Sunday, October 18, 2009

38. लकारादि शब्द

9649 ल (= के लिए) (फूब॰ 8:27.15)
9650 लँगोटी में ही पेसाब करना (रम॰ 14:112.19)
9651 लंगटबोकारी (रम॰ 5:47.7)
9652 लंगटा (काहे ला ई बेटी के जनम देलऽ हमरा अइसन लंगटा हीं ?) (अमा॰23:17:2.1)
9653 लंगटा (जेकरा आझ लंगटा समझऽ ह, कल ओकरे राजा कहबऽ) (अमा॰23:20:1.4)
9654 लंग-धड़ंग (कुछ बूढ़-पुरनिया अउरत-मरद बालू रेत पर बैठ के गलवात कर रहलन हल तऽ कुछ लंग-धड़ंग फन्देला रंग के बाल-बुतरून मिट्टी के घर बना-बना के खेल रहल हल ।) (अल॰44:145.8)
9655 लंगर (जहाँ जहाँ गेलन बाबा लंगर चलाई देलन, छोट-बड़ दुन्नो के मिटौलन अभिमान के) (अमा॰17:15:2.11)
9656 लंगेसरी (धरती के सपूत धरती से अन्न उपजावे वालन मजदूर जे मजदूरी करके, झोपड़ी में का बरसात, का गरमी आउर जाड़ा, वारहो मास लंगेसरी वाना में अप्पन दिन काटऽ हथ, अधपेटे रह के दवा-दारू आउर अन्न-वसतर के लेल मरइत रहऽ हे ।) (अल॰15.44.18)
9657 लंगोटिया (सब लोगन के मुँह से एक ही बात निकलऽ हल कि राजगीर में अलगंठवा और सुमितरी के विआह करे ला गेते गेलइ हे । काहे कि साथ में सुमितरी के माय-बाप आउर अलगंठवा के लंगोटियन इयार दिलदार राम, रजेसर आउर रमेसर भी एही गुने गेते गेलइ हे ।) (अल॰32:103.9)
9658 लंगोटियापन (पटना आवे पर सीधे लल्लू भाय के घर पहुँचल हल । लल्लू आउर अलगंठवा में लंगोटियापन हल ।) (अल॰28:86.18)
9659 लंघी (~ मारना) (दुन्नू जवान एक-दोसर के चित्त नहिएँ कैलक । आखिर में कनेसर का से नञ रहल गेल । ऊ कान्त का के चेला के सहजे लंघी मार देलन । ऊ जवान धायँ से गिर गेल ।) (अमा॰16:12:1.2, 7, 10)
9660 लंठ-अवारा (गो॰ 6:30.27)
9661 लंठगिरी (एन्ने बिन्दा छौंड़न के संगे रहके ~ करे लगल हल) (अमा॰173:13:2.9)
9662 लंद-फंद (टिटिआय के जाय के बाद डिब्बा में बैठल लोग कहे लगलन कि टिटिआय अप्पन धोकड़ी भरे ला लंद-फंद करइत रहऽ हे ।) (अल॰6:15.15)
9663 लइकइया (नसध॰ 8:31.22)
9664 लइकइयाँ (~ के दिन) (अमा॰13:7:1.6, 7)
9665 लइकन-फइकन (अमा॰12:14:1.28; 173:19:1.2; नसध॰ 1:2.10; 39:168.5)
9666 लइकन-बुतरू (= लड़कन-बुतरू) (अल॰34:109.3; 37:117.22)
9667 लइका (मकस॰ 8.8)
9668 लइका (लइकन) (नसध॰ 2:8.4)
9669 लइकाई (अमा॰16:17:1.16; नसध॰ 6:24.23; 8:32.26; 26:116.2; 40:177.9)
9670 लइका-फइका (लइकन-फइकन) (बअछो॰ 5:24.23)
9671 लइकी (मकस॰ 8.8; नसध॰ 5:20.31; 47:204.23)
9672 लउकना (मसक॰ 115:6, 20)
9673 लउकना (ई सब कथा में प्रेम, सामाजिक विषमता, इतिहास के सत्य, नौकरी करे ओला के विवशता, प्रेम के पौरानिक स्वरूप आउ अन्तरजातीय विवाह आदि के चित्रण लउकऽ हे) (अमा॰25:19:1.31)
9674 लउकना (तोहर निखरल-निखरल चेहरा चान जइसन लउक रहली हे ।) (गोर-गोर झुमइत धान के बाल में हम तोहर मस्ती भरल कचगर आउर दूधायल सूरत देख रहली हे ।) (अल॰6:18.28; 11:34.25)
9675 लउकना (पुरनका रंगल कोट पेन्ह के ऊ कइसे जैतन हल ? रंगला पर भी रफ्फू साफे लउकऽ हल..) (मकस॰ 9:21; 66:5)
9676 लउझाड़ (समाज के कुरीत से लड़ना असान नऽ हे, बड़ी ~ हे) (नसध॰ 12:52.11)
9677 लउडीसपिकर, लउडिसपिकर (= लाउड-स्पीकर) (सुमितरी छत पर से नीचे उतरे ल चाह ही रहल हल कि उत्तरवारी टोला से विआह के गीत लउडीसपिकर पर सुनाई पड़ल ।) (अल॰22:70.19; 30:92.6; 34:107.20)
9678 लउलिन (गाँव के जजात आउर घर के अनाज चोरा के अप्पन पाठी के खिलावे में दिन-रात लउलिन रहऽ हल अलगंठवा ।) (अल॰1:2.20)
9679 लकठो (गुड़ या चीनी में पगा आटे का लंबा लच्छा) (टीसन के बाहरे खोमचा वाला हे । ओकरा में दु रुपइया के मिठाई के जगह पर ~ ले हे । ~ में से एगो टुकड़ियो न खाहे ऊ ।; बसिया दीदी बजार से आयल हे, सब लइकन घेर लेलन, सबके कुछ न कुछ निमकी चाहे लकठो मिल रहल हे ।) (अमा॰16:14:2.5, 6; 22:17:1.6)
9680 लकड़सुंघवा (अमा॰172:12:1.3)
9681 लकवा (~ मार देना) (नसध॰ 9:42.7)
9682 लखेरा (मकस॰ 30:10)
9683 लखेरा (हम ओकर बारे में सब कुछ तोहरा से जादे जानऽ हियो । उ गूंडा लखेरा बइमान आउर चंडाल हे ।) (अल॰21:67.22)
9684 लखैरा (गो॰ 6:28.1; मसक॰ 171:13)
9685 लगउनी-बझउनी (सालो से जे एतना ~ हे, ऊ कइसे वसूल होयत) (अमा॰174:8:1.22)
9686 लगन (गो॰ 4:21.18)
9687 लगन (एसो के लगनिया में जोड़े के हइ गेठिया, चहर-जुआन लेखा घर बइठल बेटिया, एसो होतइ न निवाह तऽ का कहतइ जमनमा ।) (अल॰19:63.14)
