साग-सबजी) रोपल) (नसध॰ 25:108.9)
9622 रोपनी (नसध॰ 24:100.23)
9623 रोपनी (चट-चट रोपऽ हइ नयकी रोपनिया, कि झूमऽ हइ हो के बिभोर; मोरी उखाड़े वालन से लेके जोते, चउकियावे, गोहटा काटे वालन आउ रोपनियाँ सब खुश; ~ लेतइ झुल्ला साड़ी, आउ कमियाँ नचतै-गइतै) (अमा॰2:9:2.15; 5:12:2.1; 168:8:2.16; 169:1:1.14)
9624 रोपनी-डोभनी (बअछो॰ 4:20.1)
9625 रोपया, रोपेया, रोपेआ (नसध॰ 3:11.15, 13.5; 8:33.11)
9626 रोपल (उनकर ~ मगही बिरुआ अब फरे-फुलाय लगल हे) (अमा॰169:17:2.21)
9627 रोपा (अमा॰169:1:1.2)
9628 रोपाना, रोपा जाना (मंदिर में बियाह होवे ला दिन रोपा गेल) (अमा॰13:6:1.10)
9629 रोपायल (दूनो में जिद्द ~ हल) (नसध॰ 10:45.13, 16)
9630 रोब (~ जमना, ~ देखाना) (नसध॰ 40:174.1; 41:181.12)
9631 रोब-दाब (नसध॰ 7:29.14)
9632 रोबाई (अमा॰2:17:1.6)
9633 रोलाना-धोलाना (गो॰ 5:24.2)
9634 रोवाँ (ई सोच के सुगिया के ~ कलप जाय) (नसध॰ 44:193.10)
9635 रोवाँ (हमरा तो एको ~ न कहे बाकि का करीं ?) (नसध॰ 26:115.15)
9636 रोवाई (अमा॰10:12:1.18; 16:14:1.6; 22:16:1.15, 2:18; गो॰ 2:12.6; कब॰ 59:21; नसध॰ 41:181.11)
9637 रोवाना (गाड़ी खुले पर फिन अलगंठवा के दिमाग में माय के इयाद रोवावे लगल हल ।) (अल॰11.35.5)
9638 रोसकदी (दे॰ रोकसदी) (अमा॰13:6:1.28)
9639 रोसकदी, रोसकद्दी, रोसगदी (रम॰ 10:79.10; 13:95.5)
9640 रोसगदी (= रुखसत, गौना) (नसध॰ 23:93.6)
9641 रोहन (= रोहिणी नक्षत्र) (नसध॰ 6:23.9; 35:149.14)
9642 रोहन (रोहन अदरा के बदरा मनभावन समय सुहावन के । पिया पलंग आउ रिमझिम वर्षा बात ने बिसरे सावन के ।) (अमा॰22:17:2.15)
9643 रोहन-फोहन (नसध॰ 16:71.27)
9644 रोहनिया, रोहनियाँ (~ मोरी) (अमा॰169:1:1.1)
9645 रोहनियाँ (~ मोरी) (नसध॰ 35:149.16)
9646 रोहा-पिटी (मसक॰ 152:26; 154:3)
9647 रोहा-पीटन (कब॰ 34:3)
9648 रोहा-रोहट (केकरो मरला पर तो ~ होयबे करत) (अमा॰16:4:1.30)

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