9688 लगन (बिआह के सुभ लगन टल रहल हल । ऊ घड़ी आरजू-मिन्नत आउ बहस करे के कउनो गुंजाइस न हल ।) (अमा॰28:5:1.7)
9689 लगन (शादी के ~) (मसक॰ 162:16)
9690 लगनपतरी (मसक॰ 99:23)
9691 लगना (बढही हीं ~ आउ सबदल ठोकाइत हल) (नसध॰ 6:28.9)
9692 लगना (हर के ~) (मसक॰ 113:8)
9693 लगबहिये (खदेरन के नाक-मुँह में गरगटाइन धुआँ घुस गेल । ऊ ~ खोखे लगलन ।) (नसध॰ 19:77.14; 29:126.24)
9694 लगल (मुँह ~ बोलना; सेवा में ~ ओहिजे खड़ा हल) (नसध॰ 4:15.30; 29:126.32)
9695 लगल-भिड़ल (गो॰ 3:17.8)
9696 लगवहिये (नसध॰ 39:164.6)
9697 लगवान (घर में लगवान भी हइ । जतरा पर दही भी ।) (अल॰16.47.12)
9698 लगहर (मसक॰ 18:2)
9699 लगहर (~ गाय) (अमा॰10:16:1.11; 163:15:1.22; कब॰ 20:10)
9700 लगाना (फूल लगैबऽ तऽ फूलैतो आउ काँटा रोपवऽ तऽ गड़तो) (नसध॰ 6:25.8)
9701 लगाना-बझाना (लगा-बझा के) (फूब॰ 5:18.4)
9702 लगावल (नसध॰ 29:126.2)
9703 लगी (= के लिए) (मसक॰ 21:4)
9704 लगी (= लागी, ला, के लिए) (रोते कलपते ऊ दुन्नो माय-बेटी टेम्पू पर चढ़ के घरे लगी चल पड़लथिन जब कि ऊ घर में लाते-घूँसा से स्वागत होवे के उम्मीद हल) (अमा॰24:18:1.25)
9705 लगुआ-भगुआ (गो॰ 8:38.20)
9706 लग्गी (ई नाव में ऐसन लग्गी दऽ, बस एक्के दाव उलट जैतो) (अमा॰10:1:1.12)
9707 लचार (मसक॰ 105:21)
9708 लचार (~ अदमी कसूर गछ के माफी माँगऽ हे) (अमा॰1:11:1.26; 18:10:1.29; 169:14:1.17)
9709 लचार (= लाचार) (नसध॰ 40:179.17)
9710 लचारी (अमा॰13:12:2.9; 165:14:1.28, 16:2.16; 170:6:1.6)
9711 लछनमान (कब॰ 2:12)
9712 लछमी (= लक्ष्मी) (अमा॰14:1:1.2, 11:1.18)
9713 लछमी (= लक्ष्मी) (दुरगा-सरसती-लछमी आदि इतिआदी देवी खाली मट्टी के देउता न हथ । बल्कि उ लोग तोहरे जइसन हलन जिनखर नाम-जस-गुन के चरचा आज्झ भी घर-घर में हे । सगर उ लोग के पूजा पाघुर होवऽ हे ।) (अल॰6:19.8)
9714 लजकोट (मसक॰ 71:3)
9715 लजकोटर (~ बालम लाज के मारे भाग न जाय) (अमा॰8:6:2.30)
9716 लजायल (नसध॰ 9:41.24)
9717 लजौनी (~ के डाल) (अमा॰15:18:1.21, 26)
9718 लजौनी (अलगंठवा के बात सुनके सुमितरी लजौनी घास नियर लजाइत अलगंठवा के तन-मन में सिकुड़इत कहलक हल -"धत्, तूँ तऽ तील के तार करके कोय चीज के बखान करऽ हऽ ।") (अल॰13.39.17)
9719 लजौनी (धनेसरा ~ के पौधा जइसन लजा गेल) (अमा॰169:14:1.15)
9720 लटकना (तनि ई लटकलका झोलवा पकड़ऽ तो !) (अमा॰9:11:2.15)
9721 लटकल (नसध॰ 6:23.19)
9722 लटकाना (नसध॰ 35:149.30)
9723 लटपट (~ लगाना) (नसध॰ 9:38.19)
9724 लटपट (में ~ चलना) (नसध॰ 3:13.25)
9725 लट्टियाना (सुमितरी काली मट्टी से अप्पन माथा रगड़-रगड़ के धोवे लगल हल । काहे कि ओकर लमहर-लमहर केस लट्टियाल हल । जेकरा कठौती में पानी लेके साफ कर रहऽ हल । ओकर पीठ येकदम उघारे हल ।) (अल॰5:12.16)
9726 लट्ठा (एही सब सोंचइत सब अउरत पीछे-पीछे सले-सले अपजस करे ला चले लगल हल । करहा में लट्ठा के पानी बह रहल हल खेत पटे ला । करहा भीर आके सभे छप्प-छप्प पानी छूए लगल हल ।) (अल॰18:54.13)
9727 लट्ठा (किसान सिंचाई ला लगल हे लट्ठा में; लट्ठा गिरावे ओला सिपाही के झट् से सौ-पचास के नोट धरा द, पट् से ओवर-लोडिंग कम जायत) (अमा॰26:11:1.8; 164:8:2.1)
9728 लट्ठा चलाना (गो॰ 1:7.20)
9729 लठिआना (बूढ़-पुरनियाँ के सठिआवत-लठिआवत नऽ तऽ वोट कइसे मिलतई ?) (नसध॰ 22:90.1)
9730 लठुआना (भौंरा भी फूल में तब ले लठुआल रहे हे, जब ले ओकरा में रस रहे हे) (अमा॰173:13:2.28)
9731 लठैत (अमा॰4:17:1.22)
9732 लड़का-फड़का (लड़िकन-फड़िकन) (गो॰ 4:21.4; 6:32.22; 8:36.18)
9733 लड़ना (हमनी कउची ला लड़ब ?) (नसध॰ 33:144.5, 11)
9734 लड़वाना-कटवाना (आपस में लड़वा-कटवा के पहिनऽ तूँ कंठीमाला) (अमा॰22:20:1.10)
9735 लड़ाई (नसध॰ 33:144.6, 8)
9736 लड़ाकिन (अमा॰166:14:2.1)
9737 लड़ाय (= लड़ाई) (टोला-टाटी में भी रोज देखइत रहऽ हे माउग-मरद के लड़ाय । झोंटा-झोंटउअल, मार-धार ।) (अल॰42:136.5)
9738 लड़िकन-फड़िकन (का लड़िकन का फड़िकन) (गो॰ 8:38.17-18)
9739 लड़िकलप्पो (मसक॰ 6:17)
9740 लड़िका-फड़िका (मसक॰ 38:28)
9741 लड्डू (नसध॰ 6:26.10)
9742 लढ़ुआ (रम॰ 4:41.9)
9743 लतरी (करमी के ~) (मसक॰ 98:8)
9744 लतियाना, लतिया देना (जब गिर जाही भुइयाँ में, तब ऊपर से लतिया दे हथ) (अमा॰15:20:1.10; 26:8:2.25, 33)
9745 लत्तड़ (आलू के नया लत्तड़ हरियर छटा फैला रहल हे । मकई के मोछ मकरन्द मन के मोर नचा रहल हे ।) (अमा॰22:11:2.27)
9746 लत्तम-जुत्तम (मसक॰ 72:5)
9747 लत्तर (मसक॰ 117:22)
9748 लथरना-पथरना (अगहनी धान टाल-बधार में लथरल-पथरल हल । कारीवांक, रमुनिया आउर सहजीरवा धान के गंध से सउंसे खन्धा धमधमा रहल हल ।) (अल॰7:20.25)
9749 लथार (~ मारना) (निसवद रतिया में टरऽ टरऽ करऽ हइ ददुरवा । रहि-रहि मारऽ हइ लथार, हहार करइ पूरबा ।) (अल॰19:63.3)
9750 लथेरना (नसध॰ 6:25.29)
9751 लदना (~ बैल) (अमा॰173:13:1.10)
9752 लदनी (नसध॰ 30:130.24, 25)
9753 लदनी-खेदनी (मसक॰ 165:23)
9754 लदबद (फरत करइला खीरा शोभे लदबद फूल अलानी में) (अमा॰22:17:2.19)
9755 लद-बूद (रम॰ 11:85.16)
9756 लदल-फदल (अमा॰8:5:1.22-23)
9757 लन्द-फन्द (अमा॰11:20:1.9)
9758 लपकना (गो॰ 10:45.30)
9759 लपकना (लपकल) (नसध॰ 4:15.3; 41:181.17)
9760 लपकल (अमा॰7:15:1.2)
9761 लपकल-धपकल (रम॰ 19:140.15)
9762 लपकल-धपकल (बटेसर भी अप्पन जनाना भीर से उठ के भीड़ दने लपकल-धपकल चल गेल हल ।) (अल॰7:22.25; 18:54.19; 22:71.17; 26:77.17-18; 27:84.25; 29:90.4; 38:123.26; 41:126.22; 43:141.2-3; 44:145.13, 152.2)
9763 लपटायल (नसध॰ 13:56.2)
9764 लपसाना, लपसा जाना (सच पूछल जाय तऽ इस्कूल हमरा काजे आउर कालिख से लिपल-पोतल लउक रहल हे । हम हदिआयल ही, डेरायल ही कि कहीं कालिख आउर काजर हमनी सब नयकन सिच्छक के कपड़ा-लत्ता आउर देह में लपसा न जाय । ... अपने अप्पन काम-धंधा ठप्प करके अइते गेली हे, इ लेल हम अपने सब के परनाम करइत ही, सलाम करइत ही ।) (अल॰30:92.17)
9765 लपाता (= लापता) (हेडमास्टर साहेब सुमितरी से अलगंठवा के बारे में पूछलन हल कि एक सपताह से जादा हो गेल हे । अभी तक ऊ कहाँ लपाता हका ।) (अल॰34:107.28)
9766 लप्पड़-थप्पड़ (अमा॰167:17:1.10)
9767 लफड़ा (अगर तूँ ई लफड़ा में पड़ल न चाहे हें, तब चुपडाप हरेक महीना में आधा पेंसन दे दिहें) (अमा॰164:10:1.11)
9768 लफन्दर (गाँव में एक दूसर से लड़वा के पटिसन करवा देलक । हेडमास्टरवे हमनी के जेल के रस्ता देखला देलक । नाता-पेहानी सगर से मुड़ी गिरवा देलक । हमनी के कहीं के रहे न देलक इ बुरचान्हर-लफन्दर हेडमास्टर ।) (अल॰33:105.2)
9769 लफन्दरइ (गया पींडदान के बारे में लोग हर साल अप्पन कुल पित्तर सब के सरग जाय ला दान करऽ हथ । रूपिया से लगाइत खटिया बिछावन जूता-छाता, छड़ी आउर न जानुँ कउन-कउन रगन के चीज दान करऽ हथ । मरला के बाद कउन जानऽ हे कि सरग इया नरक गेलन । ई सब लफन्दरइ न तऽ का हे भइया ।) (अल॰35:112.17)
9770 लफाना (रम॰ 9:70.7)
9771 लफाना (बड़ी मलार के हाथ लफाथिन) (अमा॰3:19:2.30)
9772 लफाना (सुमितरी जाय ला गोड़ बढ़इवे कइलक हल कि अलगंठवा ओकर बायाँ हाथ लफा के पकड़इत वांस के कोठी पर एगो कौआ अप्पन बचा {बच्चा} के मुंह में चारा बड़ परेम से डाल रहल हल ।) (अल॰13.40.13; 27:82.23; 36:114.13; 42:133.25)
9773 लफार (~ मारना) (नसध॰ 6:25.17, 26.4)
9774 लफार (पूरबा के लफार से दूनो के पसीना से तरबतर देह के तरावट मिल रहल हल ।) (अल॰42:134.8)
9775 लबदब्बर (= झटदब्बर) (मसक॰ 72:3)
9776 लमका (ए भइया ! जहाँगीर पोखर वाला लमका परीया में जे तीनकोनवा दसकठवा हे से नापले न गेल हे ।) (अमा॰30:14:1.23)
9777 लमछड़ (मसक॰ 134:1)
9778 लम-धडंग (मसक॰ 166:10)
9779 लमनी (= लबनी) (खेलामन के कहावत सुन के रघुनाथ मिसतिरी जे एक लमनी ताड़ी लेके अलग बैठ के पी रहलन हल, उ बोल पड़ल) (अल॰8:23.15)
9780 लमनी, लवनी (लवनी - रम॰ 4:38.7, 39.12)
9781 लमपोर (कब॰ 2:7)
9782 लमहर (अमा॰2:5:2.4; 13:11:1.4; 167:10:2.5; 173:3:2.9; गो॰ 11:46.25; मसक॰ 13:3; 90:1; 127:23; रम॰ 4:41.3; 9:70.6; नसध॰ 5:22.14; 26:117.2)
9783 लमहर (सामर वरन, छरहरा बदन, तुका जइसन खड़ा नाक, कमल लेखा आँख, लमहर-लमहर पुस्ट बाँह, सटकल पेट, चाक निअर छाती, बड़गो-बड़गो कान, उच्चगर लिलार, उज्जर सफेद सघन दांत, पातर ओठ से उरेहल हल अलगंठवा ।) (अल॰1:1.21; 5:12.16)
9784 लम्फ (बिजली के लाइनो गुल हो गेल हे । ..... कोठरी के एगो कोना में लम्फ बर रहल हे ।) (अमा॰13:7:2.9, 11, 12, 9:1.11)
9785 लम्बाई (लम्बाई-चौड़ाई) (नसध॰ 26:117.2)
9786 लम्मर (दू ~ के कमाई) (अमा॰2:11:2.2)
9787 लम्मा (गो॰ 5:26.24; कब॰ 2:7)
9788 लम्मा (लम्मा-चौड़ा भासन) (कत्तेक नेता, समाजसेवी आउ विद्वान ओहनी के जीवन-दर्शन पर लम्मा-चौड़ा भासन देलन; डागडर साहेब अप्पन माय के फरमौलन कि हम ऐसन-ओयसन लड़की से बिआह न करम । तूँ ऐसन लड़की खोजऽ जेकर चकचक दूध नियर रंग, आम के फाँक नियर लमहर आँख, टूसा नियर नाक, सुग्गा के ठोर नियर लाल-लाल ओठ, बिजली नियर दाँत आउ करिया और लम्मा-लम्मा घुट्ठी छुअइत बाल होय) (अमा॰2:5:1.11)
9789 लय (सुर ~) (नसध॰ 26:116.13)
9790 लरकोर (अनगिन पापियन के पापवा पखारलऽ, बाँझिन के कयलऽ लरकोर ।) (अमा॰29:9:1.20)
9791 लरछुत (बअछो॰ आमुख:3.20)
9792 लर-जर (अइसे तो विनोबा जी के लर-जर कद्दू के नियन छितरायल हे मगर परिवार में इनकर पत्नी के छोड़ के आउ कउनो न हे) (अमा॰19:13:2.30)
9793 लरमा जाना (चुभसे॰ 3:10.1)
9794 लरमाना, लरमा जाना (नसध॰ 9:40.25)
9795 लरिका (बअछो॰ 11:52.4)
9796 लरी (ओही रात के भतू के बड़की पुतहू बऊआल । ऊ बऊआन में भतू के आत्मा बोलल कि ओकर बनावल ठठरी पर, जेकरा में चारो कोना पर चार गो घंटी आउ जहाँ घुँघरू के लरी लगल हल, हमरा नईं ले जाल गेल ।) (अमा॰17:9:2.22)
9797 लरी-चरी (गो॰ 1:8.8)
9798 ललक (अआवि॰ 107:14)
9799 ललकना (अआवि॰ 108:2)
9800 ललकारना (नसध॰ 33:141.20)
9801 ललकी (~ मट्टी; ~ किरिनियाँ) (अमा॰16:12:2.30; 17:1:1.3)
9802 ललचना (नसध॰ 5:22.5)
9803 ललचाना (नसध॰ 5:19.27)
9804 ललटेन (= लालटेन) (नसध॰ 32:140.30)
9805 ललसा (नसध॰ 5:21.30; 27:119.12)
9806 ललसा (= लालसा) (अमा॰6:8:2.1; 28:11:2.2)
9807 ललोस (मसक॰ 74:11)
9808 लवनी (= लमनी, लबनी) (ताड़ी-दारू के लवनी आउ बोतल से इस्कूल भरल बा आउर जनेउ पेन्हथ बा ।) (अल॰23:72.24)
9809 लवेदा (ई में ~ फँसे के डर न हे) (अमा॰174:6:2.9)
9810 लसगंध (ऊ ~ के बेमारी हे । तू अलग ही तनी बइठऽ । हमनी में सटल का आवइत हऽ ।) (नसध॰ 41:180.8)
9811 लसोढ़ा (नन्हकू ओही ठाँम बइठ के येगो अप्पन धोकड़ी से लसोढ़ा के दतमन निकाल के मुंह धोवे लगल हल ।) (अल॰3:6.15)
9812 लहँगा (अमा॰1:13:2.10)
9813 लहंगा-पटोर (रम॰ 14:108.12)
9814 लहकना  (ओही पइसा से तम्बाकू किन के गाँव के बूढ़वा-बूढ़ियन के बोरसी से इया चुल्हा के लहकल लकड़ी के इंगोरा इया टिकिआ धरा के चिलिम में तम्बाकू बोज के नरिअर पर चढ़ाके पीलावे में तेज अलगंठवा ।) (अल॰1:2.12; 11:34.4, 6)
9815 लहजवान (बड़ा टंगरी तोड़े ओला बनल हे । अबरी ~ निकलने तो ठीक न होतउ ।) (नसध॰ 41:180.25)
9816 लहठी (कब॰ 22:4)
9817 लहना (कहईं न ~) (नसध॰ 4:14.13)
9818 लहना (दू बरिस से उनखा दमा के रोग से परेसान हियो । दवा-विरो कराके थक गेलियो हे । भगत बनिया के पीछे भी कम खरच न कइलियो हे । मुदा कुछ न लहऽ हो ।; एस॰पी॰ आउर डी॰एस॰पी॰ के इहाँ भी जाके विधायक जी पैरवी केलथिन हे, मुदा कुछो न लहलइ, मुँह बना के चल अइलन सब कोय ।) (अल॰6:17.10, 14; 25:75.24)
9819 लहबर (गो॰ 5:25.23)
9820 लहर (एँड़ी के ~ कपार पर चढ़ना; तरवा के ~ कपार पर चढ़ना) (अमा॰9:18:2.11; 13:16:2.4)
9821 लहरना (आग ~, मिजाज ~) (नसध॰ 10:44.7; 17:73.8-9; 27:118.28)
9822 लहरना (सुमितरी सीऽऽऽसीऽऽऽ करइत कहलक हल - "एता जोड़ से नाक अंइठ देलऽ कि लहरे लगल । छोड़ऽ, अब हम जाही ।") (अल॰13.40.27)
9823 लहरा डाक (रम॰ 5:44.12; 17:132.23)
9824 लहरा डाक (= एक देवता, जिनके बारे में मान्यता है कि वे गाँव-घर की निगरानी करते हैं) (शक्ति ला देवी जी, बुद्धि ला सरस्वती जी, गाँव-घर के निगरानी ला गोरइया डिहवार, डाक, फूल डाक, ईशरा डाक, लहरा डाक, त घर के परिवार के रच्छा ला टिपउर, मनुस्देवा, बाबा बकतउर आउ बराहदेव हथ ।) (अमा॰22:13:1.9)
9825 लहराना (आग ~) (नसध॰ 29:129.6)
9826 लहराना, लहरा देना (भूसा ~) (नसध॰ 37:159.14)
9827 लहरी (गरमी के ~) (कहाँ जइबे बूँदा पड़े पर गरमी के लहरिया रे ?) (अमा॰24:1:1.1)
9828 लहलह (गो॰ 6:28.31)
9829 लहलह (जेठ के लहलह दुपहरिया में लूक लगे के भय से लोग ओइसहीं लुकाएल हलन जइसे दिन में उल्लू लुकायल रहऽ हे) (अमा॰20:15:1.1)
9830 लहलह दुपहरिया (मसक॰ 22:21)
9831 लहलहाना (खेतन में लहलहाल सरसों के फूल खिलल) (अमा॰20:6:2.13)
9832 लहलहाना (लहलहाइत ~) (नसध॰ 30:133.17)
9833 लहसना (पेड़ झमटार हल जहिना तहिना, अब तो ठूँठे खड़ा हे अगाड़ी । ई न फूजे, न फुनगे, न लहसे, अब न चूके के भइया सगाड़ी ।) (अमा॰14:1:1.13)
9834 लहसुन (नसध॰ 9:37.2)
9835 लहसुन आउर पेयाज के फोरन देना (गो॰ 8:38.10-11)
9836 लहालोट (गो॰ 1:2.32)
9837 लहालोट (भूखल लहालोट मिजाज) (एही से तो ऊ आम रास्ता पर अप्पन आसन जमौले हथ कि हजार-पान सौ ढेला रोज मिल जात, त चलऽ अप्पन भूखल लहालोट मिजाज एकदम शांत हो जात) (अमा॰22:13:2.10)
9838 लहास (= लाश) (अमा॰24:12:1.18; 168:11:1.8; 169:11:2.21)
9839 लहेंगड़ा (गाँव के दस गो लहेंगड़ा समुच्चे गाँव के इन्सान के पेरले हे । कइसे गाँव के इज्जत रहत ?) (मसक॰ 55:14)
9840 ला (= के लिए) (अआवि॰ 20:31; मसक॰ 22:4)
9841 ला, ल, लागी, लगी (= के लिए) (कब॰ 1:5)
9842 लाइन (बिजली के लाइनो गुल हो गेल हे । "कत्ते गिरावट सब विभाग के काम-काज में आ गेल हे ।" - ऊ खिजला हथ ।) (अमा॰13:7:2.6)
9843 लाई (मिठाई) (गो॰ 3:18.22)
9844 लाई-मिठाई (गो॰ 1:10.30; 3:16.21)
9845 लाग फाँस (~ चलना, ~ लगाना) (नसध॰ 5:21.14; 8:32.10)
9846 लाग-फाँस (गो॰ 7:35.21)
9847 लाग-फांस (इधर अलगंठवा से गाँव के कुछ लोग खुस हल तऽ कुछ नाखुस भी । सुमितरी आउर अलगंठवा के सिकाइत इ लेल होबऽ हल कि दूनो में लाग-फांस हो गेल हल ।) (अल॰44:157.13)
9848 लाग-लपेट ("का भाय ! कहाँ जाय के औडर तोरा देलको सरकार ?" महेसर जी दुखित होते पूछलन । -"शहर जमनिया ।" दरोगी जी बिना कोय लाग-लपेट के बता देलन ।) (अमा॰29:11:2.22-23)
9849 लागी (अआवि॰ 17:26)
9850 लागी (बदला लेवे लागी = बदला लेने के लिए) (बअछो॰ 1:9.6)
9851 लाज-गरान (अमा॰22:20:1.15; 170:11:2.16; गो॰ 1:1.27, 28; 6:27.32)
9852 लाट (~ साहेब) (नसध॰ 20:81.6; 25:107.17)
9853 लाठा (लाठा-कूड़ी) (नसध॰ 9:41.26, 30)
9854 लाठी (नसध॰ 9:42.23)
9855 लाठी भांजना (बअछो॰ 6:29.12, 22, 30.23)
9856 लाठी-डंटा (बअछो॰ 12:54.15)
9857 लाठी-पैना (गो॰ 8:36.17)
9858 लाठी-लठउअल (कब॰ 8:3)
9859 लात-जुत्ता (गो॰ 5:26.5)
9860 लात-जूता (~ खाना) (नसध॰ 33:144.30)
9861 लादना-खेदना (लाद-खेद के) (गो॰ 6:30.23)
9862 लानत-मलामत (गो॰ 3:16.28, 20.3)
9863 लाम (= नाम) (उ का डागडर हथिन बाबूजी ? कउन कउलेज में पढ़लथिन हे । टो-टा के तऽ एक वित्ता में अप्पन लाम लिखऽ हथिन । अप्पन गाँव के कई लोगन के मुरदघट्टी पुवचा देलथिन हे । जहाँ पेड़ न बगान, उहाँ रेड़ परधान ।) (अल॰14.42.20)
9864 लार (मुँह से ~ चूना) (नसध॰ 17:73.15)
9865 लार-पोआर (रम॰ 4:43.19)
9866 लाल (नसध॰ 26:117.6)
9867 लाल झंडी देखा देना (मसक॰ 24:19)
9868 लाल सलाम (अलगंठवा-रमेसर-रजेसर आउर फनु मियाँ वर-पीपर के पेड़ तर ताड़ के चटाई पर बइठइत सब येक दूसर के लाल सलाम करऽ हे ।) (अल॰43:140.25)
9869 लालटेन (नसध॰ 32:141.9)
9870 लाल-पीयर (आँख ~ करना) (अमा॰16:13:1.24)
9871 लाली (जब पेट भरल तऽ मुँह पऽ ~ काहे नऽ चमकत ?) (नसध॰ 12:51.29)
9872 लावल (आज के ~ मछरी) (नसध॰ 36:156.9)
9873 लास (= लाश) (जब अवकाश काल लइकन किहाँ बितावल चाहऽ हथ, त बुढ़ारी के लास उठावे के बूता केकरो न होयल) (अमा॰17:7:1.18)
9874 लास (= लाश) (डागडर के बुलावे के पहिले ही दम टूट गेलइ । लास फतुहा आयल हो । माय के मुँह में आग तोहरे देवे पड़तो । काहे कि छोट बेटा ही आग दे हे ।) (अल॰11.33.20, 34.8, 27)
9875 लाहरी ("न बेटा, उहाँ बड़ी भीड़ रहऽ हइ । तूँ मेला-ठला में भुला जयबऽ, इया कुचला जयबऽ । न, तूँ न जा बेटा, हम तोरा ला फतुहा के परसिध मिठाई मिरजइ लेते अइबो ।" आखिर अलगंठवा माय से लाहरी करके चले ला तइयार होइए गेल ।; सुमितरी भी राजगीर मलमास मेला देखे ला लाहरी ले रहलइ हे ।) (अल॰6:14.16; 31:96.14)
9876 लाही (लाही गिर के सकल फसल तो हो गेलक बरबाद) (अमा॰20:20:2.13)
9877 लिआना (डगदर के लिआवे चल गेल) (नसध॰ 29:126.16)
9878 लिक्खा (फूब॰ मुखबंध:1.22)
9879 लिख (= लीख) (सुमितरी के माय अप्पन माथा से एगो लिख पकड़ के बाँया हाथ के अंगूठा के नाखून पर दहिना हाथ के अंगूठा से पुट-सन मारइत कहलक हल) (अल॰7:22.12)
9880 लिखताहर ('गाँव के दरद' के लिखताहर केशव प्रसाद वर्मा हथ) (अमा॰17:7:1.4)
9881 लिखनय (अमा॰16:16:2.17)
9882 लिखना (नसध॰ 35:151.23)
9883 लिखल (कागज पर ~ हे) (अमा॰1:9:1.27)
9884 लिखल-पढ़ल (= लिखना-पढ़ना) (सुमितरी के लिखल-पढ़ल गारत कर रहलथिन हे बेटा । ओकर फारम भरे के नाम पर आँउ-जाँउ बकऽ हथिन । अनेकन तरह के बखेड़ा खड़ा कर रहलथिन हे ।) (अल॰20:65.20)
9885 लिख-लोढ़ा (चुभसे॰ 1:5.21)
9886 लिखा-पढ़ी (लोग के बोल-चाल में तो मगही के खूबे प्रयोग होवऽ हे, बाकी ~ में एकर प्रयोग नऽ होवे; पहिले पइसा ले जा, बाद में ~ करिहऽ) (अमा॰1:7:2.10; 163:11:2.2)
9887 लिट्टी (~ पऽ टिकिया रखना) (अपन-अपन ~ पऽ सब कोई टिकिया रखऽ हे) (नसध॰ 14:64.21)
9888 लिट्टी (नन्हकू के घरवाली सत्तू भरल लिट्टी आउर आम के अंचार गमछी के एगो खूटा में बाँध देलक हल ।) (अल॰3:6.6)
9889 लिडरइ (= नेतागिरी) (आज तोहर करम-किरिआ करे ला हमनी इहाँ तोहरे आवे के बाट जोह रहलियो हे । आज तोहर कविता-केहानी आउ लिडरइ भूला जइतो ।) (अल॰27:82.16)
9890 लिताहर (अमा॰173:7:1.17, 18)
9891 लिपले पोतले देहरी, पहिरले ओढ़ले मेहरी (गो॰ 3:18.7-8)
9892 लिपाई-पोताई (नसध॰ 41:179.21)
9893 लिबिर-लिबिर (ऊ घोंघा लेखा ~ आँख से हमरा देखलक) (अमा॰173:16:1.22)
9894 लियाना (एक दिन लालती के बाप रामलखन लालती के लियावे गेलन तो बलिन्दर खीस में न लावे के किरिया कसम तक खा लेलन ।) (अमा॰12:10:2.2)
9895 लिलकना (लिलकल के खीर-पूड़ी, तरस के सइयाँ, जल्दी बिहान मत होइहऽ गोसइयाँ ।) (अल॰44:153.29)
9896 लिलकल (मकस॰ 41:5)
9897 लिलगाय (गो॰ 6:33.1)
9898 लिलबिलरा (~ नियन मुँह) (मसक॰ 169:6)
9899 लिलार (नसध॰ 9:42.26)
9900 लीला (जिनगी के ~) (नसध॰ 29:126.12)
9901 लुँज-पुँज (अमा॰11:12:2.11)
9902 लुंगी (अमा॰20:89:2.5; 163:8:1.21)
9903 लुंगी, लूंगी (चरखानी के गमछी आउर लूंगी एगो खादी के झोला में सइंत के कंधा में लटका के जब चले लगल ..) (अल॰38:120.7)
9904 लुआ (नसध॰ 3:11.7; 29:127.7)
9905 लुकपुक (गो॰ 1:5.23)
9906 लुक-लुक (बेर ~ करना) (नसध॰ 26:118.9)
9907 लुकलुकाना (बेर ~) (नसध॰ 30:134.13; 40:178.24)
9908 लुकलुकाना (सुमितरी कहलक हल कि अब संझौती देवे के समय हो गेल हे, जा हियो । अलगंठवा कहलक हल कि हाँ, बेर लुकलुका गेलो हे । सूरज भी डूबे जा रहलो हे ।) (अल॰13.41.18; 37:119.7)
9909 लुकवारी (आग के ~) (अमा॰2:16:1.21, 2.14)
9910 लुकाना, लुकावल जाना (जेकरा छिपावल जाय ऊ न छीपे आउ जेकरा लुकावल जाय ऊ परघट हो जाय) (नसध॰ 38:161.15)
9911 लुगरी (~ गाँथना) (मसक॰ 151:5)
9912 लुगा (मकस॰ 58:4; नसध॰ 3:9.27)
9913 लुगा (न कहियो बेचारी के गड़ी-छोहाड़ा ममोसर, न घीउ । पेन्हे ला साधारण लुगा मिलऽ हल ।; अरे सीधके गइया न सउँसे लुगा चिबा जाहे) (अमा॰17:8:1.21; 18:10:2.9, 11:2.27)
9914 लुगा (सुमितरी के उठा के झरताहर सब लुगा बदलबउलन हल, आउर कहते गेलन हल कि रात भर जग के बिहान करे के चाही । काहे कि सुतल में फिन बिख चढ़े के भय बनल रहऽ हे ।) (अल॰18:59.14)
9915 लुगा, लुग्गा (मसक॰ 38:25; 69:4; 99:12)
9916 लुगा-झुला (दसहरा आउ होली में कुटनी दादी के लुगा-झुला आउ साटन जरूरे मिलत) (अमा॰5:16:1.10)
9917 लुग्गा (गो॰ 1:7.19; 3:18.2; नसध॰ 3:10.16)
9918 लुग्गा-लुग्गी (मसक॰ 75:2)
9919 लुझना (लुझल) (नसध॰ 25:107.24)
9920 लुझाना (उहाँ मीटिंग हे आउ इहाँ गाँव के सब लोग के लुझौले हऽ) (नसध॰ 9:40.15)
9921 लुटेरा (अमा॰173:1:2.6)
9922 लुठिआना (रम॰ 4:41.3)
9923 लुतराना (लुतरा जाना) (रम॰ 3:27.23)
9924 लुतरी (रम॰ 7:59.13)
9925 लुतरी (भइयन संग ननदीन भी ~ हे जोर रहल ।) (अमा॰20:6:2.26)
9926 लुदकुनिये (नसध॰ 3:9.1, 11.9-10)
9927 लुर (हमरा ठेर मत सिखाव, हम ठेर सीखले ही । सहर में तोहनी के एको दिन बास होतो । चले आउ बाले के ~ हो ?) (नसध॰ 41:181.8)
9928 लुरगर (लुरगर-बुधगर) (अमा॰170:14:2.23)
9929 लुर-लुर (गो॰ 10:44.7)
9930 लुसफुसिआना (तोरो मन लुसफुसिआइत हवऽ ?) (नसध॰ 22:89.18)
9931 लुसफुसियाना (मन ~) (नसध॰ 26:117.12)
9932 लूँगेड़ा (रम॰ 16:122.4)
9933 लूक (मसक॰ 112:15; नसध॰ 4:15.8, 16.1; 34:145.10, 146.20)
9934 लूगा-फटा (अलगंठवा के तरफ मुंह फेरइत सुमितरी कहलक हल -"अरे बाप, मत पूछऽ, कल ही न बुलाकी बहु वचा निछड़वइलके हे । संउसे लूगा-फटा खून से बोथ हो गेलइ हल । हँड़िया के हँड़िया खून गिरलइ हल । संउसे टोला हउड़ा कर देलकइ कि कच्चा उहरा हो गेलइ हे । मुदा सच बात छिपऽ हे ?") (अल॰13.40.20)
9935 लूट-पाट (अमा॰29:7:2.1, 8:1.5)
9936 लूर (अमा॰4:13:2.21; 11:12:2.4; 12:6:2.23; बअछो॰ 5:27.27; गो॰ 1:10.20, 21; कब॰ 14:24)
9937 लूर (जो गे नासपीटी, मुँहझौंसी ! न लूर के, न काम के, ससुरार जयबे तो लात जूता खयते दिन जतऊ) (मकस॰ 49:21)
9938 लूर (तोहरा जइसन सुथर-सुभवगर पढ़ाकू लइका तऽ आज्झ तलक हम देखवे न कइली हे । केता लूर से चिट्ठी लिखलऽ हे ।) (अल॰6:20.6)
9939 लूर-अकल (तोही अप्पन लूर-अकल से ई किसान-मजदूर के झगड़ा के निपटारा कर सकऽ हऽ ।) (अल॰17:52.18)
9940 लूर-लच्छन (अमा॰166:14:2.13)
9941 लूल्हा (लूल्हा, लंगड़ा आउ कोढ़िया भी ठेलागाड़ी में बइठ के निरगुन भजन सुना के दुनिया के निस्सारता के घोसना करऽ हे । मगर दू पइसा खातिर लुच्चा लफंगा में भी भगवान के रूप देखऽ हे ।) (अमा॰28:6:1.22)
9942 ले (= के लिए; देवे ले = देने के लिए) (फूब॰ मुखबंध:2.4)
9943 लेंदरा (हमरो हे ~, तोरा दोसाला हे) (अमा॰5:11:1.4; 11:14:1.13, 28)
9944 लेक्सन (= एलेक्सन, चुनाव) (नसध॰ 21:83.30; 27:119.19)
9945 लेखा (बअछो॰ 9:41.25)
9946 लेखा (= जैसा) (हम्मर नजर में तोरा ~ सुन्दर परी कोई न हे; मइया के जीउआ गइया ~ होवऽ हे; ऊ घोंघा ~ लिबिर-लिबिर आँख से हमरा देखलक) (अमा॰9:16:1.24; 17:12:1.4; 173:16:1.22)
9947 लेखा (= समान, जैसा) (कब॰ 1:7)
9948 लेखा (सामर वरन, छरहरा बदन, तुका जइसन खड़ा नाक, कमल लेखा आँख, लमहर-लमहर पुस्ट बाँह, सटकल पेट, चाक निअर छाती, बड़गो-बड़गो कान, उच्चगर लिलार, उज्जर सफेद सघन दांत, पातर ओठ से उरेहल हल अलगंठवा ।) (अल॰1:1.21)
9949 लेखा-जोखा (नसध॰ 7:30.2)
9950 लेटना-पोटना (कादो-पाँको सेलेटल-पोटल कपड़ा) (अमा॰13:6:2.4)
9951 लेटाना, लेटा जाना (= गंदा होना, गंदा हो जाना) (कभी भइंस पेसाब करे तो छींटा पड़े, कभी गाय के पातर गोबर से कपड़ा लेटा जाय) (अमा॰170:8:1.33)
9952 लेटाल-पोटाल (मसक॰ 71:3)
9953 लेताहर (सादी के फल तऽ हेमन्ती के मिल रहलइ हे । बेचारी दोपस्ता होके ससुराल में बैठ के सुबुक रहलन हे । लेताहर गेलइ से आवे न देलकइ ।) (अल॰42:136.3)
9954 लेन-देन (अआवि॰ 109:4-5)
9955 लेबास (मसक॰ 112:16)
9956 लेमचूस (अमा॰173:14:2.7)
9957 लेमो (= लेमू, निम्बू) (अमा॰172:4:1.22)
9958 लेमोचूस (नसध॰ 1:1.7)
9959 लेल (रम॰ 1:19.21)
9960 लेल (= लिए; इ लेल = इसलिए) (अल॰6:19.14)
9961 लेले-देले (गो॰ 8:36.19)
9962 लेसना (= नेसना, जलाना) (तितकी लेस देना) (अमा॰173:11:2.21)
9963 लेसराना, लेसरा जाना (नसध॰ 4:14.17)
9964 लेसारना (हमरा कोई कदई में लेसार दे । हम तइयार ही।) (नसध॰ 6:27.2)
9965 लेहाज (कब॰ 29:2)
9966 लेहाजे (जीरवा के ~ भिखना के चाचा भी खदेरन के जाल से छोड़ावे भिरु नऽ गेलन) (नसध॰ 13:56.10)
9967 लेहुआना (सिमरा के फूल लेहुआय रे बलमुआ) (अमा॰1:17:2.10)
9968 लेहुआलोहान (अमा॰11:12:2.21)
9969 लेहू (~ के टपकइत बून) (नसध॰ 2:7.17, 19; 37:158.15)
9970 लैला-मजनू (नसध॰ 35:151.3)
9971 लोंदा (गो॰ 2:15.21)
9972 लोक-कथा (नसध॰ 35:150.29)
9973 लोककथा (लोकवार्ता के कथावस्तु वर्तमान के न होके परम्परा से आयल रहऽ हे । अइसन अवधारण लोक-विश्वास, अंध-विश्वास, रीति-रेवाज, परदरसन, लोक-नाट्य, धरम-कथा, अवदान परम्परा, लोककथा, धरम, अनुष्ठान, प्रकृति सम्बन्धी धारणा, जादू-टोना, कहउतिया, परतूक आदि हो सकऽ हे ।) (अमा॰25:13:1:16, 17:1:8, 10, 13)
9974 लोकगीत (मगही लोकगीत : भूमिका, संग्रह और भाष्य' लेखक के दूसर बृहद ग्रंथ, लगभग एक हजार पृष्ठ के मुद्रणस्थ हे; सोना में सोहागा ई भेल कि श्रोता के प्रश्न के उत्तर भी देलन आउ फरमाइशी लोकगीत भी सुनयलन) (अमा॰25:17:1:16, 18, 24; 26:15:2.7)
9975 लोक-जीवन (नसध॰ 35:150.29)
9976 लोकतंतर (= लोकतंत्र) (अब सउंसे देस में करमी के लतड़ आउर नकफेनी के काँटा नियन सत्ता में वंसवाद-जातिवाद पनपावे के जाल बुनल जा रहल हे । पता न, लोकतंतर कहाँ जा के अप्पन पनाह पावत ।) (अल॰44:154.16)
9977 लोकना, लोक लेना (ऊ ओकरा ऊपर ही लोक लेलक न तो जमीन पर गिरइत तो हड्डी-गुड्डी टूट जतई हल) (नसध॰ 40:176.12, 177.31)
9978 लोकना, लौकना, लउकना (= दिखना) (नसध॰ 3:13.14; 43:188.27, 29)
9979 लोकनाट्य ('मगही लोकनाट्य : अनुशीलन एवं संचयन' - एकरा में मगह के प्रचलित लोकनाट्य के संग्रह आउ अनुशीलन कैल गेल हे) (अमा॰25:17:1:27, 28, 29)
9980 लोकवार्ता (लोकवार्ता के कथावस्तु वर्तमान के न होके परम्परा से आयल रहऽ हे । ; विश्व लोकवार्ता के विद्वान आउ भोजपुरी लोकसाहित्य-सम्राट डॉ॰ कृष्णदेव उपाध्याय डॉ॰ राम प्रसाद सिंह के भारत के एगो महान लोकवार्ताविद के रूप में प्रस्तुत कैलन हे ।) (अमा॰25:13:1:12, 17:1:1, 10)
9981 लोकवार्ताविद (विश्व लोकवार्ता के विद्वान आउ भोजपुरी लोकसाहित्य-सम्राट डॉ॰ कृष्णदेव उपाध्याय डॉ॰ राम प्रसाद सिंह के भारत के एगो महान लोकवार्ताविद के रूप में प्रस्तुत कैलन हे) (अमा॰25:17:1:3)
9982 लोकाना, लोका जाना (सुगिया रग्घू के गोदी में लोका गेल) (नसध॰ 40:176.13)
9983 लोकोक्ति (एकरा अलावे पहेली, दसकूटक, लोकोक्ति, परतूक, लोकास्था आदि के संग्रह में बड़ी दिक्कत उठावे पड़ल हे जेकर वर्णन हम पुस्तक के भूमिका में कइली हे) (अमा॰25:5:1.31, 17:2.7)
9984 लोखर (बअछो॰ 4:20.5; 9:42.10, 43.25; 11:52.14, 20)
9985 लोग-बाग (गो॰ 6:32.12; 9:39.23; कब॰ 5:12; मसक॰ 159:11)
9986 लोघड़ना, लोघड़ जाना (नसध॰ 42:186.8)
9987 लोघड़नियाँ (~ खाना) (नसध॰ 29:126.10)
9988 लोघड़नियां (फूब॰ 1:3.6)
9989 लोघड़ाना (नसध॰ 3:13.6; 6:24.24)
9990 लोघड़ायल (नसध॰ 6:26.21)
9991 लोछियाना (लोछिया जाना) (रम॰ 13:105.5)
9992 लोट (= नोट) (गो॰ 3:18.20)
9993 लोटना (लोटल चलना, लोटे के मन करना) (नसध॰ 8:32.2, 5)
9994 लोटा (बिना पेंदी के ~) (नसध॰ 39:163.32; 46:202.20)
9995 लोटा-कटोरा (नसध॰ 3:11.15)
9996 लोटा-थरिया (काहे ला एगो अनजान आदमी के ~ दे देलऽ !) (अमा॰22:16:1.19)
9997 लोटा-थरिया-कठौती-बटलोही (उ जेवार में कोय के अइसन घर न हल जेकरा हीं अलगंठवा के घर के लोटा-थरिया-कठौती-बटलोही बंधिक न होत । माय-चच्चा आउर बाबू जी के मर जाय के वाद अलगंठवा के परिवार में घनघोर अंधेरा छा गेल हल ।) (अल॰12.35.22)
9998 लोढ़ना (फूल ~) (अमा॰12:11:2.4)
9999 लोढ़ा-सिलउट लोग (चुभसे॰ 1:4.21)
10000 लोढ़ी-पाटी (सुमितरी के माय मुसकइत येगो पुरान करिखा लगल हांड़ी में मछली धोवे ला उठावइत सुमितरी से कहलक हल - "अगे बेटी, तूँ लहसून-हल्दी-धनिया-सरसो आउर मिचाइ मेहिन करके लोढ़ी-पाटी धो-धो के पीसऽ ।" माय के बात सुन के सुमितरी लोढ़ी-पाटी पर मसाला पीसे लगल हल आउ मछली के लोहरउनी से घर महके लगल हल ।) (अल॰5:14.6, 7)
10001 लोभाना, लोभा जाना (नसध॰ 28:125.20; 36:155.25)
10002 लोर (मसक॰ 36:24)
10003 लोर (~ पोछना, आँख में ~ भर जाना) (नसध॰ 5:17.19, 20)
10004 लोराना (लोरायल) (माटी के चूल्हा में मकई के डंठा झोंकइत खदेरन बहु के आँख लोरायल हल) (नसध॰ 29:129.1)
10005 लोरिकायन (गीत गेल, संगीत गेल, पनिहारिन, बखोआइन गेल,  पूरबी, बिरहा, डोमकच गेल, लोरिकायन, पमरिया गेल) (अमा॰14:12:1.10)
10006 लोरू-करड़ू (= लेरू-कड़रू) (अलगंठवा फिन फोहवा बुतरू जइसन सुमितरी के असतन मुँह में लेके लोट-पोट के गाय-भैंस के लोरू-करड़ू जइसन पेन्होवे लगल हल ।) (अल॰36:116.7)
10007 लोहचुटी (अमा॰3:6:1.3)
10008 लोहमान-अगरबती (अमा॰172:10:1.1)
10009 लोहरइनी (रम॰ 5:44.6; 10:79.9)
10010 लोहरउनी (सुमितरी के माय मुसकइत येगो पुरान करिखा लगल हांड़ी में मछली धोवे ला उठावइत सुमितरी से कहलक हल - "अगे बेटी, तूँ लहसून-हल्दी-धनिया-सरसो आउर मिचाइ मेहिन करके लोढ़ी-पाटी धो-धो के पीसऽ ।" माय के बात सुन के सुमितरी लोढ़ी-पाटी पर मसाला पीसे लगल हल आउ मछली के लोहरउनी से घर महके लगल हल ।) (अल॰5:14.8)
10011 लोहराइन (जमान होइत सुमितरी के अब भान होवे लगल हल कि जमानी केता लोहराइन आउर फोकराइन होबऽ हे ।) (अल॰18:54.12)
10012 लोहार (बअछो॰ 5:24.3, 26.17)
10013 लोहार (चार चोट सोनार के आउ एक चोट लोहार के) (अमा॰25:17:2:19)
10014 लोहिआना (रमेसर ताड़ी पिए ला लोहिआल हका चखना लेके ।) (अल॰35:113.11)
10015 लौंग, लउँग (=मलमास) (लउँग - रम॰ 5:48.17)
10016 लौंड़न-छौड़न (नसध॰ 22:88.15)
10017 लौंडा (लौंडन के भीड़) (नसध॰ 16:71.2; 26:117.8)
10018 लौंडा, लौण्डा (~ के नाच) (मसक॰ 54:20)
10019 लौंड़े-छवड़न (नसध॰ 30:134.8)
10020 लौघड़ाना (नसध॰ 31:135.28)

1 comment:

  1. Hats Off to you Mr. Narayan for this feat. I was really really glad to see this magahi-kosh. At last, i found someone who thinks about ancient legacy which is this language Magahi, if i am not wrong, the Aprakirt Language with its own script. Just like we have for Maithili, Bengali and Odiya.

    Looking forward for some more interesting things from you.

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